एम्स ने कोडिंग करने की जानकारी दी

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में आयोजित कार्यशाला में तृतीयक देखभाल वाले अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में आईसीडी-10 की उपयोगिता और इसको बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। बताया गया कि मेडिकल और स्वास्थ्य से संबंधी अनुसंधान के क्षेत्र में हेल्थ रिकॉर्ड का विशेष महत्व होता है।
एम्स ऋषिकेश में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग लखनऊ के क्षेत्रीय कार्यालय के तत्वावधान में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। ’प्रमोट टू यूज ऑफ आईसीडी-10 इन टेरटियरी केयर हॉस्पिटल एंड मेडिकल कॉलेज’ विषय पर आधारित इस कार्यशाला में मेडिकल स्टूडेट्स और कार्यरत मेडिकल स्टाफ को विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई, कि किस प्रकार इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिसीज में मेडिकल हेल्थ रिकॉर्ड की उपयोगिता महत्वपूर्ण है।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए डीन एकेडेमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्मित रोग और संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकी वर्गीकरण का दसवां संस्करण ’आईसीडी-10’ चिकित्सीय वर्गीकरण की सूचियों का समूह है।
डीन रिसर्च प्रोफेसर वर्तिका सक्सैना ने बताया कि अभी तक भारत के कुछ बड़े अस्पतालों में ही आईसीडी-10 की ऑनलाइन कोडिंग व्यवस्था है। मरीजों के हित के लिए अब उत्तराखंड में भी इसे शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है। इसी प्रक्रिया के तहत इस कार्यशाला का आयोजन किया गया।
मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रोफेसर अश्वनी कुमार दलाल ने कहा कि आईसीडी-10 मेडिकल हेल्थ रिकॉर्ड पर आधारित ऐसी स्वास्थ्य प्रणाली है, जिससे चिकित्सकों को मरीज की पूरी हिस्ट्री देखने के लिए अलग-अलग कई रिपोर्ट नहीं पढ़नी पड़ेगी। इस सुविधा से सिर्फ आईसीडी-10 कोड की मदद से मरीज की पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त हो जाएगी।
इस अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ के उप निदेशक डॉ. सचिन कुमार यादव ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि बीमारियों के उपचार के लिए संबंधित रिसर्च, प्रोग्रेस रिपोर्ट अथवा दवा निर्माण आदि में मेडिकल हेल्थ रिकॉर्ड का विशेष महत्व होता है। बताया कि मेडिकल क्षेत्र में जितना बेहतर सूचनाओं का डाटा होगा, उतना ही हमें रिसर्च में मदद मिलेगी। उन्होंने निकट भविष्य में राज्य में आईसीडी-10 के क्रियान्वयन के लिए एम्स ऋषिकेश के सहयोग की आवश्यकता बताई। उन्होंने बताया कि आईसीडी-10 व्यवस्था में रोग और संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकी वर्गीकरण किया गया है, जिसमें रोगों, उनके लक्षणों, समस्याओं, तथा सामाजिक परिस्थितियों आदि की कोडिंग की गई है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्मित है। इस दौरान कार्यशाला में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के डॉ. वीपी श्रीवास्तव ने आईसीडी-10 के क्रियान्वयन का प्रतिभागियों को विस्तृत प्रशिक्षण दिया। उन्होंने मरीज से संबंधित सभी प्रकार की जानकारियों को कोडिंग करने की बारिकी से जानकारी दी।
इस बाबत जानकारी देते हुए कार्यशाला के समन्वयक एवं सीएफएम विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. योगेश बहुरूपी ने बताया कि निकट भविष्य में इस कार्यशाला का एम्स ऋषिकेश को भी लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस सिस्टम को राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेजों में सुचारू रूप से लागू करने के लिए एम्स ऋषिकेश पूर्ण सहयोग देगा। कार्यशाला में अस्पताल प्रशासन के प्रोफेसर यूबी मिश्रा, जनरल मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. मीनाक्षी धर, फिजियोलॉजी विभाग की डॉ. सुनीता मित्तल, सीएफएम विभाग के डॉ.महेन्द्र सिंह, डॉ. प्रदीप अग्रवाल, डॉ. मीनाक्षी खापरे सहित 100 से अधिक मेडिकल स्टाफ मेंबर्स मौजूद रहे।