सीएम ने किया आईआईटी रूड़की द्वारा आयोजित कार्यक्रम में वर्चुअल प्रतिभाग

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आई.आई.टी रूड़की में सौर ऊर्जा पर आधारित ‘पेरोवस्काइट सोसाइटी ऑफ इण्डिया मीट-2023’ में खटीमा से वर्चुअल प्रतिभाग किया। उन्होंने आईआईटी रुड़की और पेरोवस्काइट सोसाइटी ऑफ इण्डिया की टीम को सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस सेमिनार के आयोजन के लिए बधाई दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत में वैकल्पिक ऊर्जा संसाधनों को बढ़ावा देकर ऊर्जा के क्षेत्र में पूर्ण सुरक्षा और स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं। आज रूड़की में ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की विकासवादी सोच पर आधारित सेमिनार का आयोजन हो रहा है। सौर ऊर्जा एवं अन्य वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से देश की प्रगति में भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री जी द्वारा निरन्तर मार्गदर्शन दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुकूल मौसम होने के कारण उत्तराखण्ड में सौर ऊर्जा से संबंधित परियोजनाएं विकसित करने की अपार संभावनाएं हैं। राज्य सरकार सौर ऊर्जा के अपार संसाधनों के उचित प्रयोग से प्रदेश में “ऊर्जा क्रांति“ लाने के लिए प्रयासरत है। उत्तराखंड के दुर्गम क्षेत्रों में ऊर्जा संबंधी जरूरतों को पूर्ण करने हेतु सौर ऊर्जा अत्यंत प्रभावी साबित हो सकती है। सौर ऊर्जा का किफायती दरों पर उपलब्ध होना पहाड़ी व दुर्गम क्षेत्रों के निवासियों के लिए अत्यंत फायदेमंद हो सकता है। यही वजह है कि दुर्गम क्षेत्रों में सौर ऊर्जा का प्रयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड को 2025 तक देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए राज्य सरकार विकल्प रहित संकल्प के साथ आगे बढ़ रही है। सरकार की प्राथमिकता है कि राज्य के प्रत्येक घर तक बिजली की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित हो। इसे पूर्ण करने के लिए राज्य सरकार प्रदेश में सौर ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि विज्ञान के क्षेत्र में रूचि रखने वाले महानुभाव सेमिनार के माध्यम से उत्तराखंड में सौर ऊर्जा के कुशल संचालन हेतु अपने बहुमूल्य सुझाव देंगे। उन्होंने कहा कि यह सेमिनार एक रोडमैप विकसित करने में मददगार साबित होगा। जिससे हम उत्तराखण्ड राज्य के साथ-साथ सम्पूर्ण भारतवर्ष में सौर ऊर्जा का अधिक से अधिक उपयोग कर सकेंगे।

इस अवसर पर वर्चुअल माध्यम से विधायक रूड़की प्रदीप बत्रा, आई.आई.टी रूड़की के निदेशक प्रो. के.के. पन्त, सेमिनार के संयोजक प्रो. सौमित्र सतपति एवं विभिन्न प्रदेशों से आये वैज्ञानिक उपस्थित थे।

सस्टेनेबिलिटी कॉन्क्लेव 2022 में सीएम ने किया प्रतिभाग

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आईआईटी रूड़की के 175 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित ‘‘सस्टेनेबिलिटी कॉन्क्लेव-2022‘‘ कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 175 वर्षों से आईआईटी रुड़की भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में देश एवं प्रदेश को गौरवान्वित करता रहा है। आईआईटी रूड़की से पढ़े अनेकों विद्यार्थी आज देश के वरिष्ठ पदों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं एवं अपने ज्ञान एवं कुशलता से देश का नाम रोशन कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न विषयों पर शोध के क्षेत्र में भी संस्थान ने हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आई.आई.टी रुड़की ने हमेशा ज्ञान-विज्ञान को एक नई दिशा देने का कार्य किया तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सदैव उत्कृष्टता का प्रतीक रहा है। तथा उन्होंने कहा कि इस कान्क्लेव में होने वाले मंथन से प्राप्त होने वाले सूत्र ना केवल उत्तराखण्ड बल्कि हमारे देश और दुनिया के लिए भी अमृत के सामान होंगे।

सतत् विकास से ही समस्याओं का निदान संभव।
उन्होंने कहा कि दो दिवसीय यह आयोजन सामाजिक जागरूकता और समाज को विकसित करने का काम करेगा। उन्होंने कहा विकास शब्द से ही प्रलक्षित होता है कि ऐसा विकास जो सतत हो, उन्होने कहा निरंतर विकास से ही सभी समस्याओं का निदान संभव है। राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा अनेक ऐसे मानक तय किए गए हैं जो कि सतत विकास को मापने का कार्य करते हैं। हमारे सतत विकास को आने वाले समय में दो ही बिंदु परिभाषित करेंगे जिसमें पहला हमारे लोगों का स्वास्थ्य और दूसरा हमारी पृथ्वी का स्वास्थ्य। उन्होंने कहा विकास को सुनिश्चित करने के लिए हमें गरीबी, भुखमरी रोगों से मुक्ति और प्राथमिक शिक्षा की सार्वभौमिक उपलब्धता जैसी चुनौतियों का सामना करना है इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन जैसे व्यापक विषय को भी केंद्र में रखना है।

उत्तराखण्ड पहला राज्य जहां जी.ई.पी की व्यवस्था।
विकल्प रहित संकल्प के साथ बनायेंगे उत्कृष्ट उत्तराखण्ड
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने जलवायु परिवर्तन के संकट को सतत विकास के अवसर में बदलने के लिए पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं जल संरक्षण सहित अन्य विषयों पर विभिन्न नीतियों एवं योजनाओ का निर्माण किया है। उत्तराखण्ड पहला राज्य है जहां जी.ई.पी. की व्यवस्था बनायी गई है। इन सभी योजनाओं कि सफलता को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार के द्वारा 8,832 करोड़ से अधिक की धनराशि का आवंटन किया गया है। जहां एक तरफ हम राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने का कार्य कर रहे हैं वहीं जैविक खेती को प्रोत्साहन देने, सिंचाई के उत्तम तौर-तरीकों को अपनाने और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को गति देने का कार्य कर रहे हैं। प्रदेश सरकार की सभी योजनाएं एवं नीतियां जनता की भागीदारी से बनाई जाएंगी तथा जनता की भागीदारी से ही उनको लागू किया जाएगा। हम एक उत्कृष्ट उत्तराखण्ड बनाने का विकल्प रहित संकल्प लेकर चल रहे हैं।
उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की सेवा में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री का सपना नए भारत एवं आत्मनिर्भर भारत का है जिसमें आप सभी लोगों का सहयोग बहुत अहम भूमिका निभाएगा। कोरोना महामारी से बचाव के लिए निःशुल्क वैक्सीन का कवच हो या गरीबों को मुफ्त उपलब्ध करवाया जा रहा राशन ये सभी निर्णय केंद्र सरकार की वंचितों के उत्थान की संकल्पबद्धता को दर्शाते हैं।

हमारी युवा शक्ति हमारी बौद्धिक सम्पदा
मुख्यमंत्री ने कहा कि युवा शक्ति के रूप में जो बौद्धिक संपदा आज राष्ट्र के पास है इसी के आधार पर 21वीं सदी के नए भारत का निर्माण सुनिश्चित हो रहा है। युवाशक्ति इस दिशा में भी सोचें कि कैसे अंतिम छोर पर खड़े एक व्यक्ति के जीवनस्तर को ऊंचा उठाया जाए, कैसे सामाजिक परिवेश को बेहतर बनाया जाए और कैसे अंत्योदय के संकल्प को सिद्ध किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे देश ने विश्व को ज्ञान देने का कार्य किया है, तक्षशिला एवं नालन्दा इसके उदाहरण है। हमें अपने युवाओं की क्षमताओं संदेह नहीं है और कोई इस बात से भी इनकार नहीं कर सकता कि आप जैसे युवाओं में से ही कोई कल को स्वामी विवेकानन्द जी की तरह सनातन संस्कृति की ध्वजा विश्व में फहरायेगा, आप में से ही कोई एपीजे अब्दुल कलाम जी की तरह विज्ञान को नये क्षितिज पर ले जाएगा, आप में से ही कोई नानाजी देशमुख जी की तरह ग्रामीण भारत में आत्मनिर्भरता की अलख जगाएगा।

सपनो को साकार करना हो युवाओं का लक्ष्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भी वे छात्रों के बीच आते हैं तो अपने को ऊर्जावान महसूस करते हैं। उन्होंने कहा समय का कोई मूल्य नहीं होता सही समय पर सही कार्य करते हुए अपने सपनों को साकार करना ही हमारा एकमात्र लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने कहा की आज लोगों की उम्मीद देश के युवाओं से है। अपना हर पल हर क्षण अपने सपनों को समर्पित करें एवं अपने लक्ष्य पर केंद्रित करें। उत्साह एवं उमंग हमेशा जीवन को उर्जा देने का कार्य करते हैं।

इस दौरान महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरी महाराज, आई.आई.टी रुड़की निदेशक प्रोफेसर अजीत कुमार चतुर्वेदी, उपनिदेशक मनोरंजन परिदा, विधायक प्रदीप बत्रा, जिलाधिकारी विनय शंकर पाण्डेय, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डा. योगेन्द्र सिंह रावत तथा संस्थान के शिक्षक एवं छात्र-छात्रायें सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

टिकटॉक को आ गया बाय-बाय करने का समय, स्वदेशी एप मित्रों हो रहा पॉपुलर

भारत में टिकटॉक का बाय-बाय करने का वक्त आ गया है। भारत के युवाओं की जुबां पर अब टिकटॉक नहीं बल्कि स्वदेशी निर्मित एप मित्रों का नाम है। अभी तक इस एप को 50 लाख से ज्यादा युवा गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर चुके है। इसे आईआईटी रूड़की के पूर्व छात्रों ने बनाया है। इसे टिकटॉक का क्लोन भी कहा जा रहा है।

आईआईटी के पूर्व छात्रों का कहना है कि एप लांच करते समय हमें ऐसे ट्रैफिक की उम्मीद नहीं थी। इसे बनाने के पीछे लोगों को सिर्फ भारतीय विकल्प देना था। आईआईटी रुड़की में वर्ष 2011 में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग ब्रांच से पासआउट छात्र शिवांक अग्रवाल ने अपने चार साथियों के साथ मित्रों एप बनाया है।

11 अप्रैल को हुआ था मित्रों एप लांच
पेटीएम के पूर्व सीनियर वाइस प्रेजिडेंट दीपक के ट्वीट के बाद इसकी चर्चा हर किसी की जुबान पर है। अचानक बड़ी संख्या में लोगों के एप डाउनलोड करने से नेटवर्क ट्रैफिक भी प्रभावित होने लगा। टीम मेंबर ने बताया कि वास्तव में 11 अप्रैल को एप लांच करते समय यह नहीं सोचा था कि इसे इतनी सफलता मिलेगी। टिकटॉक को पीछे छोड़ना जैसी कोई बात नहीं है। हमारा उद्देश्य लोगों को सिर्फ एक भारतीय विकल्प देना था। लोग इसका इस्तेमाल करना चाहेंगे या नहीं यह हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन हमें लोगों से जो आशीर्वाद मिला, उससे हम बहुत खुश हैं। उन्होंने बताया कि हमें किसी ने फंड नहीं दिया है, उनका फंड लोगों का प्यार ही है।

मित्रों स्वदेशी नाम, इसलिए देना उचित
टीम मेंबर ने बताया कि मित्रों का अर्थ मित्र ही है। एक तो यह भारतीय उपभोक्ताओं को भारतीय मंच के जरिए सेवा देने के लिए है। हम स्वदेशी नाम देकर भारतीय नामों के खिलाफ पूर्वाग्रहों को भी दूर करना चाहते हैं।

आकर्षण केन्द्र बन रहा डोबरा-चांटी पुल का डिजाईन

टिहरी झील में बन रहे देश के सबसे लंबे सस्पेंशन डोबरा-चांटी पुल के दोनों सिरे जुड़ चुके हैं और अब आसानी से डोबरा और चांटी के बीच जाया जा सकता है। इसी आकर्षण की वजह से डोबरा पुल पर इन दिनों स्थानीय और बाहर से आने वाले लोगों का जमावडा लगा है। ऐसे में लोनिवि को भी काम के दौरान परेशानी हो रही है। शनिवार को डीएम डॉ. वी षणमुगम ने पुल का दौरा किया और सुरक्षा प्रबंध के निर्देश दिए। डीएम ने चीफ प्रोजेक्टर मैनेजर एसके राय को निर्देश दिये कि जनपद के विभिन्न विभागों में तैनात इंजीनियरों की क्षमता विकसित करने के लिए उन्हें डोबरा-चांटी पुल का स्थलीय निरीक्षण करवाते हुए पुल निर्माण में आयी तकनीकि दिक्कतों एवं तकनीकि कमियों को दूर करने के लिए हुए प्रयासों से अवगत कराया जाए। साथ ही आइआइटी रूड़की व अन्य इंजीनियरिग कॉलेज के छात्र-छात्राओं व प्रोफेसरों को भी क्षमता विकसित करने के मकसद से डोबरा-चांठी पुल निर्माण की तकनीकि का अवलोकन कराया जाय। निर्माणाधीन डोबरा-चांटी पुल की कुल लंबाई 725 मीटर है। जिसमें 440 मीटर सस्पेंशन ब्रिज हैं तथा 260 मीटर आरसीसी डोबरा साइड एवं 25 मीटर स्टील गार्डर चांटी साइड है। पुल की कुल चैड़ाई सात मीटर है, जिसमें मोटर मार्ग की चैड़ाई 5.50 (साढ़े पांच) मीटर है, जबकि फुटपाथ की चैड़ाई 0.75 मीटर है। फुटपाथ पुल के दोनों ओर बनाया जा रहा है।

लक्ष्मणझूला में आवाजाही को लेकर मुख्यमंत्री ने विशेषज्ञों से साझा किए विचार

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि लक्ष्मण झूला उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक धरोहर है। पिछले 90 सालों से यह देश व दुनिया के पर्यटकों व श्रद्धालुओं के आकर्षण का केन्द्र रहा है। उन्होंने कहा कि लक्ष्मण झूला को संरक्षित करने के लिए यथा संभव प्रयास किये जायेंगे। इस पुल की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस पर आवाजाही दुबारा शुरू होने की स्थिति के सम्बन्ध में विशेषज्ञों से और सुझाव लिये जायेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हमारी हेरिटेज प्रोपर्टी है। इसे ठीक करने के सभी विषयों पर कार्य किया जायेगा। विशेषज्ञों की राय के बाद इसकी रेट्रोफिटिंग पर ध्यान दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रारम्भ में इसके एक स्क्वायर मीटर में 200 किलो भार क्षमता आंकी गई थी। वर्तमान में इसका पिलर झुक रहा है, आज आधुनिक तकनीक के दौर में इसे कैसे ठीक किया जा सकता है यह देखा जायेगा। मुख्यमंत्री का कहना है कि इस पुल से जन भावानायें जुड़ी हैं, इसका भी हमें ध्यान रखना होगा।
मंगलवार को ग्राफिक ऐरा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से भेंट की, उन्होंने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि उनके संस्थान के तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा लक्ष्मण झूला का जीर्णोद्धार किया जा सकता है। ग्राफिक ऐरा के प्रो. पार्थो सेन ने कहा कि अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग करके इस पुल को बचाया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पुल के लिए तकनीकी अध्ययन आई.आई.टी के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है उनकी सलाह के मद्देनजर ही जन सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसमें आवाजाही बन्द की गई है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद भी यदि इसके संरक्षण में कोई तकनीकी जानकारी प्राप्त हो सकती है तो इस दिशा में भी पहल की जा सकती है। उन्होंने ग्राफिक ऐरा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों व लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से सभी तकनीकी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कार्ययोजना बनाने को कहा। उन्होंने कहा कि आईआईटी की रिपोर्ट के हर पहलू का गहनता से अध्ययन किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से कोई भी लापरवाही नहीं बरती जायेगी जरूरत पड़ने पर लक्ष्मण झूला को बचाने के लिए अन्य विशेषज्ञों की राय भी ली जायेगी।
इस अवसर पर मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, ग्राफिक ऐरा विश्वविद्यालय से डा. सुभाष गुप्ता, डा. अंकुश मित्तल, डा. संजीव कुमार, डा. पवन कुमार इमानी, डा. प्रदीप जोशी, श्रीपर्णा शाह व अर्चना रावत उपस्थित थे।

लक्ष्मण झूला पुल का विकल्प तलाशन में जुटी सरकार, जल्द तैयार होगा नया पुल

ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला पुल को बंद किए जाने के फैसले पर राज्य सरकार अडिग है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जन सुरक्षा सरकार के लिए सवरेपरि है। इसीलिए लक्ष्मण झूला पुल पर किसी भी तरह की आवाजाही तुरंत रोकने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार लक्ष्मण झूला पुल का विकल्प जल्द ही तैयार कर लेगी। वहां वैकल्पिक पुल बनाने का निर्णय लिया गया है। लक्ष्मण झूला पुल को धरोहर के तौर पर संरक्षित रखने की कार्ययोजना भी बनाई जाएगी। वहीं, पुल पर पैदल आवाजाही जारी रखने से आम जन को राहत है। उधर, इस का असर अब रामझूला पुल पर पड़ने वाला है। रामझूला पुल पर अब दोगुना भार पड़ जाएगा, जो सुरक्षा की दृष्टि से इस पुल के लिए भी चिंता का विषय है।
शासन ने शुक्रवार को लक्ष्मण झूला पुल पर आवाजाही रोकने के आदेश जारी किए, लेकिन स्थानीय लोगों के भारी विरोध के कारण आवाजाही पर प्रतिबंध नहीं लग पाया है। इस बीच शनिवार को यमकेश्वर क्षेत्र की विधायक ऋतु खंडूड़ी ने लक्ष्मण झूला पुल के संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की।
मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि छह माह पहले आइआइटी रुड़की के विशेषज्ञों से लक्ष्मण झूला पुल की फिजिबिलिटी पर अध्ययन कराया गया। विशेषज्ञों की रिपोर्ट के अनुसार इस झूला पुल की स्थिति ऐसी नहीं है कि लोगों की आवाजाही को अनुमति दी जा सके। उन्होंने कहा कि कांवड़ मेले में भारी भीड़ को देखते हुए इस पर आवाजाही जारी रखना उचित नहीं होता।
उन्होंने कहा कि जनसुरक्षा के दृष्टिगत लक्ष्मण झूला पुल पर किसी भी तरह की आवाजाही को तुरंत रोकने का निर्णय किया गया है। साथ ही झूलापुल का विकल्प जल्द से जल्द तैयार करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि लक्ष्मण झूला पुल एक सांस्कृतिक धरोहर है। यह ऋषिकेश का प्रमुख आकर्षण का केंद्र और देश-विदेश में इसकी ख्याति है। कई फिल्मों का फिल्मांकन भी यहां हुआ है। उन्होंने कहा कि लक्ष्मण झूला पुल का समुचित रखरखाव करते हुए इसे धरोहर के तौर पर संरक्षित किया जा सकता है। इसके लिए विशेषज्ञों की राय से कार्ययोजना बनाई जाएगी।
उधर, शासन ने भले ही लक्ष्मण झूला पुल पर आवाजाही पर रोक लगा दी हो, मगर शनिवार को भी इस पर लगातार आवाजाही होती रही। हालांकि, प्रशासन की ओर से शासन के फैसले का विरोध कर रहे लोगों को समझाने की कोशिशें की गईं, मगर यह परवान नहीं चढ़ पाईं। वहीं, माना जा रहा है कि इस झूला पुल के बंद होने से रामझूला पर अधिक दबाव बढ़ेगा। यही नहीं, तीन दिन बाद कांवड़ यात्रा भी शुरू होने जा रही है। ऐसे में कांवड़ में उमड़ने वाली भीड़ को नियंत्रित करने के साथ ही लक्ष्मण झूला पुल की सुरक्षा सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी।

आईआईटी रुड़की के विभागाध्यक्ष से लाखों की साइबर ठगी

रुड़की।
अभी तक आपने अमेरिका और चीन सहित अन्य देशों में भारत की ऑफिशियल साइटों को हैक करने के के मामले सुने ओर पढ़े होंगे लेकिन खबरदार अब आपका अकाउंट भी विदेशी हैकर्स की रडार पर है।
आधुनिक समाज मे अपने पैसों को बैंको में जमा कराकर आम आदमी आश्वस्त हो जाता है कि अब उसका धन फुलप्रूफ सिक्योर है यानी यहां से चोरी या लूट का खतरा उसे नही सताता है लेकिन जब खाते ऑनलाइन हुए तब यह भ्रम टूटा और लोग खातों के डिजिटल ट्रांजेक्शन से ना केवल डरने लगे बल्कि साइबर ठगों का शिकार भी होने लगे है ये कही ना कही भारत सरकार की महत्वाकांक्षी डिजिटलाइज्ड इंडिया योजना को बड़ा झटका कहा जा सकता है।
ताजा मामला आईआईटी रुड़की का है जहां भूकम्प इंजीनियरिग विभाग के विभागाध्यक्ष को साइबर ठगों ने अपना शिकार बनाया है अमेरिका में उनके क्रेडिट कार्ड को हैक करके एक लाख तिरासी हजार रूपये की रकम से खरीदारी की गई है और जब पीड़ित प्रोफेसर के पास उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बर पंर खाते से रुपये निकासी के मैसेज आये तो उनके होश उड़ गए उन्होंने तत्काल आईआईटी रुड़की के कैम्पस में स्थित अपने बैंक से संपर्क कर जानकारी ली तो पता चला कि अमेरिका में चार दुकानों पर उनके क्रेडिट कार्ड नंबर का इस्तेमाल कर ऑनलाइन शॉपिंग की गई है इसके तुरंत बाद प्रोफेसर ने अपना अकाउन्ट ब्लाक कराया और इसकी जानकारी देहरादून की साइबर सेल को दी, अब साइबर सेल मामले की जांच में जुट गई है।
रुड़की में साइबर ठगों का शिकार हुए प्रोफेसर पहले आदमी नही है अब तक रुड़की क्षेत्र में 40 से ज्यादा मामले एटीएम कार्ड के ओर दो दर्जन से ज्यादा मामले ऑनलाइन ठगी के दर्ज हुए है लेकिन एक भी मामले में कोई सफलता पुलिस को हाथ नही लगी है साथ ही ऐसे अनगिनत मामले है जिनमे प्रक्रिया मुकदमा दर्ज होने तक पहुंची ही नही।
कहा जा सकता है कि भले ही प्रधानमंत्री मोदी देश के प्रत्येक सेक्टर को आदर्श डिजिटल सेक्टर में तब्दील करना चाहते हो लेकिन मौजूदा सिस्टम की तमाम खामियां उनकी इस ड्रीम योजना को पार लगाने में असमर्थ दिखती है।