आईएमए को अंडरपास के लिए वर्षों इंतजार करना बड़ी विडंबनाः रक्षामंत्री

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी परिसर में 44.21 करोड़ लागत के क्रमश 354.45 मी0 तथा 407.34 मी0 लम्बे दो अंडरपास का शिलान्यास किया। उन्होंने कहा कि भारतीय सैन्य अकादमी के निकट अंडरपास की मांग दशकों से चली आ रही थी लेकिन अब जाकर इस पर कार्य शुरू हुआ है। अंडरपास के बनने से एनएच-72 पर लगने वाले ट्रैफिक जाम से मुक्ति मिलेगी। उन्होंने कहा कि आई.एम.ए. जैसे विश्वसनीय, विश्वस्तरीय संस्थान को दो अण्डरपास के लिये इतना लम्बा इंतजार किया जाना बड़ी विडम्बना है। अण्डरपास निर्मित होने के बाद आई.एम.ए. के केम्पस आपस में जुड़ सकेंगे तथा संस्थान को अपनी गतिविधियों के संचालन में सुविधा होगी। इन अंडरपास के निर्माण से न केवल उत्तराखण्ड की जनता को, बल्कि, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा आने-जाने वाले यात्रियों को भी बड़ा लाभ होगा। साथ ही कैडेट्स के आवागमन और ड्रिल में भी व्यवधान नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष दिसम्बर में आईएमए पासिंग आउट परेड में उनके द्वारा इसकी स्वीकृति प्रदान की थी। उन्होंने कहा कि यदि दो साल के बजाय पौने दो साल में ये अण्डर पास बनकर तैयार हो जायेंगे तो वे इनके उद्घाटन के लिए भी आयेंगे तथा इसमें कार्य करने वालों को सम्मानित भी करेंगे। रक्षामंत्री ने कहा कि यदि नियत ठीक हो संकल्प पक्का हो तो किसी भी कार्य को पूर्ण करने में कठिनाई पैदा नही होती है। उन्होंने कहा कि देहरादून में ट्रैफिक बढ़ रहा है, इस दृष्टि से भी इन अण्डपासों की नितांत जरूरत महसूस की जा रही थी।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस अवसर को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि 1978 से इसकी आवश्यकता महसूस की जाती रही है। गत वर्ष पासिंग आउट परेड के अवसर पर इन अण्डरपासों के महत्व पर केन्द्रीय मंत्री से उनके द्वारा चर्चा करने पर उन्होंने इसकी घोषणा की थी जो आज साकार हो रही है। इसके लिए आवश्यक धनराशि 44.21 करोड़ की भी स्वीकृति प्रदान की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रतिवर्ष आई.एम.ए. के दीक्षान्त समारोह के अवसर पर राज्य सरकार को भी सुरक्षा आदि की चिंता रहती थी। अब सैन्य अधिकारियों को आई.एम.ए. की गतिविधियों के संचालन में सुविधा होगी तथा स्थानीय लोगों को भी आवागमन में आसानी होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस विश्वस्तरीय सैन्य प्रशिक्षण संस्थान से तैयार होने वाले जांबाज योद्धाओं ने अपनी वीरता और पराक्रम से देश की सुरक्षा एवं सम्मान को अक्षुण्ण बनाए रखा है। जाहिर है इस महान उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए कठोर प्रशिक्षण की आवश्यकता है और प्रशिक्षण के लिए संसाधनों व सुविधाओं का होना भी उतना ही जरूरी होता है।

लेफ्टिनेंट जनरल ने जताया आभार
आईएमए के समादेशक ले.ज. जयवीर सिंह नेगी ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आई.एम.ए. के तीन परिसरों नार्थ, सेन्ट्रल व साउथ की सुरक्षा दृष्टि से तथा एन.एच 72 तथा रांझावाला मीठीबेरी सड़क पर यातायात का सुचारू रूप से संचालन के लिये भगत गेट एवं पी.टी गेट पर निर्मित होने वाले क्रमशः 354.45 मी. तथा 407.34 मी लम्बे अण्डर पास के लिये पिछले 40 वर्षों से प्रयास किये जा रहे थे। उन्होंने कहा कि इससे आई.एम.ए. का नार्थ, सैन्ट्रल तथा साउथ क्षेत्र आपस में जुड़ जायेगा तथा एन.एच एवं लो.नि.वि की सड़क पर यातायात सुचारू रूप से संचालित हो सकेगा।

333 युवा सैन्य अफसर बनकर देश सेवा को हुए समर्पित

देश के 333 भावी सैन्य अफसर आज देश सेवा में समर्पित हुए। इसके अलावा 90 विदेशी कैडेट्स भी अपने देश की सेना में शामिल हुए। इनमें 90 युवा सैन्य अधिकारी नौ मित्र देशों अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, भूटान, मॉरीशस, मालद्वीव, फिजी, पपुआ न्यू गिनी, श्रीलंका व वियतनाम की सेना का अभिन्न अंग बने। कड़े प्रशिक्षण में खरा उतरने के बाद जांबाज कैडेट्स ने आज आईएमए में अंतिम पग भरा। इसके साथ ही वे भारतीय सेना का हिस्सा बन गए। परेड में सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने बतौर रिव्यूइंग ऑफिसर भाग लिया।

आज सुबह छह बजकर 42 मिनट पर कैडेट परेड स्थल पहुंचे और परेड शुरू हुई। डिप्टी कमांडेंट ने सबसे पहले परेड की सलामी ली। ठीक सात बजकर पांच मिनट पर कमांडेंट ले. ज. जयवीर सिंह नेगी ने परेड की सलामी ली। इसके बाद सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने परेड का निरीक्षण किया। रिव्यूइंग ऑफिसर ने विजेताओं को पुरुस्कार वितरित किए। फिर ये जांबाज अंतिम पग भर सेना में शामिल हो गए। पीपिंग व ओथ सेरेमनी के बाद 423 जेंटलमैन कैडेट बतौर लेफ्टिनेंट देश-विदेश की सेना का अभिन्न अंग बन गए।

मुंह पर मास्क पहनकर की परेड
इस बार 333 भारतीय और 90 विदेशी कैडेट आईएमए से प्रशिक्षण पूरा कर भारतीय सेना और विदेशी कैडेट अपने देशों की कमान संभालने को तैयार हो गए हैं। ऐसा पहली बार है जब कैडेट बिना अपने माता-पिता और रिश्तेदारों के अंतिम पग भरा। परेड भी कैडेट मुंह पर मास्क पहनकर कर रहे हैं।
पहली बार ऐसा हुआ कि आईएमए की पासिंग आउट परेड (पीओपी) के दौरान ड्रिल स्क्वायर पर सीना चैड़ा किए कदमताल करके अपने बेटे को देखने और उसके कंधों पर पीप्स (सितारे) सजाने की माता-पिता की इच्छा पूरी नहीं हुई।
बता दें कि कोरोना संक्रमण की वजह से इस बार पीओपी में आईएमए की ओर से किसी भी कैडेट्स के परिजनों को बुलावा नहीं भेजा गया है।

ये बने सर्वश्रेष्ठ
– स्वार्ड आफ आनर-आकाशदीप सिंह ढिल्लो
– स्वर्ण-शिवकुमार सिंह चैहान
– सिल्वर-सक्षण राणा
– ब्रांज-सूरज सिंह
– टीजी सिल्वर-भरत योगेंद्र
– सर्वश्रेष्ठ विदेशी कैडेट-डोनवान सोन वियतनाम
– चीफ आफ आर्मी स्टाफ बैनर-अलामिन/सिंहगढ कंपनी

भारतीय सेना के अंग बने 382 युवा अधिकारी

भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट होकर 382 जांबाज अधिकारी भारतीय सेना का हिस्सा बन गए, जबकि मित्र राष्ट्रों के 77 कैडेट्स भी पास आउट हुए। पासिंग आउट परेड में मुख्य अतिथि दक्षिण पश्चिम कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल चेरिश मैथसन रहे, जिन्होंने परेड की सलामी ली। सुबह 6 बजकर 40 मिनट पर मार्कर्स कॉल के साथ परेड का आगाज हुआ। इसके बाद ड्रिल स्क्वायर पर कदमताल करते हुए 459 जेंटलमैन कैडेट्स चैटवुड भवन के सामने पहुंचे। इस दौरान इन कैडेट्स पर हेलीकाॅप्टर से पुष्प वर्षा भी की गई। परेड की सलामी लेने के बाद दक्षिण पश्चिम कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल चेरिश मैथसन ने कैडेट्ों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद देश का सबसे बड़ा दुश्मन है, जिस पर अब काफी हद तक काबू पाया जा चुका है। उन्होंने कैडेट्स को दुश्मन के बोलने पर विश्वास न करने को लेकर सचेत किया तो वही ऐसे प्रोपेगेंडा को अनदेखा कर आगे बढ़ने की सलाह दी।

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इसके साथ ही आज आईएमए के इतिहास में 61 हजार 536 अफसर देने का रिकॉर्ड भी जुड़ गया। इनमें 2 हजार 2 सौ 59 विदेशी जेंटलमैन कैडेट्स भी शामिल हैं।
आज पास आउट हुए 77 युवा सैन्य अधिकारियों में 9 मित्र देशों- अफगानिस्तान, भूटान, मालदीव, फिजी, मॉरीशस, पपुआ न्यू गिनी, टोंगा, लेसोथो और तजाकिस्तान की सेना का अभिन्न अंग बने हैं। इस बार सबसे ज्यादा 72 अधिकारी उत्तर प्रदेश से हैं, जबकि उत्तराखंड से 33 युवा अधिकारी हैं।