डेंगू के इलाज के लिए प्लेटलेट्स की जरूरत को आईएमए अध्यक्ष को स्वास्थ्य सचिव ने लिखा पत्र

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने इन्डियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष को पत्र लिखकर डेंगू रोग के इलाज के लिए प्लेटलेट्स के समुचित प्रबंधन करने की बात कही है। स्वास्थ्य सचिव ने आई०एम०ए० अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा है कि वर्तमान में उत्तराखंड राज्य के मैदानी क्षेत्रों में डेंगू रोग प्रसारित हो रहा है। डेंगू रोग विगत कुछ वर्षों से एक प्रमुख जन स्वास्थ्य समस्या के रूप में परिलक्षित हुआ है। डेंगू रोग के अधिकांश मामले स्वतः ही मामूली लक्षणों के साथ ठीक हो जाते हैं, हालांकि कुछ ही मामले गंभीर होते हैं जिनमें प्लेटलेट्स की आवश्यकता पड़ती है।

वर्तमान में यह देखा जा रहा है कि प्लेटलेट्स की आवश्यकता वाले डेंगू रोगियों में सिंगल डोनर प्लेटलेट को लेकर अत्यधिक मांग है जिस कारण प्लेटलेट्स उपलब्धता पर अनावश्यक दबाव पड़ रहा है। आप विदित ही है कि रैंडम डोनर प्लेटलेट भी डेंगू रोगियों के लिए उतना ही सुविधाजनक है एवं सुगमता से उपलब्ध हो जाता है तथा रोगियों पर अनावश्यक वित्तीय दबाव भी नहीं पड़ता है। जिन मामलों में शीघ्र ही अधिक मात्रा में प्लेटलेट्स की आवश्यकता है उन मामलों में सिंगल डोनर प्लेटलेट प्रिसक्राइब किया जाना उचित होगा। अतः आपसे अनुरोध है कि आप अपने स्तर से राजकीय एवं निजी चिकित्सकों को आवश्यकता अनुसार उचित रूप से प्रिस्क्रिपशन देने के लिए प्रोत्साहित करने का कष्ट करें ताकि प्लेटलेट्स की उपलब्धता को लेकर किसी भी प्रकार के अनावश्यक दबाव को रोका जा सके। डेंगू रोगियों के उपचार के लिये प्लेटलेट्स के उचित प्रिस्क्रिप्शन तथा मानकानुसार उपचार के सम्बन्ध में राज्य स्तरीय डेंगू रोग चिकित्सा उपचार दिशानिर्देश भी प्रेषित किये गए।

डॉक्टर्स डे पर डा. बीसी रॉय को किया याद

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के उपलक्ष्य में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ऋषिकेश शाखा की ओर से कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में कैबिनेट मंत्री व क्षेत्रीय विधायक डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने शिरकत की।

रेलवे रोड स्थित एक होटल में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने दीप प्रज्जवलित कर किया। मंत्री डा. अग्रवाल जी ने कहा कि हर किसी की जिंदगी में चिकित्सक की भूमिका काफी अहम होती है। हम सभी शारीरिक और मानसिक परेशानी से पीड़ित होने पर चिकित्सक के पास ही जाते हैं और चिकित्सक के पास भी लगभग हर समस्या का इलाज मौजूद रहता है। डा. अग्रवाल ने कहा कि इसलिए चिकित्सक को भगवान का दर्जा दिया गया है।

डा. अग्रवाल जी ने कहा कि चिकित्सक जीवनदाता होते है, कोरोना काल में अहम योगदान देकर चिकित्सकों ने इसको बखूबी साबित भी किया है। उस दौर में चिकित्सकों ने दिन-रात एक कर लोगों की जान बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बताया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का इलाज करने वाले डॉ. बिधान रॉय ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी योगदान दिया था।

बताया कि उनके योगदान को सम्मान देने के लिए एक जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के रूप में मनाते है। बताया कि 1975 से चिकित्सा, विज्ञान, दर्शन, कला और साहित्य के क्षेत्रों में अद्भुत काम करने वालों को भी हर साल बी.सी.रॉय पुरस्कार से नवाजा जाता है।

इस अवसर पर डा. अनिल डबराल को मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड देकर सम्मानित किया। साथ ही आईएमए की कार्यकारिणी के नए सदस्यों से परिचय भी प्राप्त किया।

इस मौके पर आईएमए अध्यक्ष डा. विनिता पुरी, कोषाध्यक्ष डा. राजेश अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष डा. हरिओम प्रसाद, सदस्य डा. राजेंद्र गर्ग, डा. विनोद पुरी, डा. रामकुमार भारद्वाज, डा. केएन लखेड़ा, डा. अनिल डबराल, डा. ऋचा रतूड़ी, डा. हारून, डा. शोएब, डा. अजय गैरोला सहित नगरभर के अन्य चिकित्सक उपस्थित रहे।

आईएमए का 11 नवंबर को ओपीडी बंद का ऐलान

आयुर्वेद डॉक्टरों को सर्जरी की अनुमति देने का निजी एलोपैथी डॉक्टरों ने विरोध किया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने सरकार के फैसले के विरोध में आठ नवंबर को सांकेतिक प्रदर्शन और 11 नवंबर को निजी अस्पतालों में ओपीडी बंद करने का ऐलान किया है।

आईएमए का कहना है कि आयुर्वेद को बढ़ावा देने और आयुष पद्धति से सर्जरी करने पर कोई विरोध नहीं है, लेकिन आयुष के नाम पर ऐलोपैथी चिकित्सा एनेस्थीसिया व दवाईयों का इस्तेमाल किया जाएगा। इस मिश्रित पैथी से इलाज करने से मरीजों की जान को खतरा होगा।

केंद्र सरकार ने आयुर्वेद अध्ययन के पाठ्यक्रम में सर्जिकल प्रक्रिया को भी जोड़ा है। इससे आयुष शिक्षा में पीजी व एमएस कोर्स करने वाले डॉक्टर हड्डी, ईएनटी, आंखों व दांतों की सर्जरी कर सकेंगे। ऐलोपैथी डॉक्टर इसी का विरोध कर रहे हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ.डीडी चैधरी का कहना है कि आठ नवंबर को सभी निजी ऐलोपैथी डॉक्टर अपने-अपने क्षेत्रों में सांकेतिक प्रदर्शन करेंगे। 11 नवंबर को सभी निजी अस्पतालों में ओपीडी बंद रहेगी। कोरोना महामारी के चलते इमरजेंसी सेवा ही उपलब्ध होगी।

आईएमए का कहना है कि आयुर्वेद को बढ़ावा देने और आयुष चिकित्सा पद्धति से सर्जरी करने का विरोध नहीं है, लेकिन पहले आयुष पद्धति में एनेस्थीसिया को विकसित करें। आयुष व मॉर्डन मेडिकल से गंभीर मरीज पर होने वाले रिएक्शन पर बिना रिसर्च किए सरकार ने सर्जरी की अनुमति दे दी। कहा कि यदि एलोपैथिक सर्जरी में मरीज को आयुष का लेप लगाया गया तो मरीज की मौत भी हो सकती है।

भारतीय चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष डीके शर्मा ने कहा सरकार ने आयुष चिकित्सा को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। वर्तमान में सेवाएं दे रहे आयुष डॉक्टरों को सर्जरी करने की अनुमति नहीं है। सरकार ने आयुर्वेद शिक्षा के पाठ्यक्रम में सर्जिकल प्रक्रिया को शामिल किया है। पीजी व एमएस करने वाले नए आयुर्वेद डॉक्टरों को ही हड्डी, ईएनटी, आंख व दांतों की सर्जरी की अनुमति होगी। इस पर ऐलोपैथी डॉक्टरों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होनी चाहिए। आयुर्वेद डॉक्टर भी ऐलोपैथी डॉक्टर की तरह साढ़े पांच साल कोर्स करके आता है।