अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव 2021ः मन स्थिर रखते हुए शारीरिक व मानसिक विकारों से मुक्ति पाने का साधन है योग

गढ़वाल मण्डल विकास निगम लिमिटेड व पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के चैथे दिन योगसाधकों ने योग की विभिन्न क्रियाओं का अभ्यास कर योगाचार्यों से योग की बारिकियों के गुरमंत्र लिए।

प्रातःकालीन सत्र में आर्ट ऑफ लिविंग के मोहित सती ने मुख्य पाण्डाल में अष्टांग योग एवं सूक्ष्म व्यायाम के बारे में बताते हुए कहा कि हमारे जीवन के हर पहलू में योग छिपा हुआ है, जाने अनजाने हमारी दिनचर्या के पूरे क्रियाकलाप योग से जुड़ते हुए जीवन के अविभाज्य अंग बने हुए हैं। योग केवल शरीर पर ही काम नहीं करता वरन यह मन को शक्तिशाली व तनाव रहित बनाता है। उन्होंने कहा कि कमजोर शरीर को शक्तिशाली मन चला सकता है, परन्तु एक शक्तिशाली शरीर को कमजोर मन नहीं चला सकता है। योग क्रियाओं के द्वारा मन को स्थिर रखते हुए षाररिक एवं मानसिक विकारों से मुक्ति पाने का उपक्रम ही योग है।

अष्टांग योग के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इसके आठ अंग हैं, यम, नियम, आसन, प्राणायाम, धारणा, ध्यान, प्रतिहार और समाधि इनको भले ही अलग-अलग देखा जाता है मगर ये एक दूसरे से जुडे हुए हैं। पहले छः को जोड़कर ध्यान लगता है और तब वह समाधि की और जाता है, उन्होंने कहा कि घरों में काम करने वाली महिलायें अपने दिनभर की दिनचर्या के दौरान जो काम करती हैं, उस प्रक्रिया में भी जाने अनजाने योग छिपा हुआ रहता है। योग सिर्फ आसन नहीं है वरन यह मन, ष्वास व षरीर को जोड़ने वाली कला है।

दूसरी तरफ नगर पालिका हाल में हठ योगी सन्त स्वामी जीतानन्द ने अभयान्तर क्रिया योग, दण्ड क्रिया, संकुचन प्रसारण, पाद ग्रिहवा योग का अभ्यास कराते हुए इसकी उपयोगिता के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी उन्होंने कहा कि यह क्रिया षरीर को स्वस्थ रखने में इतनी सहायक है कि अन्य योगों की आवष्यकता नहीं पड़ती है। यदि व्यक्ति इन योग क्रियाओं को करता रहे तो उसके जीवन में आरोग्यता का साम्राज्य स्थापित हो जायेगा।

लाईट एण्ड सॉउण्ड हाल में संस्कृत विष्वविद्यालय के प्रोफेसर, डॉ लक्ष्मी नारायण जोषी ने नाड़ी विज्ञान व योग चिकित्सा के बारे में बताते हुए कहा कि शरीर की धमनियों में रक्त संचार से कोई भी अंग सहजता से काम करता रहता है, लेकिन जिस दिन रक्त संचार की यह सहजता धीमी पड़ जाये तो अंगों में विकार उत्पन्न हो जाता है इसलिए योग से शरीर के पूरे तन्त्र को ठीक रखा जा सकता है ताकि सारे अंग प्रत्यंग सही व सुचारू रूप से काम करते रहें। उन्होंने कहा कि नाड़ी चिकित्सा विज्ञान तीन सिद्धान्तों पर काम करता है। पहला-हृदय से षरीर के अंगों को निर्बाध गति से रक्त की आपूर्ति करना दूसरा-मस्तिष्क से निकलने वाली नाड़ियों द्वारा रक्त की आपूर्ति सभी अंगों को मिलते रहना तीसरा-प्राण ऊर्जा की आपूर्ति का शरीर के सभी अंगों तक पहुँचते रहना।

योग महोत्सव में ‘‘पिरामिड स्पिरिचुअल सोसाइटीज मूवमेंट’’ दिल्ली द्वारा पिरामिड ध्यान षक्ति योग द्वारा योग साधकों को ध्यान योग के बारे में बताया गया। इस अवसर पर उक्त संस्था की विभा गुप्ता व शक्ति गुप्ता द्वारा बताया गया कि ध्यान योग हमें स्वयं की सांसों से जोड़ना सिखाता है। सांसें सदा से हमारे साथ हैं और मृत्यु पर्यन्त हमारे साथ रहेंगी परन्तु हम उनके साथ कभी नहीं रहे। हम सांसां के साथ रहना सीख रहें हैं, हमें सहज सांसों को सहज रूप में सहज भाव से साक्षी होकर देखना है। क्योंकि सांस ही हमारी गुरू और मित्र दोनों हैं, जब गुरू मित्र बन जाय तो हमें अपनी समस्या के समाधान के लिए किसी और के पास जाने की आवष्यकता नहीं होती।

सांय कालीन सांस्कृतिक कार्यक्रमों में त्रिभुवन महाराज व सुमित कुटानी द्वारा षानदार प्रस्तुति दी गई जो दर्षकों के आकर्शण का केन्द्र रहा। योगनगरी मुनि की रेती ऋषिकेश में योग महोत्सव के चैथे दिन विभिन्न विभागों द्वारा लगाये गये स्टालों पर भी प्रतिभागियों व आगन्तुकों की भी काफी भीड देखने को मिली। जिसमें उद्योग विभाग, आयुश विभाग, आध्यात्म विज्ञान व सत्संग केन्द्र जोधपुर राजस्थान का स्टॉल आकर्शण के केन्द्र रहे वही गढ़वाल मण्डल विकास निगम लि0 द्वारा गढ़वाली व्यंजनों का स्टॉल लगाया गया जिसमें बुराँष चाट, कुलथ अनार सोरबा, गहत चाट, कडाली सोरबा, राजमा गलावटी कबाब, मडुवा समोसा चॉट, बुराँस पकोड़े, बुराँस जैली, ब्रॉउन राईस पुडिंग, देहरादूनी पुडिंग आदि परोसे जा रहें हैं।

मौके पर जीएमवीएन के प्रबन्ध निदेषक, डॉ. आशीष चैहान, महाप्रबन्धक (पर्यटन), जितेन्द्र कुमार, महाप्रबन्धक (प्रशासन), अवधेष कुमार सिंह, महाप्रबन्धक (वित्त) एवं अभिषेक कुमार आनंद आदि मौजूद रहे।

योग महोत्सव में योग साधकों ने की विभिन्न यौगिक क्रियांए

गढवाल मण्डल विकास निगम एवं पर्यटन विभाग के सयंुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव 2021 के दूसरे दिन गंगा रिसोर्ट ऋशिकेष में योगाचार्यों द्वारा योग साधकों को विभिन्न योग क्रियाओं का अभ्यास कराया गया। मुख्य पांडल में सुबह के सत्र में ग्रांड मास्टर अक्षर ने योग एवं प्राणायाम के अभ्यास कराये। उन्होनें धनुर आसन के बारे में बताते हुये कहा कि यह एक बहुत लाभदायक आसन है जिसके अभ्यास करने से शरीर शक्तिशाली होने के साथ-साथ लचीला हो जाता है। उन्होंने दण्डासान, नौकासान व हिमालय प्रणाम का अभ्यास कराया। हिमालय प्रणाम आसन के बारे में बताते हुये उन्होने कहा कि इसका अभ्यास करने से शरीर में ऊर्जा का सचांर होता है एवं प्रसन्नता के भाव आते है। उन्होंने कहा कि प्राणायाम से हम अपने मन को शान्त करते है एवं जितने भी मेंटल डिसओडर है उन्हें प्रणायाम व आसन से दूर किया जा सकता है और शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।

दूसरी तरफ पंचकर्मा हाॅल में योगाचार्या कपिल सघंवी ने सुबह के सत्र का प्रारम्भ प्रणायाम से करते हुये कहा कि प्राण वायु द्वारा प्राण की पुष्टि होती है। जितना गहरा और दीर्घ सांस लेते एवं छोडते है उतना ही अधिक मन शांत रहता है और अधिक ऊर्जा का उत्पादान होता है। उन्होंने कहा कि यह शरीर पंच तत्वों से मिलकर बना है जिसमें पृथ्वी तत्व हमें भोजन से प्राप्त होता है, जल तत्व माँ गंगा से प्राप्त होता है एवं अग्नि हमें सूर्य से प्राप्त होती है जबकि आकाश तत्व खुले आकाश से प्राप्त होता है। प्राण वायु को हम भली प्रकार से अवशेषित करेगें तो हम उतने ही स्वस्थ और ऊर्जावान बने रहेगें।

दूसरी ओर दोपहर के सत्र में मुख्य पंडाल में आर्ट आॅफ लीविंग के श्री श्री रवि शंकर ने आनलाइन माध्यम से योग साधकों को सम्बोधित करते हुये कहा कि आर्ट आॅफ लीविंग जीवन जीने की कला का एक सिद्धंात है। उन्होंने कहा कि योगा मेडिटेशन से व्यक्ति में ग्रहण करने की षक्ति का विकास होता है। उन्होंने कहा कि मन पर जोर जबरदस्ती नहीं करनी चाहिये। मन को ढीला-ढाला छोडना चाहिये। इससे धारणा बनती है व धारणा से ध्यान व ध्यान से समाधि की ओर जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि मन की एकाग्रता से विकृतियां दूर होती है और विकृतियां दूर होने से व्यक्ति का चरित्र सकारात्मक रूप से बदल जाता है। उन्होने कहा कि हर अपराधी के भीतर कोई पीडित व्यक्ति मदद के लिये पुकार रहा होता है। दोपहर बाद मुख्य पांडाल मे गौर गोपाल दास ़द्वारा प्रतिभागियों को आनलाइन सम्बोघित कर योग के महत्व के बारे मे बताया गया।

वहीं गंगा रिसोर्ट में विभिन्न विभागों द्वारा अपने उत्पादों के स्टाल लगाये गये है जिसमें उद्योग विभाग, आयुश विभाग प्रमुख रूप से शामिल हैं। अध्यात्म विज्ञान व सत्संग केन्द्र जोधपुर द्वारा सिद्ध योग के माध्यम से प्रतिभागियों व आगन्तुकों को ध्यान लगाने के क्रिया का अभ्यास कराया जा रहा है। गढ़वाल मण्डल विकास निगम द्वारा गढ़वाली व्यंजनों का स्टाल लगाया गया है जिसमें गढ़वाली व्यंजन बुरांश चाट, कुलथ अनार सोरबा, गहत चाट, कंडाली सोरबा, राजमा गलावटी कबाब, मंडुवा समोसा चाट, बुरांश पकोडे, बुरंाष जैली, ब्राऊन राईस पुडिंग, देहरादूनी पुडिंग आदि परोसे जा रहे हैै। योग महोत्सव के दूसरे दिन सांयकालीन सत्र में पं0 रजनीष व रितेष मिश्रा ने मुख्य पंाडाल में सास्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से शानदार प्रस्तुति दी।