सीएम बोले, केंद्र सरकार के देश हित के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी जायजा ठहराया


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के संबंध में दिया गया फैसला केंद्र सरकार के देश हित एवं जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के समग्र विकास हेतु लिए गए निर्णय पर मुहर है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की संप्रभुता, एकता और अखण्डता को बनाए रखने के लिए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का जो ऐतिहासिक कार्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा किया गया उसे आज उच्चतम न्यायालय ने भी सही ठहराया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस ऐतिहासिक फैसले से जम्मू-कश्मीर के लोग देश की मुख्यधारा से जुड़ सकेंगे तथा राज्य में पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही निवेश बढ़ेगा तथा राज्य के हर क्षेत्र में विकास के नए द्वार खुलेंगे।

सूबेदार अजय सिंह रौतेला को सैन्य सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई

जम्मू-कश्मीर के पुंछ क्षेत्र में आंतकियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए सूबेदार अजय सिंह रौतेला का अंतिम संस्कार आज ऋषिकेश स्थित चंद्रेश्वर घाट में सैन्य सम्मान के साथ किया गया। इस अवसर पर उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल एवं कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
ऋषिकेश में शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए चंद्रेश्वर घाट पर जनसैलाब उमड़ पड़ा। बारिश के चलते भी लोगों ने भारी मात्रा में शहीद के श्रद्धांजलि यात्रा में पहुंचकर जोश एवं उत्साह से भारत माता की जय, शहीद अजय रौतेला अमर रहे, पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाकर देश की रक्षा में अपनी जान की बाजी लगाने वाले शहीद अजय रौतेला को श्रद्धांजलि दी।
इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने शहीद सूबेदार अजय रौतेला के परिजनों से मिलकर अपनी सांत्वना व्यक्त की। अग्रवाल ने शहीद के तीनों पुत्रों अरुण, अमित एवं सुमित से मिलकर उन्हें ढ़ांढ़स भी बधाया। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा एवं देश उनके बलिदान को कभी भी भूल नहीं पाएगा। अग्रवाल ने कहा कि भारत जल्द ही इसका जवाब देकर शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करेगा।

आंतकवादियों को जरुरत का सामान मुहैया कराते थे हुर्रियत के नेता

एनआइए द्वारा छापेमारी के दौरान हिज्बुल मुजाहिद्दीन और लश्कर ए तैयबा के लेटरहेड बरामद हुए जिससे यह खुलासा होता है कि घाटी में टेरर फंडिंग एक नहीं दोनों ओर से होता रहा है।
हुर्रियत अधिकारियों को आतंकवादी अपने एटीएम के तौर पर उपयोग कर रहे हैं। यहां तक कि पैसे के लिए ये अलगाववादियों को धमकी तक देते थे और एनआइए को मिले दस्घ्तावेज से पता चलता है कि समय-समय पर लश्कर और हिज्बुल मुजाहिद्दीन अलगाववादियों को फंड पहुंचाते रहते हैं।
घाटी में सक्रिय लश्कर और हिज्बुल के स्थानीय कमांडर अपने बीमार साथियों के इलाज और अन्य कारणों से हुर्रियत अलगाववादियों से धन की मांग करते हैं। यहां तक कि हजारों-लाखों रुपये के अलावा मोबाइल फोन की भी मांग होती है। एनआइए ने हुर्रियत के कई सदस्यों को हिरासत में लिया हुआ है, इन पर पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन से आर्थिक समर्थन हासिल कर तनाव फैलाने का आरोप है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, मोहम्मद अमीन भट्ट द्वारा लिखे गए पत्र में तहरीक-ए-हुर्रियत प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी के करीबी अयान अकबर खांडे से 5 लाख रुपयों की मांग की। जम्मू-कश्मीर हिज्बुल मुजाहिद्दीन के लेटरहेड पर लिखी इस चिट्ठी में लिखा था, नोटबंदी के कारण आर्थिक संकट के हालातों से निपटने के लिए तुरंत 5 लाख रुपयों की जरूरत है। पत्र के अंत में धमकी भी दी गयी है जिसमें खांडे को कहा गया है कि 4 दिनों के अंदर पैसे भेज दें नहीं तो अंजाम के लिए तैयार रहें, जो परिवार तक जा सकता है। खांडे उन 7 अलगाववादियों में से एक है, जिन्हें सोमवार को एनआइए ने गिरफ्तार किया।
नोटबंदी के बाद उर्दू में लिखे गए खत में भी कुछ ऐसी ही बातें लिखी थीं। हिज्बुल के लेटरहेट वाले इस खत में लिखा था, हमें इस समय पैसों की सख्त जरूरत है क्योंकि सुरक्षा और नोटबंदी के कारणों से हमें बाहर से पैसे नहीं मिल रहे। 30 फरवरी को आपके पैसे लौटा दिए जाएंगे। इंशाअल्लाह हम 4 दिनों तक आपका इंतजार करेंगे। अगर आप कुछ नहीं करते तो अपने और अपने परिवार के अंजाम के आप खुद जिम्मेदार होंगे।

संघ के बड़े अधिकारियों के हुए बंपर तबादले!

पिछले कुछ दिनों से देशभर में राष्ट्रपति चुनाव की खबर हर मीडिया संस्थान में सुर्खियों में बना रहा, ऐसे में शायद ही किसी को इस बात की भनक लगी हो कि इस बीच आरएसएस में बड़े स्तर पर बदलाव हुआ है। जी हां जिस वक्त राष्ट्रपति के चुनाव हो रहे थे और उसके मतों की मतगणना हो रही थी आरएसएस देशभर में कई अधिकारियों के तबादले कर रहा था।
एक ही जगह आरएसएस की ओर से जो बड़ा तबादला किया गया है वह आरएसएस के बौद्धिक प्रचारक स्वांत रंजन हैं, जोकि पिछले 12 साल से पटना में तैनात थे, लेकिन अब उनका तबादला कर दिया गया है। उन्हें पटना से हटाकर जयपुर भेज दिया गया है। इसके साथ ही आरएसएस ने कई अन्य पदाधिकारियों का भी तबादला किया है।
बड़े स्तर पर किया गया बदलाव
सहकार भारती संगठन सचिव विजय देवांगन का अभ पूर्वोत्तर भारत का जिम्मा सौंपा गया है। इसके अलावा कई अन्य अधिकारियों को भी हटाया गया है जोकि भारत सहित विदेशों में स्थिति आरएसएस के हॉस्टल का जिम्मा देखते थे। सूत्रों की मानें तो रंजन उन शीर्ष लोगों में शामिल हैं जिन्हें जम्मू में गुरुवार को हुई आरएसएस की बैठक के आखिरी दिन हटाया गया है।
बड़े नेताओं का किया गया
तबादला सूत्रों की मानें तो नरेंद्र कुमार जोकि अखिल भारतीय सहप्रचारक प्रमुख हैं, उन्हें रंजन की जगह लेने के लिए तैनात किया गया है। अब वह पटना में स्वांत रंजन की जगह लेंगे। नरेंद्र कुमार अभी तक दिल्ली में अहम भूमिका निभा रहे थे। यह तमाम अहम फैसले तीन दिन तक चले जम्मू कश्मीर में संगठन की तीन दिवसीय बैठक में लिए गए हैं। यह आरएसएस की सालाना बैठक थी, जिसमें आला अधिकारियों का तबादला किया गया है।
200 प्रतिनिधियों ने लिया हिस्सा
आरएसएस की इस वार्षिक बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत कई बड़े नेता शामिल हुए थे। यह बैठक 18 जुलाई को प्रारंभ हुई थी। इस बैठक में तकरीबन 200 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। आपको बता दें कि इसी वर्ष मार्च में जो रिपोर्ट सामने आई थी उसके अनुसार आरएसएस देशभर में 57,233 शाखाएं लगाती है।