बेटे की शहादत पर बोले पिता, आरपार की लड़ाई हो

कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए उत्तराखंड का एक और लाल शहीद हो गया है। मूल रूप से अल्मोड़ा के कनालीछीना के रहने वाले व हाल निवासी हल्द्वानी के ऊंचा पुल क्षेत्र के हिम्मतपुर मल्ला गांव के मेजर कमलेश पांडे जम्मू कश्मीर के शोफिया क्षेत्र में बुधवार देर रात आतंकियों से लड़ते शहीद हो गए। शहीद मेजर कमलेश पांडे का पार्थिव शरीर दिल्ली पहुंच गया है और देर रात तक हल्द्वानी उनके ऊंचा पुल स्थित उनके आवास में ससम्मान उनका पार्थिव शरीर पहुंचेगा और कल रानी बाग स्थित चित्रशीला घाट में सैन्य सम्मान के साथ शहीद मेजर कमलेश पांडे की अंत्येष्टि की जाएगी। कमलेश पांडे की शहादत का समाचार जैसे ही उनके परिवार के पास पहुंचा तो पूरा परिवार गमगीन हो गया। मेजर कमलेश पांडे 28 साल के थे और उनकी एक दो साल की बेटी भी है और उनकी पत्नी गाजियाबाद में नौकरी करती है जोकि देर शाम तक हल्द्वानी स्थित अपने आवास पहुंच जाएगी। शहीद मेजर कमलेश पांडे के पिता मोहन चंद्र पांडेय भी आर्मी से रिटायर हैं। मोहन चंद्र पांडे आर्मी में हवलदार थे, शहीद मेजर कमलेश पांडे का छोटा भाई भी आर्मी में तैनात है। शहीद के पिता मोहन चंद्र पांडे का कहना है कि उनको अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। लेकिन वह देश के राजनेताओं से चाहते हैं कि एक बार पाकिस्तान से आर पार की लड़ाई हर हाल में होनी चाहिए तभी इस तरह की शहादत रुकेंगे। अपने बेटे को देश की रक्षा में खो चुके है लेकिन उनका मानना है कि जिस तरह घर में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध हुआ। उसी तरह इस बार भी होना चाहिए क्योंकि पाकिस्तान को तभी सबक मिलेगा। उधर, शहीद कमलेश पांडे के घर पहुंचे आर्मी के अधिकारियों ने परिवार को दिलासा दिलाई और देर शाम तक शहीद मेजर कमलेश पांडे के पार्थिव शरीर को उनके आवास लाए जाने की सूचना दी।