अटल जी की देन है उत्तराखंडः टीएसआर

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बुधवार को शहीद स्थल रामपुर तिराहा, मुजफ्फरनगर में शहीद स्मारक पर उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलकारी शहीदों की पुण्य स्मृति में श्रद्धासुमन अर्पित किये।

उन्होंने कहा कि राज्य आन्दोलकारियों के संघर्ष व बलिदान के परिणाम स्वरूप ही उत्तराखण्ड का नये राज्य के रूप में निर्माण हुआ। 01 सितम्बर 1994 को खटीमा में पहली घटना घटी थी, जिसमें भवान सिंह, प्रताप सिंह, धर्माननन्द भट्ट, गोपीचन्द, परमजीत सिंह और रामपाल सिंह शहीद हुए थे। दूसरी घटना मसूरी की हुई जिसमें मदन मोहन मंगल, धनपत सिंह, बेलमती चौहान, हंसा धनई, बलवीर सिंह नेगी व पुलिस के सीओ ऊमाकांत त्रिपाठी शहीद हुए। जब हम राज्य आन्दोलन का जिक्र करते हैं तो 02 अक्टूबर का वह दृश्य याद आता है, जब राज्य निर्माण को लेकर आन्दोलनकारी दिल्ली जा रहे थे, तब सूर्य प्रकाश थपलियाल, राजेश लखेड़ा, रवीन्द्र रावत, राजेश नेगी, सतेन्द्र सिंह चौहान, गिरीश भद्री, अशोक कुमार, ओमपाल, अतुल त्यागी, रामगोपाल और पंकज त्यागी ने राज्य निर्माण के लिए अपना बलिदान दिया। इसके अलावा उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के लिए अनेक युवक-युवतियों व माताओं ने अपना बलिदान दिया। इसके परिणाम स्वरूप 09 नवम्बर 2000 को उत्तराखण्ड राज्य का गठन हुआ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य निर्माण की मांग पर्वतीय राज्य के रूप में बहुत पहले से हो रही थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल ने उत्तराखण्ड को एक पर्वतीय राज्य के रूप में तोहफा दिया। उन्होंने उत्तराखण्ड को औद्योगिक पैकेज दिया तो नरेन्द्र मोदी ने उत्तराखण्ड में कनेक्टिविटी को बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। शहीद राज्य आन्दोलनकारियों के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप राज्य बनाएं।

खटीमा गोली कांड के शहीदों को श्रद्धांजली दी

ऋषिकेश।
खटीमा गोली कांड में शहीद हुए आंदोलनकारियों को याद किया गया। राज्य गठन के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने वाले शहीदों ने प्राणों की प्रवाह न करते हुए आंदोलन को मुकाम तक पहुंचाया। इसिलिए शहीदों को हर बार नमन किया जाता है। 101
हरिद्वारमार्ग पर शहीद स्मारक में आंदोलनकारियों ने कहा कि 1 सितंबर 1994 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने खटीमा में आंदोलनकारियों पर गोलियां बरसा दी। जिसमें 11 आंदोलनकारी शहीद हो गए। गोली कांड को आज 22 वर्ष पूरे हो गए हैं। जिसके उपलक्ष में शहीदों की 23वी पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजली अर्पित की जा रही है। उधर, राज्य आंदोलनकारी नारायण सिंह खरोला के निधन पर शहीद स्मारक पर शोक सभा का आयोजन किया गया। आंदोलनकारियों ने दो मिनट का मौन रख दिवगंत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। शोक व्यक्त करने वालों में पूर्व दर्जाधारी ऊषा रावत, संजय शास्त्री, विक्रम भंडारी, युद्धवीर सिंह, गंभीर सिंह मेवाड़, शीला ध्यानी, विशंबर डोभाल, विशाल पंवार, रामेश्वरी चौहान, माधुरी कोटनाला, जयंती नेगी, मुन्नी ध्यानी, बचन सिंह कंडवाल, पुष्पा रावत, रामेश्वरी रावत, सुरेश सिंह, आनंदी रावत, चंद्रकांता जोशी, सुशील शर्मा आदि शामिल रहे।