धामी का विजन सफल, सभी पात्र लोगों को वैक्सीन लगाने वाला राज्य बना उत्तराखंड

उत्तराखण्ड राज्य, पूर्ण रूप से पात्र लाभार्थियों को कोविड-19 वैक्सीन की प्रथम डोज लगाये जाने वाला राज्य बन गया है। मीडिया सेंटर सचिवालय में आयोजित प्रेसवार्ता में यह जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी प्रदेशवासियों को इसके लिये बधाई दी है। मुख्यमंत्री ने राज्य को आवश्यकतानुसार वैक्सीन की पर्याप्त संख्या में डोज उपलब्ध कराए जाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि नियत समय से पहले ही इस लक्ष्य को पूरा कर लिया गया है। इसमें स्वास्थ्य, पुलिस विभागों सहित अन्य विभागों के कार्मिकों, विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं, मीडिया, और सभी प्रदेशवासियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
मुख्यमंत्री ने पहली डोज लेने वाले लोगों से दूसरी डोज भी समय पर लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि जैसे ही 18 वर्ष से कम आयु वालों के लिए वैक्सीनैशन की अनुमति मिलेगी, राज्य सरकार इनका वैक्सीनैशन भी जल्द करवाने का प्रयास करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड भारत सरकार के मार्गदर्शन में 16 जनवरी 2021 से सफलतापूर्वक कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। टीकाकरण अभियान को बढ़ावा देने के लिए राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
राज्य में 18 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 7729466 पात्र लाभार्थियों का कोविड-19 वैक्सीनेशन किया जाना था। जिसमें सबसे पहले हेल्थ केयर वकर्स का टीकाकरण प्रारम्भ किया गया जिसके पश्चात फ्रंटलाइन वर्कर्स फिर 60 से अधिक आयु और 45-59 आयु के गम्भीर रोगों से ग्रसित रोगियों का टीकाकरण प्रारम्भ किया गया, जिसके पश्चात 18 वर्ष से अधिक आयु के समस्त लाभार्थियों का टीकाकरण प्रारम्भ किया गया जिसमें गर्भवती महिलायें एवं दिव्यांग नागरिक भी सम्मिलित है।
राज्य में दिनांक 16 अक्टूबर, 2021 तक कुल 99.6 प्रतिशत हेल्थ केयर वर्कर्स, 99.2 प्रतिशत फ्रंटलाइन वर्कर्स और 18 वर्ष से अधिक आयु के 96.1 प्रतिशत लाभार्थियों को कोविड-19 वैक्सीनेशन की प्रथम डोज लगायी जा चुकी है तथा अन्य शेष लाभार्थियों में गर्भवती महिलाये (जिनको उचित परामर्श प्रदान कर जागरूक किया जा रहा है. और उनके द्वारा सहमति व्यक्त करने पर ही उन्हें वैक्सीन लगायी जा रही है)। इस प्रकार राज्य में लगभग समस्त इच्छुक लाभार्थियों को वैक्सीन की प्रथम डोज लगायी जा चुकी है।
वैक्सीनेशन के संबंध में प्रत्येक ग्राम सभा और वार्ड मेम्बर से उनके क्षेत्र में समस्त पात्र लाभार्थियों को कोविड-19 वैक्सीन की प्रथम डोज लगाये जाने का प्रमाण पत्र प्राप्त किया जा रहा है। जिसके क्रम में उत्तराखण्ड राज्य में पूर्ण रूप से पात्र लाभार्थियों को कोविड-19 वैक्सीन की प्रथम डोज लगायी जा चुकी है। वर्तमान में राज्य में द्वितीय डोज, गर्भवती महिलाओं, दिव्यांग एवं मानसिक रोग से ग्रसित एवं अन्य लाभार्थियों का टीकाकरण यथावत चलता रहेगा।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, डॉ. धन सिंह रावत, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, अपर सचिव सोनिका, स्वास्थ्य महानिदेशक डॉक्टर तृप्ति बहुगुणा उपस्थित थे।

टेली हेल्थ कंसल्टेशन से स्वास्थ्य सुविधाओं को बनाया जायेगा और बेहतर

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश के सोशल आउटरीच सेल एवं आईआईटी रुड़की के संयुक्त तत्वावधान में उड़ान एक आउटरीच “टेली हेल्थ कंसल्टेशन” बनाया गया है, जिसे शनिवार को लांच किया गया। बताया गया ​कि इसका उद्देश्य सुदूर क्षेत्रों में जरुरतमंद लोगों को टेलीमेडिसिन के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है। गौरतलब है कि अभी कोविड-19 महामारी पूर्णरूप से खत्म नहीं हुई है, लिहाजा कोविड महामारी को ध्यान में रखते हुए निकट भविष्य में आने वाली स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के दृष्टिगत एम्स की ओर से इस ऐप को तैयार किया गया है,जिसके माध्यम से अति दुर्गम स्थानों के लोग एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञों से ​चिकित्सकीय परामर्श ले सकेंगे। इस ऐप की खाशियत यह है कि जिन सुदूरवर्ती क्षेत्रों में इंटरनेट की सुविधा नहीं हो, ऐसे क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी इस ऐप के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधा व चिकित्सकीय परामर्श ले सकते हैं।
शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत चतुर्वेदी व एम्स ऋषिकेश के संकायाध्यक्ष (शैक्षणिक) प्रो. मनोज गुप्ता ने उड़ान मॉडल का संयुक्तरूप से वर्चुअल उद्घाटन किया। इस अवसर पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने अपने संबोधन में सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य की चिंता एवं उसके निराकरण के लिए एम्स ऋषिकेश और आईआईटी रुड़की का धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने आश्वस्त किया कि बहुत जल्दी ही वह विशेषज्ञों के साथ इस विषय पर विस्तृत चर्चा करेंगे। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत चतुर्वेदी ने कहा कि स्वास्थ्य लाभ को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए तैयार उड़ान मॉडल आईआईटी रुड़की और एम्स ऋषिकेश की पहल सराहनीय है। उन्होंने बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य प्रदेश के कोने-कोने तक जनमानस को स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करना है और इसके लिए आईआईटी हर कदम पर एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों के साथ है।
एम्स के संकायाध्यक्ष अकादमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने कहा कि टेलीमेडिसिन ने स्वास्थ्य जगत में अनोखा आयाम प्रस्तुत किया है, उन्होंने उम्मीद जताई कि एम्स ऋषिकेश के सोशल आउटरीच सेल एवं आईआईटी रुड़की के संयुक्त तत्वावधान द्वारा तैयार किया गया यह मॉडल उत्तराखंड के दूरस्थ इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य को लेकर एक नया मोड़ लाएगा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि सोशल आउटरीच सेल उत्तराखंड के सुदूर क्षेत्रों में अब तक एक लाख से अधिक मरीजों के स्वास्थ्य की देखभाल करने के अलावा सैकड़ों स्वास्थ्य शिविर, जनजागरुक एवं अन्य सामाजिक विषयों पर शिविर आयोजित कर चुका है।
एम्स के सोशल आउटरीच सेल के नोडल ऑफिसर डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि कोविड-19 की दूसरी लहर के अनुभवों से यह ऐप बनने की प्रेरणा मिली है, अपने अनुभव साझा करते हुए डा. संतोष ने बताया कि जब उन्होंने देखा कि सुदूरवर्ती व दुर्गम क्षेत्रों में संपर्क साधना बहुत ही मुश्किल हो रहा है, जिससे कि ग्रामीणों को स्वास्थ के संबंध में समय पर उचित चिकित्सकीय परामर्श नहीं मिल पा रहा है, तो इसी के मद्देनजर इस मॉडल को तैयार करने का विचार आया है। उन्होंने बताया कि उड़ान मॉडल द्वारा हम ऐसे क्षेत्रों में पहुंच पाएंगे, जहां इंटरनेट नहीं है, यह ऐप 5 चरणों में कार्य करेगा। जिसमें सर्वाधिक बीमारी वाले गांवों को चिह्नित करके संस्थान के द्वारा उक्त गांवों में बीमारियों से बचाव के लिए ठोस रूपरेखा तैयार की जाएगी। उद्घाटन कार्यक्रम में संस्थान के डीएचए प्रोफेसर यूपी मिश्रा, सीएफएम विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वर्तिका सक्सेना, प्रोफेसर ब्रिजेंद्र सिंह, डा. मोहित ढींगरा, प्रो. डी. के. त्रिपाठी, डॉ. कुमार सतीश रवि, डॉ. योगेश के अलावा रजिस्ट्रार राजीव चौधरी, जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी शशिकांत, वरिष्ठ पुस्तकालयाध्यक्ष संदीप सिंह, विधि अधिकारी प्रदीप पांडेय आदि मौजूद थे।

एम्स की ओर से कोविड से सुरक्षा को लेकर चलाया गया जागरुकता अभियान

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के तत्वावधान में गठित कोविड-19 कम्युनिटी टास्क फोर्स के द्वारा राजकीय इंटर कॉलेज खदरी खड़कमाफ में निशुल्क मास्क वितरित किए गए। इस दौरान शिक्षकों, विद्यार्थियों व अन्य लोगों को कोरोना वायरस को लेकर जागरूक किया गया।
एम्स निदेशक प्रोफेसर रवि कांत की देखरेख में संस्थान के द्वारा कोविड19 कम्युनिटी टास्क फोर्स विभिन्न क्षेत्रों में जनजागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। जिसके अंतर्गत खदरी श्यामपुर स्थित राजकीय इंटर कॉलेज में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसके तहत कोविड-19 कम्युनिटी टास्क फोर्स के नोडल अधिकारी डॉ. संतोष कुमार की अगुवाई में विद्यालय के छात्र- छात्राओं, शिक्षकों व अन्य स्टाफ को 300 से अधिक मास्क वितरित किए गए, साथ ही उन्हें कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर जागरूक किया गया। उन्हें इस विकट समय में सावधानी बरतने, सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित करने को प्रेरित किया गया। टास्क फोर्स द्वारा छात्र छात्राओं को बताया गया कि अभी कोविड19 वायरस का संक्रमण कम नहीं हुआ है, लिहाजा जब भी घर से बाहर निकलें अथवा सार्वजनिक स्थान या जन समुदाय के बीच जाएं तो एक दूसरे व्यक्ति से कम से कम 2 गज की दूरी बनाकर रखें व साथ ही शल्य चिकित्सा मास्क का उपयोग करें। बताया गया कि कपड़े के मास्क का इस्तेमाल भी किया जा सकता है, जिसे धोने के बाद दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है।
इस दौरान राजकीय इंटर कॉलेज खदरी खड़कमाफ के प्रधानाचार्य मेहताब सिंह व ग्राम प्रधान बबीता देवी द्वारा एम्स की कोविड-19 कम्युनिटी टास्क फोर्स द्वारा चलाई जा रही जनजागरूकता मुहिम की सराहना की गई। इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता नवीन मोहन, शांति प्रसाद थपलियाल, एम्स की टीम के सदस्य हिमांशु ग्वाड़ी, विकास सजवाण, त्रिलोक सिंह आदि मौजूद रहे।

केंद्र सरकार के आर्थिक पैकेज से स्वावलंबन भारत की ओर बढ़ रहा देश: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आत्मनिर्भर भारत अभियान कोविड-19 की विपरीत परिस्थितियों को अनुकूल बनाने के साथ ही आधुनिक भारत की पहचान भी बना रहा है। मुख्यमंत्री, मीडिया सेंटर सचिवालय में आयेजित प्रेस वार्ता को सम्बोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत में एमएसएमई क्षेत्र को कई तरह की रियायतें देते हुए मजबूती प्रदान की गई। साथ ही गरीबों, किसानों श्रमिकों के कल्याण के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत 20 लाख करोड़ रूपए के पैकेज की घोषणा के बाद केवल डेढ़ माह की अवधि में ही इसके सकारात्मक प्रभाव भी दिखने लगे हैं। प्रधानमंत्री द्वारा ‘वोकल फॉर लोकल एंड मेक इट ग्लोबल’ के लिए किए गए आह्वान को सभी देशवासियों का समर्थन मिला है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र के लिए तीन लाख करोड़ रूपए के कोलेटरल फ्री ऋण की व्यवस्था की गई। एमएसएमई के लिए 50 हजार करोड़ रूपए का ‘फंड्स ऑफ फंड’ भी बनाया गया है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के मानकों में सुधार किया गया है। इससे इन उद्यमों को विस्तार का अवसर मिलेगा जिससे बड़ी संख्या में रोजगार सृजित होगा। उद्योगों और श्रमिकों के लिए तीन महीने तक ईपीएफ सपोर्ट दिया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 की परिस्थितियों में गरीबों, किसानों और मजदूरों की सहायता करने के लिए प्रधानमंत्री ने 1.70 लाख करोड़ रूपए की घोषणा की। इसके तहत प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि की तीन माह की अग्रिम किस्तें किसानों के खातों में जमा की गई। महिला जन-धन खाताधारकों के खातें में 500-500 रूपए की तीन किस्तें जमा की गईं। उज्ज्वला योजना के तहत 8 करोड़ से अधिक महिलाओं को तीन गैस सिलेंडर मुफ्त दिए गए। दिव्यांगों, विधवाओं और बुजुर्गों को भी 1 हजार रूपए की आर्थिक सहायता दी गई।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना में देश के 80 करोड़ लोगों को राहत देने के लिए अप्रैल,मई व जून तीन माह के लिए निशुल्क खाद्यान्न दिया गया। अब इस योजना को नवम्बर माह तक बढ़ा दिया गया है। इसमें हर महीने प्रति व्यक्ति 5 किलो गेहू या चावल और प्रति परिवार 1 किलो चना नवम्बर तक निशुल्क मिलता रहेगा। इस योजना पर लगभग डेढ़ लाख करोड़ रूपए खर्च होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मनरेगा में केंद्र सरकार ने 40 हजार करोड़ रूपए का अतिरिक्त आवंटन किया। उत्तराखण्ड में ही मनरेगा में 36 हजार नए लोगों के काम उपलब्ध करवाया गया है। 6 राज्यों के 116 जिलों में प्रवासी श्रमिकों की सहायता के लिए गरीब कल्याण रोजगार योजना शुरू की गई है। किसानों के लिए भी बहुत से कदम उठाए गए। किसानों के हित में अनेक फार्मिंग रिफार्म किए गए हैं। किसानों को फसल पर लागत मूल्य का कम से कम डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का निर्णय लिया गया। केंद्र सरकार ने 14 खरीफ फसलों पर एमएसपी को बढ़ाया। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना भी काफी महत्वपूर्ण है।
अर्थव्यवस्था में कोविड-19 के प्रभाव से उबारने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार भी किए गए हैं। रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया को बल दिया गया है। पीपीपी मॉडल पर हवाई अड्डों का निर्माण किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 की परिस्थितियों में सबसे अधिक सुधार स्वास्थ्य क्षेत्र में किया गया है। कोरोना संक्रमण की शुरूआत में पीपीई किट का निर्माण नहीं होता था। अब देश में पीपीई किट का इतनी अधिक मात्रा में उत्पादन किया जा रहा है कि इनका निर्यात भी किया जाने लगा है। वेंटीलेटर, एन-95 मास्क भी बडे स्तर पर बनाए जा रहे हैं। इनके निर्माण में अनेक स्टार्टअप आगे आए हैं। चीन के विभिन्न मोबाईल एप पर प्रतिबंध लगाने के बाद स्वदेशी एप बनाए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में वापिस लौटे प्रवासियों और युवाओं के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना प्रारम्भ की गई है। इसमें 150 प्रकार के कामों को लिया गया है।

नैनीताल, यूएसनगर और पिथौरागढ़ में कोविड-19 से बचाव को सीएम ने दी धनराशि

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कोविड-19 के दृष्टिगत जिलाधिकारी नैनीताल को 03 करोड, ऊधम सिंह नगर को 2.50 करोड़ तथा पिथौरागढ़ को 02 करोड़ की धनराशि मुख्यमंत्री राहत कोष से स्वीकृत की है। मुख्यमंत्री द्वारा इससे पूर्व भी इस महामारी की रोकथाम एवं बचाव के साथ ही क्वारंटीन सेन्टरों की व्यवस्थाओं में सुधार तथा पीड़ितों को आवश्यक स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध कराये जाने हेतु जनपद नैनीताल एवं ऊधम सिंह नगर को 03-03 करोड़ तथा पिथौरागढ़ को 02 करोड़ की धनराशि प्रदान की जा चुकी है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि आपसी सहयोग एवं समन्वय से हम इस वैश्विक आपदा का सामना कर सकते हैं। इसके लिये जन जागरूकता के साथ जन सहयोग भी जरूरी है। उन्होंने शारीरिक दूरी व मास्क के उपयोग को इस बीमारी से बचाव के लिये जरूरी बताया है, इसका पालन हम सबको करना चाहिए।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने सभी जिलाधिकारियों को उनके जनपद में बाहर से आने वाले लोगों की आवश्यक मदद करने एवं क्वारंटीन सेन्टरों की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिये हैं, ताकि यहां रह रहे लोगों को कोई कठिनाई न हो। उन्होंने कहा कि इसके लिये सभी जिलाधिकारियों को उनकी अपेक्षा अनुसार धनराशि की व्यवस्था की गई है। इसके लिये आगे भी धनराशि की कमी नहीं होने दी जायेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि स्वास्थ्य विभाग को इस महामारी से निपटने के लिये आवश्यक धनराशि उपलब्ध करायी जा रही है। इसके लिए 25 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की गई थी जिसमें से 10 करोड़ पूर्व में स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध करायी जा चुकी है, जब कि अब अवशेष 15 करोड़ की धनराशि भी स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध करा दी गयी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वैश्विक आपदा के समय अपने गांव लौटे लोगों को आवश्यक सहयोग एवं सुविधा उपलब्ध कराने के लिये जिलाधिकारियों के माध्यम से पूर्व में सभी ग्राम प्रधानों को 10-10 हजार की धनराशि प्रदान की गई थी। प्रदेश में गांव हो या शहर कोविड- 19 की रोकथाम हेतु की जाने वाली व्यवस्थाओं एवं सुविधाओं पर पूरा ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा कि इस महामारी के पीड़ितों की हम मानवीय संवेदनाओं के साथ ही बेहतर सेवा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जनपदों में बाहर से आने वाले लोगों की उचित देखरेख एवं क्वारंटीन सेन्टरों की व्यवस्थाओं व सुविधाओं में कोई कमी न रहे।

मुख्यमंत्री ने पीएम को 300 करोड़ के प्रोजेक्ट शुरू करने की जानकारी दी

(एनएन सर्विस)
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिग में प्रतिभाग किया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में कोविड-19 एवं अनलॉक-1 के बाद की परिस्थितियों पर विचार विमर्श किया गया। आत्मनिर्भर भारत की दिशा में उठाए गए कदमों पर भी विचार विमर्श किया गया।
वीडियो कांफ्रेंसिग के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मीडिया से अनौपचारिक बात करते हुए कहा कि इस दिशा में उत्तराखण्ड द्वारा काफी प्रगति की गई है। राज्य सरकार द्वारा लगभग 300 करोड़ के प्रोजेक्टों पर कार्य शुरू किया गया है। कोरोना के बाद लगभग 90 प्रतिशत उद्योगों ने कार्य करना आरम्भ कर दिया है। राज्य में तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद आर्थिक गतिविधियों को बढाने के लिए काम किया गया है। राज्य के युवाओं एवं राज्य में लौटे प्रवासियों के लिये रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना प्रारम्भ की गई है। योजना का लाभ आधिक से अधिक युवाओं को उपलब्ध हो इसके लिये जिलाधिकारियों को धनराशि उपलब्ध करायी गई है। कल ही 110 करोड़ रूपये जिलाधिकारियों को स्वीकृत की गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मनरेगा में 23 हजार से अधिक नए रजिस्ट्रेशन कराए गए है। इनमें से 17 हजार से अधिक लोगों को काम भी उपलब्ध कराया गया है। मनरेगा में कुल 3 लाख 64 हजार श्रमिक नियोजित हैं। जबकि कृषि एवं इससे सम्बन्धित कार्यों के लिये 5 हजार से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं। राज्य में पर्यटन को गति देने के लिये भी योजना बनायी जा रही है।

आज 73 नए मरीज, अब तक 58 मरीज ठीक, 317 पाॅजीटिव हुए केस

राज्य में आज कोरोना संक्रमण के 73 नए मामले आए हैं। 32 मामले सबसे ज्यादा नैनीताल जिले में मिले हैं। इसके साथ ही अब प्रदेश में संक्रमित मरीजों की संख्या 317 पहुंच गई है। अपर सचिव युगल किशोर पंत ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि आज प्रदेश में 943 सैंपल निगेटिव पाए गए हैं। जबकि 1120 सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। वहीं, 58 मरीज अब तक ठीक हो चुके हैं। वहीं, प्रदेश में तीन कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत भी हो चुकी है। लेकिन तीनों की ही मौत का कारण कोरोना नहीं है। अन्य कारणों से मरीजों की मौत हुई है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार, आज आए मामलों में अल्मोड़ा में 5, चमोली में 8, चंपावत में 1, देहरादून में 11, नैनीताल में 32, पौड़ी में एक, टिहरी में तीन , बागेश्वर में दो और ऊधमिसंह नगर में 9 मामले सामने आए हैं। वहीं, एक मामला निजी लैब में पॉजिटिव पाया गया है। लगातार दूसरे दिन नैनीताल में 117 केस सामने आने से स्वास्थ्य विभाग चिंतित है।
अब तक देहरादून में 75, हरिद्वार में 14, उत्तरकाशी में 10, अल्मोड़ा में 12, चंपावत में 8, टिहरी में 9, बागेश्वर में 8, पौड़ी में 7, रुद्रप्रयाग में 3, पिथौरागढ़ में 2, चमोली में 9, नैनीताल में 117, ऊधमिसंह नगर में 43 संक्रमण के मामले सामने आ चुके है। कोरोना संक्रमण के मामले में नैनीताल ने देहरादून को पीछे छोड़ दिया है। शनिवार को संक्रमण में बने नए रिकॉर्ड से नैनीताल जनपद प्रदेश में नंबर वन पर आ गया है। पूरा प्रदेश कोरोना की चपेट में आने से सोमवार को कई जिलों की ऑरेंज और ग्रीन जोन की श्रेणी बदल सकती है।
शुक्रवार तक देहरादून संक्रमित मामलों के आधार पर सबसे आगे था, लेकिन शनिवार को नैनीताल जिले में एक दिन में 57 कोरोना संक्रमित मिलने से देहरादून पीछे छूट गया है। वहीं, आज 32 मामले आए हैं।  नैनीताल में कुल संक्रमितों की संख्या 117 पहुंच गई है, जबकि देहरादून में यह संख्या 71  पर पहुंच गई है।
वर्तमान में प्रदेश के सात जिले हरिद्वार, टिहरी, चंपावत, बागेश्वर, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ व चमोली ग्रीन जोन में है। जबकि देहरादून, नैनीताल, अल्मोड़ा, ऊधमसिंह नगर, पौड़ी और उत्तरकाशी जिला ऑरेंज जोन में है। प्रदेश का कोई भी जिला रेड जोन में नहीं है।
कोरोना संक्रमण की दर, डबलिंग रेट, प्रति लाख सैंपल जांच, सर्विलांस के आधार पर रेड, ऑरेंज और ग्रीन तय किया जाएगा। अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पंत ने बताया कि सोमवार को जोन को लेकर जिलों की समीक्षा की जाएगी। केंद्र की ओर से तय मानकों के आधार पर जिलों के जोन तय किए जाएंगे।

वहीं, मुख्यमंत्री  त्रिवेंद्र सिह रावत ने राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में कोविड-19  संबंधी कार्यों, आवश्यकता और तैयारियों की समीक्षा की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में अभी तक 2 कोरोना संक्रमित लोगों की मौत हुई है, लेकिन उनकी मौत की वजह कोविड नहीं था, वह दूसरी बीमारियों से मरे।
रविवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत और स्वास्थ्य एवं वित्त सचिव अमित नेगी के साथ श्रीनगर मेडिकल पहुंचे। यहां उन्होंने सभागार में प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के  अधिकारियों की बैठक ली। बैठक की शुरुआत करते हुए मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. सीएम  रावत ने प्रोजेक्टर के माध्यम से  कोविड -19 से बचाव और  कोविड जांच की प्रगति आख्या प्रस्तुत की।
उन्होंने बताया कि कोविड जांच लैब में 3 मई से अब तक पौड़ी, टिहरी, चमोली और रुद्रप्रयाग जिले के 670 नमूनों की जांच हो चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड 19 सिर्फ बीमारी ही नहीं है। बल्कि इस महामारी का असर धीरे-धीरे समाज में आएगा। इसलिए सभी को हर तरह से तैयार रहना होगा। आज से 5 दिन पहले कम कोरोना पॉजिटिव के चलते उत्तराखंड अन्य राज्यों से बेहतर स्थिति में था। लेकिन गुजरात, महाराष्ट्र हरियाणा व राजस्थान आदि प्रदेशों से प्रवासी आने से चुनौती बढ़ गई है। इसके लिए  हमारी टीम और  हमारी रणनीति बेहतर हो। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए की बाहर से आने वाले लोगों का मानकों के अनुसार परीक्षण हो। सैनिटाइजेशन की पूरी व्यवस्था हो। जो कोरोना पॉजिटिव नियमों का उल्लंघन करें, उनके खिलाफ हत्या की कोशिश का मुकदमा दर्ज किया जाए।

प्रवासियों में संक्रमण मिलने की प्रक्रिया हुई तेज, 146 हुए पाॅजीटिव केस

आज प्रदेशभर में 16 कोरोना संक्रमित मामले सामने आए है। जिसके बाद अब राज्य में कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या 146 हो गई है। वहीं इनमें से 54 मरीज ठीक हो चुके हैं। अपर सचिव युगल किशोर पंत ने बताया कि आज 16 नए मामलों की पुष्टि हुई है। इनमें से तीन उत्तरकाशी, दो हरिद्वार, एक अल्मोड़ा, चार बागेश्वर, दो ऊधमिसंहनगर, तीन नैनीताल और एक देहरादून में सामने आया है।

बाजार बंद, सैनिटाइज कराया
जाखणीधार ब्लॉक के ढुंग में एक युवक में कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने से पूरे ढुंगमंदार क्षेत्र में दहशत फैल गई है। कस्बे के बाजार बंद हो गए। प्रशासन ने पूरे गांव को सैनिटाइज कराया है।
ढुंगमंदार पट्टी में अभी तक बाहरी राज्यों से करीब चार सौ प्रवासी पहुंचे हैं। इनमें से कई रेड जोन से आए हैं। ग्राम पंचायतों ने उन्हें गांव में क्वारंटीन किया हुआ है। मुंबई से आए युवक के कोरोना पॉजिटिव आने से लोग डरे हुए हैं। बृहस्पतिवार सुबह 11 बजे प्रशासन की टीम ने युवक को गांव से जिला मुख्यालय में बनाए गए कोविड-19 के केयर सेंटर में भर्ती करा दिया है।

पुलिस महानिदेशक ने दिए निर्देश…
आज पुलिस महानिदेशक अनिल कुमार रतूड़ी पुलिस कप्तानों, सेनानायकों और परिक्षेत्र प्रभारियों के साथ वीडियो कॉन्फेंसिंग कर कोरोना वायरस से बचाव की तैयारियों और लॉकडाउन की स्थिति की समीक्षा की। डीजी अपराध अशोक कुमार ने निर्देश दिए कि लॉकडाउन चार के नियमों और निर्देशों का अनुपालन्र विनम्रता और दृढ़ता के साथ कराना है। होम क्वारंटीन का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए। क्वारंटीन उल्लंघन के संबंध में डायल 112 की शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई की जाए। इसके अलावा डायल 112 से प्राप्त घरेलू हिंसा से संबंधित शिकायतों को गंभीरता से लें।
सार्वजनिक स्थानों पर मास्क न पहनने वालों, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने वालों को किसी तरह की छूट ना दी जाए। पुलिसकर्मियों को समय-समय पर प्रशिक्षित करने और संक्रमण से बचाव हेतु उन्हें डबल प्रोटेक्शन दिया जाए। डीजी ने कोरोना ड्यूटी में नियुक्त पुलिसकर्मी तथा उल्लेखनीय कार्य करने वाले जनता के एक व्यक्ति को कोरोना वॉरियर्स के रूप में प्रतिदिन सम्मानित करने के निर्देश दिए।

अब स्पेशल ट्रेनों से लाये जा रहे प्रवासी उत्तराखंडीः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि आज सुबह 4 बजे गुजरात के सूरत से काठगोदाम के लिए एक ट्रेन चलेगी। इसी तरह 12 मई को दूसरी ट्रेन सूरत से हरिद्वार के लिए चलेगी, इसका अभी समय तय नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री ने ट्रेनों के संचालन के लिए रेलमंत्री पीयूष गोयल का आभार जताया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि काठगोदाम आने वाली ट्रेन में कुमाऊं मंडल के लोग आएंगे, जबकि 12 मई को सूरत से आने वाली ट्रेन में गढ़वाल मंडल के लोगों को लाया जाएगा। हरिद्वार आने वाली ट्रेन का समय जल्द निर्धारित हो जाएगा। अन्य राज्यों से लौट रहे प्रवासियों को लाने की सरकार हरसंभव कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं गुजरात के सामाजिक कार्यकर्ता दिनेश भाई पटेल, गोपाल गोस्वामी और राहुल शर्मा का धन्यवाद करना चाहता हूं। इन लोगों ने उत्तराखंड वासियों की लिए तमाम व्यवस्थाएं की हैं। फंसे हुए लोगों को खाना खिलाने का इंतजाम भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के जितने भी प्रवासी लौट रहे हैं, वह गांव में आकर कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए तय मानकों का पालन करें। पंचायत प्रधान होम क्वारंटीन किए जाने वालों की पूरी निगरानी करेंगे। उन्होंने जनता से अपील की है कि कोरोना रोकथाम के लिए सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें। मास्क पहनें और नियमित हाथ धोयें, इससे संक्रमण से बचा जा सकता है।

हरिद्वार में तैयारी शुरु
दूर दराज के प्रदेशों से प्रवासी लोगों को ट्रेनों से लाने की प्रक्रिया शुरू हो गई। उनके लिए व्यवस्था जुटाने, स्वास्थ्य जांच करने, गंतव्य तक पहुंचाने, ठहरने आदि के लिए हरिद्वार के जिलाधिकारी सी रविशंकर ने समिति बनाकर दिशा निर्देश जारी किए हैं। हालांकि अभी ट्रेन के संचालन का समय, तिथि निर्धारित नहीं है। सबसे अहम बात यह होगी कि संक्रमण के फैलने की संभावना को रोकने को पूरे इंतजाम करने होंगे।
जिलाधिकारी सी रविशंकर और एसएसपी सैंथिल अबुदई कृष्णराज एस ने भी रेलवे स्टेशन परिसर का निरीक्षण किया और अधिकारियों से आवाजाही के बारे में चर्चा की। विभिन्न प्रदेशों में फंसे उत्तराखंड के प्रवासी लोग प्रथम चरण में ट्रेनों से अहमदाबाद, सूरत, से हरिद्वार पहुंचेंगे। इसमें प्रत्येक ट्रिप में करीब 1000 से 1200 लोगों के पहुंचने की संभावना है।

उत्तराखण्ड में कोरोना की डबलिंग रेट में लगातार हो रहा सुधार

मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने मीडिया ब्रीफिंग कर कोविड-19 के संबंध में अपडेटेड स्थिति की जानकारी दी। मुख्य सचिव ने कहा कि सरकार दूसरे राज्यों से उत्तराखण्ड लौटने के इच्छुक प्रवासियों को वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध है। लगभग 1 लाख 64 हजार लोगों ने इसके लिए पंजीकरण कराया है। अभी तक 7300 लोगों को दूसरे राज्यों से लाया जा चुका है जबकि 8146 को राज्य के भीतर ही एक जिले से दूसरे जिले में भेजा गया है। जो भी उत्तराखण्ड लौटना चाहते हैं, उन्हें वापस लाया जाएगा। थोड़ा संयम और धैर्य रखने की जरूरत है। तमाम तरह की सावधानियां बरतनी होती है। इसलिए एक साथ इकट्ठा सबको नहीं लाया जा सकता है। स्वास्थ्य परीक्षण, वाहनों की व्यवस्था, रूकने की व्यवस्था आदि बातें देखनी होती हैं। सरकार इस काम में दिन रात लगी है। पूरा काम सुनियोजित तरीके से किया जाना है। हरियाणा से 1500 लोगों को निजी वाहन से आने की अनुमति दी गई है। यहां बसें भी भेजी जाएंगी। उदयपुर व जम्मू से 400-400 लोगों को लाने की व्यवस्था की जा रही है। गुजरात व महाराष्ट्र को सूचना दी गई है कि सूरत, अहमदाबाद व पुणे से लोगों को ट्रेन से लाया जाना है। हमारी रेल मंत्रालय से बात हो चुकी है। संबंधित राज्यों को भी रेल मंत्रालय से बात करनी है। उत्तराखण्ड के लोगों को ट्रेन से लाने में जो भी व्यय आएगा, उसका वहन उत्तराखण्ड सरकार द्वारा किया जाएगा। केरल के दो शहरों से भी लगभग 1000 लोगों को लाया जाना है। भारत सरकार द्वारा विदेशों से भारतीय नागरिकों को लाने की व्यवस्था की जा रही है। इनमें उत्तराखण्ड का व्यक्ति होने पर विदेश मंत्रालय द्वारा हमें अवगत कराया जाएगा। इसके लिए हमने एसओपी तैयार कर ली है।
मुख्य सचिव ने कहा कि पिछले दो दिन से प्रदेश में कोई भी कोरोना पॉजिटिव केस नहीं आया है। वर्तमान में कुल पॉजिटिव केस 61 हैं, इनमें से 39 रिकवर हो चुके हैं जबकि 21 एक्टीव केस हैं। इनमें भी सभी की स्थिति सामान्य है। एक महिला जिसकी मृत्यु हुई है, उन्हें काफी क्रिटीकल हालत में एम्स ऋषिकेश में लाया गया था, बाद में जांच में इन्हें कोरोना संक्रमित पाया गया। परंतु उनकी मृत्यु अन्य कारण से हुई है। अभी तक कुल 7784 टेस्ट की रिपोर्ट प्राप्त हुई है। इनमें से 7723 की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। प्रदेश में कोरोना मामलों के दोगुने होने की दर में लगातार सुधार हो रहा है। आज के दिन हमारी डबलिंग रेट 47 दिन है। इस दृष्टि से हम देश के अग्रणी राज्यों में हैं। यहां के कुल कोराना पॉजिटिव मामलों में 85 प्रतिशत पुरूष हैं जबकि 15 प्रतिशत महिलाएं हैं। इसमें भी अधिकांश युवा हैं। इसलिए हमारे यहां रिकवर होने की अधिक सम्भावना है। देश में भेजे गए सेम्पल के सापेक्ष पॉजिटिव केस 3.86 प्रतिशत है जबकि राज्य में यह 0.78 प्रतिशत है। हमारी मृत्यु दर भी राष्ट्रीय औसत से लगभग आधी है। हालांकि ये मृत्यु भी प्रत्यक्ष रूप से कोरोना से नहीं हुई है। अभी तक प्रदेश में कोरोना को काफी हद तक नियंत्रित रखा गया है। हमारे यहां कान्टेक्ट ट्रेसिंग भी प्रभावी तौर पर की गई।
मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश में 426 चिकित्सक ऐसे थे जिनका आयेग द्वारा वर्ष 2010 से 2015 के बीच चयन किया गया परंतु उन्होंने या तो जॉइन नहीं किया या परिवीक्षा अवधि पूरी नहीं की। ऐसे चिकित्सकों की सेवाएं समाप्त की गई हैं। अब हम इनकी जगह पर चिकित्सकों की नई भर्ती कर सकते हैं। हाल ही में 401 चिकित्सकों को नियुक्ति दी गई है। 467 पदों का अध्याचन भी चयन आयोग को भेजा जा रहा है। आयोग से चयन प्रक्रिया को जल्द पूरा करने का अनुरोध किया जाएगा। इसके अलावा कैबिनेट द्वारा 180 पदों को पुनर्जीवित किया गया था। इन पदों पर जल्द भर्ती कराई जाएगी।
मुख्य सचिव ने कहा कि अभी तक जनता ने पूरा सहयोग किया है। लॉकडाउन-3 में भी हमें जिम्मेवारी का परिचय देना है। मास्क, सेनेटाईजेशन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। वर्तमान में दी गई शिथिलता चलती रहेगी। यदि अनुशासन बनाए रखा जाएगा तो और भी शिथिलता पर विचार किया जा सकता है। कोरोना संक्रमित होने पर घबराने की जरूरत नहीं है।
प्रदेश में औद्योगिक गतिविधियां भी शुरू की गई हैं। 4479 उद्योगों को ऑनलाईन अनुमति दी गई है। इन्होंने काम भी शुरू कर दिया है। इनमें 1 लाख 66 हजार श्रमिक, कार्मिक संलग्न हैं। सड़क, रेल, एयरपोर्ट, भवन निर्माण आदि काम शुरू होने जा रहे हैं। इनकी आवश्यकता को देखते हुए खनन का काम भी शुरू कर दिया गया है। जिलाधिकारियों को इसे प्राथमिकता से देखने को कहा गया है।
भवन निर्माण से जुड़े श्रमिकों को लॉकडाउन में राहत देने के लिए दो किश्तों में 1-1 हजार, कुल दो हजार रूपए उनके खातों में ट्रांसफर किए गए हैं। लगभग 1 लाख 98 हजार श्रमिक इससे लाभान्वित हुए हैं।
मुख्य सचिव ने कहा कि सोशल मीडिया में सरकार की तैयारियों के बारे में बहुत सी अफवाहें चलती रहती हैं। लोगों से अनुरोध है कि प्रामाणिक जानकारियों पर ही विश्वास करें। हम पूरी व्यवस्था कर रहे हैं।