16 प्रस्ताव हुए पारित, अगली कैबिनेट बैठक 6 फरवरी को

सरकार ने राज्य में गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी फिल्म बनाने वालों के लिए सब्सिडी आठ गुना बढ़ा दी है। वहीं, आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में फिल्मों की राज्य में शूटिंग करने वालों की सब्सिडी भी दोगुनी कर दी है। इसके लिए नई फिल्म नीति को धामी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। वहीं, व्यावसायिक वाहनों का टैक्स 10 फीसदी बढ़ाने के प्रस्ताव पर भी कैबिनेट ने मुहर लगा दी है।
शनिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में 18 प्रस्ताव आए, जिनमें से 16 पर मुहर लगी। इसमें प्रमुख तौर पर नई फिल्म नीति के तहत प्रदेश में संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं की फिल्मों की उत्तराखंड में शूटिंग करने वालों की सब्सिडी 1.5 करोड़ से बढ़ाकर तीन करोड़ कर दी गई है। वहीं, गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी में फिल्म बनाने वालों की सब्सिडी 25 लाख से बढ़ाकर दो करोड़ कर दी है। पर्वतीय क्षेत्रों में नई लोकेशन पर शूटिंग करने वालों को पांच प्रतिशत अतिरिक्त और फिल्म में उस लोकेशन का नाम दिखाने पर पांच प्रतिशत और सब्सिडी मिलेगी। खास बात यह भी है कि स्थानीय कलाकारों को फिल्म में मौका देने वालों को 10 लाख रुपये अलग से मिलेंगे।
जो छात्र किसी मान्यता प्राप्त फिल्म प्रशिक्षण संस्थान से पढ़ाई करेंगे, उन्हें सरकार 50 प्रतिशत (जनरल) और 75 प्रतिशत (एससी, एसटी, ओबीसी) को छात्रवृत्ति देगी। पर्वतीय क्षेत्रों में सिनेमाहॉल खोलने वालों को एकमुश्त 25 लाख रुपये की राशि मिलेगी।

व्यावसायिक वाहनों का टैक्स 10 फीसदी बढ़ेगा
प्रदेश में बस, टैक्सी, मैक्सी जैसे व्यावसायिक वाहनों का टैक्स 10 फीसदी बढ़ेगा। कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लग गई है। पूर्व में वाहनों के टैक्स में हर साल पांच फीसदी बढ़ोतरी का निर्णय लिया गया था, लेकिन कोरोना की वजह से वर्ष 2020 से ये बढ़ोतरी नहीं हो पाई है। परिवहन मुख्यालय ने एकमुश्त 10 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव भेजा हुआ था, जिस पर मुहर लग गई। परिवहन विभाग के लिए राजस्व का सबसे बड़ा जरिया वाहनों से मिलने वाला टैक्स ही है। निजी वाहनों से सरकार पंजीकरण के दौरान ही एकमुश्त 15 वर्ष का टैक्स ले लेती है, लेकिन व्यावसायिक वाहनों के साथ ऐसा नहीं है।

ओला-ऊबर संग अब बाइक और तिपहिया भी चलेंगे
कैबिनेट ने उत्तराखंड ऑन डिमांड (सूचना प्रौद्योगिकी आधारित) ठेका गाड़ी द्वारा परिवहन की संशोधित नियमावली (एग्रीगेटर पॉलिसी) पर मुहर लगा दी है। इसके तहत अब ओला, ऊबर के अलावा बस, बाइक, ऑटो भी ऑन डिमांड चलाए जा सकेंगे। खास बात यह है कि ये सभी वाहन किराये में 20 प्रतिशत से अधिक कमीशन नहीं ले पाएंगे, जबकि सीजन में भारी डिमांड के दौरान निर्धारित किराये से 25 प्रतिशत अधिक तक ही वसूल कर सकेंगे। वहीं, किराये का निर्धारण राज्य परिवहन प्राधिकरण से पास दरों के आधार पर ही करना होगा। इस नीति के आने से छोटे स्तर पर भी ओला-ऊबर की तरह ठेका गाड़ी चलाई जा सकेगी।

ये भी हुए निर्णय
स्थानीय फसल प्रोत्साहन कार्यक्रम के अंतर्गत क्लस्टर में समूहों के माध्यम से परंपरागत फसलों के सत्यापित बीज का उत्पादन एवं वितरण किया जा सकेगा।
उत्तराखंड घुड़सवार पुलिस सेवा संशोधन नियमावली 2024 को मंजूरी।
उत्तराखंड अधीनस्थ सिविल न्यायालय लिपिक वर्गीय सेवा नियमावली 2007 में संशोधन को मंजूरी।
चंपावत की तहसील पाटी को नगर पंचायत बनाने पर मुहर।
नगर पालिका खटीमा के सीमा विस्तार को मंजूरी।
ग्रामीण पेयजल योजना संचालन एवं रख रखाव नियमावली 2024 को मंजूरी।
मंडी परिषद की निर्धारित लागत सीमा में बढ़ोतरी को मंजूरी।
सहसपुर स्किल हब में पांच सेक्टर की ट्रेनिंग को मंजूरी। बाजपुर आईटीआई को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जाएगा।
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग का 22वां प्रत्यावेदन सदन में रखने को मंजूरी।
उत्तरखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के 2018-19 से 2022-23 तक के प्रत्यावेदन सदन में रखने को मंजूरी।

यूसीसी का प्रस्ताव छह की कैबिनेट में
समान नागरिक संहिता को लेकर कैबिनेट में कोई चर्चा नहीं हुई। संभावना है कि इसका प्रस्ताव छह फरवरी को सुबह होने वाली कैबिनेट बैठक में लाया जाएगा। उसी दिन यूसीसी अधिनियम विधानसभा में पेश होगा।

मुख्यमंत्री ने की प्रतिवर्ष उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान प्रदान करने घोषणा की

वर्ष 2014 के बाद बुधवार को सचिवालय में पहली बार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में उत्तराखण्ड भाषा संस्थान की बैठक हुई। संस्थान की प्रबन्ध कार्यकारिणी एवं साधारण सभा की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वर्ष 2023-24 में राज्य सरकार की ओर से प्रथम बार लोक भाषाओं व लोक साहित्य में कुमाउनी, गढ़वाली, अन्य उत्तराखण्ड की बोलियों व उपबोलियों, पंजाबी एवं उर्दू में दीर्घकालीन उत्कृष्ट साहित्य सृजन व अनवरत साहित्य सेवा तथा हिन्दी में उत्कृष्ट महाकाव्य/खण्डकाव्य रचना, काव्य रचना कथा साहित्य व अन्य गद्य विधाओं के लिए प्रतिवर्ष उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान प्रदान करने की घोषणा की। इसके साथ ही गढ़वाली, कुमाउनी व जौनसारी तीन लोक भाषाओं तथा हिन्दी भाषा में 4 नवोदित उदयीमान लेखकों को प्रतिवर्ष सम्मानित किया जाएगा। आगामी मई माह में भव्य समारोह आयोजित कर उत्कृष्ट साहित्यकारों को उक्त पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड के ऐसे रचनाकारों, जो अर्थाभाव के कारण अपनी पुस्तकों का प्रकाशन नहीं करा पाते हैं, उन्हें उत्तराखण्ड भाषा संस्थान द्वारा आर्थिक सहायता के रूप में आंशिक अनुदान दिए जाने के प्रस्ताव पर भी स्वीकृति दी। मुख्यमंत्री ने राज्य के प्रत्येक जनपद में राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय भाषा सम्मेलन आयोजन करने के निर्देश भी दिए। यह भाषा संस्थान की एक बहुआयामी योजना होगी जिसमें शोध पत्रों का वाचन, भाषा संबंधी विचार विनिमय, साहित्यिक शोभायात्रा, लोक भाषा सम्मेलन आदि कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के प्रत्येक जनपद के 01 प्राथमिक विद्यालय में डिजिटल/ई पुस्तकालय स्थापित करने के भी निर्देश दिए। बैठक में राज्य में नेशनल बुक ट्रस्ट के साथ मिलकर पुस्तक मेले का आयोजन तथा पुस्तक मेले में साहित्यिक संगोष्ठियों के आयोजन पर भी स्वीकृति दी गई। इसके साथ ही राज्यभर में सुविख्यात लेखकों की व्यखानमालाएं आयोजित की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी लोक भाषाएं एवं बोलियां हमारी पहचान और गौरव है। राज्य सरकार स्थानीय भाषाओं, बोलियों व संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए निरन्तर प्रयासरत है।
बैठक में उत्तराखण्ड भाषा संस्थान द्वारा साहित्यिक एवं शोध पत्रिकाओं के प्रकाशन पर भी सहमति बनी। इसके साथ ही लोक भाषाओं के मानकीकरण हेतु कार्यशालाओं व प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन हेतु भी स्वीकृति दी गई। सम्बन्धित अधिकारियों ने कहा कि उत्तराखण्ड में विभिन्न क्षेत्रों में गढ़वाली, कुमाउनी व जौनसारी बोलियों को बोलने वाले व लिखने वाले अलग-अलग हैं, जिनके लेखन में शब्दों का औच्चारणिक विभेद है। गढ़वाली एवं कुमाउनी बोली भाषा के औच्चारणिक एवं वर्तनी के मानकीकरण की अत्यंत आवश्यकता है। यह शिविर गढ़वाल एवं कुमाउं मण्डल में आयोजित किए जाएंगे। उत्तराखण्ड भाषा संस्थान द्वारा उत्तराखण्ड में जनपद तथा राज्य स्तरीय भाषायी प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी।
बैठक में भाषामंत्री सुबोध उनियाल, सचिव विनोद प्रसाद रतूड़ी, अपर सचिव एवं निदेशक उत्तराखण्ड भाषा संस्थान स्वाति भदौरिया, सदस्य डा0 सुलेखा डंगवाल, प्रो0 दिनेश चन्द्र शास्त्री, डॉ सुधा पाण्डेय, डॉ हरिसुमन बिष्ट, प्रो. देव पोखरिया एवं अन्य सदस्य मौजूद रहे।

नीति के प्रस्तावित ड्राफ्ट पर लोगों से मांगे गए हैं सुझाव, जानिए सरकार की ये खास पहल

उत्तराखंड को फिल्म शूटिंग डेस्टिनेशन बनाने के लिए नई फिल्म नीति-2022 में सरकार कई प्रोत्साहन व वित्तीय सहायता देने जा रही है। नीति के प्रस्तावित ड्राफ्ट पर लोगों से सुझाव मांगे गए हैं। नीति में फिल्मों की शूटिंग के लिए सिंगल विंडो सिस्टम को लागू किया जाएगा। इसके अलावा राज्य की गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी बोलियों में बनने वाली फिल्मों पर 40 प्रतिशत अनुदान या अधिकतम दो करोड़ का अनुदान दिया जाएगा।

उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद के नोडल अधिकारी नितिन उपाध्याय ने बताया कि उत्तराखंड फिल्म नीति-2022 का ड्राफ्ट लोगों के सुझाव के लिए विभागीय वेबसाइट http://www.uttarainformation.gov.in पर प्रकाशित किया गया।
उक्त प्रस्तावित फिल्म नीति-2022 पर यदि अभी भी कोई व्यक्ति सुझाव देने के इच्छुक हो तो दिनांक 15 सितम्बर, 2022 तक विभागीय Email- ufdc2015@gmail.com पर प्रेषित कर सकते हैं। 15 सितम्बर, 2022 तक प्राप्त सुझावों पर विचार करते हुए फिल्म नीति के ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने की कार्यवाही की जायेगी।

उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद के नोडल अधिकारी नितिन उपाध्याय ने बताया राज्य के नैसर्गिक सौंदर्य व लोक संस्कृति को विश्व पटल पर लाने के उद्देश्य से देश-विदेश से फिल्म निर्माताओं व निदेशक को शूटिंग के लिए नई नीति में प्रोत्साहन व वित्तीय लाभ देने का प्रावधान किया जा रहा है। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार व पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। नीति में फिल्मों को अनुदान, फिल्म पुरस्कार-सम्मान, उत्तराखंड की बोलियों में बनने वाली फिल्मों एवं कलाकारों को प्रोत्साहन के अलावा शूटिंग की अनुमति के लिए सिंगल विंडो सिस्टम की व्यवस्था की जा रही है।

सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग, उत्तराखण्ड के अधीन गठित उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद द्वारा ‘‘उत्तराखण्ड फिल्म नीति-2022’’ का ड्राफ्ट तैयार कर लोगों के सुझाव प्राप्त करने हेतु दिनांक 20 जुलाई, 2022 का विभागीय वैबसाईट लिंकः
http:// www.uttarainformation.gov.in/images/download/filmpolicydraft2022.pdf पर अपलोड किया गया था। उक्त के क्रम में फिल्म पॉलिसी को लेकर कतिपय व्यक्तियों एवं संस्थाओं के सुझाव प्राप्त हुए है।

नीति में ये मिलेंगे लाभ
– पर्वतीय क्षेत्रों में सिनेमाघरों व स्टूडियो में उपकरण खरीदने पर 25 प्रतिशत या अधिकतम 25 लाख का अनुदान।
– पर्वतीय क्षेत्रों में मोबाइल थियेटर वाहन खरीदने पर 15 लाख का अनुदान।
– फिल्म प्रशिक्षण संस्थान के लिए 25 प्रतिशत या अधिकतम 50 लाख का अनुदान।
– स्थानीय बोली में बनने वाली फिल्मों की शूटिंग के दौरान किए गए व्यय पर 40 प्रतिशत अनुदान।
– स्थानीय व हिंदी में सर्वोत्तम फिल्म को 10 लाख का पुरस्कार
– शूटिंग के दौरान फिल्म यूनिटों को जीएमवीएन व केएमवीएन के रेस्ट हाउस में ठहरने पर 50 प्रतिशत छूट दी जाएगी।

डिजिटल माध्यम की बढ़ती ताकत को समझना जरूरीः स्मृति ईरानी

केंद्रीय मंत्री महिला एवं बाल विकास, स्मृति जुबिन ईरानी ने कंटेंट क्रियेशन पर सर्वाधिक बल देते हुए कहा कि जितनी तेजी से विश्व में कंटेंट क्रियेशन बदल रहा है उतना ही प्रगतिशील हमारा सिस्टम भी होना चाहिए। प्रदेश में एक कंटेंट क्रियेशन वर्किंग ग्रुप स्थापित किया जाए। प्रोडक्शन फेसिलिटेशन इसके समन्वय में काम करे। डिजिटल माध्यम की बढ़ती ताकत का उपयोग करने के लिए भी पुख्ता व्यवस्था हो। स्थानीय भाषाओं पर भी फोकस किया जाए।
कंटेंट क्रियेशन वर्किंग ग्रुप स्थापित हो
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि फिल्म शूटिंग के लिए अन्य सुविधाओं के साथ-साथ कंटेंट क्रियेशन पर भी ध्यान दिए जाने की जरूरत है। इसके लिए प्रदेश में एक कंटेंट क्रियेशन वर्किंग ग्रुप स्थापित करना होगा। इस ग्रुप के समन्वय में प्रोडक्शन फेसिलिटेशन किया जाए। यह वर्किंग ग्रुप हमारी भाषायी ताकत को मजबूत करने का भी काम करेगा। केवल बॉलीवुड तक सीमित न रहकर बहुभाषायी कंटेंट क्रियेटर की व्यवस्था हो।
डिजिटल क्रांति के लिए हो पुख्ता तैयारी
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कंटेंट क्रियेशन में बहुआयामी प्लेटफार्म को समझना होगा। फिल्म व टेलिविजन के साथ डिजिटल क्रांति के लिए भी तैयारियां पुख्ता होनी चाहिए। आने वाले समय में डिजिटल मीडिया सबसे सशक्त माध्यम बनने जा रहा है।
स्थानीय भाषाओं पर भी हो फोकस
स्थानीय भाषाओं में भी कंटेंट क्रियेशन पर फोकस करना होगा। बडे निर्माताओं और स्थानीय कंटेंट क्रियेटर के बीच सेतु स्थापित किया जाए। प्रादेशिक भाषाओं में भी तकनीकी को मजबूत करना होगा। एकेडेमिक्स ऑफ फिल्म मेकिंग एंड प्रोडक्शन मैनेजमेंट स्किल्स पर भी ध्यान दिया जाए। हाईस्कूल से ही इसकी शिक्षा की व्यवस्था हो।
उत्तराखण्ड के इतिहास व संस्कृति का हो अभिलेखीकरण और डिजिटलीकरण
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड का इतिहास और संस्कृति बहुत समृद्ध है। पूरे विश्व से इसका परिचय कराए जाने की आवश्यकता है। इसके लिए राज्य के इतिहास व संस्कृति का अभिलेखीकरण व डिजीटलीकरण कर डिजिटल मीडिया के माध्यम से सम्पूर्ण विश्व तक पहुंच स्थापित करनी होगी।

विशेषज्ञों के सुझावों पर अमल करेगी राज्य सरकार: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य में फिल्म, टीवी सीरियल आदि की शूटिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार फिल्मकारों व इस क्षेत्र के विशेषज्ञों के सुझावों को अमल में लाएगी। गत वर्ष इन्वेस्टर्स समिट के समय जो भी सुझाव मिले थे उन्हें समाहित करते हुए राज्य की फिल्म नीति बनाई गई। इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले हैं। बड़ी संख्या में यहां फिल्मों व टीवी सीरियलों की शूटिंग हुई है। दक्षिण भारत की भी बहुत सी नामी फिल्मी हस्तियां यहां आई हैं।
राज्य में है फिल्म शूटिंग के अनुकूल माहौल
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड को प्रकृति से सुन्दरता का वरदान प्राप्त है। यहां जैसी लोकेशन कहीं और शायद ही हो। हमारे यहां प्रभावी सिंगल विंडों सिस्टम लागू किया गया है जहां से औसतन 3-4 दिनों में सभी तरह की क्लियरेंस दे दी जाती हैं। यहां शूटिंग कर चुके फिल्मकार भी इस बात की प्रशंसा करते हैं कि उत्तराखण्ड में फिल्म शूटिंग के समय स्थानीय लोगों द्वारा किसी प्रकार का व्यवधान नहीं किया जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में फिल्म निर्माण से संबंधित संस्थाएं स्थापित की जा सकती हैं। इसमें सहयोग देने के लिए राज्य सरकार तत्पर है।
पैनल डिस्कशन में फिल्म नीति पर की गई चर्चा
कान्क्लेव में चार सत्र आयोजित किए गए जिनमें उत्तराखण्ड की फिल्म नीति और राज्य में फिल्म शूटिंग को बढ़ावा देने पर चर्चा के साथ ही राज्य में शूटिंग कर चुके फिल्मकारों का फीडबैक भी लिया गया।
प्रसिद्ध फिल्मी हस्तियों ने किया प्रतिभाग
मसूरी में आयोजित फिल्म कान्क्लेव में फिल्म जगत से जुड़ी नामचीन हस्तियों ने प्रतिभाग किया। इनमें विशाल भारद्वाज, तिग्मांशु धूलिया, मुजफ्फर अली, जैकी भगवानी, नारायण सिंह, अजय अरोड़ा, तरूण आदर्श, कविता चैधरी, भरत बाला आदि ने प्रतिभाग किया।