ईमानदारी-महिला बैंक कर्मी की अगुंठी लौटाई

बदलते दौर में ईमानदारी की मिसाल कम ही देखने को मिलती है। लेकिन इसका मतलब यह नही कि ईमानदारी बिल्कुल खत्म ही हो चकी है। समाज में ऐसे लोग है जो अपने कर्तव्यों का सही पालन कर रहे है। इन्ही की बदौलत ईमानदारी आज भी जिन्दा है।
एक महिला बैंक कर्मी देहरादून से रोज ऋषिकेश विश्वनाथ बस सेवा के माध्यम से अपडाउन करती है। रोजमर्रो की जिन्दगी में उनकी अगुंठी कब उंगली से निकलकर बस कहीं गिर गई उन्हें पता ही नही चला। ऐसे में जब उन्हें इसका अहसास हुआ तो वह बहुत परेशान हो गई। उन्होंने इसकी सूचना घर वालों को भी दी। ऐसे में कई जगह ढ़ूढ़ंने के बाद भी उन्हें नही मिली तो उन्होंने थक हारकर बस सेवा कों सपंर्क कर अगुंठी खोने की बात कही।
वहीं, उससे पहले ही बस आपरेटर ने बस में अगुंठी मिलते ही इसे संभाल लिया कि जिस भी यात्री की यह अगुंठी होगी संपर्क करने पर वह दे देंगे। क्यो कि वह इतने यात्रियों की पहचान नही कर सकते है। फिर क्या था था, महिला की आपबीती बताने और पहचान बताने पर अगले दिन महिला बैंक कर्मी की अंगूठी वापिस लौटाई गई। अगुंठी मिलने पर महिला की खुशी का कोई ठिकाना नही रहा और उन्होंने विश्वनाथ बस सेवा के अध्यक्ष कुंवर सिंह नेगी और बस स्टाफ का धन्यवाद दिया।