तो सरकार ने भी माना अचानक बढ़े चारधाम यात्रा के श्रद्धालु, व्यवस्थाओं की भी दी जानकारी

रविवार को देहरादून स्थित सचिवालय, मीडिया सेंटर में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, डीजीपी अशोक कुमार, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर, स्वास्थ्य सचिव राधिका झा, प्रो. हेम चंद्र पांडे (कुलपति, एच.एन.बी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय), महानिदेशक सूचना रणबीर सिंह चौहान द्वारा चार धाम से संबंधित जानकारियों को अवगत करवाने हेतु संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई।
इस दौरान अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि अन्य सालों के मुकाबले इस साल भारी संख्या में यात्री एवं श्रद्धालु चार धाम यात्रा पर आ रहे हैं। उन्होंने चार धाम यात्रा को राज्य के विकास हेतु अति महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यात्रियों को स्वास्थ्य सुरक्षा पेयजल ठहरने जैसी तमाम सुविधाएं मिले इसके लिए सभी विभाग आपस में समन्वय के साथ कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया उत्तराखण्ड सरकार के सभी विभाग यथा पर्यटन (नोडल विभाग), धर्मस्व, चिकित्सा, परिवहन, नागरिक उड्डयन एवं जिला प्रशासन आदि द्वारा यात्रा को सुचारू एवं सुरक्षित बनाने हेतु सभी प्रकार की व्यवस्थाएँ की गयी है।
डीजीपी अशोक कुमार ने बताया की दिनांक 4.06.2022 तक चारधाम यात्रा में आये यात्रियों की संख्या लगभग 1611598 है। उन्होंने बताया दिनांक 04.06.2022 तक चारधाम यात्रा में आये वाहनों की संख्या-154983 रही। उन्होने बताया पुलिस द्वारा यात्रा के दौरान बिछडे 920 यात्रियों को उनके साथ आये श्रद्धालुओं से मिलाया गया, यात्रा के दौरान 300 यात्रियों को रेस्क्यू कर उनका जीवन बचाया गया, 80 यात्रियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया एवं 54 घायलों की मदद की गयी, 130 यात्रियों के गुम हुये सामान को वापस कराया गया। उन्होंने बताया चारधाम यात्रा में लगभग 4500 पुलिस बल, 06 कम्पनी, एसडीआरएफ 25 सब टीम, एलआईयू 70, होमगार्ड 700, पीआरडी 600, एनडीआरएफ 02 टीम नियुक्त किया गया है। यात्रा सीजन हेतु अतिरिक्त 47 पोस्ट/चौकियां स्थापित की गयी हैं। यात्रा मार्गों पर 57 टूरिस्ट पुलिस केन्द्र स्थापित किये गये हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान तक हैली ऑनलाइन बुकिंग फर्जीवाडा एवं फर्जी रजिस्ट्रेशन के सम्बंध में 16 अभियोग पंजीकृत कर 20 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया। चारधाम यात्रा एवं विभिन्न धार्मिक/पर्यटक स्थलों पर मिशन मर्यादा अभियान के दौरान लगभग 20000 लोगों के विरूद्ध कार्यवाही की गयी। उन्होंने बताया बढते यातायात के दृष्टिगत कई स्थानों पर वन-वे ट्रैफिक प्लान बनाया गया है। रुद्रप्रयाग जनपद में यात्रियों की सुविधा हेतु 04 सुपर जोन, 10 जोन एवं 26 सेक्टर में विभाजित कर श्री केदारनाथ में एक पुलिस उपाधीक्षक एवं एक अपर पुलिस अधीक्षक को गौरीकुण्ड में नियुक्त कर सुदृढ पुलिस प्रबंध किये गये हैं। साथ ही धामों में श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु पर्याप्त संख्या में बैरिकेडिंग, रस्से व्यवस्थाओं के साथ साथ पंक्तिबद्ध दर्शन कराये जा रहे हैं। राज्य के धामों में वीआईपी गेट की पूर्व प्रचलित व्यवस्था को समाप्त किया गया है।
स्वास्थ्य सचिव राधिका झा ने स्वास्थ्य विभाग द्वारा चार धाम हेतु की गई तैयारियां के बारे में अवगत करवाया। कहा कि चिकित्सा विभाग द्वारा सुरक्षित यात्रा के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं की गई है जो 2019 की तुलना में कहीं अधिक है और अनेक नये प्रयास भी किए गए हैं। चिकित्सा कर्मियों की तैनाती में बढ़ोतरी करते हुए 178 चिकित्साधिकारी तैनात किये गए हैं, जो वर्ष 2019 की तुलना में 66 प्रतिशत अधिक है। फर्स्ट मेडिकल रिस्पांडर एवं मेडिकल रिलीफ पोस्ट की संख्या में भी वृद्धि की गई है। एंबुलेंस की संख्या में भी गत वर्षों की तुलना में 33 प्रतिशत वृद्धि करते हुए यात्रा मार्ग पर 119 एम्बुलेंस तैनात की गई है। यात्रियों को त्वरित चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए पहली बार हेली एम्बूलेंस सेवाएं दी जा रही है, इसके अतिरिक्त सभी चिकित्सा इकाइयों पर ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति रखी गयी है। 2019 की तुलना में 108 एम्बूलेंस द्वारा दी गयी सेवाओं में 173 प्रतिशत की बढ़ोतरी भी दर्ज की गयी है। उन्होंने बताया हृदय रोगियों के समुचित उपचार हेतु पहली बार विशेषज्ञ चिकित्सकों को ब्ंतकपवसवहल में प्रशिक्षण देकर यात्रा मार्ग पर स्थित प्रमुख चिकित्सालयों में तैनात किया गया है। यात्रा में तैनात चिकित्सकों को एम्स ऋषिकेश के माध्यम से हाई एल्टीट्यूड सिकनेस के उपचार हेतु प्रशिक्षण भी पहली बार दिया गया है। यात्रियों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए हाल ही में एम०बी०बी०एस० उत्तीर्ण 75 बांडधारी चिकित्सकों की तैनाती अगले 3 माह के लिए यात्रा से संबंधित अस्पतालों/जनपदों में की गई है। उन्होंने कहा कि चारों धाम उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित है जिसमें क्रमशः- केदारनाथ धाम की औसत ऊंचाई 3580 मी0, बद्रीनाथ 3415मी0, यमुनोत्री 3235मी0 तथा गंगोत्री 3415मी० समुद्रतल से ऊंचाई पर स्थित है। बिना किसी विराम के मैदानी क्षेत्रों से आये हुए यात्रियों को उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित धामों पर जाने में प्रतिकूल स्वास्थ्य स्थितियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें सांस फूलना, ठण्ड लगना एवं हृदयाघात जैसी स्थितियां प्रमुख है। इसके अलावा यह भी देखा गया है कि यात्रियों को पर्वतीय मौसम एवं वातावरण के प्रति अभ्यस्त होने में भी समय लगता है। इन सभी कारणों के फलस्वरूप हर वर्ष ही दुर्भाग्यपूर्ण रूप से हृदय गति रुकने से मृत्यु होती आयी है जैसे वर्ष 2017 में भी 112 यात्रियों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हुई थी।
स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि राज्य में पहली बार यात्रा मार्गों पर हेल्थ स्क्रीनिंग की व्यवस्थाएं की गई हैं जिसमें 9 प्रमुख स्थानों क्रमश- बद्रीनाथ के लिए गौचर एवं पाण्डुकेश्वर, केदारनाथ के लिए सोनप्रयाग, जवारी बॉयपास एवं कुण्डपुल तथा यमुनोत्री के लिए दोबाटा, जानकी चट्टी एवं गंगोत्री के लिए हिना एवं गंगोत्री में हेल्थ स्क्रीनिंग की जा रही है। हैल्थ स्क्रीनिंग में ऐसे यात्रियों को आगे की यात्रा से रोका जा रहा है, जिनकी स्वास्थ्य स्थिति यात्रा के अनुकूल नहीं है। अभी तक 87 यात्रियों को स्क्रीनिंग उपरान्त वापस लौटाया गया है। उन्होने बताया यद्यपि यात्रियों की अत्यधिक संख्या को देखते हुए सभी की हेल्थ स्क्रीनिंग किया जाना। सहज नहीं हो पा रहा है तथापि चिकित्सा विभाग द्वारा 50 वर्ष से अधिक आयु के सभी यात्रियों की स्क्रीनिंग की जा रही है। बहुत से उत्साही यात्री चिकित्सकीय परामर्श के उपरान्त भी अंडरटेकिंग देकर यात्रा जारी रख रहे हैं। उन्होंने बताया की वर्तमान तक दो लाख से ऊपर रोगियों की हेल्थ स्क्रीनिंग की गई है, 71,646 यात्री ओपीडी में देखे गए हैं एवं 381 रोगियों को एंबुलेंस सेवा प्रदान की गई है तथा 5000 से अधिक यात्रियों को आपातकालीन सेवाएं भी प्रदान की गयी है। हेलीकॉप्टर एंबुलेंस का उपयोग 30 रोगियों को एम्स ऋषिकेश लाकर सफलतापूर्वक उपचार कराया गया है।
सरकार द्वारा कुलपति चिकित्सा विश्वविद्यालय की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञ समिति द्वारा इन मृत्यु के कारणों का विश्लेषण किया गया है। विश्लेषण अनुसार कोविड महामारी के दूरगामी प्रभाव के कारण मैदानी क्षेत्रों से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में यात्रा करने का जोखिम अत्यधिक बढ़ गया है। उन्होंने बताया विशेषज्ञ समिति द्वारा यह मंतव्य देते हुए सुझाव दिये गये हैं कि बुजुर्ग एवं अन्य बीमारियों से ग्रसित यात्रियों का पूर्व स्वास्थ्य परीक्षण आवश्यक है और सभी यात्रियों को मेडिकल एडवाइजरी का अनुपालन करते हुए ही यात्रा पर आना चाहिए क्योंकि अभी तक हुई मृत्यु में 60 प्रतिशत से अधिक लोग को-मोरबीडीटी से ग्रसित थे एवं 60 प्रतिशत लोग 50 वर्ष से अधिक की आयु के थे। उन्होंने कहा विभिन्न वैज्ञानिक शोध के अनुसार कोविड महामारी के प्रतिकूल प्रभाव अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाने पर और अधिक देखे गये हैं। विशेषज्ञ समिति ने दिनांक 5.06.2022 को दिये गये सुझावों में कहा गया है कि बुजुर्ग, कोविड प्रभावित तथा अन्य रोगों से ग्रसित यात्री स्वास्थ्य परीक्षण एवं चिकित्सकीय परामर्श उपरान्त ही यात्रा पर आएं. यात्रा के दौरान 48 घण्टे तक स्थान विशेष के अनुसार ढलने के उपरान्त तथा तत्समय की स्वास्थ्य स्थितियों को देखते हुए सतर्कता से यात्रा करें।
पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि वर्ष 2019 में रिकॉर्ड 34 लाख यात्री उत्तराखंड की चार धाम यात्रा पर आए थे, परंतु वर्ष 2022 में मात्र 1 माह में यह संख्या 16 लाख तक पहुंच चुकी है जो कि चार धाम यात्रा की व्यापक लोकप्रियता और उत्तराखंड के प्रति देशभर में लोगों के बढ़ते आकर्षण का प्रतीक है। केदारनाथ धाम में भी वर्ष 2019 में रिकॉर्ड 10 लाख लोग दर्शन के लिए पहुंचे थे जबकि वर्ष 2022 में मात्र 1 माह की अवधि के भीतर 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं द्वारा केदारनाथ धाम के दर्शन किए गए हैं। उन्होंने कहा पर्यटन विभाग द्वारा पहली बार यात्रियों की सुरक्षा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की गई है ताकि किसी दिन विशेष पर धामों की धारण क्षमता के अनुरूप लोग वहां पहुंच सके और यात्रा प्रबंधन को बेहतर किया जा सके। पंजीकरण का उद्देश्य यात्रा मार्ग पर उपलब्ध सुविधाओं के अनुरूप संख्या में श्रद्धालुओं को धामों पर जाने के लिए पंजीकृत करना है जिससे कि उनकी यात्रा सुखद एवं सुरक्षित हो सके।
पर्यटन सचिव ने बताया कि यात्रियों की सुविधा के लिए पर्यटन विभाग द्वारा पहली बार एक टोल फ्री कॉल सेंटर का संचालन किया जा रहा है। जिसमें एक समय पर 6 लोगों को एक साथ यात्रा के संबंध में विविध जानकारियां दी जाती हैं और किसी प्रकार की समस्या की स्थिति में उसे संबंधित विभाग को सौंप दिया जाता है। कॉल सेंटर में अब तक लगभग 12500 से अधिक कॉल रिसीव हो चुके हैं इस प्रकार प्रतिदिन लगभग 400 लोगों द्वारा कॉल सेंटर पर कॉल करके चार धाम यात्रा के संबंध में विभिन्न प्रकार की जानकारियां प्राप्त की जा रही हैं। उन्होंने कहा ऋषिकेश तथा हरिद्वार में बिना रजिस्ट्रेशन के ही यात्रा के लिए आ चुके लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए एसडीआरएफ तथा पर्यटन विभाग द्वारा फिजिकल रजिस्ट्रेशन केंद्रों के माध्यम से इन यात्रियों का पंजीकरण किया जा रहा है। प्रतिदिन औसतन पांच से छह हजार ऐसे श्रद्धालुओं को धामों के लिए पंजीकृत करते हुए यात्रा पर भेजा जा रहा है। ऋषिकेश में आईएसबीटी ऋषिकेश हरिद्वार में चमगादड़ टापू पर फिजिकल रजिस्ट्रेशन काउंटर संचालित किए जा रहे हैं। राज्य भर में कुल 18 फिजिकल पंजीकरण केंद्र बनाए गए हैं। रजिस्ट्रेशन काउंटर तथा मंदिरों में दर्शन हेतु कतार प्रबंधन के लिए टोकन सिस्टम की व्यवस्था की गई है।
उन्होंने बताया कि पहली बार यात्रा मार्ग पर निरंतर निगरानी बनाए रखने के लिए सर्विलांस कैमरा स्थापित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त धामों पर यात्रियों की संख्या का सटीक आकलन करने के लिए हेडकाउंट कैमरा स्थापित किए गए हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से यात्रियों को यात्रा पंजीकरण, हेल्थ एडवाइजरी तथा मौसम की अद्यतन जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। ताकि वह यात्रा के पूर्व इन जानकारियों के आधार पर अपनी योजना बना सकें। यात्रा पर जाने वाले प्रत्येक वाहन का पंजीकरण अनिवार्य है निजी वाहनों का पंजीकरण रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर स्वयं का रजिस्ट्रेशन करते समय ही हो जाता है।सुलभ इंटरनेशनल संस्था के माध्यम से चारधाम यात्रा मार्ग पर 144 स्थाई शौचालय (1513 सीट) का संचालन एवं रखरखाव किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त सभी जनपदों में आवश्यकतानुसार अस्थाई फ्लेक्सी शौचालय भी स्थापित किए गए हैं।
प्रो. हेम चंद्र पांडे (कुलपति, एच.एन.बी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय) ने बताया कि विभिन्न वैज्ञानिक शोध के अनुसार कोविड महामारी के दूरगामी प्रभाव के कारण मैदानी क्षेत्रों से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में यात्रा करने का जोखिम अत्यधिक बढ़ गया है। उन्होंने कहा हमारे द्वारा सुझाव दिये गये हैं कि बुजुर्ग एवं अन्य बिमारियों से ग्रसित यात्रियों का पूर्व स्वास्थ्य परीक्षण आवश्यक है और सभी यात्रियों को मेडिकल एडवाईजरी का अनुपालन करते हुए ही यात्रा पर आना चाहिए क्योंकि अभी तक हुई मृत्यु में 60 प्रतिशत से अधिक लोग को-मोर्बिडिटी से ग्रसित थे एवं 60 प्रतिशत लोग 50 वर्ष से अधिक की आयु के थे। उन्होंने कहा विभिन्न वैज्ञानिक शोध के अनुसार कोविड महामारी के प्रतिकूल प्रभाव अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाने पर और अधिक देखे गये हैं। उन्होंने कहा कि बुजुर्ग, कोविड प्रभावित तथा अन्य रोगों से ग्रसित यात्री स्वास्थ्य परीक्षण एवं चिकित्सकीय परामर्श उपरान्त ही यात्रा पर आएं. यात्रा के दौरान 24 से 48 घण्टे तक स्थान विशेष के अनुसार ढलने के उपरान्त तथा तत्समय की स्वास्थ्य स्थितियों को देखते हुए सर्तकता से यात्रा करें।

उत्तराखण्ड में भारत नेट फेज 2 को केंद्र से मिली स्वीकृति

भारत नेट फेज-2 परियोजना में राज्य के 12 जनपदों (हरिद्वार जनपद में पूर्व में किया जा चुका है) के 65 ब्लॉक के अंतर्गत 5991 ग्राम पंचायतों में इंटरनेट पहुचाया जाएगा। मीडिया सेंटर, सचिवालय में आयोजित प्रेस वार्ता में यह जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा इसके लिए लगभग 2 हजार करोड़ रूपए की स्वीकृति दी गई है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी व दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद का आभार व्यक्त किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में इंटरनेट पहुचने से विकास के एक नए युग आरंभ होगा व ग्रामीण अंचलों की अर्थ व्यवस्था को गति मिलेगी। केन्द्रीय दूरसंचार मंत्रालय अंतर्गत यूनीवर्सल सर्विसेज ऑबलीगेशन फंड (Universal Services Obligation Fund–USOF) द्वारा यह परियोजना वित्त पोषित है तथा भारत ब्रॉड बैंड नेटवर्क लिमिटेड (BBNL) द्वारा यह परियोजना दो चरणों में क्रियान्वित की जा रही है।

उत्तराखंड राज्य में भारत नेट फेज-1 परियोजना का कार्य भारत ब्रॉड बैंड नेटवर्क लिमिटेड (BBNL) द्वारा स्वयं विभिन्न संस्थाओं जैसे BSNL व अन्य कंपनियों के माध्यम से कराया गया है। प्रथम चरण में 11 जनपदों के 25 ब्लॉक की 1865 ग्राम पंचायतों को जोड़ा जाना था। मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने केन्द्रीय दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद से व्यक्तिगत रूप से भेंट कर उत्तराखंड राज्य के लिए भारत नेट फेज -2 परियोजना परियोजना प्राथमिकता पर स्वीकृत किए जाने का अनुरोध किया था। दूरसंचार मंत्रालय द्वारा उत्तराखंड के लिए भारत नेट 2.0 परियोजना पर स्टेट लेड मॉडल के अन्तर्गत सहमति प्रदान कर दी गई है। राज्य के लिए भारत नेट फेज -2 परियोजना की लागत लगभग रु.2000 करोड़ है, तथा इसका क्रियान्वयन आई0टी0डी0ए0 (Information Technology Development Agency& ITDA ) के द्वारा किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उक्त भारत नेट 2.0 परियोजना की क्रियान्वयन होने से राज्य में ई-गवर्नेस, ई-ऑफिस, ई-डिस्ट्रिक्ट, ई-हेल्थ, टेली मेडिसन, ई-एजुकेशन, ई-बैंकिंग, ई-नाम (eNAM), इन्टरनेट और अन्य सुविधायें राज्य की जनता को प्राप्त होंगी जिससें उन्हें स्वावलम्बी बनने में न केवल सहायता प्राप्त होगी बल्कि स्वरोजगार के कई अवसर भी प्राप्त हो सकेंगे। जैसे ई-हेल्थ के माध्यम से दूरदराज ग्रामों में बैठे हुए प्रदेश की जनता सीधे अस्पतालों से जुड़कर अपना ईलाज करा सकेंगे, विद्यार्थी घर बैठ कर पढाई कर सकत हैं,े बिना बैंक में गये बैंक की सुविधा प्राप्त कर सकते है, किसान भाईयों को फसलों के सम्बन्ध में दवाओं के सम्बन्ध में भण्डारण के सम्बन्ध में तथा फसल मूल्य के सम्बन्ध में भी जानकारी प्राप्त हो सकेंगी। किसान भाई अपनी फसलों एवं कृषि उत्पादों को ई-नाम के माध्यम से अपने गांव से भी ऑनलाइन बेच सकेंगे। छोटे-छोटे व्यवसायी भी अपने व्यवसाय के सम्बन्ध में यथा ई-मार्केटिंग आदि के सम्बन्ध में जानकारी हासिल करते हुए ई-मार्केटिंग कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने विगत 3 वर्षो में उत्तराखण्ड में सूचना प्रौधोगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं। सी0एम0 डेश बोर्ड इसके द्वारा राज्य के प्राथिमिकता के कार्यक्रमों की समीक्षा यथा उनकी वित्तीय एवं भौतिक प्रगति की समीक्षा जनपद स्तर से लेकर मुख्यमंत्री के कार्यालय तक की जाती है। राज्य के पहले स्टेट डाटा सेन्टर का निर्माण किया गया। जिससें सभी विभागों के डाटा को राज्य में संरक्षित किया जा सकता है। ड्रोन के क्षेत्र में भी राज्य में काफी प्रगति की गयी है, प्रत्येक वर्ष यह न केवल दो फेस्टिवल का सफल आयोजन किया जा रहा है वहीं छात्रों आदि को ड्रोन से सम्बन्धित प्रशिक्षण भी दिया जाता है, जिससें वह रोजगार के नये अवसर प्राप्त कर सकते है। प्रदेश में किसी भी प्रदेश सरकार के द्वारा बनाया गया यह पहला ड्रोन सेन्टर है। ड्रोन के माध्यम से आपदा के समय आपदा राहत कार्यो में भी तेजी आयेगी।

स्वान SWAN (State Wide Area Network ) के माध्यम से राज्य मुख्यालय से समस्त जनपदों, तहसीलो एवं ब्लाकों को जोड़ा गया है जिससें विभागीय समीक्षा मुख्यालय ब्लाक या तहसील तक सीधे की जा सकती है। सरकार के द्वारा उक्त सुविधा ग्राम पंचायत स्तर तक किये जाने का लक्ष्य है। वर्तमान में मुख्यालय से लेकर ब्लॉक स्तर तक वीडियों कान्फ्रेंसींग के माध्यम से बैठके आयोजित की जा सकती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कॉमन सर्विस सेन्टर कतिपय महत्तपूर्ण नागरिक सेवायें यथा वित्तीय शिक्षा, स्किल्ड डवलपमेन्ट, स्वास्थ्य, कृषि आदि कॉमन सर्विस सेन्टर के माध्यम से नागरिको दी जा रही है, वर्तमान में लगभग 8350 सी0एस0सी0 केन्द्र संचालित है परन्तु सभी ग्राम पंचायते/ग्रामों डाटा नेटवर्क न होने के कारण यथा हाई स्पीड इन्टर नेट से न जुड़े होने के कारण उक्त सुविधायें त्रुटिहिन तरीके से दिये जाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है, परन्तु भारत नेट 2.0 परियोजना के क्रियान्वयन के उपरान्त उक्त सुविधा प्रदेश के सभी ग्राम पंचायतों/ग्रामों को प्राप्त हो सकेंगी।

ई-कैबिनेट सरकार के द्वारा मंत्री मण्डल की बैठकों को पेपरलेस करते हुए ई-मंत्रिमण्डल सेवा लागू कर दी गयी है। ई-ऑफिस एवं ई-कलेक्ट्रेट सरकार के द्वारा प्रदेश मुख्यालय के सचिवालय के लगभग 20 विभागों के ई-ऑफिस का कार्य प्रारम्भ किया जा चुका है तथा जनपद स्तर तक ई-ऑफिस,ई-कलेक्ट्रेटके क्रियान्वयन को शीघ्र ही लागू किये जाने का निर्णय लिया गया है तथा जनपद देहरादून में इसका शुभारम्भ भी कर लिया गया है , इससे किसी भी व्यक्ति को किसी भी कार्यालय के चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं होगी तथा इसकी भी सुचारू रूप से समीक्षा की जा सकती है, कि किस पटल पर फाईल कितने समय तक लम्बित रही। ई-डिस्ट्रिक्ट के माध्यम से नागरिकों को लगभग 82 सुविधायें प्रदान की जा रही हैं, और शीघ्र ही समस्त नागरिक सुविधायें प्रदान करने का लक्ष्य है। इसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति यथा जाति प्रमाण-पत्र, आय प्रमाण-पत्र, समाज काल्याण के आदि हेतु आवेदन कर सकते है। अब उन्हें इन कार्यो हेतु विभागों के चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि युवाओं को आई0टी0 के क्षेत्र में स्किल्ड किये जाने के सम्बन्ध में अभी दो ग्रोथ सेन्टर देहरादून और पिथौरागढ़ में बनाये गये है तथा इन्हेंं समस्त जनपदों में विकसित किये जाने की योजना है ताकि विधार्थियों को आई0टी0 के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाया जा सकें। जिससे रोजगार के नये अवसर प्राप्त हो सकें। सी0एम0 हेल्पलाईन 1905 उत्तराखंड प्रदेश के वासियों के लिए बहुत ही उपयोगी हेल्पलाइन है जिसके माध्यम से सीमान्त जनपदों एवं दूरदराज के नागरिक भी अपने घर से ही समस्याओं का संतुष्टि पूर्वक समाधान प्राप्त की रहें है, विशेषतः इस कोविड -19 के समय जब प्रदेशवासी विभिन्न समयस्याओं से जूझ रहे थे तब इस सीएम हेल्पलाइन के माध्यम से कुछ ही घन्टों के भीतर उन्हें पूरी तरह सहायता पहुंचायी गयी।

राज्य सरकार के द्वारा ई-गर्वेनेस के अन्तर्गत कई अन्य ऐसे कदम उठाये गये है, जिसका सीधा लाभ जनता को प्राप्त हो रहा है, जैसे कॉमर्सियल टैक्स, लेंड रिकार्ड, पुलिस(सी0सी0टी0एन0एस0), रोड़ ट्रांसपोर्ट, ट्रेजरी कम्प्यूटराइजेशन, पी0डी0एस0, ई-कोर्ट, ई-प्रोक्योरमेन्ट, ई-डिजिटल लॉकर, ई-विधान आदि जैसे डिजिटल लॉकर के माध्यम से जितने भी प्रमाण-पत्र है, वो ईलैक्ट्रोनिक माध्यम से अपने ईलैक्ट्रोनिक डाक्यूमेन्ट अपने मोबाईल मे रख सकता है, जैसे आधार कार्ड,शैक्षिण प्रमाण-पत्र, ड्राईविंग लाईसेंस, आदि। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत नेट 2.0 के माध्यम से दूरदराज के गांव भी डिजिटल गांव बन सकेंगे और उत्तराखण्ड राज्य को पूर्ण रूप से डिजिटल उत्तराखण्ड बनाने का हमारी सरकार का उद्देश्य साकार होगा।