आंगनबाडी व स्कूलों के मिडण्डे मील में भी शामिल होगा मिलेट्स

स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि वर्तमान समय में बेहत्तर स्वास्थ्य के लिये मोटा अनाज को अपने आहार में शामिल करना जरूरी हो गया है। इसके लिये प्रदेश में मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा देना होगा। मोटे अनाजों की बढ़ती मांग से जहां एक ओर नये रोजगार का सृजन होगा वहीं पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन में भी कमी आयेगी। राज्य सरकार शीघ्र ही आंगनबाडी केन्द्रों व स्कूलों के मिडडेमील में भी मोटे अनाजों को शामिल करेगी।

यह बात स्वास्थ्य मंत्री डॉ0 रावत ने खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के तत्वाधान में शीशमबाडी ऋषिकेश में आयोजित आईवाईओएम 2023 ईट राइट मिलेट्स मेला के शुभारम्भ के मौके पर कही। उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 को यूएनओ के आह्वान पर पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। जिसमें भारत की भूमिका अहम है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रस्ताव पर ही यूएनओ ने वर्तमान वर्ष को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया है। उत्तराखंड मोटे अनाजों के उत्पादन का प्रमुख केन्द्र रहा हैए लिहाजा मोटे अनाजों के उत्पादन एवं प्रचार-प्रसार में हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है।
डॉ0 रावत ने कहा कि राज्य सरकार ने हाल ही में मंडवे की खेती को प्रोत्साहन देने के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य रूपये 25 से बढ़ाकर रूपये 35ण्50 कर दिया है। सहकारिता विभाग के अंतर्गत राज्य सहकारी समितियों के माध्यम से प्रदेशभर में सीधे किसानों से मंडवे का क्रय किया जा रहा हैए जोकि किसानों की आय दुगनी कराने में भी सहायक सिद्ध हो रहा है। इसके अलावा झंगोराए चौलाईए चिणाए कुट्टू आदि मोटे अनाजों के पैदावार व प्रचारण्प्रसार पर भी सरकार कृषि विभाग के माध्यम से विशेष प्रोत्साहन दे रही है। उन्होंने मेले में आये विभिन्न होटलए रेस्ट्रो व स्वयं सेवी संगठनों के प्रतिनिधियों से मोटे अनाजों के पकवान को बढ़ावा देने का अह्वान किया तथा उनके द्वारा मौके पर तैयार मोटे अनाजों के विभिन्न व्यंजनों की सराहना की। मेले में विभिन्न स्कूलों से आये छात्रण्छात्राओं द्वारा मोटे अनाजों पर आधारित पेंटिंग्स एवं रंगोली का प्रदर्शन किया गया जिसका स्वास्थ्य मंत्री डॉ0 रावत ने बारीकी से अवलोकन किया तथा छात्र-छात्राओं को बेहतर प्रदर्शन के लिये पुरस्कृत भी किया।
कार्यक्रम में अपर आयुक्त एफडीए अरूणेन्द्र सिंह चौहान ने विभागीय योजनाओं की जानकारी देते हुये बताया कि यह वर्ष का पहला मिलेट्स मेला है जिसको अंतर्राष्ट्रीय कैंडी कम्पनी सेंटर फ्रेश व लेमन ट्री द्वारा प्रायोजित किया गया। उन्होंने मेले में प्रतिभागिता के लिये रोटरी क्लब व प्रायोजक कम्पनी सहित देहरादूनए ऋषिकेश के होटलए रेस्ट्रा प्रतिनिधियों व विभिन्न स्वयं सहायता समूहों तथा एनजीओ का आभार जताया। प्रायोजक कंपनी के प्रतिनिधि प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिये वह आगे भी राज्य सरकार द्वारा आयोजित मेलों में हरसंभव अपना सहयोग प्रदान करते रहेंगे। मिलेट्स मेले में स्थानीय लोगों के साथ ही छात्र-छात्राओं ने मोटे अनाजों से बने विभिन्न पकवानों का जमकर लुत्फ उठाया। कार्यक्रम का संचालन विनय ध्यानी ने किया।

कार्यक्रम में जिलाधिकारी टिहरी सौरभ गहरवार, सीएमओ, पंचायतीराज अधिकारी मुख्य कृषि अधिकारी एआर कॉपरेटिवए उपायुक्त एफडीएए औषधि नियंत्रकए जिला खाद्य अधिकारी बीज बचाओ अंदोलन के प्रणेता विजय जड़धारी सहित विभिन्न स्कूलों के छात्रण्छात्राएं व शिक्षक उपस्थित रहे।

प्रोक्योरमेंट की अनुमति मिलने पर मोटा अनाज उत्पादन करने वाले किसानों को मिलेगा बड़ा लाभ

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारत सरकार द्वारा मोटे अनाज (मण्डुआ) के प्रोक्योरमेंट की अनुमति दिये जाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं भारत सरकार का आभार व्यक्त किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा मोटे अनाज (मण्डुआ) के 0.096 लाख मीट्रिक टन की प्रोक्योरमेंट की अनुमति मिलने से राज्य में मिलेट (मोटा अनाज) उत्पादन करने वाले किसानों को बडा लाभ मिलेगा। मण्डुवा, पौष्टिकता से भरपूर होता है। किसानों से खरीद कर मिड डे मील और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से बच्चों और लोगों को उपलब्ध कराया जा सकेगा। इससे राज्य के किसानों की आय में बढोतरी तो होगी ही साथ ही स्कूलो के बच्चों और ज़रूरतमंदों को पोष्टिक आहार भी मिलेगा।

गौरतलब है कि राज्य सरकार ने इसी महीने भारत सरकार के सार्वजनिक वितरण मंत्रालय को फसल वर्ष 2022-23 के मोटे अनाज के प्रोक्योरमेंट के लिए प्लान प्रेषित किया गया था। भारत सरकार ने उत्तराखण्ड के प्रोक्योरमेंट प्लान को स्वीकार करते हुए मोटे अनाज के 0.096 लाख मीट्रिक टन के प्रोक्योरमेंट की अनुमति दी है। यह प्रोक्योरमेंट भली भांति हो, इसके लिए खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग, मंडी परिषद, सहकारी समितियों, महिला एवं बाल विकास विभाग और शिक्षा विभाग को आपसी समन्वय से काम करने के निर्देश दिये गये हैं। इसमें जिलाधिकारियों की विशेष भूमिका रहेगी। मण्डुवा के प्रोक्योरमेंट की यह अनुमति फसल वर्ष 2022-23 के लिए दी गई है। मण्डुवा का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3574 रुपये प्रति कुंतल निर्धारित है। यह राज्य सरकार द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों के कृषकों की आमदनी बढ़ाने हेतु अभिनव प्रयास सिद्ध होगा। प्रथम चरण में राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में पायलेट योजना के अन्तर्गत जनपद अल्मोड़ा एवं पौड़ी के कृषकों से निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मण्डुवा खरीद योजना लागू की जायेगी। क्रय किये गये मण्डुवा को प्रथम चरण में राज्य के मैदानी जनपद ऊधमसिंहनगर, हरिद्वार एवं देहरादून तथा नैनीताल जनपद के मैदानी क्षेत्रों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तर्गत वितरित किया जायेगा।

इस योजना से उक्त जनपदों के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के लगभग 8 लाख परिवार लाभान्वित होगें जिनको प्रतिमाह / प्रतिकार्ड 01 कि०ग्रा० मण्डुवा निःशुल्क वितरित किया जायेगा। राज्य के पर्वतीय जनपदों में मण्डुवा का क्रय सहकारिता विभाग द्वारा जनपद अल्मोड़ा में संचालित 20 क्रय केन्द्रों एवं जनपद पौड़ी में 11 क्रय केन्द्रों पर क्रय कर खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा इसका वितरण पात्र लाभार्थियों को सुनिश्चित किया जायेगा। प्रथम चरण में 9600 मी०टन मण्डुवा क्रय किये जाने की कार्ययोजना को क्रियान्वित किया जा रहा है। इस योजना के क्रियान्वयन में सरकार पर लगभग 45.00 करोड़ व्ययभार आयेगा।

500 राजकीय विद्यालयों के 35 हजार छात्र-छात्राएं होंगी लाभान्वित

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सुद्धोवाला देहरादून में अक्षय पात्र, फाउण्डेशन, द हंस फाउण्डेशन तथा शिक्षा विभाग के सहयोग से 63वें केन्द्रीयकृत मिड-डे-मील किचन का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विभिन्न स्कूलों के बच्चों को मिड-डे-मील पहुंचाने के लिए वाहनों को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने स्कूल के बच्चों के साथ बैठकर भोजन किया। बच्चों ने इस दौरान अपनी जिज्ञासाओं को पूरी करने के लिए मुख्यमंत्री से सवाल पूछे। मुख्यमंत्री ने बच्चों की सभी जिज्ञासाओं को पूरा किया। केन्द्रीयकृत किचन के शुभारंभ के अवसर पर मुख्यमंत्री ने एक छोटी बच्ची को गोद में लेकर दुलार किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार, अक्षय पात्र फाउण्डेशन एवं हंस फाउण्डेशन के सामूहिक प्रयासों से बच्चों को उच्च गुणवत्तायुक्त एवं पौष्टिक भोजन की शुरुआत हुई है। अभी इस मिड-डे-मील की शुरुआत 120 स्कूलों के 15 हजार से अधिक बच्चों के लिए की गई है। आने वाले समय में इसे 500 से अधिक स्कूलों के 35 हजार से अधिक बच्चों के लिए केन्द्रीयकृत किचन के माध्यम से भोजन की व्यवस्था की जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चे देश का भविष्य हैं। बच्चों का जीवन स्वस्थ हो और उन्हें उचित पोषण मिले इसके लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हंस फाउण्डेशन द्वारा स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया जा रहा है। कोरोना काल में प्रदेश में जरूरतमंदों को हर संभव मदद हंस फाउण्डेशन द्वारा दी गई, जिसके लिए मुख्यमंत्री ने हंस फाउण्डेशन के प्रणेता श्री भोले जी महाराज एवं मंगला जी माता का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अक्षयपात्र फाउण्डेशन ने भी देवभूमि में सेवा भाव के कार्यों का शुभारम्भ किया है, जिसके लिए उन्होंने अक्षयपात्र फाउण्डेशन के पदाधिकारियों का आभार व्यक्त किया।
शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि अक्षय पात्र, फाउण्डेशन, द हंस फाउण्डेशन तथा शिक्षा विभाग के सहयोग से जो केन्द्रीयकृत किचन का शुभारम्भ किया गया है। प्रधानमंत्री पोषण कार्यक्रम के तहत स्कूली बच्चों को स्वादिष्ट व पौष्टिक भोजन परोसा जायेगा। राज्य में पांच लाख से अधिक बच्चों को सरकार द्वारा मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराया जाता है। डॉ. रावत ने कहा कि हंस फाउंडेशन एवं अक्षय पात्र फाउंडेशन के संयुक्त प्रयासों से आज राज्य में दूसरी एकीकृत रसोई की शुरुआत की गई है, इससे पहले गदरपुर में एकीकृत रसोई का संचालन शुरू कर दिया गया है। राज्य सरकार एक से लेकर बारहवीं कक्षा तक के बच्चों को निःशुल्क किताब, बस्ता, उपलब्ध करा रही है। इसके साथ ही स्कूलों में हर प्रकार की व्यवस्था कर रही है ताकि बच्चों को पठन-पाठन में कोई परेशानी न हो। डॉ. रावत ने बताया कि एक माह में 22 लाख बच्चों को निःशुल्क दवा उपलब्ध की गई। स्कूल खुलने पर बच्चों का निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण किया जायेगा साथ ही उन्हें मुफ्त दवा भी दी जायेगी।
कार्यक्रम हंस फाउण्डेशन की संस्थापक भोले महाराज, माता मंगला, अक्षय पात्र फाउंडेशन के वाइस चेयरमैन चंचलापति दास, विधायक एवं पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डे, विधायक सहदेव पुण्डीर, मुन्ना सिंह चौहान, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, शिक्षा महानिदेशक वंशीधर तिवारी एवं शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।

मिड डे मिल का नाम अब पीएम पोषण, केन्द्र सरकार 1.30 लाख करोड़ करेगी खर्च

स्कूली बच्चों को पर्याप्त पोषण मुहैया कराने में जुटी केंद्र सरकार ने आज एक बड़ा फैसला लिया। इसके तहत स्कूली बच्चों से जुड़ी करीब 26 साल पुरानी मिड-डे मील स्कीम के नाम को बदलकर पीएम पोषण (प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण) करने का एलान किया गया है। इसका मतलब है कि केन्द्र सरकार अब भोजन देने के साथ ही बच्चों को सेहतमंद भी बनाएगी। पूरी स्कीम में कई अहम बदलावों को भी मंजूरी दी गई है। अगले पांच साल में स्कीम पर करीब 1.30 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) की बैठक में मिड-डे मील स्कीम में बदलाव को यह मंजूरी दी गई। इस पूरी योजना का लाभ देशभर के करीब 12 करोड़ स्कूली बच्चों और करीब 11 लाख स्कूलों को मिलेगा। पीएम पोषण के नाम से यह स्कीम इसी वित्तीय वर्ष से लागू होगी।
स्कूली बच्चों को मध्यान्ह भोजन मुहैया कराने के लिए मिड-डे मील स्कीम की यह शुरुआत वर्ष 1995 में की गई थी। तब से यह स्कीम लगातार संचालित है और सरकार की लोकप्रिय स्कीमों में शुमार है। इस पूरे बदलाव के पीछे जो अहम वजह बताई जा रही है, उनमें स्कीम के मौजूदा नाम और स्वरूप में फोकस सिर्फ भोजन पर था, जबकि सरकार का फोकस स्कूली बच्चों को अब पोषण युक्त भोजन उपलब्ध कराने पर है जो नई स्कीम से स्पष्ट हो रहा है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने बुधवार को सीसीईए की मंजूरी के बाद योजना में किए गए बदलावों को साझा किया और कहा कि इसमें पारदर्शिता पर जोर दिया गया है। स्कूलों को पैसा अब सीधे डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के जरिये भेजा जाएगा। साथ ही पोषण युक्त भोजन देने में प्रत्येक जिले को यह छूट भी दी जाएगी कि वह स्थानीय स्तर पर उपयुक्त पोषण युक्त खाद्यान्न या फिर मोटे आनाज को स्कूली बच्चों के खाने में शामिल कर सके।
वहीं, पीएम पोषण के दायरे में अब प्री-प्राइमरी के बच्चे भी शामिल होंगे। यानी उन्हें भी स्कूलों में अब पोषण युक्त भोजन मिलेगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद ही प्री-प्राइमरी को स्कूली शिक्षा में जोड़ा गया है। स्कूलों में इसके लिए बाल वाटिका खोलने का प्रस्ताव है। एक सवाल के जवाब में प्रधान ने कहा कि अगले दो से तीन साल में सभी स्कूलों में बाल वाटिका खुल जाएंगी।
पोषण मुहिम में सरकार ने स्कूली बच्चों के बीच आपसी जुड़ाव बढ़ाने के लिए तिथि भोजन की पहल को भी तेजी से आगे बढ़ाने का फैसला लिया है। इसमें स्कूली बच्चों को महीने में कम से कम एक दिन या विशेष अवसरों पर घर से खाने का एक और टिफिन लाना होगा जो वे आस-पास के किसी दूसरे स्कूल में जाकर बच्चों को खिलाएंगे। साथ ही उसके साथ अपना टिफिन भी खाएंगे।
यह स्कीम सीबीएसई स्कूलों में शुरू की जा चुकी है। साथ ही यह स्वैच्छिक है। जो बच्चे चाहें, इस मुहिम में शामिल हो सकते हैं। नई स्कीम में स्कूलों में शुरू हुई पोषण बगीचे (न्यूट्रिशन गार्डन) की मुहिम को रफ्तार देने पर भी जोर दिया गया है, जिसमें ताजी सब्जियां आदि उगाई जाती हैं।