बागेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों पर आधारित रिर्पोट का मुख्यमंत्री ने किया विमोचन

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंगलवार को सचिवालय में ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की बैठक आयोजित हुई। आयोग में सदस्यों की नियुक्ति के पश्चात आयोग की यह पहली बैठक रही जिसमें उपाध्यक्ष सहित सभी नामित सदस्य एवं उच्चाधिकारी मौजूद रहे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जनपद बागेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक व आर्थिक विकास को सुदृढ़ करने एवं पलायन को कम करने हेतु आयोग द्वारा की गई सिफारिशों से सम्बन्धित पुस्तिका का विमोचन किया। उन्होंने कहा कि पलायन आयोग द्वारा पलायन के मूल कारणों से सम्बन्धित दी गई प्राराम्भिक रिपोर्ट से ही स्पष्ट था कि राज्य से पलायन मुख्यतः शिक्षा व स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा एवं रोजगार की कमी रही है। उन्होंन कहा कि आयोग के सुझावो पर राज्य सरकार द्वारा नीतिगत निर्णय लिये जा रहे है। उन्होंने कहा कि आयोग को वर्किंग एजेन्सी के रूप में नहीं अपितु राज्य से पलायन रोकने तथा ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक व आर्थिक विकास के लिये थिंकटेक के रूप में कार्य करना होगा। आयोग के सदस्यों को ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न स्तरों पर कार्य करने का अनुभव है। उनके अनुभव राज्य के समग्र विकास में उपयोगी होंगे इसका उन्होंने विश्वास जताया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कोविड-19 से पूर्व ही मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, सोलर स्वरोजगार योजना तथा ग्रोथ सेन्टरों की स्थापना, एलईडी योजना का कार्य गतिमान रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक विकास एवं स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार के साधन उपलब्ध करना इसका उद्देश्य था। सीमान्त क्षेत्रों के समग्र विकास के लिये मुख्यमंत्री सीमान्त सुरक्षा निधि की व्यवस्था की गई है। स्वयं सहायता समूहों द्वारा उत्पादित वस्तुओं की सरकारी खरीद के लिये 5 लाख तक की सीमा निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा कि महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा यूनीफार्म आपूर्ति के क्षेत्र में भी कार्य किया जा रहा है, पर्वतीय क्षेत्रों में इसे और विस्तार दिये जाने की जरूरत है। इनमें आत्मविश्वास जगाने की भी उन्होंने जरूरत बतायी। मुख्यमंत्री ने अच्छी शिक्षा व्यवस्था के लिये भी सदस्यों से सुझाव देने को कहा। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों के कारगर ढ़ंग से उपयोग की दिशा में पहल की गई है। चीड़ से बिजली व पेलेटस बनाये जा रहे है। एलईडी निर्माण में 15 संस्थाये कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने राज्य में स्वयं का रोजगार खड़ा कर समाज को प्रेरणा देने वाले युवाओं को प्रोत्साहित करने पर भी ध्यान देने को कहा। उन्होंने क्षेत्रीय स्तर पर युवाओं को तकनीकि प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था पर भी ध्यान देने को कहा। मुख्यमंत्री ने ग्रोथ सेन्टरों में क्रेडिट कार्ड योजना आरम्भ किये जाने की भी बात कही।
बैठक में उपाध्यक्ष, ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग डॉ0 एस0एस0नेगी ने बताया कि आयोग द्वारा अब तक राज्य के पर्वतीय जनपदों, ईको टूरिज्म, ग्राम्य विकास एवं कोविड-19 के प्रकोप के दौरान राज्य में लौटे प्रवासियों एवं उनके पुनर्वास पर आधारित 11 सिफारिशे प्रस्तुत की जा चुकी है।
बागेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों पर आधारित रिपोर्ट के सम्बन्ध में डॉ. नेगी ने बताया कि जनगणना वर्ष 2011 के अनुसार जनपद बागेश्वर की जनसंख्या 2,59,898 है, इनमें 1,24,326 पुरूष तथा 1,35,572 महिलाएं है। पिछले 10 वर्षों में 346 ग्राम पंचायतों से कुल 23,388 व्यक्तियों द्वार अस्थायी रूप से पलायन किया गया है। पिछले 10 वर्षों में 195 ग्राम पंचायतों से 5912 व्यक्तियों द्वार पूर्णरूप से स्थायी पलायन किया गया है। आंकड़े दर्शाते है कि जनपद के सभी विकासखण्डों में स्थायी पलायन की तुलना में अस्थायी पलायन अधिक हुआ है। जनपद की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2016-17 के लिए अनन्तिम रूप से 1,00,117 रूपये है।
आयोग द्वारा जनपद हेतु जो सिफारिशें रखी हैं उनमें प्रमुख रूप से पशुधन की गुणवत्ता में सुधार लाने एवं कृत्रिम गर्भाधान केन्द्रों की संख्या बढ़ाना, दुग्ध उत्पादन एवं दुग्ध उत्पादकों की उपज हेतु पनीर, घी आदि बनाने का प्रशिक्षण दिये जाने, दुग्ध समितियों की सक्रियता बढ़ाने एवं दुग्ध प्रसंस्करण केन्द्र खोले जाने। होम स्टे की संख्या बढ़ाये जाने, इकोटूरिज्म गतिविधियों को पर्यटक स्थलों के रूप में विकसित किए जाने, पर्यटन से जुड़े कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ाए जाने, क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं उद्यमिता विकास कार्यक्रम आयोजित किये जाने, मनरेगा में समान अवसर और भागीदारी सुनिश्चित करके महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बनाए रखना, फसलों को बंदरों और जंगली सूअरों जैसे जानवरों से नुकसान से बचाव हेतु वन विभाग की सहायता से बन्दरबाड़ो, सोलर पावर फैन्सिंग का निर्माण कराये जाना, ग्राम पंचायतों में नर्सरियों बनाये जाना तथा औषधीय एवं सुगंधित पौंधों की कृषि को महत्वपूर्ण आजीविका उत्पादन गतिविधियों में विकसित किए जाना, जनपद में जड़ी-बूटी की खेती एवं कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा दिया जाना, जनपद में चाय के क्षेत्रफल को बढ़ावा दिया जाना, जनपद में बागवानी के क्षेत्रों को बढ़ाये जाना शामिल है।
इस अवसर पर आयोग के सदस्यों रामप्रकाश पैन्यूली, सुरेश सुयाल, दिनेश रावत घण्डियाल, अनिल सिंह शाही एवं वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से रूद्रप्रयाग से रंजना रावत ने अपने सुझाव रखे।
अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने आयोग की सिफारिशों पर की जा रही कार्यवाही की जानकारी दी। आयोग के सदस्य सचिव रोशन लाल एवं अन्य अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।

गैरसैंण के भूमिधर बन गये मुख्यमंत्री, बोले जनप्रतिनिधियों से ही होनी चाहिए रिवर्स पलायन की शुरुआत

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत गैरसैंण के भूमिधर बन गये हैं। यह जानकारी खुद मुख्यमंत्री ने ट्वीटर और फेसबुक के माध्यम से दी है। मुख्यमंत्री ने रिवर्स पलायन का बङा संदेश देते हुए कहा कि “गैरसैंण जनभावनाओं का प्रतीक है। गैरसैंण हर उत्तराखंडी के दिल में बसता है। लोकतंत्र में जनभावनाएं सर्वोपरि होती हैं। गैरसैंण के रास्ते ही समूचे उत्तराखण्ड का विकास किया जा सकता है। सबसे पहले जनप्रतिनिधियों को ही रिवर्स पलायन करना होगा। रिवर्स पलायन से ही सुधरेगी पहाड़ों की तस्वीर और तकदीर। स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर मैं भी गैरसैंण का विधिवत भूमिधर बन गया हूँ।“
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार उत्तराखंड में स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है। हम अपने युवा को स्वरोजगार की राह पर ले जाने को कृतसंकल्प हैं और ऐसा करने से पहाड़ बसेगा। राज्य सरकार ने पूरी ईमानदारी से उत्तराखंड को उसके प्राकृतिक स्वरूप की तरफ ले जाने और प्रदेश के चहुमुखी विकास के लिए कार्य किया है और यह प्रक्रिया आगे और गति पकड़ेगी। हमारी सरकार पुरानी धारणाएँ तोड़ने की कोशिश कर रही है-हम स्वरोजगार को विकास का माध्यम बना रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने घी संक्रांति के पावन अवसर पर उत्तराखंडवासियों से अनुरोध कि सभी अपने अपने गाँवों की तरफ रूख करेंगे और वहां के अपने घरों का बेहतर रख-रखाव करेंगे।

पलायन आयोग की रिपोर्ट में खुलासा, अल्मोड़ा की रिपोर्ट से पलायन का सच आया सामने

उत्तराखंड के पर्वतीय जनपदों से मूलभूत सुविधाओं के अभाव से लोग पलायन कर रहे हैं। अल्मोड़ा जनपद में वर्ष 2001 से 2011 तक दस सालों में करीब 70 हजार लोग पैतृक गांव से पलायन कर गए। 646 पंचायतों से 16207 लोगों ने स्थायी रूप से गांव छोड़ दिया है। इसका खुलासा पलायन आयोग की रिपोर्ट में हुआ है।
सोमवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में सीएम आवास पर पलायन आयोग की दूसरी बैठक आयोजित की गई। इसमें मुख्यमंत्री ने अल्मोड़ा जनपद की पलायन रिपोर्ट का विमोचन किया। रिपोर्ट के अनुसार पिछले दस सालों में सल्ट, भिकियासैंण, चैखुटिया, स्याल्दे विकासखंड से सबसे ज्यादा लोगों ने पलायन किया है। इन ब्लाकों के कई गांवों में सड़क, पेयजल, बिजली, स्वास्थ्य और आजीविका के साधन नहीं है, जिससे लोग जनपद मुख्यालय और प्रदेश के अन्य शहरी क्षेत्रों में जाकर बस गए हैं।
वर्ष 2001 से 2011 तक जनपद के 1022 ग्राम पंचायतों में 53611 लोगों ने पूर्ण रूप से पलायन नहीं किया है। ये लोग समय-समय पर अपने पैतृक गांव आते हैं। जबकि 646 पंचायतों में 16207 लोगों ने स्थायी रूप से पलायन किया है। अब इन लोगों के दोबारा वापस गांव लौटने की संभावनाएं नहीं हैं। आयोग की रिपोर्ट में कहा गया कि जनपद की 11 विकासखंडों से 7.13 प्रतिशत लोगों ने गांव के नजदीकी शहरी क्षेत्रों में पलायन किया है।
जबकि 13 प्रतिशत ने जनपद मुख्यालय, 32.37 प्रतिशत ने प्रदेश के अन्य जनपदों में, 47.08 प्रतिशत लोग राज्य से बाहर पलायन कर चुके हैं। देश से बाहर पलायन करने वाले की संख्या 0.43 प्रतिशत है। 2011 के बाद जनपद के 80 गांवों में मूलभूत सुविधाओं के अभाव में 50 प्रतिशत आबादी कम हुई है। वहीं, 63 गांवों में सड़क, 11 गांवों में बिजली, 34 गांवों में एक किलोमीटर के दायरे में पेयजल और 71 गांवों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की सुविधा न होने से 50 प्रतिशत आबादी घटी है।

रिपोर्ट पर एक नजर ….

– 2011 की जनगणना के अनुसार अल्मोड़ा की 6 लाख 22 हजार 506 आबादी
– 89 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है।
– 3189 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला है अल्मोड़ा जनपद
– जनपद में रहने वाले परिवारों की संख्या एक लाख 40 हजार 577
– दस वर्षों में शहरी क्षेत्रों की आबादी में 25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी