सरकारी सेंटरों में 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग को वैक्सीन के लिए आनलाइन रजिस्ट्रेशन की बाध्यता समाप्त

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना की वैक्सीन को लेकर एक बड़ा फैसला किया है। अब 18 से 44 साल के लोग बिना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के भी वैक्सीन लगा सकेंगे। ऐसे लोग अब वैक्सीनेशन सेंटर पर भी रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। हालांकि ये सुविधा फिलहाल सिर्फ सरकारी सेंटर पर ही उपलब्ध होगी। प्राइवेट अस्पतालों के सेंटर्स पर अब भी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा कर वैक्सीन के लिए स्लॉट बुक कराना होगा। बता दें सरकार ने 1 मई से 18-44 साल के लोगों को वैक्सीन लगाने का ऐलान किया था।

सरकार ने पहले वैक्सीनेशन सेंटर पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन जरूरी कर दिया था, लेकिन ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन में दो तरह की परेशानी आ रही थी। पहला ये कि गांव के लोग जिनके पास स्मार्टफोन नहीं थे उन्हें स्लॉट बुक करने में दिक्कतें आ रही थीं। इसके अलावा कई राज्यों से ऐसी खबरें भी आ रही थी कि लोग स्लॉट बुक कराने के बाद भी वैक्सीनेशन के लिए सेंटर पर नहीं पहुंच रहे हैं। लिहाजा ऐसे हालात में वैक्सीन की बर्बादी हो रही थी, लेकिन अब बिना रजिस्ट्रेशन के पहुंचने वाले लोगों को बची हुई वैक्सीन लगाई जाएगी।

एम्स में भर्ती 1600 से अधिक कोविड रोगी हुए स्वस्थ्य

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में 90 वर्षीय बुजुर्ग महिला से कोरोना हार गया है। जी हां, यहां कोरोना संक्रमित होने के बाद से बुजुर्ग महिला को भर्ती किया गया था। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ होकर घर लौट गई है।

एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने कहा कि निर्धन व्यक्ति को समुचित और बेहतर मेडिकल सुविधा देने के लिए एम्स प्रतिबद्ध है। जिस वक्त कोविड चरम पर था और अन्य अस्पताल कोविड रोगियों का इलाज करने में असमर्थता जाहिर कर रहे थे, उस दौरान कोविड मरीजों का इलाज करने में एम्स ने प्राथमिकता रखी। कहा कि कोविड मरीजों के इलाज के लिए एम्स में पर्याप्त मात्रा में बैड, आईसीयू और वेंटिलेटर्स का प्रबंध किया गया है। हेल्थ केयर वर्करों की सराहना करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमित मरीजों की जान बचाने के लिए हेल्थ केयर वर्कर्स की टीम ने जोखिम उठाते हुए दिन-रात अपनी जिम्मेदारी निभाई है।

डीन हॉस्पिटल अफेयर्स प्रो. यूबी मिश्रा ने बताया कि एम्स में कोविड काल शुरू होने के बाद से अब तक 1600 से अधिक कोविड मरीज ठीक होकर घर लौट चुके हैं। इन मरीजों में 90 साल की वृद्ध महिला से लेकर 1 दिन का नवजात शिशु तक का मरीज शामिल हैं। उन्होंने बताया कि 90 साल की वृद्धा मूलरूप से टिहरी गढ़वाल जिले के कीर्तिनगर विकासखंड के अंतर्गत मूलधार गांव की निवासी है। कोविड पाॅजिटिव इस वृद्धा को बीती 8 सितम्बर को एम्स में भर्ती किया गया था। इसे पहले से अस्थमा की बीमारी की शिकायत थी और कोरोना संक्रमित होने के बाद इसे सांस लेने में अत्यधिक तकलीफ हो रही थी। 17 दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद पूर्ण स्वस्थ होने पर इसे 25 सितम्बर को डिस्चार्ज कर दिया गया था।

कहा कि कोविड मरीजों का ग्राफ कुछ कम हुआ है, लेकिन इसका खतरा अभी टला नहीं है। इस बीमारी के प्रति जरा सी लापरवाही फिर से भारी पड़ सकती है। उधर, 90 वर्षीय वृद्धा मौली देवी के पौत्र चैदहबीघा, ऋषिकेश निवासी दीपक कंडारी ने बताया कि उनकी दादी आजकल गढ़वाल में है और पूर्णतौर से स्वस्थ है। अपनी दादी के बेहतर उपचार के लिए उन्होंने एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञ चिकित्सकों का आभार जताया।

वैश्विक भारत वैज्ञानिक समिट का पहला सत्र एम्स ऋषिकेश में हुआ आयोजित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई वैश्विक भारत वैज्ञानिक समिट का पहला सत्र एम्स ऋषिकेश में संपन्न हुआ। डीआरडीओ के माध्यम से आयोजित समिट के पहले सत्र में एक थीम भारत के पहाड़ी एवं दुर्गम क्षेत्रों में ट्रॉमा एवं इमरजेंसी सेवाओं का विकास थी।

गौरतलब है कि वैभव समिट प्रधानमंत्री मोदी की दूरगामी सोच और पहल पर आयोजित की जा रही है। एम्स ऋषिकेश ने पिछले चार वर्षों में निदेशक पद्मश्री प्रो. रविकांत की अगुवाई में इन विषयों पर संपूर्ण देश में अद्वितीय कार्य किया है। इसी कारण से भारत सरकार द्वारा इन विषयों के लिए एम्स ऋषिकेश को चैंपियन इंस्टीट्यूट बनाया गया है।

इस मंथन में देश के वरिष्ठ वैज्ञानिक ही नहीं अपितु विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के कई प्रसिद्ध चिकित्सा वैज्ञानिक भी सम्मिलित हुए। विशेषज्ञों द्वारा कई दौर के मंथन के पश्चात भारत के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में ट्रॉमा एवं इमरजेंसी सेवाओं का ब्ल्यू प्रिंट एम्स के ट्रॉमा सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. कमर आजम की अध्यक्षता एवं ट्रॉमा सर्जरी एंड क्रिटिकल केयर विभाग के डा. मधुर उनियाल के नेतृत्व में तैयार किया गया।

इस अवसर पर निदेशक प्रो. रविकांत ने विशेषज्ञ मंडल की सराहना करते हुए बताया कि एम्स ऋषिकेश पहले से ही उत्तराखंड के दुर्गम एवं ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रॉमा एंड इमरजेंसी चिकित्सा सेवाओं को पहुंचाने के लिए सतत प्रयासरत रहा है और अब प्रधानमंत्री श्री मोदी की इस दूरगामी योजना के द्वारा इस कार्य और भी उत्साह के साथ आगे बढ़ाया जाएगा। जो कि न केवल उत्तराखंड में वरन देश के अन्य दुर्गम एवं पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए भी एक वरदान साबित होगा।

डॉ. मधुर उनियाल ने बताया कि सरकार की इस सक्रिय भागीदारी से यह उम्मीद की जानी चाहिए कि वैभव समिट में तैयार किए गए ब्ल्यू प्रिंट पर शीघ्रता से कार्य होगा एवं इसका लाभ शीघ्र ही देश की जनता तक पहुंच सकेगा।

डा. उनियाल ने बताया कि प्रधानमंत्री की इस योजना के कारण विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के प्रदत्त वैज्ञानिक एवं चिकित्सकों में अत्यधिक उत्साह है। अपनी मातृभूमि के लिए सरकार द्वारा उनकी भागीदारी सुनिश्चित कराने के निर्णय पर वह गर्व महसूस कर रहे हैं।
डॉ. उनियाल ने बताया कि कि सर्वसम्मति से विशेषज्ञों का यह निर्णय हुआ है कि उत्तराखंड में ऐसी सुविधाओं को सर्वप्रथम लॉंच कर एक सफल मॉडल बनाया जाएगा स इस मॉडल को उत्कृष्ट रूप से तराशने के बाद इसे देश के अन्य दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में भी लागू किया जा सकेगा।

समिट में एम्स ऋषिकेश से प्रो. कमर आजम, डा. मधुर उनियाल, अरुण वर्गीश, अमेरिका से प्रो. मंजरी जोशी, प्रो. मयूर नारायणन, प्रो. सुनिल आहूजा, प्रो. रानी कुमार, इंग्लैंड से प्रो. अजय शर्मा, आस्ट्रेलिया से प्रो. शांतनु भट्टाचार्य, एम्स दिल्ली से प्रो. अमित गुप्ता, प्रो. संजीव भोई, प्रो. तेज प्रकाश, केजीएमयू लखनऊ से प्रो. संदीप तिवारी, प्रो. समीर मिश्रा आदि शामिल हुए।