एनएचएम निदेशक भारत सरकार का दो दिवसीय उत्तराखंड दौरा

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन सभागार में डॉ नेहा गर्ग, निदेशक, एनएचएम, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालाय भारत सरकार की अध्यक्षता में प्रदेश में संचालित विकसित भारत संकल्प यात्रा व राष्ट्रीय कार्यक्रमों की समीक्षा बैठक आयोजित की गई।

बैठक में निदेशक महोदया द्वारा प्रदेश में संचालित विकसित भारत संकल्प यात्रा व राष्ट्रीय कार्यक्रमों के बारे में विस्तृत जानकारी लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के कुशल क्रियान्वयन को सराहा। उन्होंने कहा, प्रदेश में विकिसित भारत संकल्प यात्रा के तहत स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिसमें आमजन की स्वास्थ्य स्क्रीनिंग व जांचे निरतंर की जा रही है।

निदेशक डॉ नेहा गर्ग ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत संचालित मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रम में संस्थागत प्रसव में हुए सुधारों को सराहा साथ ही मातृ मृत्यु दर कम किये जाने हेतु आवश्यक निर्देश दिए। बैठक में प्रतिरक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश में यू-विन पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण किया जा रहा है जिस पर निदेशक द्वारा टीकाकरण की व्यपकता को बढ़ाने हेतु बल दिया गया।

आयुष्मान आरोग्य मंदिर (पूर्व में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर) में दवाईयों की उपलब्धता बढ़ाने पर बैठक में आवश्यक निर्देश दिये गये। उन्होंने कहा, प्रदेश में सभी आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर आने वालों को दवाईयां मुहैया कराना सुनिश्चित किया जाए।

निदेशक डॉ नेहा गर्ग द्वारा बताया गया कि भारत सरकार आमजन को स्वास्थ्य प्रदान किये जाने हेतु उत्तराखंड को पूर्ण सहयोग दे रही है। जिस हेतु विभिन्न कार्यक्रमों की मॉनीटरिंग कर उपयोगी निर्देश भी समयानुसार दिए जा रहे हैं।

बैठक में निदेशक महोदया द्वारा राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम, राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन, क्वालिटी एश्योरेंस, ब्लड स्क्रीनिंग, राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग, गैर संचारी रोग आदि कार्यक्रमों की जानकारी लेते हुए संबंधित अधिकारियों को विभिन्न कार्यक्रमों का लाभ आम जनमानस को पहुंचाने हेतु निर्देश दिये।

उन्होंने कहा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एक महत्वपूर्ण पहलू है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के उद्देश्य से कार्य कर रहा है। इस मिशन के अंतर्गत, सरकार ने कई कदम उठाए हैं जो भारतीय नागरिकों को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की दिशा में हैं जो ग्रामीण स्तर तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को मजबूत कर रहा है।

बैठक में स्वाति भदौरिया मिशन निदेशक एनएचएम, कार्यक्रम अधिकारी डॉ अमित शुक्ला, डॉ राजन अरोड़ा, डॉ अजय नगरकर, डॉ पकंज सिंह, डॉ अर्चना ओझा, डॉ फरीदुजफर, डॉ मुकेश राय, डॉ तुहिन कुमार, राज्य क्रार्यक्रम प्रबंधक महेंद्र मौर्य आदि अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।

नवजात शिशु देखभाल सप्ताह का प्रदेशभर में हुआ शुभारम्भ

शिशु मृत्यु दर को कम करने में प्रयासरत स्वास्थ्य विभाग उत्तराखण्ड राज्य में शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए 15 से 21 नवंबर तक ‘नवजात शिशु देखभाल सप्ताह’ मनाया जा रहा है। इसमें कंगारू मदर केयर व स्तनपान को बढ़ावा देने तथा बीमार शिशुओं की पहचान कर उचित उपचार किया जाएगा। अमनदीप कौर, अपर मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश दिए।
इस अवसर पर अपर मिशन निदेशक ने घर-घर जाकर गहनता से शिशुओ के स्वास्थ जाच किये जाने हेतु दिशा निर्देश दिए। इस हेतु औषधियों एवं उपकरणों के साथ साथ प्रशिक्षण पर भी जोर दिया गया। इसके साथ ही 10 नवम्बर 2023 से 29 फरवरी 2024 तक संचालित किये जाने वाले सांस अभियान की समीक्षा बैठक की गयी। अभियान का मुख्य उद्देश्य नवजात शिशुओं में निमोनिया से होने वाली मृत्युओ को कम करना है। उक्त बैठक में डा0 अमित शुक्ला, प्रभारी अधिकारी मातृ एवं बाल स्वास्थ्य, एन0एच0एम0 के साथ-साथ समस्त जनपदों के अपर मुख्य चिकित्साधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, एवं जिला कम्युनिटी प्रबंधक द्वारा प्रतिभाग किया गया।

यू कोट वी पे मॉडल को मिले रिस्पांस से स्वास्थ्य विभाग खुश, डॉक्टरों ने दिखाया उत्साह

प्रदेश में विशेषज्ञ और सुपर विशेषज्ञ डाक्टरों की नियुक्ति के लिए आज इंटरव्यू का तीसरा चरण आयोजित किया गया। इस साक्षात्कार में 40 विशेषज्ञ डाक्टरों ने भाग लिया। इन डाक्टरों को ‘यू कोट, वी पे‘ योजना के तहत संविदा पर तैनाती दी जाएगी। विशेषज्ञ डाक्टरों को 4 लाख से 6 लाख रुपये महीने का वेतन दिया जाएगा। स्वास्थ्य सचिव डा. आर राजेश कुमार का कहना है कि इन डाक्टरांे की तैनाती जल्द होगी। साक्षात्कार टीम में एचएनबी मेडिकल विश्वविद्यालय के कुलपति डा. हेमचंद्र पंत, अपर सचिव स्वास्थ्य डा. अमनदीप कौर, स्वास्थ्य महानिदेशक डा. विनीता शाह, अपर सचिव मेडिकल एजूकेशन डा. आशुतोष सयाना शामिल थे।
स्वास्थ्य विभाग ने पर्वतीय जिलों में स्पेश्यलिस्ट और सुपर स्पेश्यलिस्ट डाक्टरों की कमी को दूर करने की कवायद कर रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में भी विशेषज्ञ डाक्टरों की तैनाती के लिए स्वास्थ्य विभाग के प्रयास रंग ला रहे हैं। देहरादून में आज हुए इंटरव्यू में पैथोलॉजिस्ट, गायनोलॉजिस्ट, एनेस्थेटिक, सर्जन, पीडियाट्रिश, ऑर्थाेपेडिक डॉक्टर समेत कुल 40 डॉक्टरों ने हिस्सा लिया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत ‘यू कोट, वी पे’ के माध्यम से स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की संविदा पर तैनाती की जानी है। साक्षात्कार प्रोफेसर हेम चंद्र, कुलपति, एचएनबी उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय की अध्यक्षता में आयोजित किये गये।
सचिव स्वास्थ्य डा. आर राजेश कुमार ने बताया कि यह सारी भर्तियां राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संविदा पर की जा रही हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश के पहाड़ी जिलों में स्वास्थ्य विभाग की ओर से बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, दवाईयां, आधुनिक चिकित्सा उपकरण की सुविधाएं तो है, लेकिन प्रदेश के कुछ स्थानों पर स्पेशलिस्ट डाक्टरों के रिक्त पदों के कारण आमजन को पूर्णता सुविधाओं का लाभ नही मिल पा रहा था। शीघ्र ही इन रिक्त पदों पर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की नियुक्ति हो जाएगी, जिससे आम जन को गुणवत्ता पूर्ण उच्च स्वास्थ्य सुविधा अपने नजदीकी चिकित्सालय में मिल सकेगी ताकि स्थानीय निवासियों को स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं का लाभ अपने ही क्षेत्र में मिल सके।
स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि तृतीय चरण में 40 स्पेशलिस्ट डॉक्टर जिसमें पैथोलॉजिस्ट, गायनोलॉजिस्ट, एनेस्थेटिक, सर्जन, पीडियाट्रिशन, रेडियोलॉजिस्ट, ऑर्थाेपेडिक आदि ने साझात्कार में प्रतिभाग किया गया है। आवश्यकतानुसार ‘यू कोट, वी पे’ मॉडल का चतुर्थ चरण भी किया जा सकता है। उन्होंने बताया चयनित डॉक्टरों की सूची तैयार कर जल्द नियुक्ति दी जाएगी जिससे की आमजन को स्वास्थ्य लाभ मिल सके।
गौरतलब है कि उत्तराखंड के पहाड़ी जनपदों में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए धामी सरकार ने यू कोट वी पे फार्मूले के तहत प्लान बनाया है। इस योजना के तहत विशेषज्ञ डाक्टरों को 4 लाख और सुपर स्पेश्यलिस्ट डाक्टरों को 6 लाख रुपये तक प्रति माह वेतन देने की योजना है।

बजट खर्च की धीमी प्रगति पर स्वास्थ्य मंत्री ने लगाई फटकार

सूबे में टीबी मरीजों को मिलने वाला पोषण भत्ता अब डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से सीधे उनके खातों में भेजा जायेगा। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं। प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में सिकल सेल रोग की रोकथाम के लिये वृहद स्तर पर जनजागरूकता अभियान चलाया जायेगा। विभाग द्वारा स्वीकृत बजट को समय पर खर्च न करने पर विभागीय मंत्री डा. धन सिंह रावत ने अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई तथा भविष्य में बजट खर्च करने का टारगेट तय करने को कहा।
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने विधानसभा स्थित सभाकक्ष में स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक ली। जिसमें उन्होंने विगत 14 एवं 15 जुलाई 2023 को आयोजित दो दिवसीय स्वास्थ्य चिंतन शिविर में लिये गये निर्णयों के क्रियान्वयन को लेकर विभागीय अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा की। डा. रावत ने बताया कि सूबे में चिन्हित टीबी मरीजों को राज्य सरकार द्वारा निःक्षय मित्रों के सहयोग से बेहतर उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि टीबी मरीजों को विभाग की ओर से दिये जा रहे रू0 500 के मासिक पोषण भत्ते को अब डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से सीधे उनके खातों में उपलब्ध कराया जायेगा। इसके लिये उन्होंने तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिये। इसके अलावा उन्होंने आशा कार्यकत्रियों के मानदेय को आशा संजीवनी ऐप के माध्यम से सीधे उनके खातों में भेजने के निर्देश दिये। विभागीय मंत्री डा. रावत ने राष्ट्रीय सिकल सेल एनिमिया उन्मूलन मिशन के अंतर्गत प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में सिकल सेल रोगों की रोकथाम के लिये वृहद स्तर पर जनजागरूकता एवं निःशुल्क जांच अभियान चलाने के निर्देश अधिकारियों को दिये। उन्होंने बताया कि जनजातीय क्षेत्रों में सिकल सेल रोग से अधिकांश लोग पीड़ित हैं और इस वंशानुगत बीमारी से ज्यादातर लोग अंजान हैं। जिसकी वहज से इस रोग के साथ नवजात शिशु जन्म ले लेते हैं। उन्होंने बताया कि सिकल सेल रोग की इस चेन को तोड़ने के लिये जनजातीय क्षेत्रों में ग्राम पंचायत स्तर पर स्वास्थ्य टीमें घर-घर जाकर निःशुल्क जांच करेंगी।
बैठक में विभागीय मंत्री ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत स्वीकृत बजट की धीमी प्रगति पर नाराजगी व्यक्त करते हुये अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि यह जनता का विभाग है और समय पर बजट खर्च न होने से आम लोग स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित रह जाते हैं। डा. रावत ने निर्माणाधीन कार्यों की धीमी प्रगति पर भी अधिकारियों के जवाब तलब किये, साथ ही उन्होंने दवा, इंफ्रास्ट्रक्चर, इक्यूपमेंट, सैलरी व लाभार्थियों को दिये जाने वाली धनराशि समय पर खर्च न कर पाने पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि तय समय पर निर्माणाधीन कार्यों को पूरा करने के साथ ही विभिन्न मदों में स्वीकृत बजट को यथाशीघ्र व्यय किया जाय, जिसकी मासिक प्रगति रिपोर्ट उन्हें भी उपलब्ध कराई जाय। डा. रावत ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत लम्बे समय से रिक्त पड़े पदों को शीघ्र भरने के निर्देश भी अधिकारियों को दिये।
इस अवसर पर मिशन निदेशक एनएचएम रोहित मीणा, अपर सचिव अमनदीप कौर, गरिमा रौंकली, नमामि बंसल, महानिदेशक स्वास्थ्य डा. विनीता शाह, वित्त नियंत्रक दिपाली भरने निदेशक स्वास्थ्य डा. सुनीता टम्टा सहित डॉ. पंकज सिंह, डा. एम. के. मौर्य, डा. अजय नगरकर व अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

चार धाम यात्रा के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत अतिरिक्त बजट को मिली मंजूरी

चार धाम यात्रा के लिए भारत सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को ओर भी मजबूत किए जाने हेतु यात्रा क्षेत्र में कार्य कर रहे चिकित्साधिकारियों, नर्सेस व अन्य पैरामेडिकल स्टॉफ के लिए प्रोत्साहन राशि की मंजूरी दी है।
स्वास्थ्य सचिव एवं एन.एच.एम. मिशन निदेशक डॉ. आर. राजेश कुमार द्वारा बताया गया कि चार धाम यात्रा से पहले कई समीक्षा बैठकों तथा श्री बद्रीनाथ व श्री केदारनाथ धाम में स्थलीय स्वास्थ्य इकाइयों का निरीक्षण के दौरान यह महसूस किया गया कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों में हमारे स्वास्थ्य कर्मचारी कार्य करते हैं, उनको निश्चित तौर में अतिरिक्त मानदेय दिया जाना चाहिए। जिसके लिए भारत सरकार से अतिरिक्त धनराशि के लिए बजट की मांग की गई थी जिसको भारत सरकार ने स्वीकारा है और चार धाम यात्रा के लिए प्रदेश को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एन.एच.एम.) के अंतर्गत अतिरिक्त बजट की मंजूरी दी है। निश्चित तौर पर इससे चारधाम क्षेत्र में कार्य कर रहे चिकित्साकर्मियों का उत्साहवर्धन होगा।
सचिव द्वारा बताया गया कि श्री केदारनाथ धाम रुट में केदारनाथ 3500-3600 मीटर की ऊंचाई में तैनात चिकित्सकों को 1500 रुपये, पैरामेडिकल स्टॉफ एवं नर्सेस को 1000 रुपये व चुतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 700 रुपये की धनराशि प्रतिदिन दी जाएगी। भीम बली-बडी लिनचोली 2600-3200 मीटर की ऊंचाई में तैनात चिकित्सकों को 1000 रुपये, पैरामेडिकल स्टॉफ एवं नर्सेस को 600 रुपये व चुतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 400 रुपये की धनराशि प्रतिदिन दी जाएगी। सोनप्रयाग-जंगल चट्टी 1800-2500 मीटर की ऊंचाई में तैनात चिकित्सकों को 700 रुपये, पैरामेडिकल स्टॉफ एवं नर्सेस को 500 रुपये व चुतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 300 रुपये की धनराशि प्रतिदिन दी जाएगी। रुद्रप्रयाग-फाटा 700-1500 मीटर की ऊंचाई में तैनात चिकित्सकों को 400 रुपये, पैरामेडिकल स्टॉफ एवं नर्सेस को 250 रुपये व चुतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 150 रुपये की धनराशि प्रतिदिन दी जाएगी।
वहीं श्री बद्रीनाथ धाम रुट में घांघरिया-बद्रीनाथ 3000-3100 मीटर की ऊंचाई में तैनात चिकित्सकों को 1000 रुपये, पैरामेडिकल स्टॉफ एवं नर्सेस को 600 रुपये व चुतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 400 रुपये की धनराशि प्रतिदिन दी जाएगी। गौचर-गोविंद घाट 800-1800 मीटर की ऊंचाई में तैनात चिकित्सकों को 400 रुपये, पैरामेडिकल स्टॉफ एवं नर्सेस को 250 रुपये व चुतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 150 रुपये की धनराशि प्रतिदिन दी जाएगी।
श्री गंगोत्री धाम रुट में हर्षिल-गंगोत्री 2700-3200 मीटर की ऊंचाई में तैनात चिकित्सकों को 1000 रुपये, पैरामेडिक एवं नर्सेस को 600 रुपये व चुतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 400 रुपये की धनराशि प्रतिदिन दी जाएगी। चिनियालिसौड़-गंगनानी 900-2000 मीटर की ऊंचाई में तैनात चिकित्सकों को 450 रुपये, पैरामेडिक एवं नर्सेस को 300 रुपये व चुतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 200 रुपये की धनराशि प्रतिदिन दी जाएगी।
श्री यमुनोत्री धाम रुट में जानकी चट्टी-यमुनोत्री 2600-3300 मीटर की ऊंचाई में तैनात चिकित्सकों को 1000 रुपये, पैरामेडिकल स्टॉफ एवं नर्सेस को 600 रुपये व चुतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 400 रुपये की धनराशि प्रतिदिन दी जाएगी। डामटा-राना चट्टी 650-2200 मीटर की ऊंचाई में तैनात चिकित्सकों को 450 रुपये, पैरामेडिकल स्टॉफ एवं नर्सेस को 300 रुपये व चुतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 200 रुपये की धनराशि प्रतिदिन दी जाएगी।
डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया की यात्रा रुट में स्वास्थ्य मित्रों को भी नियुक्त किया जा रहा है, जिनका चयन स्थानीय स्तर पर मुख्य चिकित्साधिकरी द्वारा किया जाएगा। स्वास्थ्य मित्र स्वास्थ्य कर्मियों व यात्रीगणों की किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या के लिए तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य इकाइयों में पहुंचाने का कार्य करेंगे। स्वास्थ्य मित्रों को प्रतिदिन 570 रुपये का मानदेय दिया जाएगा। इसके लिए प्रत्येक स्वास्थ्य मित्रों को दो दिवसीय लाइफ सपोर्ट ट्रेनिंग भी दी जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में कैथ लैब के लिए भी भारत सरकार द्वारा मंजूरी दे दी गई है।

तनाव और नींद विकारों को कम करने के लिए प्रशिक्षण सत्र का आयोजन

शनिवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन सभागार में मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत गेटकीपर्स ट्रेनिंग फॉर स्ट्रेस मैनेजमेंट एंड स्लीप डिसऑर्डर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में तनाव और नींद विकारों को कम करने हेतु प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया।
गेटकीपर्स ट्रेनिंग का उद्देश्य सरकारी संगठनों में प्रशासनिक पद पर कार्यरत सरकारी अधिकारियों द्वारा अपने आधीन कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों में मानिसक तनाव व स्लीप डिसऑर्डर के लक्षणों की पहचान कर काउंसलिंग एवं उपचार प्रदान कराया जाना है, जिससे कार्यालय में वर्क एनवायरनमेंट को बेहतर किया जा सके साथ ही अधिकारियों एवं कर्मचारियों के कार्य क्षमता को बेहतर किया जा सके। साथ ही तनाव व स्लीप डिसऑर्डर के कारण भविष्य में होने वाले रोगों से भी बचाव किया जा सके।
गेटकीपर्स ट्रेनिंग में एम्स ऋषिकेश के मनोचिकित्सकों प्रोफेसर डॉ. रवि गुप्ता व एडिशनल प्रोफेसर डॉ. अनिंद्या दास द्वारा आम जनमानस में तनाव के लक्षणों की पहचान कर, दुष्प्रभावों को कम करने व अत्याधिक तनाव वाले व्यक्तियों के कामकाज, व्यवहार, और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने हेतु प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
मनोचिकित्सकों ने बताया कि मानसिक रोगियों की अधिक संख्या के उपरान्त भी मानसिक रोग की उपेक्षा की जाती है, परन्तु शारीरिक रोगों की भांति ही मानसिक रोग भी हमारे स्वास्थ्य एवं शरीर पर प्रतिकूत प्रभाव डालते हैं। चार परिवारों में से कम से कम एक परिवार के सदस्य में मानसिक विकार से ग्रस्त होने की संभावना होती है। मानसिक बीमारी व उनके लक्षणों के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि तनाव ग्रसित लोगों का समयान्तर्गत उपचार किया जा सके।
मनोचिकित्सकों द्वारा परस्पर संवाद आयोजित कर प्रशनावली के माध्यम से उपस्थित प्रतिभागियों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरुक कर उनके द्वारा तनाव व अनिद्रा से संबंधित समस्याओं के निवारण करने के तरीके साझा किये गये। उक्त सत्र में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, एन.एच.एम., उत्तराखंड राज्य एड्स नियंत्रण समीति, आयुर्वेद सेवाएं उत्तराखंड, उत्तराखंड हैल्थ सिस्टम डेवलेपमेंट प्रोजेक्ट व सीएमओ कार्यालय देहरादून से विभिन्न अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
ट्रेनिंग सत्र में एनएचएम निदेशक डॉ. सरोज नैथानी, प्रभारी अधिकारी डॉ. फरीदुजफर, डॉ. अजय कुमार नगरकर, डॉ. पकंज सिंह, डॉ. मुकेश रॉय, आदि अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत मिलेगा पर्वतीय जनपदों को स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का लाभ-राजेश कुमार

प्रदेश के पर्वतीय जनपदों के लोगों को शीघ्र मिलेगा स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का लाभ यह बात स्वास्थ्य सचिव डॉ आर. राजेश कुमार द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत ‘यू कोट, वी पे’ के माध्यम से स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के हुए साझात्कार में उत्साह को देखते हुए कही।
डॉ. आर राजेश कुमार द्वारा बताया गया कि प्रदेश के पर्वतीय जनपदों में प्रायरू देखा गया है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर, दवाईयां, आधुनिक चिकित्सा उपकरण की सुविधाएँ हैं पर प्रदेश के कुछ स्थानों पर स्पेशलिस्ट डाक्टरों के रिक्त पदों के कारण आमजन को पूर्णता सुविधाओं का लाभ नही मिल पा रहा था। शीघ्र ही इन रिक्त पदों पर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की नियुक्ति हो जाएगी, जिससे आम जन को गुणवत्ता पूर्ण उच्च स्वास्थ्य सुविधा अपने नजदीकी चिकित्सालय में मिल सकेगी ताकि स्थानीय निवासियों को स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं का लाभ अपने ही क्षेत्र में मिल सके।
स्वास्थ्य सचिव ने बताया की प्रथम चरण में 47 स्पेशलिस्ट डॉक्टर जिसमें पैथोलॉजिस्ट, गायनोलॉजिस्ट, एनेस्थेटिक, सर्जन, पीडियाट्रिशन, ऑर्थोपेडिक, आदि ने साझात्कार में प्रतिभाग किया गया है। शीघ्र ही ‘यू कोट, वी पे’ मॉडल का दूसरा चरण भी किया जाएगा। उन्होंने बताया चयनित डॉक्टरों की सूची तैयार कर जल्द नियुक्ति दी जाएगी जिससे की आमजन को स्वास्थ्य लाभ मिल सके।

664 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को जल्द मिलेंगे नियुक्ति पत्र

आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के अंतर्गत 664 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सी.एच.ओ.), की नियुक्ति को लेकर रिजल्ट जारी किया जा चुका है व काउंसलिंग प्रक्रिया शीघ्र ही आरंभ होगी, जिसके बाद चयनित सी.एच.ओ. को मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री द्वारा नियुक्ति पत्र दिए जाएंगे यह बात प्रभारी सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा व एन.एच.एम. मिशन निदेशक डॉ. आर. राजेश कुमार द्वारा बतायी गई।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में सी.एच.ओ. के पदों हेतु एच.एन.बी. मेडिकल यूनिवर्सिटी के माध्यम से रिजल्ट जारी किया जा चुका है व काउंसीलिंग प्रक्रिया भी शीघ्र ही आरंभ होगी। नवनियुक्त सी.एच.ओ. को नियुक्ति पत्र मुख्यमंत्री पुष्कर धामी व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत द्वारा दिए जाएंगे।
डॉ. आर. राजेश कुमार द्वारा बताया गया कि सी.एच.ओ. की नियुक्ति के बाद सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में गैर-संचारी रोग जैसे टी.बी., तंबाकू निषेध, मेंटल हेल्थ, डायबिटीज, कैंसर, बल्ड प्रेशर (हाइपरटेंशन), आंखों की कमजोरी, नाक, गले आदि से जुड़ी बिमारियों की स्क्रीनिंग में तेजी आएगी, जिससे समय पर रोगों का पता लग सकेगा व इलाज संभव होगा। सी.एच.ओ. द्वारा टारगेट पोपुलेशन जो कि मैदानी क्षेत्रों में 5,000 व पहाड़ी क्षेत्रों में 3,000 है में 30 से अधिक उम्र के लोगों की स्क्रीनिंग की जाती है।

धामी सरकार में छात्र-छात्राओं के रिपोर्ट कार्ड के साथ बनेगा हेल्थ कार्ड

उत्तराखंड के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित काउंसलिंग व स्क्रीनिंग जल्द ही शुरु होने जा रही है। यह बात प्रदेश के प्रभारी सचिव स्वास्थ्य व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक डॉ. आर. राजेश कुमार द्वारा राज्य स्तरीय पोषण, जीवन शैली व प्रबंधन बैठक में जानकारी देते हुए साझा की गई। देहरादून स्थित स्वास्थ्य महानिदेशालय, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन सभागार में आयोजित बैठक में विशेषज्ञों द्वारा बदलते जीवनशैली के मद्देनजर स्कूल के छात्र-छात्राओं के रिपोर्ट कार्ड के साथ-साथ हेल्थ कार्ड बनाने पर भी जोर दिया गया।
डॉ. आर. राजेश कुमार की अध्यक्षता में आहूत बैठक में सरकारी-गैर सरकारी संस्थानों में मौजूद विशेषज्ञों द्वारा यह पाया गया कि खानपान के गलत प्रचलन व मानसिक/शारीरिक परामर्श ना होने के कारण ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक, डायबिटीज (गैर संचारी रोगों) जैसी बीमारियों में तेजी आई है। इसीलिए यह आवश्यक है कि रोजमर्रा के जीवन में सही जीवनशैली को अपनाया जाए, ताकि इन गैर संचारी रोगों के प्रभाव को कम किया जा सके।
बैठक में चर्चा की गई कि स्वास्थ्य विभाग, अन्य विभागों के साथ सभी हितधारकों द्वारा ऐसी नीतियों का निर्माण किया जाए जिन नीतियों के अंतर्गत मानसिक रोगों, तनाव, डिप्रेशन, तम्बाकू नियंत्रण, कैंसर, हाइपरटेंशन, डायबिटीज, आदि (गैर-संचारी रोगों) का आकलन करते हुए, जनजागरुकता को बढ़ावा दिया जाए।
जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत डॉ. वर्तिका सक्सेना द्वारा बताया गया कि पिछले एक दशक में महिलाओं में मोटापे के मामले लगभग दोगुने हो गए हैं। किशोरियों में शारीरिक गतिविधियों, खेल-खूद को बढाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि स्तनपान को बढ़ावा देने की भी जरुरत है जिससे की डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, मोटापे को कम किया जा सके।
बैठक के दौरान प्रदेश में गैर-संचारी रोगों की रोकथाम हेतु स्वस्थ जीवनशैली, ईट राइट, मानसिक स्वास्थ्य, हाइपरटेंशन, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, तनाव प्रबंधन, आदि विषयों पर विभन्न विभागों के प्रतिनिधियों द्वारा विचार साझा किए गए। इस बैठक के दौरान बिहेवियर चेंज, सामूहिक आई.ई.सी., इंटरपर्सनल कम्युनिकेशन, आदि को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य के काउंसलर के रुप में आशा कार्यकत्रियों को तैयार किए जाने पर चर्चा की गई। स्वास्थ्य संबंधित काउंसलिंग व स्क्रीनिंग को विद्यालय स्तर पर प्रारंभ किए जाने पर भी बल दिया गया।
बैठक में स्वास्थ्य महानिदेशक (प्रभारी) डॉ. विनीता शाह, निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन डॉ. सरोज नैथानी, राज्य नोडल अधिकारी डॉ. फरीदुज़फ़र, डॉ. सुजाता, ड़ॉ. पंकज सिंह, डॉ. कुलदीप मर्ताेलिया, डॉ. अर्चना ओझा, डॉ. अभय कुमार, डॉ. मंयक बड़ोला, डॉ. तुहीन कुमार, डॉ. अमलेश कुमार सिंह, डॉ. अमित शुक्ला, उपायुक्त खाद्य एवं औषधि प्रशासन जी.सी. कंडवाल, डॉ. नीतू कोचर, आदि मौजूद रहे।

मातृ व शिशु मृत्यु दर को कम करने को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की हुई बैठक

उत्तराखंड में मातृ मृत्यु एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक सोनिका की अध्यक्षता में मातृ एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की समीक्षा बैठक चरणबद्ध तरीके से सम्पन्न हुई। जिसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा चार जनपदों देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, एवं उधम सिंह नगर को चिन्हित किया गया है, जो कि प्रदेश की कुल आबादी का 61 प्रतिशत है, इन्हीं चार जनपदों में कुल प्रसवों के 69 प्रतिशत प्रसव प्रत्येक वर्ष होते हैं।

समीक्षा बैठक में मिशन निदेशक एन.एच.एम. सोनिका द्वारा उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं को चिन्हित किये जाने एवं उनके देखभाल किये जाने हेतु प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के अन्तर्गत नवीन वित्तीय प्रावधानों को लागू किये जाने के निर्देश दिए।

मिशन निदेशक द्वारा संस्थागत प्रसवों में बढोतरी किये जाने हेतु संचालित प्रसव केन्द्रों में मानव संसाधन की तैनाती तथा उनके प्रशिक्षण गुणवत्ता पूर्व सेवाएं प्रदान किये जाने पर विषेश ध्यान देने हेतु निर्देशित किया।

समीक्षा बैठक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक डॉ सरोज नैथानी ने कहा कि मातृ एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के लागू होने से उक्त चार जनपदों में पायी गयी कमीयों को दूर किये जाने हेतु योजना सम्पूर्ण टीम के साथ गहन अध्ययन करते हुए बनायी गयी है।

समीक्षा बैठक में कार्यक्रम अधिकारी डॉ अमित शुक्ला, डॉ सुजाता सिंह, डॉ अजय, डॉ नितिन अरोड़ा, डॉ नमिशा, डॉ दामिनी, देवेंद्र, डॉ गौरव गैरोला, पूनम जखमोला, दीपक पंवार, हेमा सहित चारों जनपदों के मुख्य चिकित्साधिकारी, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी, एनएचएम की जिला यूनिट एवं राज्य स्तर से मातृ स्वास्थ्य, बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के कर्मचारी आदि लोग मौजूद थे।