पंडित मदन मोहन मालवीय की पुण्य स्मृति पर हिंदी के अध्यापकों का सम्मान

महान शिक्षाविद पंडित मदन मोहन मालवीय की पुण्य स्मृति पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर हिंदी विषय के अध्यापकों को क्षेत्रीय विधायक व कैबिनेट मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने शॉल पहनाकर सम्मानित भी किया। इस मौके पर मंत्री डॉ अग्रवाल ने बताया कि जर्मनी यात्रा के दौरान अपनी मातृभाषा में बात करने का सौभाग्य मिला।
बैराज रोड स्थित कैंप कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में पंडित मदन मोहन मालवीय को श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनके जीवन पर प्रकाश डाला गया। मंत्री डॉ अग्रवाल ने कहा कि महामना पंडित मदन मोहन मालवीय भारतीय संस्कृति के संरक्षक रहे। उन्होंने चरित्र निर्माण को सर्वाेपरि स्थान देते हुए भारतीय युवाओं को अपनी सनातन संस्कृति के साथ-साथ आधुनिकतम ज्ञान-विज्ञान की शिक्षा से समृद्ध करने के उद्देश्य से बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की।
डॉ अग्रवाल ने कहा कि महामना मालवीय ने केवल राजनीतिक स्वतंत्रता और सामाजिक विषमताओं के विरुद्ध ही विशद संघर्ष नहीं किया अपितु भारतीय जनमानस को विदेशियों की मानसिक दासता से मुक्त करने के लिए वैचारिक आंदोलनों का भी संचालन किया।
डॉ अग्रवाल ने कहा कि पंडित मालवीय ने भारत के अधिकाधिक जनों की हिंदी भाषा के महत्त्व को समझाया और उसकी सुरक्षा, प्रचार-प्रसार में प्राणपण से जुट गए। उन्होंने अपने लेखों द्वारा हिंदी के लिए जन-जागृति उत्पन्न की। मालवीय को यह अटल विश्वास था कि सिर्फ हिंदी में ही राष्ट्रभाषा बनने की क्षमता है। वे हिंदी और संस्कृत भाषा के प्रबल पक्षधर थे।
डॉ अग्रवाल ने कहा कि महामना हिंदी सुरक्षा के ऐसे शक्तिशाली स्तंभ बनकर उभरे जिसने अपनी विद्वता से मां हिंदी के ललाट को सुसज्जित किया। उन्होंने ऐसी कई संस्थाओं की स्थापना में महत्त्वपूर्ण योगदान किया। जो हिंदी के प्रचार-प्रसार एवं उन्नति के लिए दृढ़ संकल्पित है।
इस मौके पर राइका प्रतीतनगर धूम सिंह खंडेलवाल, सत्येश्वरी देवी इंटर कॉलेज रायवाला प्रमोद बडोला, राइका गढ़ी सुधा रानी, नीता गोस्वामी, राइका खदरी सुधीर दुबे, राइका छिद्दरवाला चंडी रावत, दून घाटी इंटर कॉलेज गुमानीवाला वी एस बिष्ट, श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज सुशीला बडथ्वाल, पंजाब सिंध क्षेत्र इंटर कॉलेज ललित किशोर शर्मा, सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज आवास विकास नागेंद्र पोखरियाल, राइका आईडीपीएल श्याम सुंदर रयाल को सम्मानित किया।
इस मौके पर जिलाध्यक्ष रविंद्र राणा, ब्लॉक प्रमुख भगवान सिंह पोखरियाल, मंडल अध्यक्ष दिनेश सती, महामंत्री जयंत शर्मा, पूर्व पालिका अध्यक्ष शंभू पासवान, देवेंद्र नेगी, राकेश चंद्र, विनोद जुगलान, पार्षद विरेंद्र रमोला, प्रदीप कोहली, संजीव पाल, सोबन सिंह कैंतुरा, देवदत्त शर्मा, बलविंदर सिंह, संजीव सिलस्वाल, मानवेन्द्र कंडारी, आशुतोष शर्मा, रूपेश गुप्ता, सिमरन गाबा आदि उपस्थित रहे।

अब हिंदी अनिवार्य नही, मोदी सरकार का बड़ा फैसला

सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे में बदलाव कर दिया है। अब हिंदी पढ़ने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है। संशोधित मसौदे में त्रिभाषा फार्मूले के तहत छात्र अब कोई भी तीन भाषा पढ़ने के लिए स्वतंत्र होंगे। हालांकि इनमें एक साहित्यिक भाषा जरूरी होगी। पुराने मसौदे में हिंदी, अंग्रेजी के साथ कोई एक स्थानीय भाषा पढ़ने का प्रावधान था।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे में यह बदलाव सोमवार को गैर-हिंदी भाषी प्रदेशों, खासकर दक्षिण भारतीय राज्यों, से उठ रहे विरोध के सुर को देखते हुए किया गया है। इसकी शुरुआत तमिलनाडु से हुई थी, जहां द्रमुक सहित कई राजनीतिक दलों ने इसे लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया था। इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने में जुट गए थे।

द्रमुक के अलावा कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी, पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दरमैया, राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने भी इसका विरोध करना शुरू कर दिया था। हालांकि, सरकार ने कहा था कि किसी पर कोई भाषा थोपी नहीं जाएगी। यह अभी एक शुरुआती मसौदा है। सभी पक्षों से सलाह के बाद ही कोई फैसला किया जाएगा।
संशोधित शिक्षा नीति के मसौदे में त्रिभाषा फार्मूले को लचीला कर दिया गया है। अब इनमें किसी भी भाषा का जिक्र नहीं है। छात्रों को कोई भी तीन भाषा चुनने की स्वतंत्रता दी गई है। तमिलनाडु सहित दक्षिण भारत के राज्यों में पहले से दो भाषा पढ़ाई जा रही है। इनमें एक स्थानीय और दूसरी अंग्रेजी है। हालांकि संशोधित शिक्षा नीति के मसौदे में यह साफ कहा गया है कि स्कूली छात्रों को तीन भाषा पढ़नी होगी।

नई शिक्षा नीति के मसौदे को लेकर यह विवाद तब खड़ा हुआ है, जब सरकार ने इसे 31 मई को जारी कर लोगों से सुझाव मांगे। इसके तहत कोई भी व्यक्ति 30 जून तक अपने सुझाव दे सकता है। शिक्षा नीति के मसौदे को लेकर मिल रहे सुझावों पर प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ मानव संसाधन विकास मंत्रालय और नीति तैयार करने वाली कमेटी भी पैनी नजर रख रही है।