नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति युवाओं को नई सदी के लिए तैयार करती हैः मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो संदेश के माध्यम से उत्तराखंड रोजगार मेले को सम्बोधित किया। उपस्थित जनों को सम्बोधित करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन उन लोगों के लिये नई शुरुआत का दिन है, जिन्हें अपने नियुक्त पत्र मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह न केवल जीवन को बदलने वाला अवसर है, बल्कि समग्र बदलाव के लिये एक माध्यम भी है। शिक्षा क्षेत्र के संदर्भ में देश में होने वाले नये प्रयोगों को रेखांकित करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि नियुक्ति पाने वाले लोगों में से ज्यादातर लोग शिक्षा क्षेत्र में सेवा देंगे। इस संकल्प को आगे बढ़ाने के क्रम में उत्तराखंड के युवाओं के कंधों पर आने वाली जिम्मेदारी का उल्लेख करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा, “नई शिक्षा नीति भारत के युवाओं को नई सदी के लिये तैयार कर रही है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र और उत्तराखंड सरकार का सतत प्रयास है कि आगे बढ़ने के लिये सही माध्यम को सुगम्य बनाने के क्रम में हर युवा को उसकी रुचि के अनुसार नये अवसर मिलें। उन्होंने कहा कि सरकारी सेवाओं में बहाली अभियान भी इसी दिशा में की जाने वाली पहल है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के लाखों युवाओं को पिछले कुछ महीनों में केंद्र सरकार से नियुक्त पत्र मिले हैं और उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता भी व्यक्त कि उत्तराखंड इसका हिस्सा बन रहा है। उन्होंने बताया कि ऐसे बहाली अभियान देशभर में भाजपा-शासित प्रदेशों तथा केंद्र शासित प्रदेशों मे बड़े पैमाने पर चल रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे प्रसन्नता है कि आज उत्तराखंड भी इसका हिस्सा बन गया है।”

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा हमें उस पुरानी धारणा को बदलना है कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम नहीं आती। प्रधानमंत्री ने पर्वतीय क्षेत्रों में नये रोजगार और स्व-रोजगार अवसरों के सृजन को रेखांकित करते हुये कहा, “केंद्र सरकार का यह सतत प्रयास है कि उत्तराखंड के युवा अपने गांव वापस आ सकें।” उत्तराखंड में अवसंरचना विकास में होने वाले निवेश पर प्रकाश डालते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि नई सड़कों का निर्माण और रेल लाइनों के बिछाने से न केवल कनेक्टिविटी बढ़ रही है, बल्कि रोजगार के अनेक अवसर भी पैदा हो रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हर जगह रोजगार के अवसर बढ़ाये जा रहे हैं। उन्होंने इस सिलिसले में निर्माण कामगारों, इंजीनियरों, कच्चे माल के उद्योगों और दुकानों का उदाहरण दिया। उन्होंने यह भी कहा कि परिवहन क्षेत्र में बढ़ती मांग के कारण नये अवसर पैदा हो रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों के युवाओं को रोजगार के लिये बड़े शहरों का रुख करना पड़ता था, लेकिन आज, हजारों युवा सामान्य सेवा केंद्रों में काम कर रहे तथा गांवों में इंटरनेट व डिजिटल सेवायें उपलब्ध करा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि उत्तराखंड में पर्यटन सेक्टर बढ़ रहा है, क्योंकि सुदूर क्षेत्रों को सड़क, रेल और इंटरनेट से जोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि पर्यटन मानचित्र में नये पर्यटन स्थल सामने आ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके कारण उत्तराखंड के युवाओं को अब बड़े शहर जाने की बजाय उन्हें उनके घर के समीप ही रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि पर्यटन सेक्टर में रोजगार व स्व-रोजगार अवसरों के बढ़ने में मुद्रा योजना महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। दुकानों, ढाबों, अतिथिगृहों और होमस्टे का उदाहरण देते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे कारोबारों के लिये बिना किसी जमानत के 10 लाख रुपये तक ऋण दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “देशभर में अब तक 38 करोड़ मुद्रा ऋण दिये जा चुके हैंय लगभग आठ करोड़ युवा पहली बार उद्यमी बने हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि महिलाओं और अजा,अजजा,ओबीसी वर्ग के युवाओं का हिस्सा इसमें अधिकतम है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भारत के युवाओं के लिये अद्भुत संभावनाओं का ‘अमृत काल’ है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे अपनी सेवाओं के जरिये भारत के विकास को गति दें।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत द्वारा मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में 05 विषयों के चयनित सहायक अध्यापकों (एलटी) को नियुक्ति पत्र प्रदान किये। शिक्षा विभाग के अन्तर्गत 1431 सहायक अध्यापकों को नियुक्ति पत्र प्रदान किये जा रहे हैं। मुख्य सेवक सदन में 150 सहायक अध्यापकों को आज नियुक्ति पत्र प्रदान किये गये।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रेरणादाई संबोधन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा की प्रधानमंत्री जी का देवभूमि उत्तराखण्ड के प्रति विशेष लगाव है। उनके नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में राज्य नई ऊंचाइयों को छू रहा है।

राज्य में मुख्यमंत्री उत्थान योजना एवं ज्ञानकोष योजना शुरू की जायेगी- मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर घोषणा की कि राज्य में मुख्यमंत्री उत्थान योजना एवं ज्ञानकोष योजना शुरू की जायेगी। राज्य में छात्रों को आई.ए.एस., आई.पी.एस., पी.सी.एस., एन.डी.ए, सी.डी.एस., मेडिकल एवं इंजीनियरिंग जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए मुख्यमंत्री उत्थान योजना आरंभ की जाएगी। इस योजना के अंतर्गत ऐसे सभी छात्रों को जो अपनी आर्थिक स्थिति के कारण इन परीक्षाओं की कोचिंग नहीं कर पाते हैं, को निशुल्क कोचिंग सुविधा प्रदान की जाएगी तथा छात्रों को ऑनलाइन स्टडी मटेरियल, ऑफलाइन कक्षाएं, परीक्षा से सम्बन्धित पाठ्यक्रम, प्रश्नबैंक आदि सुविधाए उपलब्ध करायी जायेंगी। ज्ञानकोष योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा विभागीय छात्रावास, आश्रम पद्धति विद्यालयों और विभागीय प्रतिष्ठानों का उपयोग करते हुए प्रत्येक जिले में समृद्ध पुस्तकालय स्थापित किये जायेंगे। इन पुस्तकालयों का उपयोग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवा, छात्र, हमारे शिक्षक एवं समुदाय के सदस्य कर सकेंगे। पुस्तकालयों में योग्य अनुभवी और प्रोफेशन व्याख्याताओं को सूचीबद्ध करते हुए एक सम्पर्क केन्द्र बनाया जायेगा जो प्रतियोगी परीक्षाओं से सम्बन्धित विषयगत समस्या को दूर करेंगे। पुस्तकालयों का पूर्ण उपयोग हो सके इसके लिए विशेषज्ञों को सूचीबद्ध किये जाने, पुस्तकों की व्यवस्था, इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि की समीक्षा विशेषज्ञ समिति द्वारा की जायेगी।

विभागों के रिक्त पदों को भरने के लिए की जा रही है नियमित समीक्षा-सीएम
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी चयनित सहायक अध्यापकों को बधाई देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य में बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिये जाने के लिए एक अभिनव प्रयास के रूप में इस रोजगार मेले की शुरूआत की जा रही है। राज्य सरकार का प्रयास है कि प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध करवाए जाएं और उनके सशक्तिकरण को सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों को भरने के लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। इसके लिए अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी द्वारा प्रत्येक 15 दिन में समीक्षा की जा रही है। पूर्व में जिन भर्तियों में अनियमिताएं पाई गई हैं, उन पर भी पूरी ईमानदारी के साथ कार्रवाई कर रही है, इसी का नतीजा है कि आज नकल माफिया और उसे समर्थन देने वाले या आगे बढ़ाने वाले लोग बहुत परेशान हैं,क्योंकि उन्हें अब दिन में भी स्वयं के जेल जाने के सपने दिखाई दे रहे हैं।

राज्य एवं राष्ट्र का भविष्य विद्यालयों में निर्मित होता हैः सीएम
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के नौजवानों के हितों की किसी भी रूप में अनदेखी नहीं होने दी जाएगी और जो भी दोषी होगा उसको बख्शा नहीं जाएगा। सरकार ने भर्ती परीक्षाओं के लिये प्रदेश में कठोर नकल विरोधी कानून लागू किया है। उन्होंने कहा कि कुछ कुत्सित मानसिकता के लोग अभी भी अनाप-शनाप आरोप लगाकर सरकार की छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे लोग सरकार पर आरोप लगा रहे हैं, जिनको नौकरी और रोजगार के बीच फर्क नहीं पता, वे उपदेश दे रहे हैं। राज्य में नए-नए नैरेटिव गढ़ने के लिए आधी-अधूरी चीजों को पकड़ कर झूठ फैलाने के साथ-साथ युवाओं को भटकाने की कोशिश की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी राज्य व राष्ट्र का भविष्य विद्यालयों में निर्मित होता है। एक अच्छा शिक्षक ही इस भविष्य को गढ़ता है।

सूबे में बनेंगे एक हजार कलस्टर मॉडल स्कूलः डॉ. धन सिंह रावत
शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिये एक हजार विद्यालयों को कलस्टर मॉडल स्कूल बनाया जा रहा है जिनमें तीन किलोमीटर सीमा के तहत आने वाले प्राथमिक, जूनियर, हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट विद्यालयों को एक साथ जोड़कर कलस्टर विद्यालय के रूप में स्थापित किये जायेंगे। इससे जहां एक ओर शिक्षकों की कमी दूर होगी वहीं विद्यालयों के उच्चीकरण एवं साधन सम्पन्न बनाने में भी आसानी होगी। कलस्टर विद्यालयों में आने वाले छात्र-छात्राओं को किराये के रूप में प्रतिदिन 100 रूपये दिये जायेंगे।

प्रदेश के 270 विद्यालय पीएमश्री योजना में किये गये चयनित- शिक्षा मंत्री
प्रदेशभर के 270 विद्यालयों को पीएमश्री योजना के अंतर्गत चयनित किया गया है। जिनमें अवस्थापना कार्यों से लेकर पुस्तकालय, फर्नीचर, स्मार्ट क्लास सहित तमान सुविधाओं एवं पठन-पाठन के लिये 1.5 करोड़ से 2 करोड तक की धनराशि केन्द्र सरकार द्वारा दी जायेगी। डॉ0 रावत ने कहा कि कक्षा-6 से 12 तक के ऐसे छात्र-छात्राओं को जो 60 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करेंगे, उन्हें 600 से लेकर 3000 रूपये तक की छात्रवृत्ति प्रदान की जायेगी। इसके लिये शीघ्र ही मुख्यमंत्री मेधावी छात्रवृत्ति योजना शुरू की जायेगी। शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार राजकीय विद्यालयों में अध्ययनरत 17 लाख छात्र-छात्राओं को निःशुल्क पाठ्य पुस्तक, नोट बुक, स्कूली ड्रेस, स्कूल बैग व जूते उपलब्ध करा रही है। निकट भविष्य में सहायता प्राप्त अशासकीय विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को भी सरकार इस योजना का लाभ देगी।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी, निदेशक माध्यमिक शिक्षा सीमा जौनसारी एवं शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

मिड डे मिल का नाम अब पीएम पोषण, केन्द्र सरकार 1.30 लाख करोड़ करेगी खर्च

स्कूली बच्चों को पर्याप्त पोषण मुहैया कराने में जुटी केंद्र सरकार ने आज एक बड़ा फैसला लिया। इसके तहत स्कूली बच्चों से जुड़ी करीब 26 साल पुरानी मिड-डे मील स्कीम के नाम को बदलकर पीएम पोषण (प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण) करने का एलान किया गया है। इसका मतलब है कि केन्द्र सरकार अब भोजन देने के साथ ही बच्चों को सेहतमंद भी बनाएगी। पूरी स्कीम में कई अहम बदलावों को भी मंजूरी दी गई है। अगले पांच साल में स्कीम पर करीब 1.30 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) की बैठक में मिड-डे मील स्कीम में बदलाव को यह मंजूरी दी गई। इस पूरी योजना का लाभ देशभर के करीब 12 करोड़ स्कूली बच्चों और करीब 11 लाख स्कूलों को मिलेगा। पीएम पोषण के नाम से यह स्कीम इसी वित्तीय वर्ष से लागू होगी।
स्कूली बच्चों को मध्यान्ह भोजन मुहैया कराने के लिए मिड-डे मील स्कीम की यह शुरुआत वर्ष 1995 में की गई थी। तब से यह स्कीम लगातार संचालित है और सरकार की लोकप्रिय स्कीमों में शुमार है। इस पूरे बदलाव के पीछे जो अहम वजह बताई जा रही है, उनमें स्कीम के मौजूदा नाम और स्वरूप में फोकस सिर्फ भोजन पर था, जबकि सरकार का फोकस स्कूली बच्चों को अब पोषण युक्त भोजन उपलब्ध कराने पर है जो नई स्कीम से स्पष्ट हो रहा है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने बुधवार को सीसीईए की मंजूरी के बाद योजना में किए गए बदलावों को साझा किया और कहा कि इसमें पारदर्शिता पर जोर दिया गया है। स्कूलों को पैसा अब सीधे डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के जरिये भेजा जाएगा। साथ ही पोषण युक्त भोजन देने में प्रत्येक जिले को यह छूट भी दी जाएगी कि वह स्थानीय स्तर पर उपयुक्त पोषण युक्त खाद्यान्न या फिर मोटे आनाज को स्कूली बच्चों के खाने में शामिल कर सके।
वहीं, पीएम पोषण के दायरे में अब प्री-प्राइमरी के बच्चे भी शामिल होंगे। यानी उन्हें भी स्कूलों में अब पोषण युक्त भोजन मिलेगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद ही प्री-प्राइमरी को स्कूली शिक्षा में जोड़ा गया है। स्कूलों में इसके लिए बाल वाटिका खोलने का प्रस्ताव है। एक सवाल के जवाब में प्रधान ने कहा कि अगले दो से तीन साल में सभी स्कूलों में बाल वाटिका खुल जाएंगी।
पोषण मुहिम में सरकार ने स्कूली बच्चों के बीच आपसी जुड़ाव बढ़ाने के लिए तिथि भोजन की पहल को भी तेजी से आगे बढ़ाने का फैसला लिया है। इसमें स्कूली बच्चों को महीने में कम से कम एक दिन या विशेष अवसरों पर घर से खाने का एक और टिफिन लाना होगा जो वे आस-पास के किसी दूसरे स्कूल में जाकर बच्चों को खिलाएंगे। साथ ही उसके साथ अपना टिफिन भी खाएंगे।
यह स्कीम सीबीएसई स्कूलों में शुरू की जा चुकी है। साथ ही यह स्वैच्छिक है। जो बच्चे चाहें, इस मुहिम में शामिल हो सकते हैं। नई स्कीम में स्कूलों में शुरू हुई पोषण बगीचे (न्यूट्रिशन गार्डन) की मुहिम को रफ्तार देने पर भी जोर दिया गया है, जिसमें ताजी सब्जियां आदि उगाई जाती हैं।

छात्रों के सर्वांगीण विकास और नई शिक्षा नीति को लेकर विद्या भारती के स्कूलों की हुई बैठक

सरस्वती विद्या मंदिर इंटर काॅलेज आवास विकास में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति व छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास हेतु सभी आचार्यो व प्रधानाचार्य की विद्याभारती उत्तराखंड द्वारा एक बैठक आयोजित की गई।

बैठक का शुभारंभ डोमेश्वर साहू (क्षेत्रीय संगठन मंत्री), डॉ अनिल शर्मा हिंदी प्रवक्ता (विद्या भारती पदाधिकारी), विनोद रावत (सह प्रदेश निरीक्षक शिशु शिक्षा समिति) एवं विद्यालय के प्रधानाचार्य राजेंद्र प्रसाद पांडे ने संयुक्त रूप से मां सरस्वती के चित्र पर पुष्पार्चन कर किया। बैठक में डोमेश्वर साहू ने छात्र छात्राओं के सर्वांगीण विकास को लेकर व नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए सभी आचार्यो व प्रधानाचार्यो को बताया कि हमे उस ट्रेन के इंजन की तरह आगे खड़े रहना है। पूरी ट्रेन की बोगियों को आगे लेकर जाना है, तो हमें अभी से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रयोगों व सिद्धान्तों को अपना लेना चाहिए। क्योंकि हम शिक्षाविद है और हमारी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका है।

वही बैठक में ऋषिकेश क्षेत्र के विद्या भारती द्वारा संचालित विद्यालय के प्रधानाचार्यो ने अपने अपने विद्यालय की कार्यप्रणाली को विद्या भारती के पदाधिकारियों के सम्मुख रखा। बैठक मे विजय बड़ोनी, रजनी रावत एवं ऋषिकेश क्षेत्र के शिशु व विद्या मंदिर के लगभग 75 आचार्यगण आदि उपस्थित रहे।