अमित शाह की बैठक में नैनीताल से ही वर्चुअली जुड़े सीएम धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गृह एवं सहकारिता मंत्री, भारत सरकार अमित शाह की अध्यक्षता में प्राकृतिक कृषि एवं डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन से सम्बंधित कार्यक्रम पर आयोजित बैठक में नैनीताल क्लब से वर्चुअल प्रतिभाग किया। बैठक में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं कृषि मंत्रियों द्वारा वर्चुअल प्रतिभाग किया गया।
नैनीताल से वर्चुअल कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्राकृतिक कृषि से जुड़ी संभावनाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आज जैविक मंथन किया जा रहा है। इस मंथन से एक ऐसा अमृत प्राप्त होगा जो जैविक कृषि के क्षेत्र में संभावनाओं के नए द्वार खोलने में सहायक सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड प्राकृतिक दृष्टि से परम्परागत कृषि के लिए एक उपयुक्त राज्य है। उत्तराखण्ड जैव विविधताओं वाला प्रदेश है। जैव विविधता के कारण उत्तराखण्ड में जड़ी-बूटी और सुगन्धित पौध आदि के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं जिस पर राज्य सरकार द्वारा कार्य किया जा रहा है व अधिक कार्य करने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे किसान पर्वतीय अंचल में प्रचलित परम्परागत कृषि में आधुनिक तकनीकी ज्ञान का समावेश कर भूमि की उत्पादकता और फसलों के उत्पादन में वृद्धि ला रहे हैं। किसानों के इन प्रयासों को सरकार के स्तर से थोड़ा और बल दिए जाने पर किसानों की आय और उनके जीवन स्तर में अभूतपूर्व परिवर्तन लाया जा सकता है। राज्य सरकार की कोशिश है कि जैविक कृषि करने वाले किसानों के लिए व्यापारिक संभावनाओं को बढ़ाया जाए ताकि अधिक से अधिक किसान जैविक कृषि को अपनाकर अपनी आर्थिकी सशक्त करें।
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा कि प्रदेश की कुल कृषि योग्य भूमि में से 2.17 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल को जैविक कृषि के अंतर्गत आच्छादित किया गया है और यह क्षेत्रफल कुल कृषि भूमि का 34 प्रतिशत है। “आत्म निर्भर प्राकृतिक किसान योजना“ के तहत राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए इस वर्ष 10 करोड़ की प्राविधान किया गया है। इसके अतिरिक्त 5 करोड़ रुपए से प्राकृतिक कृषि नमामि गंगा कॉरिडोर शुरू कर रहा है। इस योजना से गंगा तट पर 5 किमी की परिधि में प्राकृतिक कृषि के लिए प्रोत्साहन दिया जायेगा। हमने प्राकृतिक कृषि उत्पाद की मार्केटिंग के लिए 2 डेडिकेटेड एफ.पी.ओ का गठन कर रहा है। यह सहकारिता विभाग द्वारा किया जायेगा। इसके साथ ही प्राकृतिक खेती के सभी पहलुओं को बढ़ावा देने के लिए “आत्म निर्भर प्राकृतिक किसान बोर्ड“ का गठन किया जा रहा है। बेहतर उत्पादन के लिए “गोवर्धन“ की योजना को “प्राकृतिक कृषि योजना“के साथ एकीकृत किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के दोनों कृषि विश्वविद्यालयों में प्राकृतिक कृषि पाठ्यक्रम भी शुरू किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक कृषि बढ़ावा देने के लिए राज्य के सभी जनपदों में किसानों को प्राकृतिक कृषि विषयक प्रशिक्षण कराया गया है। इसके अतिरिक्त किसानों के लिए विशेष कार्यशालाओं का भी आयोजन किया जा रहा है। उन्हें जैविक कृषि को लेकर बनी योजनाओं से जोड़ा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में प्राकृतिक कृषि उत्पादों की मांग बढ़ रही है। राज्य सरकार का प्रयास है कि इसका अधिक से अधिक लाभ राज्य के किसानों को मिले।
इस अवसर पर विधायक सरिता आर्य, राम सिंह कैडा, जिला पंचायत अध्यक्ष बेला तोलिया, जिला अध्यक्ष प्रदीप बिष्ट, सचिव डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम, डीआईजी कुमाऊं नीलेश आनन्द भरणे, जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल, एसएसपी पंकज भट्ट, मुख्य विकास अधिकारी डॉ संदीप तिवारी, अपर जिलाधिकारी अशोक जोशी, शिवचरण द्विवेदी के अलावा मंडल अध्यक्ष, सभासद, अन्य जनप्रतिनिधि व अधिकारी उपस्थित रहे।

उत्तराखंड के उत्पाद को अन्तरराष्ट्रीय बाजार में मिल रही मांग

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय से एपिडा के माध्यम से उत्तराखण्ड में उत्पादित आम की प्रथम खेप, शहद एवं राजमा के अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात हेतु भेजे जा रहे वाहनों का फ्लैग ऑफ किया। इस अवसर पर 1.5 टन आम, 28 टन राजमा एवं 80 टन शहद का अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए निर्यात किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एपिडा के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए राज्य के जो उत्पाद भेजे जा रहे हैं, यह सराहनीय पहल है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आने वाले समय में उत्तराखण्ड के स्थानीय उत्पादों की अन्तरराष्ट्रीय मार्केटिंग के लिए गुणात्मक वृद्धि होगी। उत्पादन को कैसे अच्छी मार्केटिंग मिले इस दिशा में सरकार द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। उत्पादों की ब्रांडिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे स्थानीय उत्पादों को अधिक से अधिक बढ़ावा मिले इसके लिए और अधिक प्रयासों की जरूरत है। राज्य में किसानों की आजीविका को बढ़ाने के लिए एवं आवश्यक सभी व्यवस्थाओं को और प्रभावी बनाने के लिए कृषि कलेण्डर भी बनाया गया है। उत्तराखण्ड के छोटे कृषकों की आर्थिकी को बढ़ाने के लिए कलस्टर के विकास हेतु, सहकारिता, कृषि एवं उद्यान विभाग के माध्यम से अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट से पूर्व कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ संवाद किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने किसानों की आय दुगुनी करने का जो संकल्प लिया है, उस संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाने के लिए उत्तराखण्ड में राज्य सरकार द्वारा पूरे प्रयास किये जा रहे हैं। केन्द्र एवं राज्य सरकार की कृषि कल्याण से संबंधित योजनाओं को समाज के अंतिम पंक्ति के लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। 2025 में उत्तराखण्ड राज्य स्थापना दिवस की रजत जयंती मनायेगा, तब तक किसानों की आजीविका वृद्धि के लिए कृषि, उद्यान, सिंचाई एवं अन्य संबंधित विभाग पॉयलट प्रोजेक्ट के रूप में क्या कर सकते हैं, इस पर विशेष ध्यान दिया जाए। राज्य के रजत जयंती वर्ष पर सभी विभागों को कुछ ऐसे कार्य करने होंगे, जो देश एवं हिमालयी राज्यों के लिए मॉडल हों। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में जल्द किसान प्रोत्साहन योजना लाई जायेगी।
कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में केन्द्र सरकार द्वारा एवं मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने के लिए अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड जब राज्य स्थापना दिवस की रजत जयंती मनायेगा, तब तक कृषि एवं उद्यान के क्षेत्र में राज्य में उत्पादन दोगुना किये जाने का लक्ष्य रखा गया है। किसानों को उच्च गुणवत्तायुक्त पौध उपलब्ध कराने के लिए नर्सरी बनाई जा रही है।
सचिव कृषि शैलेश बगोली ने कहा कि राज्य के उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ ही उत्पादों को अच्छा मार्केट मिले इस दिशा में लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। उत्पादों के वैल्यू एडिशन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। राज्य से प्रथम बार राज्य के कास्तकारों द्वारा उत्पादित आम की चौंसा एवं लंगड़ा प्रजातियों के उच्च गुणवत्तायुक्त फलों का निर्यात दुबई को किया जा रहा है। किसान उत्पादक संगठनों द्वारा उत्पादित उच्च गुणवत्तायुक्त शहद का निर्यात संयुक्त राज्य अमेरिका को किया जा रहा है। राजमा के निर्यात को बढ़ावा देते हुए राज्य के कृषकों द्वारा उत्पादित उच्च गुणवत्तायुक्त राजमा का निर्यात भी संयुक्त राज्य अमेरिका को किया जा रहा है।
इस अवसर पर अपर सचिव कृषि रणवीर सिंह चौहान, निदेशक उद्यान डॉ. एच. एस. बवेजा, निदेशक कृषि गौरी शंकर, एपिडा के रीजनल हेड डॉ. सी.बी.सिंह, कृषि एवं उद्यान विभाग के अधिकारी तथा कृषक गण उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने सामाजिक उद्यमियों की किया संवाद, सरकार की योजनाओं को रखा आगे


मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से उत्तराखण्ड के सामाजिक उद्यमियों से संवाद करते हुए कहा कि हमें स्थानीय संसाधनों को आधार मानकर आगे बढ़ेंगे, तो आत्मनिर्भर बनने में सुविधा होगी। प्रकृति ने देवभूमि उत्तराखण्ड को बहुत कुछ दिया है। अनेक प्रकार की जैव विविधताएं उत्तराखण्ड में हैं। हिमालयी एवं तराई क्षेत्र के साथ ही राज्य के सम्यक विकास के लिए अनेक संपदाएं उत्तराखण्ड के पास हैं। स्वरोजगार की दिशा में राज्य सरकार द्वारा अनेक कार्य किये जा रहे हैं। इस दिशा में सोचने की जरूरत है कि हम अपने साथ कितने और लोगों को रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि इन्वेस्टर समिट के दौरान राज्य में 01 लाख 25 हजार करोङ रूपये के एमओयू हुए, जिसमें से 25 हजार करोड़ रूपये के कार्यों की ग्राउंडिंग हो चुकी है। राज्य बनने से औद्योगिक क्षेत्र में 2017 तक राज्य में 40 हजार करोड़ रूपये का इन्वेस्टमेंट हुआ, जबकि पिछले साढ़े तीन सालों में 25 हजार करोड़ रूपये का इन्वेस्टमेंट हो चुका है। राज्य में चीड़ की पत्तियों से बिजली एवं चारकोल बनाने के कार्य शुरू किये गये हैं। उत्तराखण्ड के वन क्षेत्र में 27 प्रतिशत क्षेत्र में चीड़ होता है। चीड़ की पत्तियों से वनाग्नि की समस्याएं भी बहुत रहती थी। चीड़ के सदुपयोग एवं स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार के अवसर बढ़ाने में यह पॉलिसी काफी कारगर होगी। इससे 40 हजार लोगों को रोजगार दिया जा सकता है और पर्यावरणीय लाभ भी होंगे। लीसे से अनेक किस्म के आईटम बनते है। ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए हर न्याय पंचायत में रूरल ग्रोथ सेंटर बनाये जा रहे हैं। अभी तक 100 से अधिक ग्रोथ सेंटरों को स्वीकृति दी जा चुकी है। अलग-अलग थीम पर ग्रोथ सेंटर बनाये जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड के स्थानीय उत्पादों को हिमालयी ब्रांड से पहचान दिलाने की दिशा में कार्य किये जा रहे हैं। आर्गेनिक उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। उत्तराखण्ड में टूरिज्म के क्षेत्र में अनेक संभावनाएं हैं। इस दिशा में सरकार अनेक कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत 150 तरह के कार्य किये जा सकते हैं। राज्य में मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना शुरू की गई है। इसके तहत 10 हजार युवाओं एवं उद्यमियों को 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनाएं आवंटित की जायेंगी। यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को स्वरोजगार के लिए काफी कारगर साबित होगी। होम स्टे को राज्य में बढ़ावा दिया जा रहा है। अभी तक 2200 से अधिक होम स्टे रजिस्टर्ड हो चुके हैं।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस अवसर सामाजिक उद्यमिता के क्षेत्र में कार्य करने वाले विभिन्न लोगों से बात की। उन्होंने मशरूम उत्पादन में कार्य करने और इसके लिए अन्य लोगों को प्रशिक्षित कर रही दिव्या रावत, हेल्थ एवं पर्सनल केयर प्रोडक्ट में कार्य करने के साथ ही अन्य लोगों को इससे जोड़ने वाले हर्षपाल चैधरी, ईको टूरिज्म एवं स्थानीय संस्कृति के क्षेत्र में कार्य नुपुर अग्रवाल, होम स्टे चला रही निवेदिता कार्की, आर्टिफिशल इन्टेलीजेंसी के क्षेत्र में कार्य कर रही प्रेक्षा कपरवाण, एडवेंचर और टूरिज्म के क्षेत्र में कार्य कर रहे विक्रम सिंह पंवार एवं मशरूम उत्पादन का कार्य कर रही प्रीति भंडारी से वार्ता की। प्रीति भंडारी ने कहा कि उन्होंने 500 रूपये से मशरूम उत्पादन का कार्य शुरू किया था और आज वे 40 हजार रूपये तक प्रतिमाह कमा लेती हैं।

मौक पर उच्च शिक्षा उन्नयन समिति की उपाध्यक्ष दीप्ति रावत, सचिव राधिका झा, पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एस.एस.नेगी, मुख्यमंत्री के तकनीकि सलाहकार डॉ. नरेन्द्र सिंह, आईटी सलाहकार रविन्द्र दत्त, निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल, कार्यक्रम संयोजक अखिलेश रावत आदि उपस्थित थे।