कृषि उत्पादन को बढ़ाने का प्रयास करना जरुरीः त्रिवेन्द्र रावत

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सर्वे चैक स्थित आईआरटीडी आडिटोरियम में राज्य स्तरीय शून्य लागत (जीरो बजट) प्राकृतिक कृषि से संबधित एक दिवसीय कार्यशाला का दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में आजीविका का सबसे मुख्य साधन कृषि है। हमारी लगभग 64 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर आधारित है। 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प को पूरा करने के लिए कृषि कार्यों में उत्पादन लागत कम करने व प्रोडक्शन में वृद्धि पर विशेष ध्यान देना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्पादन बढ़ाने तथा उसकी लागत कम करने के लिए प्राकृतिक कृषि से संबंधित पालेकर कृषि माॅडल उपयोगी साबित हो सकता है। विशेषकर उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक कृषि काफी कारगर साबित हो सकती है। प्राकृतिक खेती में जैव अवशेषों, कम्पोस्ट व प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग किया जाता है, जो पर्वतीय क्षेत्र में आसानी से उपलब्ध होते हैं। प्राकृतिक खेती से कृषकों पर व्यय भार भी नहीं पड़ेगा व उत्तम गुणवत्ता के उत्पादों में भी इजाफा होगा। प्राकृतिक खेती कृषि, बागवानी व सब्जी उत्पादन के लिए उपयोगी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती में रासायनिक उत्पादों का प्रयोग कम से कम हो इसके लिए राज्य में प्रभावी प्रयास हुए हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती पर कौशल विकास व कृषि विभाग के माध्यम से प्रशिक्षण भी दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पालेकर कृषि माॅडल हिमांचल प्रदेश में भी सफल हुआ है। उत्तराखण्ड में इस माॅडल पर विस्तृत अध्ययन कराया जायेगा। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इसके लिए एक कमेटी भी बनाई जायेगी।
पद्मश्री सुभाष पालेकर ने कहा कि परम्परागत खेती व रासायनिक खेती के बजाय प्राकृतिक खेती पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। प्राकृतिक खेती में लागत ना के बराबर है जबकि यह मृदा की उर्वरा शक्ति को बनाये रखने व शुद्ध पौष्टिक आहार का एक उत्तम जरिया है। उन्होंने कहा कि उद्योग व रासायनिक कृषि वैश्विक तापमान वृद्धि के प्रमुख कारक हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को एक मिशन के रूप में लिया जा रहा है। इसके लिए किसी भी प्रकार के अतिरिक्त बजट की आवश्यकता नहीं है। यह कृषि राज्य में उपलब्ध संसाधनों से आगे बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि हिमांचल में प्राकृतिक कृषि पर कार्य किया जा रहा है। जिसके अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। उत्तराखण्ड व हिमांचल की भौगोलिक व आर्थिक स्थिति में काफी समानता है। देश की कृषि व्यवस्था सुदृढ़ होगी तो आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।
इस अवसर पर विधायक खजानदास, रेशम बोर्ड के अध्यक्ष अजीत चैधरी, बीज बचाओ आन्दोलन के प्रणेता विजय जड़धारी, सचिव कृषि डी सेंथिल पांडियन, डाॅ. देवेन्द्र भसीन, वृजेन्द्र पाल सिंह व विभिन्न विश्वविद्यालयों के कृषि विशेषज्ञ उपस्थित थे।

पालेकर के सुझावों से उत्तराखंड में कृषि उत्पादन को मिलेगा बढ़ावाः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिये पद्मश्री सुभाष पालेकर के सुझावों पर अमल किया जायेगा। इसके लिये शीघ्र ही प्रदेश में जनजागरूकता के लिये कार्यशालाओं का आयोजन किया जायेगा, इसके साथ ही उन्होंने इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति से शीघ्र प्रभावी कार्य योजना तैयार करने के भी निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री ने इस सम्बन्ध में शिमला व महाराष्ट्र में आयोजित होने वाली कार्यशाला में सम्बन्धित विभागीय अधिकारियों एवं कृषि विशेषज्ञों के प्रतिभाग के भी निर्देश दिये हैं ताकि इसकी व्यापक जानकारी होने के साथ ही अधिक से अधिक किसान इससे जुड सकेंगे।
मुख्यमंत्री आवास में पद्मश्री सुभाष पालेकर, लोक भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजेन्द्र व गोपाल उपाध्याय के साथ ही शासन के उच्चाधिकारियों व सम्बंधित विभागों के अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री ने पालेकर के सुझावों को राज्य हित में बताते हुए उनके सुझावों पर अमल करने के निर्देश अधिकारियों को दिये।
पालेकर ने कहा कि उत्तराखण्ड की जैव विविधता ज्यादा है। यहां के वनों को कृषि के साथ जोड़कर प्राकृतिक खेती के माध्यम से हम उत्तराखण्ड को वास्तव में देवभूमि बनाने में मददगार हो सकेंगे। उन्होंने प्राकृतिक खेती के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसकी विशेषताओं व विशिष्टताओं की जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक कृषि से हम बीमारियों से दूर रह सकते हैं। इसकी बेहतर मार्केटिंग से आय के साधनों में वृद्धि होगी। पर्यावरण को बचाने, आर्थिक व सामाजिक बदलाव के साथ ही पारम्परिक खेती को बचाये रखने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस पर सभी विभागों को समन्वय के साथ कार्य करना होगा। उन्होंने इसके लिये हर सम्भव सहायता का आश्वासन भी मुख्यमंत्री को दिया है।
इस अवसर पर मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश, सचिव भूपिन्दर कौर औलख, अमित नेगी, डी0 सैंथिल पांडियन, जिलाधिकारी देहरादून एस ए. मुरूगेशन सहित जीबीपंत कृषि विश्व विद्यालय व अन्य सम्बन्धित विभागों के अधिकारी व कृषकगण उपस्थित थे।