भाजपाईयों ने आईडीपीएल में किया पौधारोपण

आज वीरभद्र मंडल अध्यक्ष अरविंद चौधरी के नेतृत्व में इंटर कॉलेज आईडीपीएल में पॉलीथिन उन्मूलन पर प्रधानाचार्य त्रिलोचन सिंह के सहयोग से विद्यालय के छात्र छात्राओं व मंडल में रहने वाले पार्टी पदाधिकारी, समाजसेवियों के साथ मिलकर वृहद पौधारोपण का कार्य किया गया।
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्मृति दिवस हरेला पर्व वह पॉलिथीन हटाओ राज्य बचाओ के संकल्प को लेकर कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें सभी ने पॉलिथीन का प्रयोग न करने की शपथ ली।

जिला महामंत्री सुदेश कंडवाल ने पॉलीथिन से होने वाले नुकसान के बारे में बताया कार्यक्रम में महामंत्री सुंदरी कंडवाल ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी संगठन द्वारा हरेला पर्व और डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्मृति दिवस 9 जुलाई से 19 जुलाई तक मनाया जाना है। जिसमें आज आईडीपीएल इंटर कॉलेज में विद्यार्थियों को पॉलीथिन का उपयोग ना करने और हरेला पर्व को धूमधाम से मनाए जाने का आह्वान किया पर्यावरण संरक्षण और सुरक्षा सब हमारे हाथ में है अतः हम सभी प्रयास करें और अपने पर्यावरण को बचाने के लिए हर संभव कोशिश करें।

मंडल अध्यक्ष अरविंद चौधरी, मंडल महामंत्री व पार्षद सुंदरी कंडवाल, पार्षद लक्ष्मी रावत, युवराज, पूर्व मंडल अध्यक्ष अविनाश, महिला मोर्चा के महामंत्री पुनीता भंडारी, शशि सेमल्टी, गीता मित्तल, माया घले, राहुल कुकरेती, बालम सिंह, दिनेश शर्मा, विमलेश शर्मा, विनीता बिष्ट, शशि राणा, राजेश कोठियाल, डॉ प्रशांत कटियार, मौजूद रहे।

पौधारोपण मानव सभ्यता को संरक्षण देने के समानः मेयर अनिता

चिपको आदोंलन की वर्षगांठ पर मेयर अनिता ममगाईं ने गोरा देवी चैक पर पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। मौके पर विभिन्न प्रजातियों के पौधे रोपे गए। मेयर अनिता ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण जरूरी है इसिलिये हम सभी को अधिक से अधिक पौधरोपण कर धरती को हरा भरा बनाने में अपना सहयोग करना चाहिए। वृक्षों के बिना धरती पर जीवन संभव नहीं, मानव जीवन में प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में वृक्षारोपण करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि चिपको आन्दोलन की विरासत के रूप में ग्रामीणों को मिले जंगल को ग्रामीणों ने आज भी एक धरोहर के रूप में संरक्षित व पोषित किया हुआ है। भविष्य में भी पर्यावरण संरक्षण के लिए निगम की ओर से कार्यक्रम निरंतर जारी रहेंगे। इस अवसर पर सहायक नगर आयुक्त एलम दास, वन क्षेत्राधिकारी महेंद्र सिंह रावत, स्थानीय पार्षद एडवोकेट राकेश सिंह मियां, विजेंद्र मोगा, विजय बडोनी, कमला गुनसोला, कमलेश जैन, जगत नेगी, डीपी रतूड़ी, पंकज शर्मा, प्रशांत कुमार, राजपाल ठाकुर, जसवंत सिंह रावत, अक्षत खेरवाल, मनु कोठारी, जॉनी लामा, प्रिंस गुप्ता, विपिन कुकरेती, राजेश कोठियाल, रेखा सजवान सच्चिदानंद भट्ट,अंजलि रावत,सुनीता नोटियाल, सफाई निरीक्षक सचिन रावत, अभिषेक मल्होत्रा, नरेश खारवाल आदि उपस्थित थे।

हिमालय दिवस पर बोले सीएम, हिमालय के संरक्षण की पहली जिम्मेदारी हमारी

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने हिमालय दिवस के अवसर पर जारी अपने संदेश में कहा कि हिमालय न केवल भारत बल्कि विश्व की बहुत बड़ी आबादी को प्रभावित करता है। यह हमारा भविष्य एवं विरासत दोनों है, हिमालय के सुरक्षित रहने पर ही इससे निकलने वाली सदानीरा नदियां भी सुरक्षित रह पायेंगी, हिमालय की इन पावन नदियों का जल एवं जलवायु पूरे देश को एक सूत्र में पिरोता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय हमारे जीवन के सरोकारों से गहनता से जुड़ा हुआ है, अतः हिमालय के संरक्षण की पहली जिम्मेदारी भी हमारी है। हिमालय के संरक्षण के लिए इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, नदियों एवं वनों का भी संरक्षण आवश्यक है, इसीलिए जल संरक्षण, संवर्धन तथा व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण राज्य सरकार की प्राथमिकता है। यही नहीं हिमालय संरक्षण के लिए हमने राष्ट्रीय स्तर पर मुहिम भी चलाई, विगत में मसूरी में आयोजित हिमालय कॉन्क्लेव इसका प्रमाण है, इसमें लगभग सभी हिमालयी राज्यों द्वारा हिमालय के पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन के प्रति मसूरी संकल्प पारित कर हिमालय को बचाने का संकल्प भी लिया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय कि समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने, प्रकृति प्रदत्त जैव विविधता, ग्लेशियर, नदियों, झीलों के संरक्षण की दिशा में प्रभावी पहल की आवश्यकता है। हमें हिमालय को उसके व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखना होगा, राज्य सरकार द्वारा अपने स्तर पर इस दिशा में विभिन्न कार्य योजनाओं के माध्यम से कई स्तरों पर विचार गोष्ठियों एवं जन जागरूकता जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है। फिर भी इस व्यापकता वाले विषय पर सभी बुद्धिजीवियों, विषय विशेषज्ञों, प्रकृति प्रेमियों, हिमालय पर उसकी समग्रता का अध्ययन करने वाले अध्येताओं को एक मंच पर आकर संजीदगी के साथ इस दिशा में आगे आना होगा, इसके लिए राज्य सरकार हर संभव सहयोग के लिए तत्पर है।

उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हमारे स्वभाव में है, हरेला जैसे पर्व प्रकृति से जुड़ने की हमारे पूर्वजों की दूरगामी सोच को दर्शाती है। वनों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन भी प्रकृति की प्रेरणा से संचालित हुआ है। पर्यावरण में हो रहे बदलावों, ग्लोबल वार्मिंग के साथ ही जल जंगल जमीन से जुड़े विषयों पर समेकित चिंतन की जरूरत बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि, सामाजिक चेतना तथा समेकित सामूहिक प्रयासों से ही हम इस समस्या के समाधान में सहयोगी बन सकते हैं। रिस्पना, कोसी जैसी नदियों के पुनर्जीवीकरण करने के लिए प्रयास किए जाने के साथ ही गंगा, यमुना व उनकी सहायक नदियों की स्वच्छता के लिए कारगर प्रयास किए जा रहे हैं। नदियों का स्वच्छ पर्यावरण भी हिमालय के पर्यावरण को बचाने में मददगार होगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य सरकार हिमालय के पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए सदैव दृढ़ संकल्पित रही है, इस संबंध में समय-समय पर किए गये अध्ययनों आदि पर तत्परता से कार्य योजना के निर्माण के प्रति ध्यान दिया गया है। प्रतिवर्ष हिमालय दिवस का आयोजन किया जाना इस विषय पर गंभीरता के साथ चिंतन करने के प्रयासों को प्रकट करता है।

वर्ष 2018 में रोपे गए पौधे सही सलामत मिलने पर सीएम हुए खुश

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार को रिस्पना के उद्गम क्षेत्र कैरवान गांव का भ्रमण किया। उन्होंने गत वर्ष इस क्षेत्र में किये गये बृहद पौधरोपण के तहत लगाये गये पौधों की स्थलीय जानकारी प्राप्त की। उन्होंने रिस्पना को ऋषिपर्णा नदी के स्वरूप में लाने के लिये कैरवान गांव व इसके आस-पास के क्षेत्र को ऐतिहासिक स्थल बताते हुए कहा कि इस क्षेत्र में रोपे गये अधिकांश पौधे सही सलामत होने की उन्हें हार्दिक खुशी है। उन्होंने कहा कि 2018 में इस क्षेत्र में सघन पौधरोपण कर 75 हजार से अधिक विभिन्न प्रजाति के पौधों का रोपण किया गया था। उनमें से 90 प्रतिशत पौधों का जीवित होना सुखद अहसास दिलाता है। इन पौधों से उनका लगाव है, इसीलिये इस साल के अंतिम दिन आज उन्हें देखने इस क्षेत्र में आये हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रयास वन से जुड़े लोगों को सीखने का भी अवसर है। यह क्षेत्र एक बेहतर डेस्टिनेशन बनने के साथ ही पानी के स्त्रोत को विकसित करने में मददगार होगा। उन्होंने इन पौधों की देखभाल में लगे लोगों व स्वयंसेवी संस्थाओं की भी सराहना की। मुख्यमंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों को इस क्षेत्र में एक पट्टी में खस की रोपाई करने को कहा, उन्होंने कहा कि खस की जड़ें गहराई तक जमीन के अन्दर रहती हैं जिससे जल संचय में भी मदद मिलती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रारंभिक चरण में रिस्पना एवं कोसी नदी को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके बाद अन्य नदियों को भी पुनर्जीवित किया जायेगा। आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित रखने के लिए जल संरक्षण की दिशा में विशेष प्रयासों की उन्होंने जरूरत बतायी। मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील की कि ‘‘मेरा वृक्ष मेरी याद’’ के भाव से अपने घरों या उसके आसपास एक वृक्ष अवश्य लगाएं। जल संरक्षण के लिए पौधरोपण करना जरूरी है। सूखे जल स्रोतों को पुनर्जीवित करना हम सबका दायित्व है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर क्षेत्र के बच्चों से भी मुलाकात की तथा उन्हें पौधरोपण के महत्व के बारे में बताया।