18 हजार कलस्टर आधारित पॉलीहाउस स्थापना को मिली वित्तीय स्वीकृति

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विजन 2025 के तहत औद्यानिक फसलों का लक्ष्य दोगुना किया जाना है। इस क्रम में उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत सब्जियों एवं फूलों की संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए 18 हजार कलस्टर आधारित पॉलीहाउस स्थापना का प्रस्ताव पर नाबार्ड की आरआईडीएफ योजना के अन्तर्गत 280 करोड़ की स्वीकृति मिली है। जिसमें से 80 प्रतिशत नाबार्ड का अंश अनुदान के रूप में कृषकों को देय है, शेष 20 प्रतिशत कृषक अंश होगा। इसके तहत विभिन्न कार्य किये जाने हैं।

18 हजार पॉलीहाउस में से 12 हजार पॉलीहाउस में वर्तमान में उत्पादित 6.57 लाख मैट्रिक टन से बढ़कर लगभग 7.50 लाख मैट्रिक टन सब्जी उत्पादन होगा। जिसमें लगभग 15 प्रतिशत की प्रतिवर्ष वृद्धि होगी। 18 हजार पॉलीहाउस में से 6 हजार पॉलीहाउस में पुष्पों का उत्पादन कर वर्तमान में उत्पादित 30.22 करोड़ कटफ्लावर से बढ़कर लगभग 37 करोड़ कटफ्लावर का उत्पादन होगा, जिसमें पुष्पों के उत्पादन में लगभग 25 प्रतिशत की प्रतिवर्ष वृद्धि होगी। राज्य में उत्पादित सब्जियों एवं पुष्पों की बिक्री हेतु स्थानीय मण्डियों के साथ-साथ दिल्ली, चण्डीगढ़, लखनऊ की मण्डियों में भी ताजे एवं गुणवत्तायुक्त उत्पाद समय से पहुंचने के कारण उचित मूल्य प्राप्त होगा।

राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में सब्जी एवं पुष्पों की खेती से कृषकों की आय प्राप्त होने से सामाजिक एवं आर्थिक वृद्धि से पलायन में कमी आएगी। राज्य में सब्जियों के उत्पादन की वृद्धि होने से सब्जियों एवं पुष्पों के आयात में कमी होगी। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना के अंतर्गत स्थापित होने वाली 1791 इकाइयों को राज्य से ही कच्चे माल की आपूर्ति संभव होगी। इन 18 हजार पॉलीहाउस के अन्तर्गत प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 01 लाख लोगों को स्वरोजगार प्राप्त होगा।

पर्वतीय क्षेत्रों के उत्पादों की मार्केटिंग कर बाजार उपलब्ध कराने के निर्देश

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सोमवार को सचिवालय में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के साथ बैठक आयोजित की। बैठक के दौरान, मुख्य सचिव ने कहा कि फूड प्रोसेसिंग हमारी ताकत है। पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाला उत्पाद बाजार की कमी, मौसम और यातायात बाधित होने के कारण खराब हो जाता है। यह उत्पाद ऐसे ही बर्बाद न हो इसके लिए पर्वतीय क्षेत्रों में ही फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स को बढ़ावा दिया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि इसके लिए पर्वतीय क्षेत्रों में बड़े स्तर पर खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां विकसित किए जाएं। उन्होंने कहा कि इससे किसानों को उत्पादन बढ़ाने के बाद बाजार की चिंता न रहे। इसमें प्राईवेट सेक्टर को बढ़ावा दिया जाए। जो फूड प्रोसेसिंग यूनिट पहले से चल रहे हैं उन्हें और मजबूती प्रदान करने हेतु कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि इससे पर्वतीय क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी और रोजगार भी सृजित होगा। उन्होंने सचिव उद्यान को क्लस्टर आधारित पॉलीहाउस पर भी फोकस किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पॉलीहाउस योजना बड़े स्तर पर शुरू करने के लिए बीज, सैपलिंग और रॉ मटीरियल आदि की पूर्व में ही व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि किसी भी योजना के लिए व्यावहारिक दृष्टि से आ रही समस्याओं को जाने बिना और उसके निराकरण के बिना किसी भी योजना का सफल होना असम्भव है। उन्होंने कहा कि उत्पाद को बढ़ावा देने से पहले उसके बाजार की व्यवस्था और किसानों और अन्य हितधारकों को विश्वास में लेना आवश्यक है। किसानों और अन्य हितधारकों से लगातार संवाद स्थापित कर उनकी समस्याओं को समझ कर उनका निराकरण किए जाने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने कार्ययोजना और उसकी टाईमलाइन पूर्व में ही निर्धारित किए जाने की बात कही।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, सचिव दिलीप जावलकर, बी.वी.आर.सी. पुरषोत्तम, डॉ. पंकज कुमार पाण्डे, अपर सचिव नियोजन रोहित मीणा एवं निदेशक उद्यान एच.एस. बवेजा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।