धामी का प्रयास लाया रंग, रेल लाइन सर्वे को मिली मंजूरी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रेल मंत्रालय द्वारा काशीपुर-धामपुर के बीच 58 किलोमीटर रेल लाइन के सर्वे को मंजूरी प्रदान करने पर प्रसन्नता व्यक्त की है। इस संबंध में मुख्यमंत्री द्वारा पूर्व में केंद्रीय रेल मंत्री से अनुरोध किया गया था। मुख्यमंत्री ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केन्द्रीय रेल मंत्री का आभार व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी वर्षों में इस रेल लाइन के निर्माण से कुमाऊं क्षेत्र के यात्रियों को आवागमन में सुविधा होगी। पर्यटकों को भी इससे आवागमन में सुविधा होगी।

मोबाईल टावर बढ़ाने की स्वीकृति मिली, सीएम के अनुरोध पर और कई सौगातें मिलने की उम्मीद

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्री रेल, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना तकनीक अश्विनी वैष्णव से शिष्टाचार भेंट की। उत्तराखण्ड में मोबाइल नेटवर्क को मजबूत करने के मुख्यमंत्री के अनुरोध पर केंद्रीय मंत्री ने उत्तराखण्ड में बीएसएनएल के 1206 मोबाइल टावर की स्वीकृति दी। प्रत्येक मोबाईल टावर की लागत 1 करोड़ रुपये आएगी। मुख्यमंत्री ने टनकपुर-देहरादून के मध्य एक जनशताब्दी रेल सेवा शुरू किये जाने का भी अनुरोध किया। रूड़की-देवबन्द रेल परियोजना के सम्बन्ध में राज्य सरकार की ओर से अब तक प्रदत्त अंशदान की धनराशि 296.67 करोड़ को अंतिम करते हुए 50 प्रतिशत अंशदान के सापेक्ष शेष देय धनराशि 99.01 करोड़ का भुगतान करने से राज्य सरकार को मुक्त करने का भी आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में कुमाऊँ और गढ़वाल को जोड़ने के लिए देहरादून-काठगोदाम के मध्य चलने वाली एक मात्र रेल सेवा है। नेपाल बॉर्डर होने के कारण वहाँ के लिए लोगों का आवागमन टनकपुर से ही होता है। इसलिए कुमाऊं-गढवाल कनेक्टिविटी को और मजबूत करने के लिए टनकपुर-देहरादून मार्ग पर एक जनशताब्दी रेल को संचालित किया जाना जनहित में अत्यंत आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने टनकपुर बागेश्वर रेल लाइन को नैरोगेज के स्थान पर ब्रॉडगेज बनाये जाने, हरिद्वार-देहरादून रेल लाइन को डबल लेन बनाने, हर्रावाला रेलवे स्टेशन के आधुनिकीकरण, ऋषिकेश-उत्तरकाशी रेल लाइन तथा किच्छा-खटीमा रेल लाइन के निर्माण हेतु भी अनुरोध किया। जिनके संबंध में रेल मंत्री द्वारा सहमति व्यक्त की गयी। मुख्यमंत्री द्वारा टनकपुर से दिल्ली के मध्य चलने वाली पूर्णागिरी जन शताब्दी की यात्रा अवधि को कम करते हुए 5-6 घंटों में यात्रा पूर्ण कराने हेतु आवश्यक व्यवस्था करने का भी अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रूड़की-देवबन्द रेल परियोजना के संदर्भ में राज्य सरकार द्वारा विगत में परियोजना लागत का 50 प्रतिशत वहन करने हेतु प्रदत्त सहमति के क्रम में कुल परियोजना लागत रूपये 791.39 करोड़ के सापेक्ष उत्तराखण्ड राज्य द्वारा अब तक रूपये 296.67 करोड़ का अंशदान रेलवे को दिया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय रेल मंत्री से उत्तराखण्ड जैसे छोटे एवं पर्वतीय राज्य के सीमित वित्तीय संसाधनों को देखते हुए राज्य सरकार की ओर से अब तक प्रदत्त अंशदान की धनराशि को अंतिम करते हुए 50 प्रतिशत अंशदान के सापेक्ष शेष देय धनराशि 99.01 करोड़ का भुगतान करने से राज्य सरकार को मुक्त करने का अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री ने की देहरादून से काठगोदाम के बीच सुबह के समय एक ट्रेन चलाने की मांग

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नई दिल्ली में केन्द्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल से भेंट कर टनकपुर-बागेश्वर रेल लाईन की स्वीकृति वर्तमान वित्तीय वर्ष 2019-20 में करने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने दिल्ली व हल्द्वानी के मध्य एक विशेष रेलगाड़ी व देहरादून से काठगोदाम के लिए सुबह के समय एक शताब्दी या जनशताब्दी गाड़ी प्रारम्भ करने के साथ ही रूड़की-देवबंद परियोजना के अवशेष कार्यों का वित्त पोषण रेल मंत्रालय भारत सरकार से किए जाने का भी आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि टनकपुर-बागेश्वर नई रेल लाईन एक महत्वपूर्ण प्रस्तावित रेल परियोजना है। वर्तमान में टनकपुर तक रेल लाईन स्थापित है। परंतु कुमायूं मण्डल के अन्य जनपद पिथौरागढ़, बागेश्वर पूर्ण रूप से पर्वतीय होने के कारण यहां आवागमन कठिन है। इस क्षेत्र के सामाजिक व आर्थिक विकास की प्रक्रिया को तेज करने, पर्यटक स्थलों का विकास करने व स्थानीय संसाधनों के समुचित उपयोग करने के लिए टनकपुर-बागेश्वर रेल परियोजना अति आवश्यक है। राज्य की सीमाएं नेपाल व चीन से लगी होने के कारण इसका सामरिक महत्व भी है। मुख्यमंत्री ने रेल मंत्री से टनकपुर-बागेश्वर रेल लाईन की स्वीकृति इसी वित्तीय वर्ष 2019-20 में किए जाने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय रेल मंत्री को अवगत कराया कि देहरादून व कुमायूं क्षेत्र जिसका अंतिम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है के मध्य वर्तमान में सुबह व दोपहर के समय कोई भी सीधी रेल सेवा नहीं है। देहरादून व कुमायूं के मध्य काफी संख्या में पर्यटकों व यात्रियों की आवाजाही रहती है। सुबह के समय कोई रेलगाड़ी न होने के कारण लोगों को शाम तक इंतजार करना पड़ता है। इसलिए जनता के हित में देहरादून से हल्द्वानी/काठगोदाम के मध्य सुबह 5 से 6 बजे के बीच एक शताब्दी या जनशताब्दी गाड़ी की सेवा तुरंत प्रारम्भ की जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में दिल्ली से हल्द्वानी के मध्य रेलगाड़ियों की संख्या यात्रियों व पर्यटकों के दृष्टिगत काफी कम है। इसलिए दिल्ली व हल्द्वानी के मध्य एक विशेष रेलगाड़ी की सेवा प्रारम्भ की जाए तो इससे पर्यटकों को भी काफी सुविधा होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2018 में रेल मंत्रालय भारत सरकार द्वारा रूड़की-देवबंद परियोजना की लागत 791.39 करोड़ रूपए पुनर्निधारित की गई है। साथ ही इस रेल परियोजना की लागत का वहन रेल मंत्रालय व उत्तराखण्ड राज्य के मध्य 50ः50 के अंशदान में किए जाने पर सहमति प्रदान की गई थी। रूड़की-देवबंद परियोजना की कुल लम्बाई 27.45 किमी है। इसके तहत उत्तर प्रदेश का लगभग 94 हेक्टेयर व उत्तराखण्ड का लगभग 70 हेक्टेयर क्षेत्र आ रहा है। वर्तमान में रेल मार्ग द्वारा देवबंद (सहारनपुर) से रूड़की (हरिद्वार) आने के लिए अनावश्यक रूप से लम्बी दूरी तय करनी पड़ती है। प्रस्तावित रूड़की-देवबंद रेल लाईन के निर्माण से यात्रियों के समय की बचत होगी और यातायात सुगम होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में परियोजना की कुल लागत 791.39 करोड़ रूपए है। इसके सापेक्ष उत्तराखण्ड राज्य द्वारा 240 करोड़ रूपए का अंशदान परियोजना में किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय रेल मंत्री से अनुरोध किया कि राज्य के सीमित वित्तीय संसाधनों को देखते हुए रूड़की-देवबंद परियोजना में उत्तराखण्ड द्वारा वर्तमान तक दिए गए अंशदान को पर्याप्त मानते हुए प्रोजेक्ट के अवशेष कार्यों का वित पोषण रेल मंत्रालय भारत सरकार से करवाया जाए।