मां गंगा, गौमाता और गीता जैसें ग्रंथों से मिलती है प्रेरणाः सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बन्नू स्कूल, देहरादून में आयोजित ‘एक देश संकल्प गौमाता राष्ट्रधर्म’ महोत्सव में प्रतिभाग किया तथा कथा व्यास गोपाल मणि का आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि मां गंगा, गौमाता और श्रीमद् भगवत गीता जैसे ग्रन्थों से हम सबको प्रेरणा मिलती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम से उपस्थित गौमाता के संरक्षण से जुड़ने की प्रेरणा मिलती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गौमाता को ऐसा दर्जा है जिसके दूध का कर्ज हम कभी नहीं भूला सकते। इनके दूध से दही, मक्खन जैसे खाने के पदार्थ बनते है एवं खाने-पीने के अन्य पकवानों में भी इनका उपयोग होता है। गौमाता के दूध का उपयोग नवजात शिशु के पालन पोषण के साथ-साथ वयस्क लोगों के भी उपयोग में आता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका सौभाग्य है कि आज गोस्वामी तुलसीदास का जन्मदिन है तथा इस अवसर पर उन्हें गौसंरक्षण जैसी मुहिम से जुड़ने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ है। कार्यक्रम में उपस्थित लोग किसी के बुलाने पर नहीं आए है, बल्कि वह भगवान के बुलाने पर यहां आए है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी धार्मिक संस्कृति के अनुसार गौ माता को पूरे संसार की माता का दर्जा दिया गया है। परन्तु समय के साथ-साथ कुछ लोगों द्वारा गौमाता और उनसे संबंधित मनुष्यों के उपयोग में आने वाली सामग्री जैसे गोबर, गौमूत्र का मजाक बनाकर रख दिया है। हमारी सरकार भी गौ संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है और उसके लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं लागू की गई है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारे देश में जितने भी तीर्थ स्थान है, उनके पुनर्निर्माण के लिए तेजी से किये जा रहे है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, केदारनाथ पुनर्निर्माण और आने वाले समय में अयोध्या में राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण पूरा हो जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में धर्मांतरण कानून लागू किया गया है। इसी के तहत लव जिहाद और लैंड जिहाद में भी अगर कोई दोषी पाया गया, तो उसके खिलाफ भी सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

श्री भरत मंदिर में आयोजित भागवत कथा का हुआ समापन

श्रीमद्भागवत कथा के नवम दिवस पर कथा व्यास पूज्य वेदांती जी महाराज ने सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष की मार्मिक कथा के साथ अनेक भावपूर्ण व्यवहारिक प्रसंगों का भक्तों को श्रवण कराया। जिसमें प्रभु कृष्ण के 16 हजार शादियां के प्रसंग के साथ, सुदामा प्रसंग और परीक्षित मोक्ष की कथायें सुनाई। इन कथाओं को सुनकर सभी भक्त भाव विभोर हो गए।

कथा समापन के दौरान पूज्य डा राम कमल वेदांती ने भक्तों को भागवत को अपने जीवन में उतारने की बात कही। जिससे सभी लोग धर्म की ओर अग्रसर हो। कथा के अंतिम दिन सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया। साथ ही भक्तो को बताया कि श्रीमद् भागवत कथा का नो दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है तो वहीं इसे कराने वाले भी पुण्य के भागी होते है।

कथा के समापन के बाद महाराज ने श्री भरत मंदिर परिवार की सुख समृद्धि की कामना और कल्याण का आशीर्वाद दिया और कहा कि गोलोक वासी पूज्य महंत अशोक प्रपन्नाचार्य के धर्म मार्ग के संपूर्ण कार्यों को आगे बढ़ाने का संदेश परिवार को दिया।

इस अवसर पर श्री भरत मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा के नवम दिवस पर कथा मे श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य, हर्ष वर्धन शर्मा, वरुण शर्मा, मधुसूधन शर्मा, रवि शास्त्री, दीप शर्मा, रामकृपाल गौतम आदि सहित सैकड़ों की संख्या में भक्तगण उपस्थित थे।

श्री भरत में भागवत कथा का तृतीय दिन, प्रह्लाद की कथा का हुआ श्रवण

ब्रह्मलीन पूज्य महंत अशोक प्रपन्नाचार्य जी महाराज की पुण्य स्मृति में आयोजित नौ दिवसीय श्रीमदभागवत कथा के तृतीय दिन भक्त प्रह्लाद की कथा का वर्णन किया गया। कथा व्यास डा रामकमल दास वेदांती जी महाराज ने कहा कि हिरणकश्यप नामक दैत्य ने घोर तप किया, तप से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी प्रकट हुए व कहा कि मांगों जो मांगना है। यह सुनकर हिरनयाक्ष ने अपनी आंखें खोली और ब्रह्माजी को अपने समक्ष खड़ा देखकर कहा-प्रभु मुझे केवल यही वर चाहिए कि मैं न दिन में मरूं, न रात को, न अंदर, न बाहर, न कोई हथियार काट सके, न आग जला सके, न ही मैं पानी में डूबकर मरूं, सदैव जीवित रहूं। उन्होंने उसे वरदान दिया।

उन्होंने बताया कि हिरणकश्यप के पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे। हिरणकश्यप भगवान विष्णु को शत्रु मानते थे। उन्होंने अपने पुत्र को मारने के लिए अनेक छल किए लेकिन कामयाब नहीं हुआ, जब प्रहलाद की हट के सामने हिरण्यकश्यपु हार गया तो उसने प्रहलाद को मारने के लिए जैसे ही तलवार उठाया थी कि खंभा फट गया उस खंभे में से विष्णु भगवान नरसिंह अवतार का रूप धारण करके जिसका मुख शेर का व धड़ मनुष्य का था। प्रगट हुए भगवान नरसिंह अत्याचारी दैत्य हिरनयाक्ष को पकड़ कर उदर चीरकर बध कर दिया ।

पूज्य महाराज ने ध्रुव चरित्र पर अपने व्याख्यान में कहा कि विष्णु पुराण में भक्त ध्रुव की कथा आती है, जिसने इस बात को सिद्ध किया कि कैसे एक छोटा बालक भी दृढ़ निश्चय और कठोर तपस्या के बल पर भगवान को धरती पर आने को विवश कर सकता है।

राजा उत्तानपाद की दो पत्नी थी सुनीति पहली पत्नी थी जिसका पुत्र ध्रुव था। सुनीति बड़ी रानी थी लेकिन राजा सुनीति के बजाय सुरुचि और उसके पुत्र को ज्यादा प्रेम करता था। एक बार राजा अपने पुत्र ध्रुव को गोद में लेकर बैठे थे तभी वहां सुरुचि आ गई। अपनी सौत के पुत्र ध्रुव को गोद में बैठा देखकर उसके मन में जलन होने लगी। तब उसने ध्रुव को गोद में से उतारकर अपने पुत्र को गोद में बैठाते हुए कहा, राजा की गोद में वही बालक बैठ सकता है और राजसिंहासन का भी अधिकारी हो सकता है जो मेरे गर्भ से जन्मा हो। तू मेरे गर्भ से नहीं जन्मा है। यदि तेरी इच्छा राज सिंहासन प्राप्त करने की है तो भगवान नारायण का भजन कर। उनकी कृपा से जब तू मेरे गर्भ से उत्पन्न होगा तभी सिंहासन प्राप्त कर पाएगा।

पांच साल का अबोध बालक ध्रुव सहमकर रोते हुए अपनी मां सु‍नीति के पास गया और उसने अपनी मां से उसके साथ हुए व्यवहार के बारे में कहा। मां ने कहा, बेटा ध्रुव तेरी सौतेली से तेरे पिता अधिक प्रेम करते हैं। इसी कारण वे हम दोनों से दूर हो गए हैं। अब हमें उनका सहरा नहीं रह गया। हमारे सहारा तो जगतपति नारायण ही है। नारायण के अतिरिक्त अब हमारे दुख को दूर करने वाला कोई दूसरा नहीं बचा।

मां की बातों से प्रभावित होकर 5 वर्ष का बालक वन गमन की तरफ चल पड़ा अनेक कष्टों को सहते हुए भूखे प्यासे तप करते हुए भगवान नारायण का ध्यान करते हुए उनके दर्शन कर पाया और संसार में प्रतिष्ठित हुआ जो आज भी आकाश मंडल के उत्तर दिशा में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
इस मौके पर श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य जी महाराज, हर्षवर्धन शर्मा, वरुण शर्मा, हाईकोर्ट के सेवा निवृत्त न्यायाधीश वर्तमान में मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष वीएस बिष्ट, मधुसुधन शर्मा, रविशास्त्री, दीप शर्मा, मेजर गोविन्द सिंह रावत आदि भक्तगण उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री ने पर्यटन उद्योग को दिलाई सांसे, चारधाम यात्रा में बपंर बरसा धन

उत्तराखंड में अभी तक पर्यटन क्षेत्र में विकास की अवधारणाएं धीरे-धीरे परवान चल रही थी, आवश्यकता थी तो एक ऐसे मुख्यमंत्री की जो अपनी दूर दृष्टि से पर्यटन के रास्ते में आने वाली सारी रुकावटों को दूर करके केंद्र से समय समय पर उत्तराखंड के विकास के लिए केंद्र सरकार से प्रोजेक्ट और पैसा ला सके। ऐसे में अपने छोटे से कार्यकाल में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी विकास का प्रतीक बन गये हैं। उनके मुख्यमंत्री बनने से पहले उत्तराखंड को सियासी तौर पर एक अस्थिर राज्य माना जाता था। इसकी वजह भी थी। राज्य गठन के बाद प्रदेश में एनडी तिवारी को छोड़कर कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। जिसके चलते बीते 22 साल के भीतर सीएम धामी से पहले उत्तराखंड को 10 मुख्यमंत्री मिल चुके थे। लेकिन बीते साल जब 45 साल के युवा पुष्कर सिंह धामी के हाथों में बीजेपी आलाकमान ने प्रदेश की कमान दी तो उन्होंने अपने नेतृत्व क्षमता से सभी को चकित कर दिया।
ये सभी जानते हैं कि जिस वक्त पुष्कर सिंह धामी को प्रदेश का नेतृत्व सौंपा गया था। उस वक्त उत्तराखंड में बीजेपी की हालत बहुत खराब थी। लेकिन अपने 6 महीने के कार्यकाल में पुष्कर सिंह धामी ने न केवल प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी को साधा, बल्कि प्रदेश की जनता के मन को भी जीत लिया। और जब चुनाव हुए तो उन्होंने मोदी के करिश्माई नेतृत्व के साथ तालमेल बिठाया। जिससे प्रदेश में उन्हें दो तिहाई से ज्यादा बहुमत हासिल हुआ। हालांकि प्रदेश में भागदौड़ करने का उन्हें निजी तौर पर नुकसान हुआ। वो खटीमा से चुनाव हार गये। लेकिन वो प्रदेश की जनता का मन जीत चुके थे। प्रदेश में एक बार फिर लगने लगा था कि प्रदेश को शायद एक और मुख्यमंत्री मिलेगा। तब प्रदेश के लोगों की सांसे अटक गई थी। उन दिनों देहरादून के सीएम आवाज में जिस तरह से प्रदेश के कोने-कोने से टूटकर लोग पहुंच रहे थे। उससे देश के करिश्माई नेता और करोड़ों लोगों के दिलों में राज करने वाले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पहाड़ के लोगों के मन को भांप गये। उन्होंने प्रदेश की जनता के चहेते पुष्कर सिंह धामी को फिर से प्रदेश की बागडोर थमा दी। ये पुष्कर सिंह धामी के विरोधियों के मुंह पर बड़ा तमाचा था।
पुष्कर सिंह धामी को प्रदेश की जनता और बीजेपी के आलाकमान से आशीर्वाद मिल चुका था। लिहाजा उन्होंने खुलकर खेलना शुरु किया। उन्होंने प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी को साफ संदेश दिया कि अब प्रदेश में काम करने का वक्त है और जो काम नहीं करेगा। वो नहीं टिक पायेगा। संदेश साफ था लिहाजा प्रदेश में विकास कार्यों में तेजी आई।
पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में आम चुनाव के बाद अपने दूसरे कार्यकाल के लिए 23 मार्च 2022 को शपथ ली थी। उस वक्त चुनौतियां भी काफी थी। चारधाम यात्रा शुरु होने वाली थी। कोविड के बाद चारधाम यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों में उत्साह दिखाई दे रहा था। सीएम धामी ने यात्रा को सफल बनाने के लिए खुद मोर्चा संभाला। तीर्थ यात्रियों को परेशानी नहीं हो उसके लिए जरुरी प्रबंध किये गये। डॉक्टरों की टीम तैनात की गई। साफ पानी का प्रबंध किया गया। होटल-सरायों में तीर्थयात्रियों को सस्ता भोजन उपलब्ध कराने के लिए अभियान की तरह कार्य किया गया। जिसका नतीजा भी अच्छा निकला। इस साल अब तक करीब 46 लाख तीर्थयात्री चारधाम की यात्रा कर चुके हैं। वहीं चारधाम यात्रा से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार भी मिला है। जो आंकड़ा सामने आ रहा है उसके मुताबिक केदारनाथ और यमुनोत्री धाम में अब तक घोड़ा-खच्चर, डंडी-कंडी और हेली सेवा ने करीब 211 करोड़ का कारोबार किया। अनुमान है कि यात्रा से अब तक गढ़वाल मंडल विकास निगम ने भी करीब 50 करोड़ रुपए कमाये हैं। वहीं केदारनाथ यात्रा से स्थानीय कारोबारियों ने भी अच्छा मुनाफा कमाया है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी बाबा केदारनाथ में बड़ी आस्था है। इसबार जब 21 अक्टूबर को पीएम मोदी केदारनाथ आये तो उन्होंने तीर्थयात्रियों से आग्रह किया कि वे 5 फीसदी खर्च स्थानीय उत्पादों पर करें। वहीं उन्होंने इस बार गौरीकुंड-केदारनाथ और गोविंद घाट- हेमकुंड रोपवे का भी शिलान्यास किया। ये कार्य तभी संभव हो पा रहे हैं। जब प्रदेश में पुष्कर सिंह धामी कुशल नेतृत्व दे पाने में सक्षम हो पा रहे हैं।
ये उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व क्षमता का ही नतीजा है कि इस बार उन्होंने पर्यटकों को लुभाने के लिए जो कारगर कदम उठाये वो सफल साबित हुए। दरअसल प्रदेश में मुख्यमंत्री ने होम स्टे योजना को बढ़ावा देने के लिए रणनीति बनाई। जिससे प्रदेश में महज 6 माह के भीतर ही लाखों की तादाद में सैलानी पहुंच चुके हैं। अकेल नैनीताल जिले में बीते साल जहां 3 लाख 26 हजार सैलानी आये। वहीं इस साल अब तक 3 लाख 96 हजार सैलानी पहुंच चुके हैं।
प्रदेश में पर्यटकों को बेहतर सुविधायें मिलने से कॉर्बेट पार्क भी गुलजार रहा। कॉर्बेट पार्क से मिले आंकड़े के मुताबिक वहां बीते 6 माह यानि अप्रैल के बाद से अबतक करीब 1 लाख 60 हजार सैलानी पहुंच चुके हैं। जिसमें 439 विदेशी सैलानी भी शामिल हैं। सैलानियों के उत्साह को देखते हुए कॉर्बेट प्रशासन ने इस बार गर्जिया जोन भी पर्यटकों के लिए खोल दिया है। वहीं राजाजी पार्क में इस साल अब तक करीब 50 हजार सैलानी पहुंच चुके हैं। असल में पुष्कर सिंह धामी ने जब से राज्य की कमान संभाली है। तब से वे लगातार सड़कों के रख रखाव पर जोर दे रहे हैं। जिससे प्रदेश की सड़कें बेहतर हो चुकी हैं। इससे पर्यटन कारोबार को भी मदद मिल रही है। सड़कें अच्छी होने से सैलानी उत्तराखंड में बार-बार आ रहा है। वहीं मुख्यमंत्री धामी, उत्तराखंड में अवस्थापना विकास पर भी लगातार जोर दे रहे हैं। जिससे प्रदेश के गांव-गांव तक सड़कें पहुंच रही हैं। वहीं सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मार्ग भी तैयार किये जा रहे हैं। वहीं राज्य में दूसरे क्षेत्रों में भी कार्य हो रहे हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि प्रदेश में विकास कार्य तेजी से हो रहे हैं। जो अब धीरे-धीरे सभी की नजर में आने लगे हैं। वहीं प्रदेश को एक पुष्कर धामी के रूप में नया विकास पुरुष भी मिल गया है।

श्री बदरीनाथ सहित चारों धामों के बंद होने की तिथि की हुई घोषणा

उत्तराखंड में चारों धामों के कपाट शीतकाल के लिए बंद करने का ऐलान कर दिया गया है। चमोली जिले में स्थित बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर शनिवार शाम 3 बजकर 35 मिनट के लिए बंद कर दिए जाएंगे। जबकि, गंगोत्री धाम के कपाट 26 अक्टूबर को 12 बजकर 1 मिनट पर अनकूट के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाएंगे।
भैया दूज के अवसर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ और उत्तरकाशी जिले में स्थित यमुनोत्री धामी के कपाट बंद किए दिए जाएंगे। भैया दूज के पावन पर्व पर आने वाली 27 अक्टूबर को विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार के साथ छह माह तक शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।
बुधवार को यमुना मंदिर में यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश उनियाल एवं पंच पंडा पुरोहित महासभा के अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल की उपस्थिति ने यमुनोत्री धाम के तीर्थ पुरोहितों द्वारा दशहरे के शुभ अवसर पर यमुनोत्री धाम के कपाट बंद करने का मुहूर्त निकाला गया।
भैया दूज के पावन पर्व पर 27 अक्टूबर 2022 को दोपहर 12 बजकर 9 मिनट पर सर्व सिद्धि योग, अभिजीत मुहूर्त के शुभ अवसर पर विधिवत पूजा अर्चना के साथ यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए छह माह तक बंद कर दिए जाएंगे। शीतकाल में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु छह माह तक मां यमुना के दर्शन उनके शीतकालीन प्रवास खुशीमठ (खरसाली) में कर सकेंगे। जिसके बाद अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर ग्रीष्म काल के लिए यमुनोत्री धाम में पुनः मां यमुना के कपाट विधिवत दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे।
यमुनोत्री धाम के कपाट बंद करने का मुहूर्त निकालने के इस दौरान यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश उनियाल, पंच पंडा पुरोहित महासभा के अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल, लखन उनियाल, अमित उनियाल, सच्चिदानंद उनियाल, रामस्वरूप उनियाल सहित तीर्थ पुरोहित मौजूद रहे।

तीर्थ यात्रियों का टूटा रिकॉर्ड
बदरीनाथ, केदारनाथ सहित चारों धामों में दर्शन करने वाले तीर्थ यात्रियों का रिकॉर्ड टूटा है। इस साल 2022 में अब तक 38 लाख से ज्यादा तीर्थ यात्री दर्शन करने को धामों में पहुंचे हैं। 8 मई से खुले बदरीनाथ धाम में 3 अक्टूबर तक 1443174 तीर्थ यात्रियों ने दर्शन किए। जबकि, 6 मई से खुले केदारनाथ धाम में 3अक्टूबर तक 1323949 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। 3 मई से खुले यमुनोत्री धाम और गंगोत्री धाम में क्रमश 456885 और 580170 तीर्थ यात्रियों ने दर्शन किया है।

माता अहिल्या का उद्धार कर श्रीराम ने श्राप से दिलाई मुक्ति

सुभाष बनखंडी श्री रामलीला कमेटी के द्वारा रंगमंच के तीसरे दिन श्रीराम जन्म, श्री सीता जन्म, ताड़का और सुबाहु वध व अहिल्या उद्धार की लीलाओं का मंचन स्थानीय कलाकारों द्वारा दिया गया।
श्रीराम जन्म की लीला में दर्शाया गया कि राजा दशरथ की संतान ना होने के चलते उनके द्वारा एक यज्ञ का आयोजन किया गया। जिसके पश्चात उनकी तीन रानियों को चार पुत्रों की प्राप्ति हुई। वहीं, श्री सीता जन्म में दर्शाया गया कि राजा जनक के यहां अकाल पड़ने की वजह से ऋषि-मुनियों ने उन्हें स्वयं हल चलाने की सलाह दी गई। जिसके फलस्वरुप राज्य में वर्षा होने की संभावना जताई गई। राजा जनक के द्वारा हल चलाने पर पृथ्वी से एक घड़े में उन्हें एक कन्या की प्राप्ति हुई। जिसका नाम सीता रखा गया और राज्य में वर्षा होने से अकाल की समस्या का समाधान हो गया।
वहीं, ताड़का और सुबाहु वध में दर्शाया गया कि राक्षसों का आंतक बढ़ने से ऋषि-मुनियों के यज्ञ प्रभावित होने लगे। जिस पर विश्वामित्र ऋषि ने राजा दशरथ से मदद मांगी। उन्होंने श्रीराम और लक्ष्मण को अपने साथ जंगल ले जाकर ताड़का और मारिच-सुबाहु का वध करने की बात कही। राजा दशरथ ने स्वयं चलकर उनका वध करने का अनरोध किया लेकिन विश्वामित्र ने उनके पुत्रों के द्वारा ही उनका वध होगा, ऐसा बताया। जिस पर पिता की आज्ञा पाकर श्रीराम और लक्ष्मण जंगल पहुंचे। उन्होंने ताड़का और सुबाहु का वध किया। मारिच श्रीराम से अपनी जान बचाकर भागने में सफल रहा।
वहीं, अहिल्या उद्धार में दर्शाया गया कि विश्वामित्र ने श्रीराम के द्वारा पत्थर बनी अहिल्या का उद्धार करवाया। इस अवसर पर रामलीला कमेटी सुभाष बनखंडी के अध्यक्ष विनोद पाल, महामंत्री हरीश तिवाड़ी, राजेश दिवाकर, राकेश पारछा, दीपक जोशी, रोहताश पाल, हुकुम चंद, मनमीत कुमार, पप्पू पाल, संजय शर्मा, प्रशांत पाल, महेंद्र कुमार, अनिल धीमान, ललित शर्मा, दया शंकर पांडेय, अशोक मौर्य, सुभाष पाल, पवन पाल, नीतीश पाल आदि उपस्थित रहे।

श्री नानकमत्ता साहिब में हेली सेवा शुरु करने पर होगा विचार-सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब पहुंचकर शीश नवाया। इसके पश्चात पुष्कर सिंह धामी ने डेरा कार सेवा पहुंचकर बाबा हरबंश सिंह, बाबा फौजा सिंह, बाबा टहल सिंह की श्रद्धांजलि सभा में पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की तथा हाथ जोड़कर नमन किया। इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सरोपा व प्रतीक चिह्न भेंट किया। उन्होंने कहा कि बाबा टहल, हरबंश सिंह, बाबा फौजा सिंह ने स्वयं कष्ट सह कर व भूखे-प्यासे रहकर समाज की भलाई एवं सेवा का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि सिख पंथ ने सदा मानव सेवा एवं सेवा भाव का प्रसार किया है और देश तथा गरीबों की सेवा की है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नानकमत्ता शहर का नाम श्री नानकमत्ता साहिब करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि नानकमत्ता साहिब में श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों के आवागमन हेतु हेली सेवा शुरू करने की संभावनाओं पर भी विचार किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि धर्म एवं राष्ट्र की रक्षा में हंसते-हंसते अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले गुरुओं के पराक्रम, तपस्या, त्याग एवं बलिदान तथा उनके संस्कार व व्यक्तित्व की युवा पीढ़ी में झलक हो, इसलिए हमें अपने गुरुओं को याद करना होगा और उनके इतिहास का स्मरण करना होगा। उन्होंने कहा कि गुरुओं ने हमें धर्म, संस्कृति के साथ मान सम्मान से जीवन जीने की प्रेरणा दी है। गुरु तेग बहादुर ने औरंगजेब के जुल्म से धर्म की रक्षा की थी। उन्होंने कहा कि धर्म एवं समाज की रक्षा के लिए गुरु द्वारा दिए गए बलिदान को हम कभी भूल नहीं सकते।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर से धारा 370 हटाकर एक राष्ट्र, एक विधान, एक निशान को लागू किया है। धामी ने कहा कि राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए पूर्व जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में कमेटी ड्राफ्ट बनाने का काम कर रही है, ड्राफ्ट पूरा हो जाने पर उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य जब 25 वर्ष पूर्ण कर रहा होगा तब राज्य देश के अग्रणी राज्यों में शामिल होगा। धामी ने कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के लिए 1064 नंबर लांच किया गया है। उन्होंने कहा कि यदि कोई भी व्यक्ति रिश्वत घूस आदि लेने की मांग करता है तो 1064 नंबर पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं, शिकायतकर्ता का नाम गोपनीय रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि कई सारे रिश्वतखोरों एवं भ्रष्टाचारियों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा जा चुका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरलीकरण, समाधान, निस्तारण के मंत्र को आत्मसात करते हुए सरकार चल रही है। धामी ने कहा कि राज्य में नई कार्य संस्कृति विकसित हो रही है, जिससे कि जरूरतमंदों का काम बिना किसी सिफारिश के स्वतः ही होते चले जाएं।
इस दौरान कमेटी अध्यक्ष हरबंश चुघ, महासचिव अमरजीत सिंह सहित भजन सिंह, राजपाल सिंह, चरणजीत सिंह, पूर्व विधायक डॉ. प्रेम सिंह राणा, जिलाधिकारी युगल किशोर पंत, एसएसपी मंजूनाथ टीसी, संगत आदि उपस्थित रहे।

गणेश महोत्सव में पहुंचकर सीएम ने की प्रदेश की खुशहाली की कामना

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुद्वारा कालोनी, क्लेमेंटाउन स्थित रघुनाथ मंदिर में आयोजित गणेश महोत्सव में प्रतिभाग किया। भारी बारिश के बीच 12 वें गणेश महोत्सव में सम्मिलित होकर मुख्यमंत्री ने गणेश भगवान की पूजा-अर्चना कर प्रदेश की खुशहाली की प्रार्थना की।

भगवान श्री गणेश जी के प्रति अपने श्रद्धा भक्ति के भाव को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर धामी तेज मूसलाधार बारिश के बावजूद भी गणेश महोत्सव कार्यक्रम में पहुंचे। मुख्यमंत्री ने भगवान श्री गणेश का आशीर्वाद भी लिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत देश उत्सवों का देश है। उत्सव समाज को जीवंत बनाते हैं। भगवान गणेश हम सभी के जीवन में सुख समृद्धि लाएं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गणेश महोत्सव के अवसर में 50 लाख की धनराशि देने की घोषणा की और कहा कि इस धनराशि से हॉल बनाया जाएगा ताकि गणेश महोत्सव आने वाले समय में और धूमधाम से मनाया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भारी बारिश में गणेश महोत्सव में इतनी संख्या में लोग आए हैं, ये उनकी श्रद्धा को बताता है। इतना भव्य गणेश महोत्सव का आयोजन किया गया है।

इस अवसर पर विधायक विनोद चमोली, मेयर देहरादून सुनील उनियाल गामा, अध्यक्ष, राज्य वन विकास निगम श्री कैलाश गहतोड़ी आदि गणमान्य उपस्थित थे।

धामों में मोबाइल, पर्स मंदिर के अंदर ले जाने पर पूरी तरह नियंत्रित करने की मांग

श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने प्रदेश के मुख्य सचिव एसएस संधू को पत्र लिखकर श्री केदारनाथ एवं श्री बदरीनाथ मंदिरों के निकट क्लॉक रूम बनाने का सुझाव दिया है, ताकि मंदिर में दर्शन हेतु जा रहे तीर्थयात्रियों के मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, बैग इत्यादि वहां जमा हो सकें।
उल्लेखनीय है कि विगत दिवस बीकेटीसी ने श्रद्धालुओं की संख्या में कमी को देखते हुए केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश की छूट दे दी थी। ऐसे में कतिपय शरारती तत्वों द्वारा गर्भ गृह का वीडियो बनाकर इंटरनेट पर वायरल कर दिया गया। जिस पर श्रद्धालुओं व तीर्थपुरोहितो ने कड़ी आपत्ति जताई है।
वीडियो बनाकर वायरल होने की घटना पर बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र ने भी कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने इस मामले में मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह को प्रकरण की जांच कर वहां ड्यूटी पर तैनात कार्मिकों से स्पष्टीकरण मांगने के निर्देश दिए हैं।
इसके साथ ही अजेंद्र ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर श्री केदारनाथ व श्री बदरीनाथ मंदिर की सुरक्षा की दृष्टि से एहतियाती कदम उठाने को कहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान यात्रा काल में अब तक लाखों लोग दोनों धामों की यात्रा कर चुके हैं। कतिपय यात्री मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, बैग इत्यादि के साथ मंदिर में प्रवेश कर जाते हैं, जो मंदिर के साथ-साथ श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए उचित नहीं है। लिहाजा, दोनों मंदिरों के निकट क्लॉक रूम बनाया जाए। जहां पर यात्रियों के मोबाइल, बैग इत्यादि सामान जमा कर सकें।

केदारनाथ मंदिर में अब गर्भगृह के भी होंगे दर्शन

केदारनाथ जाने वाले तीर्थ यात्री अब मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन कर सकेंगे। अब तक धाम में भारी भीड़ को देखते हुए श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की ओर से तीर्थ यात्रियों को सभामंडप से ही बाबा के दर्शन कराए जा रहे थे। लेकिन, मानसून सीजन में तीर्थ यात्रियों की संख्या में कमी आने के कारण शुक्रवार से उन्हें गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति दे दी गई।
मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि इस वर्ष मई-जून में रिकार्ड तीर्थ यात्री बाबा के दर्शनों को केदारनाथ धाम पहुंचे। इसके चलते गर्भगृह में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और तीर्थ यात्री सभामंडप से ही बाबा के दर्शन कर रहे थे। लेकिन, मानसून सीजन में तीर्थ यात्रियों की संख्या काफी कम हो गई है, लिहाजा अब वे गर्भगृह में जाकर पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
मंदिर समिति के अध्यक्ष ने बताया कि शुक्रवार से मंदिर में दर्शनों का समय भी बदल दिया गया है। अब सुबह चार बजे के स्थान पर पांच बजे से धर्म-दर्शन शुरू हो रहे हैं। दोपहर बाद तीन से शाम 4ः45 बजे तक भोग-पूजा व सफाई के लिए मंदिर के कपाट बंद रखे जा रहे हैं। शाम को शृंगार पूजा के बाद रात नौ बजे मंदिर के कपाट बंद कर दिए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बदरीनाथ धाम में भी भगवान नारायण की अभिषेक पूजा सुबह पांच बजे से शुरू हो रही है। पूजा के दौरान तीर्थ यात्रियों को धर्म दर्शन की अनुमति है। शाम को विभिन्न पूजाओं के बाद रात नौ बजे कपाट बंद कर दिए जा रहे हैं। बताया कि दोनों धाम में अब तक 17 लाख 38 हजार 499 तीर्थ यात्री दर्शनों को पहुंच चुके हैं।