धार्मिक स्वरूप से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं, संत समाज

संत समिति (रजि.) ऋषिकेेश ने महानंद आश्रम रेलवे रोड़ में बैठक की। बैठक में ऋषिकेश तीर्थनगरी क्षेत्र में तेजी से बदले जा रहे तीर्थनगरी के धार्मिक स्वरूप पर संत समिति ने चिंता जताई।

संत समिति के अध्यक्ष महंत विनय सारस्वत महाराज की अध्यक्षता में समिति की बैठक आयोजित की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महंत विनय सारस्वत महाराज ने कहा कि तीर्थनगरी ऋषिकेश का धार्मिक स्वरूप लगातार बिगड़ता जा रहा है। यहां मौजूद सैकड़ों धर्मशालाओं, मठ और मंदिरों से तीर्थनगरी की पहचान पूरे विश्व में धार्मिक क्षेत्र के रूप में जानी जाती थी। मगर, दुर्भाग्य का विषय है कि लगातार कुछ भू-माफियाओं द्वारा धार्मिक संपत्तियों को खुर्द-बुर्द कर उन्हें व्यवसायिक स्वारूप में तब्दील किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऋषिकेश चारधाम यात्रा का प्रमुख स्थल और प्रवेश द्वार है, यहां पूरे वर्ष भर लाखों की संख्या में तीर्थयात्री पहुंचते हैं। मगर, मंदिर, मठ और धर्मशालाओं के अभाव में तीर्थयात्रियों को अन्न क्षेत्र और धर्मशालाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। लगातार खुर्द-बुर्द हो रही धर्मशालाओं व अन्न क्षेत्रों के कारण विगत कुछ वर्षों से यात्रियों को सड़कों पर खुले आसमान के नीचे सोते हुए देखा जा सकता है।

महंत विनय ससरस्वत महाराज ने आरोप लगाया कि पूर्व में भी कई धार्मिक संपत्तियों का स्वरूप बदला जा चुका है। जबकि वर्तमान में भी स्वामी विशुद्धानंद महाराज द्वारा स्थापित काली कमली ट्रस्ट द्वारा यात्रियों के निवास स्थान को व्यवसायिक उपयोग के लिए उसका स्वरूप बदला जा रहा है। टाल वाली धर्मशाला तथा स्थित न्यू बिल्डिंग में भी दुकानदारों को ऊपर के यात्री कमरों को भीतर से ही रास्ता देकर गोदाम बनाकर बेचा जा रहा है। इसी तरह सुभाष चैक स्थिति जिंदबाड़ा जो, राजा जिंद द्वारा संस्कृत विद्यालय, गोशाला व अन्य धार्मिक कार्यों के लिए दान दिया गया था, उसमें भी व्यवसायिककरण करने का प्रयास किया जा रहा है, पूरी तरह से निंदनीय है।

महंत विनय सारस्वत महपराज ने कहा कि संत समिति इस मामले को लेकर पूर्व में भी कई बार सरकार व प्रशासन को चेता चुकी है। मगर, इस पर अमल नहीं किया गया। बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया गया कि जो भी धार्मिक संस्थाएं व ट्रस्ट, धार्मिक संपत्तियों का व्यवसायीकरण कर रहे हैं, संत समिति उसका विरोध करती है। संतों ने मांग की कि धार्मिक संपत्ति को बेचने और खरीदने वाले दोनों पक्षों के खिलाफ सरकार रासूका व गुंडप एक्ट के तहत कार्रवाई करे। इस अवसर पर प्रस्ताव पास किया गया कि संत समिति शीघ्र ही इस संबंध में मुख्यमंत्री व राज्यपाल से मुलाकात कर पूर्व में खुर्द-बुर्द हुई धार्मिक संपत्तियों को उनके पुराने स्वरूप में लाने तथा वर्तमान में खरीद-फरोक्त की जा रही संपत्तियों की जांच की मांग करेगी। साथ ही ऐसी संपत्तियों को सरकारी नियंत्रण में लेने की मांग करेगी। यदि सरकार ने कार्रवाई नहीं की तो संत समिति उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करेगी।

बैठक में प्राचीन सिद्ध सोमेश्वर महादेव मंदिर के शिवरात्रि के उपरांत भव्य शोभायात्रा में भी सभी संतों ने सहयोग करने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर समिति के महामंत्री महंत रामेश्वर गिरी महाराज, महंत पूर्णानंद, महंत कृष्णानंद महाराज, महंत राजेंद्र गिरी, महंत हरिनारायणाचार्य, महंत केवल्यानंद महाराज, महंत नित्यानंद गिरी, महंत निर्मल दास, महंत कृष्णकांत, स्वामी धर्मवीर दादूपंथी, महंत धर्मदास, महंत नित्यानंद पुरी, महंत बलवीर सिंह, महंत इंदर गिरी, महंत हृयग्रीवाचार्य, महंत सुंदरानन्द, महंत हरिदास महाराज, महंत धर्मानंद गिरी, महंत कृष्णकांत आदि संत उपस्थित थे।