कोर्ट फैसलाः दस वर्ष पुराने मारपीट मामले में कोर्ट ने किया बरी

न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश की अदालत ने दस वर्ष पुराने मारपीट के मामले में आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी किया है।

सर्वहारा नगर काले की ढाल, ऋषिकेश निवासी महेंद्र मधेशिया द्वारा 20 सितंबर 2013 को एक रिपोर्ट दर्ज करवाई। जिसमें बताया था कि उसकी स्थान कोयल घाटी ऋषिकेश स्थित पान की दुकान है। 20 सितंबर 2013 की रात्रि वह अपने साथियों के साथ अपनी दुकान बंद कर अपने घर जा रहा था तभी आवास विकास निवासी मनिंद्र तिवारी, सुभाष तिवारी, नीतीश बामराडा, मनीराम मार्ग निवासी अक्षय भल्ला व हरिधाम कालोनी निवासी वरुण तनेजा द्वारा महेंद्र और उसके साथियों पर लाठी खुखरी से जान लेवा हमला कर दिया जिससे वह और उसके साथी बुरी तरह घायल हो गए।
पुलिस द्वारा मामला दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार किया गया तथा उसके बाद मुकदमा न्यायिक मैजिस्ट्रेट, ऋषिकेश के न्यायालय में विचाराधीन रहा ।

आरोपियों की ओर से अधिवक्ता शुभम राठी और पवन कुमार द्वारा कोर्ट में ठोस पैरवी की गई। दस साल पुराने इस मामले में अभियोजन द्वारा कुल छः गवाह पेश किए गए, जिनसे अधिवक्ता शुभम राठी द्वारा जिरह की गई।
कोर्ट ने पाया कि मामले में पेश किए गए गवाहो की गवाही में गंभीर विरोधाभास थे तथा कोई भी गवाह बचाव पक्ष के अधिवक्ता के प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर नहीं दे सका। साथ ही मामले में पुलिस द्वारा अभियुक्तगणों से कोई भी बरामदगी नहीं की गई तथा अभियोजन अपना मामला संदेह से परे साबित करने में असफल रहा।
न्यायालय न्यायिक मैजिस्ट्रेट, ऋषिकेश जिला देहरादून द्वारा सभी आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी किया गया।

अवैध चाकू रखने के आरोपी को कोर्ट ने किया दोषमुक्त

अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मनमोहन सिंह की अदालत ने अवैध चाकू रखने के आरोपी को दोषमुक्त किया है।
अधिवक्ता आरके जोशी और रूद्राक्ष शर्मा ने बताया कि कोतवाली ने 20 मार्च 2014 को प्रेमपाल पुत्र गुलफान हाल निवासी कुम्हारबाड़ा ऋषिकेश को अवैध रूप से चाकू रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था। पुलिस ने अपनी कहानी में कहा था कि प्रेमपाल दून रोड पर एक स्कूल के समीप संदिग्ध परिस्थिति में घूम रहा था। वह किसी घटना को अंदाम दे सकता था। पुलिस ने उसे रोकना चाहा तो वह पुलिस को देख कर भागने का प्रयास करने लगा। तभी पुलिस के सिपाहियों ने कुछ ही कदम पर उसे पकड़ लिया। तलाशी लेने पर पुलिस ने प्रेमपाल के कब्जे से एक धारदार चाकू को दिखाया था।
अधिवक्ता आरके जोशी और रूद्राक्ष शर्मा की मजबूत पैरवी की बदौलत कोर्ट ने यह माना कि 2014 की 20 मार्च को इस तरह की कोई भी घटना नहीं हुई। वहीं पुलिस भी इस मामले में अदालत के समक्ष कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाई। दोनों अधिवक्ताओं की ठोस पैरवी की बदौलत अदालत ने प्रेमपाल पर लगाये गये आरोपों को खारिज किया। साथ ही उसे दोषमुक्त भी किया है।