ऋषिकेश में बनाया जायेगा जीआरपी का मुख्‍यालय

कई वर्षों से हरिद्वार में जीआरपी मुख्‍यालय के लिए जमीन उपब्‍ध न होने के कारण अब जीआरपी का मुख्‍यालय ऋषिकेश में बनाया जायेगा। करीब 8 वर्षों से हरिद्वार रेलवे स्टेशन के एक छोटे से कमरे से संचालित मुख्‍यालय को यहां जमीन उपलब्‍ध नहीं करायी जा सकी है। जीआरपी के एसपी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भूमि उपलब्ध कराने की मांग करने पर मुख्यमंत्री ने जीआरपी को जल्द भूमि उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है। जीआरपी ने इसके लिये बकायदा पत्राचार भी आरंभ कर दिया है। एसपी जीआरपी मंजूनाथ टीसी ने भी ऋषिकेश को जीआरपी मुख्यालय के लिए सबसे उपयुक्त जगह बताया है। आपको बता दें कि ऋषिकेश में योगनगरी रेलवे स्टेशन बन गया है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना और डोईवाला-गंगोत्री यमनोत्री परियोजना को देखते हुए भी जीआरपी के अधिकारियों ने योगनगरी रेलवे स्टेशन के आसपास जीआरपी मुख्यालय के लिए जमीन मांगी है।

मुख्यमंत्री ने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के कार्यों में तेजी लाने के दिये निर्देश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रेल विकास निगम के अधिकारियों के साथ ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने योग नगरी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन स्थित रेल विकास निगम के कार्यालय में परियोजना की प्रगति की समीक्षा करते हुए कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अभी तक बेहतर समन्वय से काम किया जा रहा है। आगे भी इसे बनाए रखने की जरूरत है। राज्य सरकार द्वारा हर सम्भव सहयोग किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चार धाम सड़क परियोजना के साथ ही ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उत्तराखण्ड को बड़ी देन है। वह समय दूर नहीं, जब पहाड़ में रेल का सपना पूरा होगा। इससे राज्य की आर्थिकी में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के मुख्य परियोजना प्रबंधक हिमांशु बडोनी ने प्रस्तुतिकरण के माध्यम से जानकारी देते हुए बताया कि मार्च 2024 तक परियोजना को पूर्ण किए जाने के लक्ष्य के साथ काम किया जा रहा है। अभी तक परियोजना में अपेक्षानुरूप गति से काम हुआ है। ऋषिकेश के बाद परियोजना मुख्यतः अंडरग्राउंड है। भूमि अधिग्रहण किया जा चुका है। इस रेल लाईन पर 12 स्टेशन और 17 टनल बनाये जा रहे हैं। काम निर्धारित समयावधि में पूरा किया जा सके, इसके लिए विभिन्न स्थानों पर एक साथ काम चल रहा है। एप्रोच रोड़ पहले ही बनाई जा रही हैं। रेल परियोजना के निर्माण में राज्य सरकार का पूरा सहयोग मिल रहा है।
बडोनी ने बताया कि रेल विकास निगम द्वारा अनेक जनकल्याणकारी काम किए जा रहे हैं। श्रीनगर में 52 बेड का संयुक्त चिकित्सालय बनाया जा रहा है। ऑक्सीजन प्लांट भी बनाए गए हैं। रेल परियोजना की बेल्ट को हॉर्टिकल्चर और हनी बेल्ट के रूप में विकसित किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए वृहद स्तर पर वृक्षारोपण किया जा रहा है।
बैठक में विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल, कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, सचिव आर मीनाक्षी सुन्दरम, रंजीत सिन्हा, रेल विकास निगम के अपर महाप्रबंधक विजय डंगवाल, वरिष्ठ परियोजना प्रबंधक ओमप्रकाश मालगुडी, अपर महाप्रबंधक सुमित जैन, अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने योग नगरी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन और गुल्लर डोगी, टिहरी में परियोजना के तहत बनाई जा रही टनल का स्थलीय निरीक्षण भी किया।

जानिए मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री, केन्द्रीय वित्त मंत्री और रेल मंत्री का आभार जताया

केंद्रीय बजट में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में वर्ष 2021-22 के लिये 4200 करोङ रूपए का परिव्यय प्रस्तावित किया गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और रेल मंत्री पीयूष गोयल का आभार व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन और केन्द्र सरकार के सहयोग से उत्तराखण्ड में इन वर्षों में कनेक्टीवीटी के क्षेत्र में बहुत तेजी से काम हुआ है। पहाड़ में रेल का सपना जल्द ही साकार होने जा रहा है। ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना में न्यू ऋषिकेश स्टेशन तैयार हो चुका है और यहां से ट्रेनों का संचालन भी शुरू हो चुका है। बाकी जगहों पर भी तेजी से काम चल रहा है। इस वर्ष के लिये बजट में प्रस्तावित 4200 करोङ रूपए से परियोजना टाईमफ्रेम में पूरा की जा सकेगी।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत लगातार ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना की सीधी मानिटरिंग कर रहे हैं। राज्य सरकार के स्तर से आवश्यक औपचारिकताओं को समय पर पूरा कराया गया है।

रेल विकास निगम के अधिकारियों के साथ ही रेलवे लाइन निर्माण हेतु विभिन्न पैकेजों में कार्य करने वाली कार्यदायी संस्थाओं की समस्याओं के त्वरित समाधान को सर्वोच्च प्राथमिकता पर लिया गया है। वीरभद्र-न्यू ऋषिकेश ब्लॉक सेक्शन का काम पूर्ण हो चुका है। ऋषिकेश में एक आरओबी तथा एक आरयूवी भी तैयार हो चुका है। परियोजना के तहत 17 टनल के कार्यों को 10 पैकेज में बांटा गया है। लछमोली व श्रीनगर में अलकनंदा नदी पर आर.ओ.बी. का कार्य प्रारम्भ किया जा चुका है। श्रीनगर, गौचर व सिवाइ में रोड ब्रिज का कार्य भी प्रगति पर है। ऋषिकेश-देवप्रयाग ब्लॉक सेक्शन का कार्य 2023-24 और देवप्रयाग-कर्णप्रयाग ब्लॉक सेक्शन का कार्य 2024-25 तक पूर्ण किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उत्तराखण्ड के चारधाम यमुनोत्री, गंगोत्री, श्री केदारनाथ व श्री बद्रीनाथ को रेलवे सेवा से जोड़ने के लिए लगभग 327 किलोमीटर की कुल लम्बाई की 4 रेलवे लाईन अलाईनमेंट पर भी कार्य किया किया जा रहा है।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन निर्माण में कार्यदायी संस्थाओं को सीएम सेे मिले निर्देश

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन निर्माण में तेजी लाये जाने के लिये कार्यदायी संस्थाओं को उनकी आवश्यकता के अनुरूप आवश्यक सहयोग के निर्देश सम्बन्धित अधिकारियों को दिये हैं। उन्होंने कहा कि राज्य हित से जुड़ी इस महत्वपूर्ण योजना को निर्धारित समय पर पूर्ण होना जरूरी है। इसके लिये रेल विकास निगम के अधिकारियों के साथ ही रेलवे लाइन निर्माण हेतु विभिन्न पैकेजों में कार्य करने वाली कार्यदायी संस्थाओं की समस्याओं के त्वरित समाधान पर ध्यान दिया जाय।

मुख्यमंत्री आवास में शासन के उच्चाधिकारियों, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना के अधिकारियों एवं कार्यदायी संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ परियोजना की प्रगति की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिलाधिकारियों को उनके क्षेत्र में संचालित परियोजना के कार्यों में आने वाली समस्याओं के निराकरण के निर्देश दिये गये हैं। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के साथ ही चार धाम सड़क परियोजना राज्य के लिये महत्वपूर्ण योजना है। चार धाम यात्रा के साथ ही पर्यटन को इससे बढ़ावा मिलेगा।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के विभिन्न पैकेजों पर कार्य करने वाली संस्थाओं के प्रतिनिधियों की भी समस्यायें सुनी तथा उनके निराकरण के भी निर्देश सम्बन्धित अधिकारियों को दिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन समस्याओं का समाधान जिलाधिकारियों के स्तर पर नहीं हो पा रहा हो उसके लिये शासन स्तर पर शीघ्रता से कार्यवाही की जाय। मुख्यमंत्री ने कार्यदायी संस्थाओं को निर्माण सामग्री की आपूर्ति में हो रही कठिनाई के अविलम्ब निराकरण के भी निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने कार्यदायी संस्थाओं से अपेक्षा की कि वे अधिक से अधिक स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करने की व्यवस्था करें। उन्होंने परियोजना में उपयोग में लायी जा रही आधुनिक मशीनों के संचालन एवं रख-रखाव आदि की तकनीकि जानकारी के लिये स्थानीय आईटीआई के छात्रों को प्रशिक्षित करने को कहा ताकि उन्हें भी परियोजना के अधीन रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकें।

रेल विकास निगम लिमिटेड के अधिकारियों द्वारा ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना की प्रगति की जानकारी देते हुए बताया गया कि वीरभद्र-न्यू ऋषिकेश ब्लॉक सेक्शन का काम पूर्ण हो चुका है। ऋषिकेश में एक आरओबी तथा एक आरयूवी भी तैयार हो चुका है। परियोजना के तहत 17 टनल के कार्यों को 10 पैकेज में बांटा गया है। लछमोली व श्रीनगर में अलकनंदा नदी पर आर.ओ.बी. का कार्य प्रारम्भ किया जा चुका है। श्रीनगर, गौचर व सिवाइ में रोड ब्रिज का कार्य भी प्रगति पर है। ऋषिकेश-देवप्रयाग ब्लॉक सेक्शन का कार्य 2023-24 और देवप्रयाग-कर्णप्रयाग ब्लॉक सेक्शन का कार्य 2024-25 तक पूर्ण किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। रेल विकास निगम लिमिटेड के अधिकारियों द्वारा यह भी जानकारी दी गई कि उत्तराखण्ड के चारधाम यमुनोत्री, गंगोत्री, श्री केदारनाथ व श्री बद्रीनाथ को रेलवे सेवा से जोड़ने के लिए लगभग 327 किलोमीटर की कुल लम्बाई की 4 रेलवे लाईन अलाईनमेंट पर कार्य किया किया जा रहा है।

बैठक में मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार केएस पंवार, मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार आलोक भट्ट, मुख्य सचिव ओमप्रकाश, सचिव आरके सुधांशु, शैलेश बगौली, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, अपर सचिव डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन प्रोजेक्ट के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर हिमांशु बडोनी आदि उपस्थित रहे।

योगनगरी ऋषिकेश स्टेशन से उत्तराखंड की विश्व में बनेगी विशिष्ट पहचान

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन के निर्माण से पर्वतीय क्षेत्रों के विकास एवं चार धाम यात्रा को नये आयाम प्राप्त होंगे। इस रेल लाइन की शुरूआत में ऋषिकेश में बनने वाला सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त योग नगरी ऋषिकेश स्टेशन देश व दुनिया में उत्तराखण्ड की विशिष्ट पहचान बनाने के साथ ही राज्य को देश के विभिन्न भागों तक रेल सुविधायें उपलब्ध कराने में भी मददगार होगा। उन्होंने इस योजना की कार्य प्रगति के प्रति संतोष व्यक्त करते हुए निर्माण कार्यों से जुड़े अधिकारियों एवं कार्यदायी संस्थाओं के प्रमुखों से निर्माण कार्यों में और तेजी लाने के साथ ही रेलवे स्टेशनों के निर्माण में उत्तराखण्ड के शिल्प, संस्कृति एवं धार्मिक धरोहरों के स्वरूप को प्रदर्शित करने की भी अपेक्षा की।

मंगलवार को ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के निर्माण कार्यों का विभिन्न स्थानों पर स्थलीय निरीक्षण करने के पश्चात योग नगरी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश में योजना से जुड़े अधिकारियों एवं कार्यदायी संस्थाओं के प्रमुखों के साथ आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि उत्तराखण्ड के लिये विशिष्ट महत्व की यह परियोजना निर्धारित समय सीमा के अंदर गुणवत्ता एवं समय बद्धता के साथ पूर्ण हो इसका विशेष ध्यान रखा जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना राज्य को न केवल विशिष्ट पहचान देने वाली होगी बल्कि चार धाम यात्रा को और अधिक सुगम बनायेगी। यह योजना संपूर्ण पर्वतीय क्षेत्र की लाइफ लाइन बनने के साथ ही इन क्षेत्रों से पलायन रोकने, रोजगार को बढ़ावा देने तथा उद्योगों की स्थापना में भी मददगार होगी।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि इस रेल लाइन से पर्वतीय क्षेत्रों में आवागमन की सुविधा तथा शिक्षा एवं स्वास्थ्य की बेहतर व्यवस्थायें सुनिश्चित हो सकेगी। निजी क्षेत्र के सहयोग से अच्छे स्कूल व अस्पतालों की भी यहां उपलब्धता हो सकेगी। यह योजना धार्मिक पर्यटन के साथ ही पर्यटन के अन्य स्वरूपों को भी बढ़ावा देने में भी सहायक होगी।

रेल विकास निगम लिमिटेड के अधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि परियोजना के तहत 16 टनल के कार्य को 9 पैकेज में बांटा गया है। इन सभी पैकेज के लिए डीडी एंड पीएमसी कॉन्ट्रेक्ट अवार्ड किये जा चुके हैं। इनके डिजाइन का कार्य प्रगति पर है। इसी प्रकार लछमोली व श्रीनगर में अलकनंदा नदी पर आर.ओ.बी. का कार्य प्रारम्भ किया जा चुका है। श्रीनगर, गौचर व सिवाइ में रोड ब्रिज का कार्य हाल ही में प्रारम्भ किया गया है। वीरभद्र-न्यू ऋषिकेश ब्लॉक सेक्शन का काम 2019-20, न्यू ऋषिकेश-देवप्रयाग ब्लॉक सेक्शन का कार्य 2023-24 और देवप्रयाग-कर्णप्रयाग ब्लॉक सेक्शन का कार्य 2024-25 तक पूर्ण किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।