वेतन न मिलने से भड़के पालिका कर्मी बेमियादी हड़ताल पर

संविदा, आउटसोर्सिंग और मेला कर्मियों को तीन माह से नहीं मिला वेतन
नगर पालिका के ईओ पर संगठन अध्यक्ष से अभद्रता का आरोप लगाया
ऋषिकेश।
बुधवार को ऋषिकेश पालिका के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर अधिशासी अधिकारी वीपीएस चौहान के दफ्तर पर इकट्ठा हुए। संयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति की अध्यक्ष मंजू चौहान के अनुसार, सुबह 11 बजे तक ईओ दफ्तर नहीं पहुंचे तो कर्मचारियों के कहने पर उन्होंने फोन घुमाया। उन्होंने कर्मचारियों के साथ वार्ता के लिए कहा तो आरोप है कि ईओ चौहान ने उन पर अभद्र टिप्पणी कर दी। इस दौरान मंजू चौहान ने अपने मोबाइल का स्पीकर ऑन किया हुआ था। जब कर्मचारियों ने ईओ की बात सुनी तो पालिका दफ्तर में काम करने से मना कर दिया। इसके बाद कर्मचारी बेमियादी हड़ताल पर चले गए। उन्होंने पालिका के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। ऐसे में पालिका दफ्तर पहुंचे लोगो को बैरंग ही लौटना पड़ा। देर शाम तक पालिका कर्मचारी दफ्तर पर जमे रहे। लेकिन, न तो ईओ के साथ उनकी वार्ता हो सकी और न ही पालिकाध्यक्ष से कोई आश्वासन ही मिला। वहीं, इस बारे में पालिका ईओ वीपीएस चौहान से जब उनका पक्ष जानना चाहा तो कई बार कोशिश के बावजूद उनसे संपर्क नहीं हो सका। प्रदर्शन में वेद प्रकाश बिजल्वाण, राजेंद्र गर्ग, ज्योति प्रसाद उनियाल, ललित मोहन शर्मा, नवीन शर्मा, विनोद त्यागी, कविता लोहानी, मगना पोखरियाल, सरोजनी देवी, अनिता, सुमित्रा, सफाई नायक नरेश खैरवाल, महेंद्र, जितेंद्र, विनोद, मुकेश, सतपाल दानव, राजेश डोगरा, तीरथ, विनेश आदि शामिल रहे।

पालिका में कार्यरत हैं 125 कर्मचारी
ऋषिकेश पालिका में आउटसोर्सिंग के जरिये तैनात 40 कर्मचारियों और संविदा पर लगे 35 सफाई कर्मचारियों को पिछले तीन माह से वेतन नहीं मिला है। जबकि 50 मेला कर्मचारियों को एक माह 27 दिन से वेतन का इंतजार है। जबकि इन कर्मचारियों को पालिका प्रशासन ने समय से पहले ही बजट की कमी का हवाला देकर हटा दिया था, लेकिन वेतन नहीं दिया। नाम न छापने की शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि पहले तो वेतन ही कम है और ऐसे में तीन माह से वेतन नहीं मिल रहा है। अब तो राशन विक्रेता भी सामान उधार में देने से मना कर रहा है। ऐसे में कर्मचारी कहां जाएं, हमारी आवाज कोई नहीं सुनता।

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ईओ से वार्ता का प्रयास किया गया था, लेकिन उन्होंने वार्ता नहीं की। दोपहर लंच के वक्त वह दफ्तर आए और कर्मचारियों से बिना मिले ही वापस लौट गए। जब तक पालिका प्रशासन से सकारात्मक वार्ता नहीं हो जाती, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।
मंजू चौहान, संयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति, ऋषिकेश पालिका

दवा की चपेट में आने से कर्मचारी बेहोश

दवा का छिड़काव कर रहा था कर्मचारी
ऋषिकेश।
नगर पालिका अपने कर्मचारियों को लेकर कितनी संजीदा है। इसकी बानगी मंगलवार को देखने को मिली। दवा छिड़काव कर रहे एक कर्मचारी कीटनाशक दवा की चपेट में आ गये। बताया जा रहा कि दवा छिड़काव कर रहे कर्मचारी ने मॉस्क और ग्लब्स नही पहना था। दवा के रिसाव की बात भी सामने आ रही है। सूत्रों की मानें तों पालिका कर्मचारियों को सुविधायें भी मुहैया नही कराती है।
सुबह घटित हुई घटना के बाद कर्मचारियों में पालिका के प्रति रोष देखने को मिला। नाम न छापने की शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि सफाई कर्मचारियों को पालिका प्रशासन कोई सुविधा नही दे रहा है। वहीं, सरकारी अस्पताल में पीड़ित कर्मचारी को ड्रिप व दवाई दी गयी। तब जाकर कर्मचारी नार्मल हो पाया। सरकारी अस्पताल के अनुसार कीटनाशक दवा पीड़ित की सांस के साथ शरीर में चली गई। जिससे चक्कर आना, उल्टी व बेहोशी छाने लगी। अब हालत ठीक है।

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दवा छिड़काव करते समय दवा का रिसाव हुआ। कर्मचारी इसी की चपेट में आया है। मॉस्क व ग्लब्स कर्मचारियों को दिये जाते है।
सचिन रावत, सफाई निरीक्षक पालिका ऋषिकेश।

नगर पालिका ऋषिकेश में समितियों के विवाद ने तूल पकड़ा

ऋषिकेश।
नगर पालिका ऋषिकेश में समितियों को लेकर पैदा हुआ विवाद गहराने लगा है। पुरानी समितियों को बहाल करने का विरोध कर रहे सभासदों ने शुक्रवार को भवन कर दफ्तर में ताला जड़ दिया। दिनभर दफ्तार के आगे धरना देते हुए सभासदों ने नए सिरे से समितियों के चुनाव की मांग उठाई।
ऋषिकेश नगर पालिका के कई सभासदों ने भवनकर दफ्तर में तालाबंदी कर रोष जताया। सभासद हरीश तिवाड़ी, विकास तेवतिया, कविता शाह, अनिता बहल, उर्मिला देवी, सावित्री देवी ने पुरानी समितियों को भंग करने की मांग उठाई। कहा कि समितियों के चुनाव को स्थगित करके पालिका प्रशासन ने आचार संहिता का खुला उल्लंघन किया है। आरोप लगाया कि समितियों का कार्यकाल एक साल का होता है, लेकिन इस नियम का भी उल्लंघन किया जा रहा है।
सभासदों ने कहा कि चुनाव प्रकिया के दौरान नाम वापसी दिन पालिकाध्यक्ष ने नियमों के विपरीत जाकर चुनाव स्थगित किए। उन्होंने पालिका प्रशासन पर तानाशाही रवैये का आरोप लगाया। कहा कि शासन में शिकायत की है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी। उन्होंने शासन पर पालिका में नियमों के विपरीत हो रहे कार्यों को बढ़ावा दिने का आरोप लगाया। सोमवार को फिर धरना देने की चेतावनी दी।
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ये हैं समितियां
भवन कर समिति, सार्वजनिक निर्माण समिति, स्वास्थ्य समिति, अर्थ समिति, पथ प्रकाश समिति, नगर सुधार समिति, ऑफिस एवं स्टाफ समिति।

10 अगस्त को स्थगित हुए थे चुनाव
समितियों के चुनाव के लिए 21 जुलाई को आचार संहिता लागू हुई थी। नामाकंन पत्र बिक्री चार अगस्त से शुरू हुई। आठ अगस्त तक नामांकन जमा हुए। नौ अगस्त को नामांकन पत्रों की जांच की गई। 10 अगस्त को नाम वापसी की प्रक्रिया चली। लेकिन पालिकाध्यक्ष ने दोपहर दो बजे के बाद चुनाव स्थगित करने की सूचना जारी कर दी। चुनाव 12 अगस्त को होने थे।

भवन कर समिति की होनी बैठक
चुनाव स्थगित होने के बाद नगर पालिका ने पुरानी समितियां बहाल की थीं। शुक्रवार नौ सितंबर को भवन कर समिति की बैठक बुलाई गई थी। इसके चलते कई लोग अपनी फाइलों पर आपत्ति निस्तारित करने पहुंचे। तालाबंदी के कारण बैठक नहीं हो सकी। लोगों को बैरंग ही लौटना पड़ा। वहीं, कर समिति के पदाधिकारियों ने कर अधीक्षक निशात अंसारी से बैठक कराने की मांग की। ईओ का कार्यभार देख रहीं कर अधीक्षक ने बैठक को उच्चाधिकारियों के अगले निर्देश मिलने तक स्थगित कर दिया।

दो साल से चल रही पुरानी समितियां
नगर पालिकाध्यक्ष ने 10 अगस्त को समितियों के चुनाव स्थगित कर दिए थे। पालिका में चुनाव के चलते आचार संहिता लागू थी, पालिकाध्यक्ष वोटर की भूमिका में थे। नगर पालिका अधिनियम में स्पष्ट जानकारी नहीं होने का यहां फायदा उठाया गया। चुनाव भंग नहीं किया गया, स्थगित किया। स्थगित का अर्थ है कि पालिका जब चाहे समिति के चुनाव एक नियत तिथि पर करा सकता है। ऐसी ही व्यवस्था रखते हुए पुरानी समितियों से ही कार्य चलता रहेगा। लेकिन एक वर्ष पूर्ण होने पर बोर्ड में प्रस्ताव आना जरूरी है। पुरानी समिति को दो वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है।

बैठक कराने की मांग
भवन कर समिति अध्यक्ष दीपक धमीजा ने कर अधीक्षक से मुलाकात कर बैठक कराने की मांग की। उनके समर्थन में अन्य सभासद शिव कुमार गौतम, कुलदीप शर्मा, अशोक पासवान ने भी कर समिति के कार्यों में बाधा पहुंचाने का आरोप लगाए। सभासद अशोक पासवान ने तो दूसरे गुट के सभासदों पर सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने का आरोप लगाया।

सभासदों की तालाबंदी के चलते भवन कर समिति की बैठक नहीं हो सकी। अधिशासी अधिकारी बाहर हैं। सोमवार को अधिशासी अधिकारी के आने पर ही मामले का निस्तारण हो सकेगा।
– निशात अंसारी, कर अधीक्षक पालिका ऋषिकेश

पालिका में नगर स्वास्थ्य अधिकारी का पद ही सृजित नहीं


एक लाख आबादी फिर भी नगर स्वास्थ्य अधिकारी नहीं
ऋषिकेश नगर पालिका ए ग्रेड की होने के बाद भी अनदेखी

अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय से नगर पालिका ऋषिकेश ए ग्रेड का दर्जा मिला हुआ है। पालिका क्षेत्र की आबादी पर नजर डालें तो यहां की जनसंख्या एक लाख से ऊपर पहुंच गई है। सिस्टम की अनदेखी देखिए ऋषिकेश में नगर स्वास्थ्य अधिकारी का पद तक सृजित नहीं है।
नगर स्वास्थ्य अधिकारी नगर निकाय में एक महत्वपूर्ण और जिम्मेदार अधिकारी होते हैं। सरकारी सेवा में कार्यरत वरिष्ठ चिकित्सक को यह पद दिया जाता है। पालिका और आसपास के क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी स्वास्थ्य अधिकारी की रहती है। कोई बीमारी या महामारी फैलने की स्थिति में नगर स्वास्थ्य अधिकारी की भूमिका अहम रहती है। कैंप लगवाना, कीटनाशक दवाओं का छिड़काव, मरीजों की जांच और रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध कराना होता है। इनदिनों में कुछ इलाकों में वायरल फीवर और टाइफाइड फैल रहा है। नगर पालिका के ही 55 कर्मचारी बीमार हैं। ऐसी स्थिति में नगर स्वास्थ्य अधिकारी का न होना बेहद खल रहा है। इस विषय पर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।

 

नगर स्वास्थ्य अधिकारी का पद सृजित न होना गंभीर विषय है। शासन स्तर पर मामले को देखा जाएगा। दो माह से चारधाम यात्रा के सीजनल सफाई कर्मचारियों के वेतन नहीं मिलने का मामला भी गंभीर है। इस मामले में पालिका ने मुझसे कभी संपर्क नहीं किया। पालिका को कर्मचारी नहीं हटाने चाहिए थे, अपने स्तर पर व्यवस्था करनी चाहिए थी। कभी-कभी शासन से बजट मिलने में देरी हो जाती है।
– सीएस नपल्चयाल, गढ़वाल कमिश्नर101