मां भगवती की कृपा से कथा आयोजन का सौभाग्य भक्तों को मिल रहाः आचार्य

श्यामपुर नंबरदार फार्म में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा महा ज्ञान यज्ञ से पूर्व श्रद्धालुओं ने कलश यात्रा निकाली। राष्ट्रीय कथा वाचक वैष्णवाचार्य शिव स्वरूप नौटियाल ने कहा कि इसे महज एक संयोग कहें या प्रभु कृपा कि एक कथा के विश्राम के साथ ही दूसरी कथा भी दुर्गा माता मंदिर के समीप आयोजित की गई है, जबकि स्थान अलग है लेकिन माँ भगवती की कृपा से हमें उनके स्थान पर कथा आयोजन का सौभाग्य निरन्तर मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि बिना आस्था के कोई भी धार्मिक कार्य करना व्यर्थ है। धार्मिक कार्यों में सहभागिता के साथ आस्थावान होना परम आवश्यक है। कथा आयोजक और श्रोतागण दोनों को कथा का पुण्य मिलता है। उन्होंने कलश यात्रा में भाग लेने से समस्त कलह दूर होते हैं। घट स्थापन से पूर्व कलश यात्रा में मुकेश सेमल्टी, अनिल, राजेश, पारेश्वर, मनोज कुमार, बुद्धि प्रकाश, दीपक, नीरज, अनुज, दिव्यांशु, रविन्द्र भट्ट, आचार्य गीता राम, सरस्वती देवी, लतादेवी, पूनम सेमल्टी, बशु पेटवाल, शीला देवी, प्रसन्नी देवी, भूमा देवी, लीला नेगी, प्रमिला देवी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

श्री भरत मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठ दिवस पर बाल लीलाओं का हुआ वर्णन

ब्रह्मलीन पूज्य महंत अशोक प्रपन्नाचार्य जी महाराज की पुण्य स्मृति मे आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पष्ठ दिवस श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन हुआ।

कथा व्यास डा. राम कमल दास वेदांती ने कहा कि भगवान कृष्ण ने सबसे पहले पूतना का उद्धार किया था। कृष्ण जन्म पर नंदबाबा के घर खुशी मे जब उत्सव मनाया जाने लगा और नंद बाबा को कंस राजा के पास कर देने जाने मे देरी हो गई। उन्होंने राजा के पास पहुंच कर निवेदन किया की महाराज मेरे घर पुत्र ने जन्म लिया है। इसलिए आने मे देरी हो गई। राजा कंस ने पुत्र जन्म की खबर पर पुत्र को चिरंजीव होने का वचन बोला। उसे पता नहीं था जिसे तू चिरंजीव बोल रहा है वो ही तेरा काल है। उधर भगवान मन ही मन मुस्करा रहे है और सोच रहे है की राम जन्म मे ताड़का कृष्ण जन्म मे पूतना से पाला पड़ा है। माता यशोदा का दुलारा अपनी बाल लीलाओं से आनन्द विभोर होते है और अपनी लीलाओं के माध्यम से ही पूतना का वध करते है। कृष्णजी की बाल लीलाओं का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को हमेशा धर्म के मार्ग पर चलकर समाज सेवा में लोगों को आगे आना चाहिए। मानव जब इस संसार में पैदा लेता है तो चार व्याधि उत्पन्न होते हैं। रोग, शोक, वृद्धापन और मौत मानव इन्हीं चार व्याधियों से धीर कर इस मायारूपी संसार से विदा लेता है।

सांसारिक बंधन में जितना बंधोगे उतना ही पाप के नजदीक पहुंचेगा। इसलिए सांसारिक बंधन से मुक्त होकर परमात्मा की शरण में जाओ तभी जीवन रूपी नैय्या पार होगी। आज के दौर में परेशानी और अविश्वास बढ़ता जा रहा है। इससे समाज में खींचतान, स्वार्थ, लोभ, दुख. पतन, विकृतियों का अम्बार लगा हुआ है। ऐसे में समाज को युग के अनुरूप दिशा चिंतन, व्यवहार, परमार्थ के लिए हृदय में परिवर्तन के लिए श्रीमद भागवत कथा पुराण का आयोजन किया जा रहा है।

षष्ठ दिवस की पावन पवित्र कथा मे श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य, हर्ष वर्धन शर्मा, वरुण शर्मा, रोशन धस्माना, मधुसूधन शर्मा, रवि शास्त्री आदि उपस्थित रहे।

श्री भरत में आयोजित भागवत कथा का दूसरा दिन, सीएम ने की शिरकत

ब्रह्मलीन पूज्य महंत अशोक प्रपन्नाचार्य जी महाराज की पुण्य स्मृति में आयोजित श्रीमदभागवत कथा के द्वितीय दिवस ध्रुव चरित्र का मार्मिक वर्णन प्रस्तुत हुआ। इस मौके पर कथा मर्मज्ञ अंतर्राष्ट्रीय संत पूज्य डा रामकमल दास वेदांती जी महाराज ने श्रोताओं को बताया कि नारद शिष्य ध्रुव ने अटल तपस्या से भगवान का मनमोह लिया। जिससे अपना और अपने परिवार का नाम अक्षय कर लिया। इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी पहुंचे और भागवत कथा का श्रवण किया।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि भागवत ही भगवान है। भागवत भगवान का अक्षरावतार है। वक्ता का चरित्र स्वच्छ होना चाहिए, वहीं श्रोता भगवान के प्रति समर्पित होना चाहिए। वक्ता प्रेरणा का पुंज होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान जीव का उद्धार करते हैं।

सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड की देवभूमि सदैव देवत्व के भाव की है जहां धर्म, संस्कृति और संस्कारों की गंगा निरंतर प्रवाहमान रहती है। उन्होंने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी का धर्म स्थानों के प्रति श्रेष्ठता का भाव है सम्पूर्ण देश और उत्तराखंड मे धर्म पीठों और मंदिरों के पुनर्निर्माण सौंदर्य के लिए प्रधानमंत्री कृत संकल्प लेकर उद्धार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार के पावन पुनीत धर्म कार्यों में कोई बुलाया नहीं जाता बल्कि जिस पर भगवान की कृपा होती है वही ऐसे पावन पवित्र अनुष्ठानों में आते हैं उन्हीं लोगों को यह सौभाग्य मिलता है जिनके पुण्य श्रेष्ठ होते है। इस मौके पर व्यास पीठ पर पूज्य संत डॉ राम कमल दास वेदांती जी का आशीर्वाद प्राप्त किया।

इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती, श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य जी महाराज, श्री हर्षवर्धन शर्मा, वरुण शर्मा, विजय बड़थ्वाल, विनय उनियाल, मधुसुधन शर्मा, महामंडलेश्वर रामेश्वर दास जी महाराज, महन्त रवि प्रपन्नाचार्य, महामंडलेश्वर विष्णु दास जी महाराज, परमानंद दास जी महाराज आदि उपस्थित थे।

श्रीमद्भागवत कथा कभी सम्पूर्ण नही होती, विश्राम के बाद दूसरे स्थान में शुरु हो जाती है-व्यास

गुमानीवाला कैनाल रोड़ गली नम्बर 6 में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ विधिविधान एवं शांति पूर्वक सम्पन्न हो गयी। इस अवसर पर कथा व्यास वैष्णवाचार्य पण्डित शिव स्वरूप आचार्य ने कहा कि प्रभु नाम संकीर्तन कथाएं कभी सम्पूर्ण नहीं होती बस स्थान परिवर्तन होता है। इसलिए कथा विश्राम लेती हैं। कथा विश्राम के अवसर पर ग्रामीणों ने कथा व्यास सहित कथा में सम्मिलि आचार्यों का अंग वस्त्र भेंटकर सम्मान किया।
कथा विश्राम के बाद भव्य भण्डारे का आयोजन किया गया। कथा के समापन पर ग्रामीणों ने राष्ट्रीय कथा वक्ता कथा व्यास वैष्णवाचार्य पण्डित शिव स्वरूप नौटियाल को सम्मानित कर राज्य के वाद्य यंत्र ढोल दमाऊ के साथ विदाई दी।
इस अवसर पर जिला पंचायत सदस्य संजीव चौहान, आचार्य दिल मणि पैन्यूली, दर्शन लाल सेमवाल, दिनेश खण्डूरी, शिव प्रसाद सेमवाल, आचार्य महेश पन्त, उदय पैन्यूली, जगदीश नौटियाल, प्रमोद चौहान, धनी राम नौटियाल, नंद लाल यादव, रोशन लाल बेलवाल, विजय राम जोशी, पुष्कर सिंह रावत, मंगला देवी नौटियाल, अनुराधा, रेखा सिलस्वाल, शोभा नेगी, मंगसिरी रावत, सविता रतूड़ी, शिवि रतूड़ी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

हरिनाम कथा जीवन की व्यथाओं का हरण करती हैं-कथा व्यास

गुमानीवाला कैनाल रोड़ गली नम्बर 6 में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का रसपान कराते हुए कथा व्यास वैष्णवाचार्य पंडित शिव स्वरूप नौटियाल ने द्वितीय दिवस की कथा में कहा कि हरिनाम कथा जीवन की व्यथाओं का हरण करती हैं। जो सच्चे मन से प्रभु नाम का स्मरण करता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
कथा श्रवण करने वालों में धनी राम नौटियाल, नन्द लाल यादव, उदय पैन्यूली, जगदीश नौटियाल, रोशन लाल बेलवाल, विजय राम जोशी, प्रमोद चौहान, पुष्कर सिंह रावत, मंगला देवी, अनुराधा नौटियाल, रेखा सिलस्वाल, शोभा नेगी, मंगसीरी रावत सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।

मन को वश में करती है भागवत कथा: ममगाईं

ऋषिकेश।
मंगलवार को आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने श्रद्धालुओं को बताया कि इंद्रियों को वश में रखने से ईश्वर भक्ति में मन लगता है। जिस प्रकार से संसार का अंधकार का कोई अस्तित्व नही होता है। उसी प्रकार मन की चंचलता से नुकसान उठाना पड़ता है, क्योकि चंचलता मनुष्य की बुद्धि पर अधिकार जमा लेती है। पुरुषार्थ के लिये जब तक मन में राग द्वेष है तब तक भगवान की कृपा नही हो सकती है। उन्होंने भागवत कथा के श्रवण से मन और इंद्रीय वश में होने की बात कही।
कथा व्यास ने स्त्रियों के सम्मान को जरुरी बताया। कहाकि जिस समाज और घर में स्त्री का सम्मान नही होता है। वहां लक्ष्मी की कृपा नही हो सकती है। उन्होंने गुरुओं का आदर करने व अपने जीवन में गुरु अवश्य बनाने की सीख दी। मौके पर टीकाराम पुर्वाल, लाखीराम पुर्वाल, जवाहर पुर्वाल, रामकृष्ण पुर्वाल, रामचन्द्र पुर्वाल, राजेश पुर्वाल, धनीराम जोशी, खुशीराम जोशी, नारायण दत्त, विजय, चेतराम, बसंत, पूर्णानंद, जीवानंद, महावीर, दौलतराम, रामचन्द्र भटट, शियाराम नौटियाल, चेतराम आदि उपस्थित रहे।