मुख्य सचिव ने फर्जी बिल लगाने वाले अस्पतालों पर शिकंजा कसने के दिये निर्देश

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु की अध्यक्षता में सचिवालय में राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण, उत्तराखण्ड की द्वितीय शासकीय सभा की बैठक आयोजित हुयी। बैठक में विभिन्न प्रस्तावों को अनुमोदन प्रदान किया गया।
मुख्य सचिव ने कहा कि आयुष्मान भारत, अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना के अंतर्गत 100 प्रतिशत सैचुरेशन किया जाए। राशन कार्ड न होने के कारण जिनके आयुष्मान कार्ड नहीं बन पा रहे हैं, उनके लिए आधार कार्ड या वोटर आईडी कार्ड आदि सरकारी पहचान पत्रों को अनुमन्य किया जाए। उन्होंने इसके लिए जनता की शिकायतों के निवारण के लिए प्रभावी प्रणाली तैयार करने के भी निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने फर्जी बिल लगाने वाले अस्पतालों पर लगातार जुर्माना लगाने और अस्पतालों की सूचीबद्धता समाप्त किए जाने के निर्देश देते हुए कहा कि जिन अस्पतालों की सूचीबद्धता समाप्त की जा रही है, उन अस्पतालों की सूची समाचार पत्रों के माध्यम से प्रचारित की जाए। उन्होंने अधिकारियों को ओपीडी को पूर्ण कम्प्यूटरीकृत किए जाने के भी निर्देश दिए। साथ ही, कहा कि राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में अस्पतालों को बढ़ावा देने हेतु पॉलिसी तैयार की जाए।
इस अवसर पर अध्यक्ष राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण डी. के. कोटिया सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

मेडिकल कालेज में कार्मिकों को शीघ्र वितरित होगी प्रोत्साहन राशि-स्वास्थ्य मंत्री

राजकीय मेडिकल कालेजों में आयुष्मान योजना के अंतर्गत मरीजों के उपचार का लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है, जिसके लिये कालेज के प्राचार्यों को शीघ्र रोड़ मैप तैयार करने के निर्देश दे दिये गये हैं। इसके साथ ही योजना के अंतर्गत कार्मिकों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि को शीघ्र वितरित करने को कहा गया। सरकारी अस्पतालों एवं मेडिकल कालेजों में मरीजों को पूरा इलाज दिया जाय, यदि अस्पताल में इलाज संभव नहीं तभी रैफर किया जाय।
स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने आज दून मेडिकल कॉलेज के सभागार में आयुष्मान योजना की समीक्षा बैठक ली, जिसमें राजकीय मेडिकल कालेज के प्राचार्य उपस्थित रहे। रावत ने बताया कि सूबे में आयुष्मान योजना का अधिक से अधिक लोगों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण से संबद्ध सरकारी निजी अस्पतालों एवं मेडिकल कालेजों में आयुष्मान मित्र की तैनाती की गई है, जोकि मरीजों के दस्तावेज तैयार करने, आयुष्मान कार्ड बनाने, बिल बाउचर बनाने एवं बिल भुगतान की प्रक्रिया पूरी करने तक सभी काम करेगा जिसके एवज में प्राधिकरण इन्हें प्रति मरीज के हिसाब से भुगतान करेगा। उन्होंने बताया कि प्रत्येक 10 आयुष्मान मरीजों पर एक आयुष्मान मित्र को तैनात किया गया है। रावत ने बताया कि सूबे के मेडिकल कालेजों में आयुष्मान योजना के अंतर्गत मरीजों के इलाज के लिये लक्ष्य निर्धारण कर लिया गया है, जिसमे दून मेडिकल कालेज को प्रत्येक वर्ष 25 हजार, हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज को 20 हजार, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज को 10 हजार एवं अल्मोड़ा मेडिकल कालेज को 5 हजार मरीजों का उपचार किया जाएगा। इसके लिये सभी प्राचार्यों को रोड़ मैप तैयार करने के निर्देश दे दिये गये हैं। आयुष्मान योजना के अंतर्गत मिलने वाली प्रोत्साहन राशि कार्मिकों को वितरित न किये जाने पर नाराजगी जताते हुये रावत ने सभी प्राचार्यों को तत्काल प्रोत्साहन राशि वितरित करने को कहा, साथ ही उन्होंने इसे प्रत्येक तीन माह में बांटने के निर्देश भी दिये। विभागीय मंत्री ने रेफरल व्यवस्था को न्यून कर मरीजों को सरकारी अस्पताल एवं मेडिकल कालेजों में ही पूरा उपचार देने के निर्देश अधिकारियों को दिये उन्होंने कहा कि मरीजों को दूसरे अस्पतालों में तभी रैफर किया जाय जब अस्पताल में इलाज संभव न हो।
बैठक में राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के चेयरमैन डी. के. कोटिया, अपर सचिव स्वास्थ्य एवं सीईओ राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण अरुणेंद्र सिंह चौहान, निदेशक स्वास्थ्य डॉ विनीता शाह, डॉ मीतू शाह, अपर निदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्राचार्य दून मेडिकल कालेज डॉ आशुतोष सयाना, सभी मेडिकल कालेजों के प्राचार्य एवं राजकीय मेडिकल कॉलेज के अधिकारी उपस्थित रहे।

जीवन पथ की अनजान डगर में बहुत जरूरी है आयुष्मान कार्ड

अचानक आए बुखार से यदि हालत खराब हो जाए और बुखार का प्रभाव दिमाग तक पहुंच जाए तो इस तरह के मरीज के परिजनों की चिंता स्वाभाविक है। लेकिन घबराहट के इन हालातों में राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा संचालित आयुष्मान योजना का उन्हें जो सहारा मिला उसे वह कभी नहीं भुला पाएंगे। और आयुष्मान कार्ड के महत्व को समझते हुए लाभार्थी राज्य सरकार का आभार तो जता ही रहे हैं साथ ही लोगों से कार्ड बनाने की अपील कर रहे हैं।

महंत इंद्रेश अस्पताल में अपने बेटे का उपचार करा रही है हरिद्वार लालढांग निवासी माहेश्वरी देवी कहती हैं मेरे बेटे को पहले बुखार आया था। अचानक ही स्थितियां इतनी गंभीर हो गई कि बुखार उसके दिमाग में चढ़ गया और क्लॉटिंग जैसी स्थितियां बन गई। बात जब दिमाग में क्लॉटिंग की हो तो इस उपचार के खर्च का अंदाजा हर कोई सकता है। वह बताती हैं कि उपचार का खर्चा एक ढेड लाख से कम नहीं है। लेकिन हमने आयुष्मान कार्ड बनाया है। और उसी से ही उपचार ही सारा उपचार हो रहा है। इलाज पर हमारा एक भी पैसा खर्च नहीं हो रहा है।

वह कहती है कि हम सरकार की योजना से जुड़े हैं तो हमें स्टाफ का रिस्पांस भी अपेक्षाकृत बेहतर मिल रहा है। वह कहती हैं कि सब लोगों को अपना आयुष्मान कार्ड बनाना चाहिए। ताकि वक्त मौके पर उसका लाभ लिया जा सके। अस्तपाल में तैनात आयुष्मान मित्र की ओर से मिली मदद पर भी वह कृतज्ञता जताती हैं।

माहेश्वरी देवी जैसे लोगों की प्रदेश बड़ी तादाद है जिनके परिजनों का आयुष्मान योजना के तहत मुुफ्त उपचार हुआ। और वह भी हर किसी से कार्ड बनाने की अपील करते हुए राज्य व केंद्र सरकार का आभार जताते हुए थकते नहीं हैं। लाभार्थियों के फीडबैक से साफ होता है कि आयुष्मान कार्ड यथा समय बना लेना चाहिए, क्योंकि जीवन पथ एक अनजान डगर है, यहां कभी भी कुछ भी संभव है। ऐसे में आयुष्मान का सुरक्षा कवज लेना बहुत जरूरी हो जाता है।