युवाओं से बोले सीएम, अपनी सेवाओं के माध्यम से अंत्योदय के सिद्धांत को पूर्ण करें

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से समाज कल्याण विभाग में चयनित 35 सहायक समाज कल्याण अधिकारियों तथा 3 छात्रावास अधीक्षकों को नियुक्ति-पत्र प्रदान किए।
मुख्यमंत्री ने सभी नवनियुक्त अधिकारियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा निरंतर सरकारी रिक्त पड़े पदों पर भर्तियां करवाई जा रही है। जिसके फल स्वरूप नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम भी निरंतर चल रहे हैं। विभिन्न सरकारी विभागों में रिक्त पड़े पदों को भरने का अभियान जारी है। उन्होंने कहा कड़ी मेहनत, परिश्रम करने वाले आज सभी मेहनती युवाओं को नियुक्ति पत्र वितरित किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने सभी नवनियुक्त अधिकारियों से जीवन में हमेशा अनुशासन रखे जाने की बात कही। उन्होंने कहा स्वयं में अनुशासन रखकर हम आमजन को सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से आच्छादित करवा सकते हैं। अपनी सेवाओं के दौरान अच्छे काम करके दिखाना है ताकि हम अपनी सेवाओं से अंत्योदय के सिद्धांत को पूर्ण कर सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने कड़ा नकल विरोधी कानून लाकर नकल माफियाओं पर अंकुश लगाने का काम किया है। नकल के अपराध में शामिल लोगों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा है। अब राज्य में पूर्ण पारदर्शिता से परीक्षाएं हो रही हैं। योग्यता प्रतिभावान क्षमतावान अभ्यर्थी ही परीक्षाओं में सफल हो रहे हैं।
इस दौरान सचिव बृजेश कुमार संत, प्रभारी निदेशक जीआर नौटियाल, उप निदेशक वासुदेव आर्य, मुख्य वित्त नियंत्रक कमलेश भंडारी, जिला समाज कल्याण अधिकारी गोवर्धन सिंह सहायक निदेशक हेमलता पांडे एवं अन्य लोग मौजूद रहे।

धामी सरकार परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए बनाने जा रही नियम, मिलेगी इतने साल की सजा

भर्तियों में नकल रोकने के लिए बनेगा कानून, मसौदा तैयार, विधानसभा में पास कराने की तैयारी सरकार ने किसी एक आयोग के बजाए प्रदेश में सभी भर्ती कराने वाली संस्थाओं के लिए ‘उत्तराखंड सरकारी सेवाओं में नकल निषेध अधिनियम 2022’ तैयार कर लिया है। शासन स्तर पर हुई बैठक में इस अधिनियम के सभी बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की गई।
उत्तराखंड में सभी आयोग, बोर्ड, परिषद या विश्वविद्यालय की ओर से होने वाली भर्ती परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए सख्त कानून का मसौदा तैयार कर लिया गया है। आगामी विधानसभा सत्र के दौरान सरकार इसे पटल पर रखने की तैयारी में है। शासन स्तर पर हुई बैठक में सभी बिंदुओं पर चर्चा के बाद इसे अंतिम रूप दे दिया गया है।
सरकार ने किसी एक आयोग के बजाए प्रदेश में सभी भर्ती कराने वाली संस्थाओं के लिए ‘उत्तराखंड सरकारी सेवाओं में नकल निषेध अधिनियम 2022’ तैयार कर लिया है। शासन स्तर पर हुई बैठक में इस अधिनियम के सभी बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की गई बैठक में तय किया गया कि कानून में उम्मीदवारों, परीक्षा कराने वाली संस्थाओं और नकल माफियाओं के लिए सजा के अलग-अलग प्रावधान होंगे।
अपर सचिव कार्मिक कर्मेन्द्र सिंह ने बताया कि प्रदेशभर में होने वाली सरकारी भर्तियों के लिए अधिनियम को लेकर हुई बैठक में न्याय विभाग सहित तमाम संबधित विभागों ने अपने सुझाव दे दिए हैं। दरअसल, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय के साथ ही कई भर्तियों में बड़े पैमाने पर नकल सामने आने के बाद प्रदेश में सख्त नकलरोधी कानून की जरूरत महसूस हुई। आयोग ने बोर्ड बैठक में ऐसे कानून का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा था।

प्रदेश में पहली बार ऐसे लागू होगा नकलनिषेध कानून
उत्तराखंड सरकार प्रदेश में पहली बार सख्त नकल निषेध कानून लाने जा रही है। जो मसौदा तैयार हुआ है, उसे कैबिनेट बैठक में लाया जाएगा। यहां से मुहर लगने के बाद विधानसभा सत्र के दौरान पटल पर रखा जाएगा। पास होने के साथ ही यह अधिनियम कानून के रूप में लागू हो जाएगा।

अभी तक यह है प्रावधान
अभी तक पेपर लीक का कोई भी मामला प्रकाश में आने के बाद उत्तराखंड के नकल रोधी कानून के तहत आरोपियों पर आईपीसी की धारा 420, 120 बी या हाईटेक नकल होने पर आईटी एक्ट में ही मुकदमे दर्ज होते हैं। आयोग का मानना है कि इन अपराधियों के लिए कानून के यह प्रावधान कमतर हैं।

अब ये सजा संभव
-उम्मीदवारों पर जुर्माने के साथ ही दो से तीन साल की सजा और परीक्षाओं से दो साल तक डिबार करना।
-संस्था की पेपर लीक में भूमिका होने पर भारी भरकम जुर्माना और पांच से सात साल तक की सजा।
-नकल माफिया या गिरोह की भूमिका पर दस साल तक सजा के अलावा संपत्ति कुर्की व दस लाख तक जुर्माना।
-नकल को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध मानकर इसकी जांच एडिशनल एसपी स्तर के अधिकारी ही करेंगे।

कानून न होने पर पेपर लीक के 42 में से 18 आरोपियों की हो चुकी जमानत
प्रदेश में नकल निषेध का कोई सख्त कानून न होने की वजह से अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्तियों में पेपर लीक के 42 आरोपियों में से 18 की जमानत हो चुकी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले से ही भर्तियों का पूर्ण पारदर्शी सिस्टम तैयार करने और नकल-पेपर लीक रोकने के लिए बड़ा फैसला लेने की बात कह चुके हैं।

सीएम ने विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय की सराहना की

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा भर्ती प्रकरण में आज विधानसभा अध्यक्ष द्वारा की गयी कार्यवाही का स्वागत किया है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा है कि “उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष रितु भूषण का निर्णय स्वागत योग्य है। उन्होंने राज्य सरकार और प्रदेश जनता की अपेक्षाओं के अनुसार निर्णय लेकर सदन की गरिमा बढ़ाई है। हमें विश्वास है कि शीघ्र ही पूरे प्रकरण का विधि सम्मत समाधान निकलेगा और दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।”
मुख्यमंत्री ने कहा है कि “मैंने स्वयं भर्ती प्रकरण की निष्पक्ष जाँच और अनियमितता पाए जाने पर भर्तियों को निरस्त किए जाने हेतु अनुरोध किया था।“ उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में अधीनस्थ सेवा चयन मामले में एसटीएफ जांच तेजी से आगे बढ़ रही है।
उन्होंने कहा “हम राज्य के सभी नौजवानों और नागरिकों को आश्वस्त करते हैं कि राज्य सरकार आपकी आशाओं और अपेक्षाओं के अनुसार इन सभी मामलों में कड़ी कार्रवाई करेगी। किसी भी मेहनतकश युवा के साथ अन्याय नहीं होगा।”

धामी की दो टूक, भर्ती घोटालों में शामिल किसी भी दोषी को बख्शा नही जायेगा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से सचिवालय में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से स्नातक स्तरीय परीक्षा में चयनित कुछ अभ्यर्थियों ने भेंट की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन अभ्यर्थियों ने पूरी ईमानदारी और अपनी मेहनत से परीक्षा पास की है, उन्हें निराश नहीं होने दिया जाएगा। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्तियों में जहां भी गड़बड़ी की शिकायत प्राप्त हो रही है वहां हमने सख्त जांच के आदेश दिये हैं। कुछ मामले एसटीएफ को दिये गये हैं एवं कुछ पर विजिलेंस को नियुक्त किया गया है। उन्होंने कहा कि भर्ती घोटालों में किसी भी दोषी को भी नही बख्शा जायेगा। इस अवसर पर वरिष्ठ भाजपा नेता रवीन्द्र जुगरान भी मौजूद थे।

78 अवर अभियंताओं को नियुक्ति पत्र जारी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखण्ड पॉवर कॉरपोरेशन लि. में अवर अभियंता के पद पर चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए। पहले चरण में 78 अवर अभियंताओं को नियुक्ति पत्र आज जारी किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री आवास में 12 अवर अभियंता को नियुक्ति पत्र प्रदान किए। 16 अवर अभियंताओं का भी डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया गतिमान है, उनको भी जल्द नियुक्ति प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त शासन द्वारा अनफ्रीज किए गए 60 अवर अभियंता के पदों पर अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा नियुक्ति की कार्यवाही की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने सभी चयनित अभ्यर्थियों को शुभकामनाएं देते कहा कि सभी पूर्ण मनोयोग से अपने कार्यों का निर्वहन करें। उन्होंने आशा व्यक्त की कि जनसेवा के लिए जो भी कार्य मिलता है, उसे सभी अभ्यर्थी कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी से समय पर पूर्ण करेंगे।
इस अवसर पर प्रबंध निदेशक यूपीसीएल एवं पिटकुल अनिल कुमार, परियोजना निदेशक यूपीसीएल अजय कुमार अग्रवाल, निदेशक परिचालन एम. एल प्रसाद, महाप्रबंधक मानव संसाधन के.बी चौबे, उप महाप्रबंधक मानव संसाधन अमित कुमार, वरिष्ठ कार्मिक अधिकारी जितेन्द्र कुमार एवं यूपीसीएल के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर रिक्त प्रक्रिया में तेजी लाने के दिए निर्देश

अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सरकारी विभागों में रिक्त पदों पर सीधी भर्ती की प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि नियमावलियों के संबंध में किसी प्रकार की समस्या हो तो विभागीय अधिकारी कार्मिक विभाग में व्यक्तिगत रूप से आकर दिशा-निर्देश प्राप्त करें। अपर मुख्य सचिव, सचिवालय में आयोजित बैठक में सीधी भर्ती प्रक्रिया की समीक्षा कर रही थीं। विगत नवम्बर माह में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रत्येक माह की 9, 19 व 29 तारीख को भर्ती प्रक्रिया की समीक्षा करने के निर्देश दिए थे। उसी क्रम में बैठक आयोजित की गई। इसमें उत्तराखण्ड राज्य लोक सेवा आयोग, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग व तमाम विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि जिन विभागों में एकीकरण की प्रक्रिया की जानी है, वहां इसे जल्द से जल्द करते हुए रिक्त पदों पर भर्ती के लिए अध्याचन राज्य लोक सेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को प्रेषित करें। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि अध्याचन की प्रक्रिया में पहले से तेजी आई है, परंतु इसमें और शीघ्रता की आवश्यकता है। जिन विभागों को नियमावली संबंधी कारणों से अध्याचन भेजने में कठिनाई हो रही हो, वे शासन में कार्मिक विभाग में व्यक्तिगत रूप से मिलकर परामर्श प्राप्त कर लें। इसमें औपचारिक पत्राचार में समय नष्ट न करें। सभी विभागीय अधिकारी रिक्त पदों के अध्याचन भेजने को सर्वोच्च प्राथमिकता पर लें।
बताया गया कि उत्तराखण्ड राज्य लोक सेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा अध्याचन की प्रक्रिया को 30 दिसम्बर तक आनलाईन कर दिया जाएगा। बैठक में इसका प्रस्तुतिकरण भी दिया गया। सोमवार से संबंधित अधिकारियों को प्रशिक्षण देना प्रारम्भ किया जाएगा। मुख्यमंत्री के निर्देशों पर भर्ती प्रक्रिया की लगातार समीक्षा की जा रही है। इससे पूर्व 3 व 13 दिसम्बर को अपर सचिव कार्मिक के स्तर पर समीक्षा की जा चुकी है। 3 दिसम्बर को पीसीएस की भर्ती व 13 दिसम्बर को यांत्रिक सेवा में भर्ती के संबंध में समीक्षा की गई थी।

अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने गुपचुप तरीके से गजट नोटिफिकेशन जारी किया

देहरादून।
समूह ‘ग’ की परिधि में आने वाले ग्राम्य विकास विभाग में ग्राम विकास अधिकारी और ग्राम पंचायत अधिकारी के पदों पर निर्धारित योग्यता तकनीकी तरीके से बढ़ा कर पहाड़ के युवाओं को इन पदों से दूर करने का षडयत्र उजागर हुआ है। इसके लिए योग्यता में बदलाव लाने वाले प्रावधानों को गुपचुप तरीके से गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। निकट भविष्य में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पास ग्राम विकास अधिकारी और ग्राम पंचायत अधिकारी के सैकड़ों पदों का अधियाचन पहुंचा है। इन पदों से सीधे तौर पर पहाड़ में पढ़ने वाले अधिकांश छात्र बाहर हो जाएंगे।
ग्राम्य विकास अधिकारी के जिन पदों पर अब तक इंटरमिडिएट अर्हता थी। अब उसे स्नातक कर दिया गया है। स्नातक में भी कृषि, विज्ञान, अर्थशास्त्र, कामर्स होना अनिवार्य है। पहाड़ों में विज्ञान के शिक्षकों का नितांत अभाव है, इसलिए जो विज्ञान पढ़ता है मैदानों में ही आता है। इंटरमिडिएट में कृषि विषय किसी भी पहाड़ के इंटर कालेज में नहीं है, यही स्थिति कामर्स की भी है। इस तरह ग्राम्य विकास अधिकारी के लिए इस तरह की अर्हता तय कर पर्वतीय क्षेत्र के अभ्यर्थियों को सीधे तौर पर इससे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
इसके लिए बाकायदा गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। निकट भविष्य में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ग्राम विकास अधिकारी के 400 से अधिक पदों पर भर्ती करने का जा रहा है। इन पदों की भर्ती के लिए यह नई अर्हता लागू हो जाएगी। इसका मतलब यह है कि पहाड़ के इंटर कालेजों में पढ़ने वाले छात्र छात्राए इन पदो के लिए पहली ही सीढ़ी में अनर्ह हो जाएंगे। क्योंकि इंटर में जिन छात्रों के पास कृषि, विज्ञान, अर्थशास्त्र, कामर्स विषय होंगे वही ग्रेज्युयेशन में इन विषयों के साथ पढ़ेगा। पहाड़ से इंटर मिडिएट करके आने वाला छात्र इन विषयों को कैसे पढ़ पाएगा?
उत्तराखंड के निवासियों की भर्ती के लिए अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का गठन किया गया था। जो राज्य गठन के पंद्रह साल बाद हो पाया। अब इस आयोग के दायरे में आने वाले सबसे अधिक पदों पर इस तरह की अर्हता लगाकर एक क्षेत्र विशेष के लोगों को बड़ी चोट पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड अधिकांश मामलों में उत्तर प्रदेश की नकल करता रहा है। जबकि उत्तर प्रदेश में परंपरा रही है कि यदि किसी पद की योग्यता में बदलाव करना आवश्यक हो तो उसके लिए बाकायदा कमेटी का गठन किया जाता है। कमेटी इसके समाज के सभी वर्गों में पढ़ने वाले प्रभावों का आंकलन करती है, साथ ही कई बार जन सुनवाई कर जन सामान्य के पक्ष को भी सुना जाता रहा है। इसके बाद ही योग्यता में परिवर्तन किया जाता है। उत्तराखंड में कुछ अधिकारी अपनी मानसिकता थोपकर इस तरह के निर्णय ले रहे हैं। चुपचाप गजट नोटिफिकेशन जारी कर परीक्षा के ठीक पहले उसे सामने लाया जा रहा है, ताकि प्रभावित पक्ष को इसका विरोध करने का भी मौका तक न मिले। एक क्षेत्र विशेष के युवाओं को टारगेट कर ग्राम विकास अधिकारी और ग्राम पंचायत अधिकारी के पदों से पूरी तरह उन्हें दरकिनार करने की यह कार्यवाही निंदनीय है। गौरतलब है कि इस पदों पर अर्हताएं शासन स्तर पर तय होती हैं, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग इसे लागू करता है।