भारतीय मुद्रा के अपरोक्ष रुप से बहिष्कार का प्रशासन नही ले रहा संज्ञान

ऋषिकेश।
तीर्थनगरी में दस रुपये के सिक्के का बहिष्कार देखने को मिल रहा है। जागरुकता की कमी और भ्रम के कारण दस रुपये का सिक्का चलन से बाहर होने की कगार पर खडा है। उस पर अफवाहें कि असली और नकली सिक्के का खेल और माहौल बिगाड रहा। कई दुकानदारों के पास दस रुपये के सिक्कें की भरमार है, उन्हें डर सता रहा कि उनके सिक्कें नकली तो नही। ऐसे में दुकानदार ग्राहकों से दस रुपये के सिक्कें नही ले रहे है। बाजार में दस रुपये के सिक्कें नही लेने से ग्राहकों में असंतोष पनप रहा है।
दुकानदार व ग्राहक जिसके पास जितने भी सिक्कें है, वह उनको चलन में नही ला पा रहा है। हालांकि कुछ दुकानदार असली व नकली सिक्कों का आंकलन उसमें बनी तिल्ली के आधार पर कर रहे है। अपरोक्ष रुप से दस रुपये के सिक्कें चलन से धीरे-धीरे गायब हो रहे है। ताज्जुब कि बात है कि भारतीय मुद्रा चलने से बाहर हो रही है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी व प्रशासन इस ओर कोई कार्रवाई नही कर रहा है। या कहें तो दबी आवाज में लिखित शिकायत मिलने पर कार्रवाई की बात कह रहा है।
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भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार …
एक रुपये के सिक्के और अधिक रुपये के सिक्कों को रुपये सिक्के कहा जाता है। यह सिक्के वैध मुद्रा के अंतरगत आते है। सिक्काकरण(क्वायनेज) अधिनियम, 2011 की धारा 6 में प्रदत्त अधिकार के अंतर्गत जारी सिक्के भुगतान के लिए वैध मुद्रा होंगे बशर्ते कि सिक्के को विरूपित न किया गया हो और उनका वजन इस तरह से कम न हुआ हो जो प्रत्येक के मामले में निर्धारित वजन से कम हो। (क)किसी भी मूल्यवर्ग के सिक्के जो एक रुपये से कम न हो किसी भी राशि के लिए (ख) आधा रुपया सिक्का, किसी भी राशि के लिए किंतु अधिक से अधिक दस रुपये तक, वैध मुद्रा होंगे।

बाजार में कुछ सिक्कों को लेकर भ्रम की स्थिती है। हांलाकि भारतीय मुद्रा को लेने से मना करना अपराध की श्रेणी में आता है। हमनें आरबीआई को पत्र भेजा है। 10 नवंबर को उनके अधिकारियों के साथ बैठक होनी है। इसके बाद कार्रवाई होगी।
रविनाथ रमन,जिलाधिकारी देहरादून