बहकावे में न आए युवा धैर्य बनायें रखें, भाजपा की अपील

भाजपा ने युवाओं के आंदोलन को कांग्रेस का राजनैतिक षडयंत्र बताते हुए युवाओं से धैर्य बरतने और सरकार के कदमों पर विश्वास जताने की अपील की है। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट ने प्रदेश के युवाओं पर भरोसा जताते हुए कहा कि वह कानून अपने हाथ में नहीं ले सकते है लिहाजा उन्होंने मुख्यमंत्री से इस पूरे षडयंत्र को लेकर जांच की मांग की है।
महेंद्र भट्ट ने युवाओं से धैर्य बनाये रखने और किसी के बहकावे में नही आने की अपील की और आरोप लगाया कि काँग्रेस पार्टी शुरुआत से ही युवाओं को भड़काने में लगी हुई थी क्योंकि वह सरकार की नियुक्ति प्रकरणों में की जा रही कठोरतम कार्यवाही और उसपर जनता की संतुष्टि को हजम नही कर पा रही थी। जिस तरह की जानकारियां सामने आ रही हैं उससे संदेह है कि कांग्रेस व अन्य विपक्षी पार्टियों के लोग युवाओं के बीच उन्हें भड़काने का काम कर रहे थे, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण व चिंताजनक है। उन्होंने सरकार से मांग की कि इस पूरे प्रकरण के पीछे की गई साजिश की जांच होनी चाहिए। क्योंकि हमे अपने युवाओं पर पूरा भरोसा है वह कानून अपने हाथ में नही के सकते हैं।
इससे पूर्व दोपहर, पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में प्रदेश अध्यक्ष भट्ट ने कहा, धामी सरकार दोषियों पर नियुक्ति में भ्रष्टाचार के दोषी सभी लोगों पर ऐतिहासिक व कठोरतम कार्यवाही कर रही है। इसी क्रम में सरकार नकल कानून को और सख्त करने जा रही है ताकि भविष्य में कोई ऐसा करने की जुर्रत भी नहीं करे। उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में जांच एजेंसियां बेहतर काम कर रही है और जो भी दोषी पाया जा रहा है उसे सलाखों के पीछे पहुंचाया जा रहा है। माननीय उच्च न्यायालय ने भी एजेंसियों की कार्यवाही पर विश्वास जताया है । लिहाजा प्रदेश के युवाओं को धैर्य व जांच एजेंसियों पर भरोसा बनाये रखना चाहिए। उन्होंने युवाओं से ऐसी राजनैतिक पार्टी के नेताओं के बहकावे में नही आने की अपील की है जो राज्य में भ्रष्टाचार की दीमक पनपाने के सबसे अधिक जिम्मेदार हैं। जिनके सत्ता काल के अधिकांश नियुक्तियों में हुई धांधलियों पर आज कार्यवाही हो रही हों । महेन्द्र भट्ट ने कहा, शीघ्र ही मार्च माह में पार्टी सभी विधायकों के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित करेगी, जिसमे जनता की उम्मीदों व कार्यकर्ताओं के कार्यों को पूरा करने एवं सरकार संगठन की योजनाओं को समन्वय करते हुए धरातल पर उतारने पर विचार किया जाएगा। जिसके बाद पार्टी में शामिल होने वाले नए कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों के लिए भी पार्टी की रीति नीति से संबंधी जानकारी का प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया जाएगा।

जयेन्द्र रमोला ने सरकार पर बेरोजगारों को ठगने के आरोप लगाये

कैम्पा व नमामी गंगे के तहत वन विभाग में रखे गये वन सुरक्षा श्रमिक अपनी नौकरी को ठेकेदारी में समाहित किये जाने व मासिक आय में कमी किये जाने की समस्याओं को लेकर एआईसीसी के सदस्य जयेन्द्र रमोला से मिले।
इस अवसर पर जयेन्द्र रमोला ने कहा कि वन सुरक्षा श्रमिकों द्वारा पता चला कि वन श्रमिक जो कि कैम्पा व नमामी गंगे योजना के अन्तर्गत वन विभाग में कार्य कर रहे हैं उनके हितों पर वन विभाग द्वारा कुठाराघात किया जा रहा है। जहां सरकार रोज़गार देने की बात करती हैं, वहीं सरकार वर्षों से कार्यरत वन श्रमिकों को ठेकेदार के हवाले कर व उनकी मासिक आय में कटौती कर उनके अधिकारों का हनन कर रहे हैं जो कि न्यायोचित नहीं है। कहीं ना कहीं वन विभाग द्वारा वन सुरक्षा श्रमिकों का उत्पीडन कर उनको नौकरी से हटाने की संभावना है। विभाग में राज्य सेक्टर, केन्द्र पोषित के अन्तर्गत दैनिक वेतन श्रमिक व न्यायालयों के आदेशों के आच्छादित श्रमिकों के पारिश्रमिक का भुगतान किया जा रहा है। पारिश्रमिक के अन्तर्गत विभिन्न आउटसोर्स संस्थाओं जैसे उपनल, ग्लोबल, उज्जवल आदि के माध्यम से रखे गए आउसोर्स श्रमिकों की पारिश्रमिकी का भुगतान किया जाता है। वन सुरक्षा श्रमिक की पहले न्यूनतम आय 8200 प्रति माह हुआ करती थी जिसमे 4 दिन का अवकास हुआ करता था। लेकिन भाजपा सरकार द्वारा जो वन विभाग की बागडोर निजी कंपनी को सौप दिए जाने से बहुत भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस बदलाव की वजह से इन कर्मियों की मासिक आय 8000 से भी और कम हो गयी है। सभी प्रभावित वन विभाग के सुरक्षा श्रमिक बहुत मुश्किल से कार्य करते है, अपनी जान को जोखिम में डालकर जैसे ज़हरीले सांपो को पकड़ना, बाघ, हाथी एवं अन्य जंगली जानवरों को खदेड़ना का कार्य करते हैं, उन वन विभाग के कर्मचारियों के साथ पूर्ण रूप से अन्याय किया जा रहा है।
रमोला ने कहा कि हम इस दुर्व्यवहार का विरोध करते है और कांग्रेस पार्टी इससे प्रभावित कर्मियों के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस मामले में अपने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मिलकर इस समस्या को प्रदेश स्तर पर उठायेंगे और वन सुरक्षा श्रमिकों के अधिकारों की लड़ाई लड़ेंगे।
मौक़े पर भगवती प्रसाद चमोली, रवि थापा, हरकेश सिंह, देवेंद्र, करन, संतराम, सुरेंद्र, लवीश, हरिराम, भोपाल, रमेश, उत्तम सिंह, बलवीर, तारा चंद, धर्म सिंह, प्रेम, पिंकी, खेमचंद, रोहित, पंकज, प्रमोद, सुनील, प्रीति नेगी व अवशेष नेगी मौजूद थे।

युवा सरकार के निर्णय से मिलने लगा रोजगार, बेराजगारी दर में दर्ज की गई गिरावट

उत्तराखंड में पिछले एक महीने में बेरोजगारी की दर में कमी आई है। सितंबर माह में राज्य की बेरोजगारी दर 4.1 प्रतिशत रही, जबकि पिछले साल इसी महीने बेरोजगारी दर 22.3 प्रतिशत थी। बेरोजगारी दर के मामले में उत्तराखंड देश में नौंवे स्थान पर है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी प्रा लि (सीएमआईई) के सर्वे में यह खुलासा हुआ है।
सर्वे के ऑनलाइन आंकड़ों के मुताबिक, पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा समेत 17 राज्यों में बेरोजगारी उत्तराखंड से अधिक है। उत्तराखंड में पिछले महीने की तुलना में सितंबर माह में बेरोजगारी दर में 2.1 प्रतिशत की गिरावट रही है। 

आर्थिक गतिविधियों में तेजी का असर
कोविड की दूसरी लहर के तकरीबन थम जाने के बाद आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी बेरोजगारी दर में गिरावट की एक प्रमुख वजह मानी जा रही है। जानकारों के मुताबिक, पिछले दो महीनों के दौरान राज्य में पूरी तरह से अनलॉक हो गया है। बाहरी राज्यों के लोगों के राज्य में प्रवेश की बंदिश में ढील, अंतरराज्यीय परिवहन के संचालन और व्यावसायिक गतिविधियों को खोलने से आजीविका और रोजगार के अवसर खुले हैं।
 
सितंबर 2020 में थी 22 फीसदी से ज्यादा बेरोजगारी दर
कोरोनाकाल के दौरान सितंबर 2020 में उत्तराखंड की बेरोजगारी दर पिछले आठ महीनों में सबसे अधिक 22.3 फीसदी थी। जनवरी 2021 की तुलना में 2020 में बेरोजगारी दर केवल एक फीसदी कम थी। सितंबर 2020 में बेरोजगारी दर बढ़कर 22.3 फीसदी तक पहुंच गई।
 
कुछ प्रमुख राज्यों में बेरोजगारी दर 
प्रदेश-बेरोजगारी दर
उत्तरप्रदेश-5.0
हिमाचल-8.7
जम्मू कश्मीर-21.6
हरियाणा-20.3
गुजरात-1.3
दिल्ली-16.8
पंजाब-9.3
राजस्थान-17.9
असम-3.5
स्रोत-सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी (सीएमआई) प्रा. लि.

खाली पदों को भरने के लिए सिडकुल के उद्यामियों और राज्य सरकार एमओयू करेंः हरीश रावत

पूर्व मुख्यमंत्री व पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत बेरोजगारी के खिलाफ सरकार का ध्यान आकर्षित करने हरिद्वार पहुंचे है। यहां वह सिडकुल पर पैदल पदयात्रा निकालेंगे। हरीश रावत ने कहा कि उन्होंने संकल्प लिया था कि बढ़ती बेरोजगारी को लेकर हरिद्वार और रुद्रपुर सिडकुल में नौ लोगों के साथ परिक्रमा करूंगा। इसका उद्देश्य सिडकुल में खाली पड़े पदों पर स्थानीय युवाओं को रोजगार और जो कार्यरत लोगों को उनकी मेहनत का उचित मेहनताना मिलना है।

पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वह बेरोजगारी मुद्दे पर राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि खाली पदों को भरने को लेकर सिडकुल क्षेत्र के उद्यमियों के साथ राज्य सरकार एक एमओयू हस्ताक्षर करंे। इसको लेकर पहले हुए समझौतों को सख्ती से लागू किया जाए।

उत्तराखंड के विकास में एमएसएमई सेक्टर की महत्वपूर्ण भूमिकाः त्रिवेन्द्र

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों में निवेश की सीमा में वृद्धि की गई है। अब संयंत्र व मशीनरी में एक करोड़ रूपए तक निवेश और पांच करोड़ रूपए तक टर्नओवर वाले उद्यम, सूक्ष्म उद्योग की श्रेणी में आएंगे। इसी प्रकार 10 करोड़ रूपए तक निवेश और 50 करोड़ रूपए तक टर्नओवर वाले उद्यम, लघु उद्यम की श्रेणी में आएंगे। जबकि 50 करोड़ रूपए तक निवेश और 250 करोड़ रूपए तक टर्नओवर वाले उद्यम, मध्यम उद्यम की श्रेणी में आएंगे। गौरतलब है कि आत्मनिर्भर पैकेज के तहत एमएसएमई सेक्टर के लिए केन्द्र सरकार द्वारा अनेक प्रावधान किए गए हैं। भारतीय उद्योग जगत अपना विस्तार कर सकें और आवश्यक सुविधाएं प्राप्त कर सकें, इसके लिए एमएसएमई सेक्टर का नया वर्गीकरण किया गया। इसमें निवेश की सीमा को बढ़ाया गया और टर्नओवर को भी इसके मानक के रूप में लिया गया है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड के विकास में एमएसएमई सेक्टर की महत्वपूर्ण भूमिका है। रोजगार सृजन का प्रमुख स्त्रोत है। केन्द्र सरकार द्वारा एमएसएमई को नए तरीके से परिभाषित करने से राज्य के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को लाभ होगा जिसका सकारात्मक प्रभाव राज्य के विकास पर पड़ेगा।