चार स्तंभों गरीब, युवा, महिला और किसान को समर्पित है बजट

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को उत्तराखंड विधानसभा में प्रस्तुत बजट को समग्र, समावेशी, संतुलित और विकासोन्मुखी बताया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने विकसित भारत के चार स्तंभ, गरीब, युवा, महिला और किसान बताए हैं और हमारी सरकार द्वारा आज प्रस्तुत बजट इन्हीं को समर्पित है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने वर्ष 2024-25 के लिए 89,230 करोड़ रूपए का बजट प्रस्तुत किया गया जो पिछले वर्ष से 15.27 प्रतिशत अधिक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सशक्त उत्तराखंड के लिए हमारी सरकार विकल्प रहित संकल्प के साथ काम कर रही है। औद्योगिक विकास और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए हमारी सरकार ने 30 से अधिक नीतियां बनाई हैं और इसके सकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिल रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की आर्थिक विकास की दर वर्ष 2022-23 में 7.63 प्रतिशत रही है जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2023-24 में भी लगभग यही दर अनुमानित है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी प्रति व्यक्ति आय में 12 प्रतिशत वृद्धि हुई है। वर्ष 2023-24 में प्रति व्यक्ति आय 2 लाख 60 हजार 201 रूपए रही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति आयोग द्वारा जारी बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार प्रदेश के 9 लाख 17 हजार 299 लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं।

चार स्तंभों पर विशेष फोकस

गरीब कल्याणः मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीबों के कल्याण के लिए बजट में 5658 करोड़ का प्राविधान किया गया है। इसमें गरीबों के आवास के लिए 93 करोड़, खाद्यान्न आपूर्ति में 600 करोड़ और निशुल्क गैस रिफिल में 55 करोड़ की राशि शामिल है।

युवा कल्याणः मुख्यमंत्री ने कहा कि युवा कल्याण, तकनीकी शिक्षा और उच्च शिक्षा में कुल 1679 करोड़ रुपए का प्राविधान किया गया है। इसमें राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के लिए 250 करोड़ भी शामिल है। मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक मेधावी बालिका प्रोत्साहन योजना के लिए भी बजट में प्राविधान किया गया है। युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करने पर भी ध्यान दिया गया है।

अन्नदाताः मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान भाइयों के लिए बजट राशि को बढ़ाया गया है। वर्ष 2024-25 में कुल 2415 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। इसमें दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना, मिशन एप्पल, किसान पेंशन, मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना पर विशेष ध्यान रखा गया है।

नारीशक्तिः मुख्यमंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में जेंडर बजट में लगभग 14,538 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। नंदा गौरा, मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना, गंगा गाय महिला डेयरी विकास योजना आदि में प्रावधान किए गए हैं।

देवभूमि की विधानसभा ने समान नागरिकता कानून पारित कर देश में की नई शुरूआत-धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता विधान सभा सदन में बहुमत से पास होने पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं, उन्होंने सदन के सदस्यों तथा उत्तराखण्ड की देवतुल्य जनता का आभार जताया है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि यह उत्तराखंड के लिए ऐतिहासिक पल है जब देवभूमि के अन्दर देवभूमि की विधानसभा सदन से देश के पहले समान नागरिकता कानून को मंजूरी मिली है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विधान सभा से पारित नागरिकता संहिता कानून संवैधानिक प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए राष्ट्रपति को भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि 12 फरवरी 2022 को प्रदेश की जनता से समान नागरिक संहिता कानून को प्रदेश में लागू करने का वायदा किया था। आज वह वायदा पूर्ण हो गया है मुख्यमंत्री ने कहा कि जो संकल्प हमारी सरकार ने लिया था वह आज सिद्धि तक पहुँच गया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना ने इस समानता के कानून को लागू करने की प्रेरणा दी है।” यह कानून समानता और एकरूपता का कानून है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट करते हुए कहा कि यह कानून किसी के विरुद्ध नहीं है। बल्कि यह कानून महिलाओं को कुरीतियों और रूढ़िवादी प्रथा से दूर करते हुए सर्वांगीण उन्नतिका रास्ता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कानून में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, उत्तराधिकार और दत्तक ग्रहण जैसे मुद्दों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि इस क़ानून के निर्माण हेतु पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था इसके बाद लगभग 2 सालों के कालखंड में समिति ने हर वर्ग, समुदाय, संप्रदाय के लोगों के साथ बातचीत करते हुए 10 हज़ार से अधिक लोगों के साथ प्रत्यक्ष रूप से बातचीत, करते हुए 72 बैठकों के बाद 2 लाख 33 हज़ार सुझावों को इस कानून में शामिल किया है।मुख्यमंत्री ने अन्य राज्यों से भी अपेक्षा की है वे भी इस कानून की दिशा में आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य हित में जो भी निर्णय लिया जाना उचित होगा वह लिया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों के संघर्ष के परिणाम स्वरूप उत्तराखण्ड बना है। वे स्वयं खटीमा, मसूरी तथा मुजफ्फरनगर काण्ड के साक्षी रहे है। राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के लिये गठित विधान सभा की प्रवर समिति की रिपोर्ट के आधार पर विधान सभा द्वारा आंदोलनकारियों को सरकारी सेवाओं में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण विधेयक को मंजूरी प्रदान करने को भी उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों का सम्मान बताया है।

ऐतिहासिक, सीएम धामी के नेतृत्व में पास हुआ यूसीसी बिल

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक उत्तराखंड 2024 बुधवार को विधानसभा में पारित कर दिया गया। विधेयक पर दो दिनों तक लंबी चर्चा हुई। सत्ता और विपक्ष के सदस्यों ने विधेयक के प्रावधानों को लेकर अपने-अपने सुझाव दिए। इस प्रकार उत्तराखंड विधानसभा आजाद भारत के इतिहास में समान नागरिक संहिता का विधेयक पारित करने वाली पहली विधानसभा बन गई है।
मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता विधेयक उत्तराखंड 2024 को विधानसभा में पेश किया था। आज बुधवार को सदन में विधेयक पर चर्चा के बाद सदन ने इसे पास कर दिया। अब अन्य सभी विधिक प्रक्रिया और औपचारिकताएं पूरी करने के बाद यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनेगा। विधेयक में सभी धर्म-समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक कानून का प्रावधान है। महिला-पुरुषों को समान अधिकारों की सिफारिश की गई है। अनुसूचित जनजातियों को इस कानून की परिधि से बाहर रखा गया है।
बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनता से किए गए वायदे के अनुसार पहली कैबिनेट बैठक में ही यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित करने का फैसला किया। सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर दी गई। समिति ने व्यापक जन संवाद और हर पहलू का गहन अध्ययन करने के बाद यूसीसी के ड्रॉफ्ट को अंतिम रूप दिया है। इसके लिए प्रदेश भर में 43 जनसंवाद कार्यक्रम और 72 बैठकों के साथ ही प्रवासी उत्तराखंडियों से भी समिति ने संवाद किया।

कुप्रथाओं पर लगेगी रोक
समान नागरिक संहिता विधेयक के कानून बनने पर समाज में बाल विवाह, बहु विवाह, तलाक जैसी सामाजिक कुरीतियों और कुप्रथाओं पर रोक लगेगी, लेकिन किसी भी धर्म की संस्कृति, मान्यता और रीति-रिवाज इस कानून से प्रभावित नहीं होंगे। बाल और महिला अधिकारों की यह कानून सुरक्षा करेगा।

यूसीसी के अन्य जरूरी प्रावधान
विवाह का पंजीकरण अनिवार्य। पंजीकरण नहीं होने पर सरकारी सुविधाओं से होना पड़ सकता है वंचित।
पति-पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह पूर्णतः प्रतिबंधित।
सभी धर्मों में विवाह की न्यूनतम उम्र लड़कों के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष निर्धारित।
वैवाहिक दंपत्ति में यदि कोई एक व्यक्ति बिना दूसरे व्यक्ति की सहमति के अपना धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का पूरा अधिकार होगा।
पति पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय 5 वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास ही रहेगी।
सभी धर्मों में पति-पत्नी को तलाक लेने का समान अधिकार।
सभी धर्म-समुदायों में सभी वर्गों के लिए बेटी-बेटी को संपत्ति में समान अधिकार।
मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत की प्रथा पर रोक।
संपत्ति में अधिकार के लिए जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं किया गया है। नाजायज बच्चों को भी उस दंपति की जैविक संतान माना गया है।
किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसकी संपत्ति में उसकी पत्नी व बच्चों को समान अधिकार दिया गया है। उसके माता-पिता का भी उसकी संपत्ति में समान अधिकार होगा। किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार को संरक्षित किया गया ।
लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य। पंजीकरण कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार को उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी।
लिव-इन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस युगल का जायज बच्चा ही माना जाएगा और उस बच्चे को जैविक संतान के समस्त अधिकार प्राप्त होंगे।

“हमारे देश के प्रधानमंत्री राष्ट्रऋषि नरेन्द्र मोदी विकसित भारत का सपना देख रहे हैं। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रही है। उनके नेतृत्व में यह देश तीन तलाक और धारा-370 जैसी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के पथ पर है”
“समान नागरिक संहिता का विधेयक आदरणीय प्रधानमंत्री द्वारा देश को विकसित, संगठित, समरस और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए किए जा रहे महान यज्ञ में हमारे प्रदेश द्वारा अर्पित की गई एक आहुति मात्र है”
“यूसीसी के इस विधेयक में समान नागरिक संहिता के अंतर्गत जाति, धर्म, क्षेत्र व लिंग के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास किया गया है”
-पुष्कर सिंह धामी
मुख्यमंत्री उत्तराखंड

सीएम ने पेश किया यूसीसी, सत्ता पक्ष ने की हौसला अफजाई

विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड समान नागरिक संहिता विधेयक सदन में पेश किया। इस दौरान मुख्यमंत्री आत्मविश्वास और उत्साह से लबरेज नजर आए। विधेयक पटल पर रखने के बाद पूरे दिन सदन में डटे रहे। सदन की कार्यवाही स्थगित होने तक सीएम धामी यूसीसी पर चर्चा में शामिल रहे।
बुधवार को यूसीसी बिल सदन में पारित होना तय है। हालांकि विधेयक पर चर्चा जारी है। सदन में पारित होने के बाद उत्तराखंड यूसीसी को लागू करने में देश का पहला होगा। सांविधानिक जरूरत पड़ी तो इस कानून को लागू करने से पहले अनुमोदन के लिए राष्ट्रपति के भेजा जा सकता है।
11 बजे मुख्यमंत्री स्वयं यूसीसी के ड्राफ्ट की प्रति लेकर विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने पहुंचे। माथे पर तिलक, सफेद कुर्ता पैजामा, नारंगी रंग का वास्कट और गले में मफलर पहने धामी आत्मविश्वास से लबरेज दिखे। उनके के चेहरे पर संतुष्टि का भाव भी था। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने प्रदेश की जनता यूसीसी लागू करने का वादा किया था। इस वादे को पूरा करने के लिए सदन में सीएम उत्साहित नजर आए। साथ ही पूरे दिन सदन में डटे रहे। आमतौर पर व्यस्तता के चलते मुख्यमंत्री सदन में कम समय के लिए आते हैं। लेकिन यूसीसी पर चर्चा के लिए सीएम देर शाम तक सदन में रहे।

सवालः समान नागरिक संहिता से आदिवासियों को बाहर क्यों रखा गया?
जवाब : भारत के संविधान के अनुच्छेद 366 के खंड 25, सहपठित अनुच्छेद 342 के अंतर्गत तथा अनूसूचि छह के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों को विशेष संरक्षण प्रदान किया गया है। ड्राफ्ट समिति ने माना कि प्रदेश में निवास कर रही जनजातियों में महिलाओं की स्थिति प्रदेश में अन्य वर्गों की तुलना में कहीं अधिक बेहतर है।
सवाल : समान नागरिक संहिता किन पर लागू होगी?
जवाबः राज्य के मूल निवासी व स्थायी निवासियों पर। राज्य सरकार या उसके किसी उपक्रम के स्थायी कर्मचारी, केंद्र या उसके किसी उपक्रम के राज्य में तैनात स्थायी कर्मचारी, राज्य में कम से कम एक वर्ष से निवास कर रहे व्यक्ति, राज्य या केंद्र की योजनाओं के लाभार्थी, जिसने राज्य निवासी होने का लाभ लिया हो।
सवाल : विवाह की आयु में कोई परिवर्तन क्यों नहीं किया गया?
जवाब : मुस्लिम वर्ग के अतिरिक्त सभी वर्गों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु लड़कियों के लिए 18 वर्ष, लड़कों के लिए 21 वर्ष निर्धारित है। मुस्लिम वर्ग के लिए न्यूनतम आयु उसका मासिक धर्म प्रारंभ होने से मानी जाती है। अब सबके लिए यह आयु समान होगी।
सवाल : यूसीसी में आनंद मैरिज एक्ट के लिए क्या कहा गया है?
जवाब : किसी भी वर्ग में विवाह के अनुष्ठानों पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया गया। सप्तपदि, आशीर्वाद, निकाह, पवित्र बंधन, आनंद कारज, आर्य समाज विवाह, विशेष विवाह अधिनियम को इसमें संरक्षित किया गया।
सवाल : अनिवार्य विवाह पंजीकरण अधिनियम प्रदेश में पहले से लागू है तो अब इसे समान नागरिक संहिता में लाने की जरूरत क्यों?
जवाब : वह अधिनियम समान नागरिक संहिता आने के बाद समाप्त हो जाएगा।
सवाल : अगर कोई विवाह का रजिस्ट्रेशन नहीं कराएगा तो क्या वह निरस्त होगा?
जवाब : ऐसा विवाह निरस्त नहीं माना जाएगा बल्कि उस पर यूसीसी के प्रावधानों के तहत दंडात्मक कार्रवाई होगी।
सवाल : तलाक के लिए समान नागरिक संहिता में क्या तरीके होंगे?
जवाब : बिना न्यायिक प्रक्रिया अपनाए कोई भी विवाह विच्छेद नहीं होगा। ऐसा करने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
सवाल : समान नागरिक संहिता में पुत्र, पुत्री के बीच संपत्ति का बंटवार क्या समान होगा?
जवाब : हां
सवाल : यूसीसी में मृतक की संपत्तियों का विभाजन कैसे होगा?
जवाबः संपत्ति शब्द को हटाकर संपदा शब्द का प्रयोग यूसीसी में किया गया है। इसमें मृतक की सभी प्रकार की संपत्तियां जैसे चल, अचल, स्वयं अर्जित, पैतृक या जन्गम या संयुक्त, मूर्त या अमूर्त या ऐसी किसी भी संपत्ति में कोई भी हिस्सा, हित या अधिकारी को सम्मिलित किया गया है। यूसीसी लागू होने के बाद पैतृक संपत्ति अब व्यक्ति की स्वयं अर्जित संपत्ति ही मानी जाएगी। और उसका विभाजन उसके उत्तराधिकारियों के बीच स्वयं अर्जित संपत्ति के अनुसार ही किया जाएगा।
सवाल : कोई व्यक्ति अपनी कितनी संपदा की वसीयत कर सकता है?
जवाबः कोई भी व्यक्ति अपनी पूरी संपदा की वसीयत कर सकता है। यूसीसी लागू होने से पहले मुस्लिम, ईसाई एवं पारसी समुदायों के लिए वसीयत के पृथक नियम थे, जो अब सबके लिए समान होंगे।

बिल लाओ ईनाम पाओ योजना के अक्टूबर और नवम्बर माह के विजेताओं की घोषणा

विधान सभा स्थित सभागार कक्ष में वित्त मंत्री डाॅ. प्रेम चन्द अग्रवाल द्वारा 1 सितम्बर 2022 से शुरू की गई “बिल लाओ ईनाम पाओ” योजना के बारहवें और तेहरवें लकी ड्रॉ की घोषणा आनलाईन माध्यम से की गई जिसमें अक्टूबर तथा नवम्बर माह में उपभोक्ताओं द्वारा अपलोड किये गये बिलों को शामिल किया गया।
मंत्री ने कहा कि आज का समारोह ऐसे उपभोक्ताओं में से बारहवें और तेहरवें मासिक लकी ड्रॉ के विजेताओं का चयन किये जाने के लिए आयोजित किया गया है, जिनके द्वारा पंजीकृत व्यापारियों से की गयी खरीद पर प्राप्त बिल को BLIPUK App पर अपलोड किया गया था। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं में “बिल लाओ ईनाम पाओ” योजना के प्रति लोकप्रियता दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि नवम्बर माह में 64828 बिलों को शामिल किया गया जिनका मूल्य 26 करोड़ 50 लाख रूपये है जोकि एक रिकाॅर्ड है। मंत्री ने कहा कि योजना की लोकप्रियता को देखते हुए योजना के अंतर्गत मासिक पुरस्कार दिए जाने की अवधि को दिनांक 30 नवम्बर, 2023 से बढ़ाकर दिनांक 31 मार्च, 2024 तक किया गया है।
मंत्री ने कहा कि ग्राहकों को मासिक पुरस्कार के अंतर्गत 1500 पुरस्कार दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज के पश्चात भी प्रत्येक माह 31 मार्च, 2024 तक उपभोक्ताओं के पास बिल अपलोड करने पर मासिक पुरस्कार के रूप में 500 मोबाईल फोन, 500 स्मार्ट वॉच तथा 500 ईयर फोन को जीतने का अवसर होगा। वित्त मंत्री ने लकी ड्रॉ की घोषणा करते हुए जनता से प्रत्येक खरीद पर बिल प्राप्त करने की अपील भी की।
मंत्री ने विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि “बिल लाओ ईनाम पाओ” योजना के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में यह इस तरह की यह एक मात्र योजना है। उन्होंने कहा कि पूर्णतः पारदर्शी तरीके से लकी ड्रा निकाले जा रहे हैं जिसके लिए उन्होंने जीएसटी विभाग का भी आभार व्यक्त किया।
लकी ड्रा आयोजन में डॉ0 अहमद इकबाल, आयुक्त राज्य कर सहित अन्य विभागीय अधिकारियों के रूप में अनिल सिंह, अपर आयुक्त राज्य कर, अमित गुप्ता, अपर आयुक्त राज्य कर, अनुराग मिश्रा, संयुक्त आयुक्त राज्य कर तथा एस0एस0तिरुवा, संयुक्त आयुक्त राज्य कर उपस्थित रहे।

जन्मदिन विशेष-धामी के लिए गये फैसले जो आज बन गये नजीर

उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दूसरे कार्यकाल के डेढ़ साल पूरे हो चुके हैं। उनकी सरकार का यह कालखण्ड सेवा, समर्पण और सुशासन के लिए समर्पित रहा। इस कालखण्ड में समूचा प्रदेश विकास के पथ पर अग्रसर रहा। पहाड़ और मैदान का भेद किए बगैर सभी क्षेत्रों के संतुलित विकास का आधार तैयार किया गया। क्षेत्र विशेष की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए प्राथमिकताओं के आधार पर योजनाएं तैयार की गईं। जनसरोकार से जुड़े तमाम मुद्दे सुलझाए गए और जनहित में ताबड़तोड़ फैसले भी लिए गए। लेकिन, इसी बीच कई ऐसे अप्रत्याशित विवाद चुनौती के रूप में सामने आए जिनसे निपटना आसान नहीं था। ये चुनौतियां भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और अपराध से सम्बंधित थीं। अहम बात यह थी कि इन विवादों में सत्ताधारी दल से जुड़े कुछ लोगों की संलिप्तता रही, जिन पर सूझबूझ के साथ प्रभावी कार्रवाई करके पुष्कर सिंह धामी ने खुद को मजबूत और साहसिक फैसले लेने वाला मुख्यमंत्री साबित किया। अपना पराया किए बगैर आरोपियों पर की गई सख्त कार्रवाई से धामी सरकार पर जनता का विश्वास बढ़ा है।
वर्ष 2022 के शुरुआत में उत्तराखण्ड में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की सत्ता में जबरदस्त वापसी हुई। चुनाव युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में लड़े गए थे। इस चुनाव में कई इतिहास बदले और कई रिकॉर्ड टूट गए। इसके अलावा अंधविश्वास को भी गहरी चोट पहुंची। 21 मार्च 2022 को बतौर मुख्यमंत्री की दूसरी पारी शुरू करते ही पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के विकास और पारदर्शी शासन पर फोकस शुरू कर दिया। सरकारी सिस्टम में सुधार की कवायद तेज हो गई। दूर दराज के क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का जाल बिछाने का रोडमैप तैयार किया गया, जिसे तेजी से धरातल पर उतारा जा रहा है। सामाजिक समरसता कायम करने और कामन सिविल कोड लागू करने के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जा चुका है। कमेटी कामन सिविल कोड का ड्रफ्ट तैयार कर चुकी है। इसके अलावा हर तरह के माफिया पर शिकंजा कसते हुए आम लोगों को राहत पहुंचाई जा रही है। वर्ष 2025 तक उत्तराखण्ड को देश का सर्वाेत्तम प्रदेश बनाने के लक्ष्य की ओर धामी बढ़ रहे हैं। प्रगति और सुशासन के इस माहौल के बीच कुछ अप्रत्याशित चुनौतियां भी समय समय पर मुख्यमंत्री धामी के सामने आईं।
जुलाई 2022 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जानकारी मिली कि उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से संचालित की जा रही भर्ती परीक्षाओं में लम्बे समय से धांधली हो रही है। एक संगठित गिरोह पेपर लीक कर परीक्षार्थियों से मोटी रकम वसूल रहा है, जिससे पात्र युवाओं का चयन नहीं हो पा रहा है। यह बात सामने आई कि 4-5 दिसंबर 2021 को आयोग ने विभिन्न विभागों में स्नातक स्तर के 916 पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की थी। इसके छह माह बाद 22 जुलाई 2022 को उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने भर्ती परीक्षा में धांधली का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से शिकायत की। इस पर मुख्यमंत्री ने पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार को भर्ती की जांच कराने का आदेश दिया। पुलिस महानिदेशक के आदेश पर रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया और प्रकरण की विवेचना एसटीएफ को सौंपी गई। तफ्तीश से निकला कि आयोग ने लखनऊ के जिस प्रिंटिंग प्रेस आरएमएस टेक्नो साल्यूशंस प्रा. लि. को पेपर छापने और परीक्षा कराने की जिम्मेदारी सौंपी थी, उसके मालिक ने ही नकल माफिया से मिलीभगत कर पेपर लीक किया था। एसटीएफ अब तक प्रिंटिंग प्रेस के मालिक सहित तीन दर्जन से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। इस मामले में एक चौंकाने वाली बात सामने आई कि सत्ताधारी दल से जुड़ा उत्तरकाशी जिले का जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह भी इस नकल माफिया गिरोह की अहम कड़ियों में से एक है। यह बात सामने आते ही विपक्ष धामी सरकार पर हमलावर हो गया। धामी ने डीजीपी को आदेश दिए कि कोई आरोपी कितना भी रसूखदार क्यों न हो या किसी भी राजनैतिक दल से जुड़ा हो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।
इसके बाद विधानसभा में चल रहा नियुक्तियों का गोरखधंधा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के संज्ञान में आया। सोशल मीडिया के जरिए बात सामने आई कि विधानसभा में अपने अपनों को रेवड़ियां बांटने का गोरखधंधा वर्ष 2000 में उत्तराखण्ड के पृथक राज्य बनते ही शुरू हो गया था। सरकारें बनीं, बदलीं लेकिन नौकरियां बांटने और बेचने का कारोबार बदस्तूर जारी रहा। श्अपात्रश् नौकरी पाते रहे और श्पात्रश् के हिस्से में सिर्फ निराशा आती रही। ये काम इतने शातिराना तरीके से हुए कि धामी सरकार का राज शुरू होने पर भी नियमों को ताक पर रखकर विधानसभा में 72 नियुक्तियां कर दी गईं। नौकरी पाने वालों में आरएसएस और भाजपा से जुड़े कुछ लोग भी शामिल थे। चूंकि मामला विधानसभा अध्यक्ष के कानूनी अधिकार क्षेत्र का था जिससे सरकार के हाथ बंधे थे। फिर भी मुख्यमंत्री धामी ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी को पत्र लिखकर नियुक्तियों में हुए भाई भतीजेवाद और फर्जीवाड़े की जांच करने और अवैध नियुक्तियों को तत्काल निरस्त करने का आग्रह करके सबको चौंका दिया। उनका यह कदम लीक से हटकर है। अब तक के मुख्यमंत्री बाखबर होते हुए भी श्सब चलता है चलता रहेगाश् की सोच से बंधे रहे। जब धामी ने पत्र लिखा तो उस वक्त विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी विदेश दौरे पर थीं। लौटते ही उन्होंने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित की और विवादित सचिव को फोर्स लीव पर भेज दिया। उसी समय कार्रवाई इतनी सख्ती से की गई कि सचिव का दफ्तर तक सील करवा दिया गया। जांच कमेटी को हर हाल में एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए। इस कार्रवाई में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी को सीएम धामी का पूरा सपोर्ट मिला। कमेटी ने दिन रात एक करते हुए विधानसभा में नियुक्तियों से सम्बंधित सभी दस्तावेज खंगाले और निर्धारित समयावधि से पहले ही अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दी। रिपोर्ट के आधार पर विधानसभध्यक्ष ने इस रिपोर्ट की सिफारिश के आधार पर 2016 में हुईं 150 तदर्थ नियुक्तियां, 2020 में हुईं 6 तदर्थ नियुक्तियां, 2021 में हुईं 72 तदर्थ नियुक्तियां और उपनल के माध्यम से हुईं 22 नियुक्तियां रद्द कर दीं। विधानसभा सचिव को भी निलम्बित कर दिया गया। समिति ने अपनी जांच में पाया है कि इन भर्तियों में नियमों का पालन नहीं किया गया। न विज्ञप्ति निकाली और न आवेदन मांगे, अपनाई गई यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद-14 और अनुच्छेद-16 का उल्लंघन है। किसी मुख्यमंत्री के लिए इस तरह के मामलों में कार्रवाई की पहल करना इतना आसान नहीं होता क्योंकि रद्द की गईं 250 नियुक्तियों में से 72 तदर्थ नियुक्तियां 2021 में भाजपा शासनकाल में ही हुई थीं। फिर भी उन्होंने पूरी निष्पक्षता से मामले की जांच करने और नियमों के विरुद्ध हुई नियुक्तियों को निरस्त करने का लिखित आग्रह विधानसभा अध्यक्ष से किया।
उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक और फिर विधानसभा में करीबियों को नियम विरुद्ध नौकरियां दिए जाने के विवाद अभी थमे नहीं थे कि रूह कंपा देने वाला एक हत्याकाण्ड सामने आ गया। योग नगरी ऋषिकेश के पास एक आलीशान रिजॉर्ट में अंकिता भण्डारी नाम की लड़की की हत्या कर दी गई। इस हत्याकाण्ड से पूरे उत्तराखण्ड के उबाल आ गया। पुलिस जांच में रिजॉर्ट का मालिक पुलकित आर्य और उसके दो मैनेजर हत्यारे निकले। पुलकित आर्य के पिता विनोद आर्य पूर्व दर्जाधारी राज्य मंत्री रहे हैं जबकि उसका भाई अंकित आर्य मौजूदा समय में उत्तराखण्ड पिछड़ा वर्ग आयोग का उपाध्यक्ष था। दोनों ही भाजपा के सदस्य थे। यह तथ्य सामने आते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने के आदेश दिए। इसके साथ ही इस हत्याकाण्ड को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने की पहल भी की है ताकि आरोपियों को जल्दी से जल्दी सख्त से सख्त सजा दिलाई जा सके। इधर, भाजपा ने भी मुख्य आरोपी पुलकित के पिता विनोद आर्य और भाई अंकित आर्य को भाजपा से निष्कासित कर दिया है। अंकित आर्य को उत्तराखण्ड पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। भ्रष्टाचार, अनियमितता और उपराध से जुड़े इन तीनों मामलों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आरोपियों पर जिस तरह से निष्पक्ष और कड़ी कार्रवाई की है, उससे युवाओं में उम्मीद बंधी है कि भविष्य में उनके हक सुरक्षित रहेंगे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को देशभर के साधु-संतों से मिल रही शुभकामनाएं

उत्तराखंड विधानसभा में धर्मांतरण पर सख्त कानून बनने से देश के संत-समाज में हर्ष की लहर दौड़ गई है। तमाम साधु-संतों की ओर से इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को शुभकामनाएं प्राप्त हो रही हैं। यही नहीं ट्वीटर पर भी आज देश में धर्म रक्षक धामी नंबर एक पर ट्रेंड हुआ।
धर्मांतरण पर सख्त कानून बनाने की प्रतिबद्धता मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ही जता चुके थे। हाल ही में हुई मंत्रिमंडल बैठक में धर्मांतरण पर कानून बनाने के प्रस्ताव को पास किया गया था जिसके बाद बुधवार को राज्य सरकार की ओर से विधानसभा के पटल पर धर्मांतरण कानून को प्रस्तुत किया गया जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया।
मुख्यमंत्री धामी द्वारा लाए गए इस कानून को लेकर अब देश भर में साधु-समाज आनंदित है।
ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य एवं अयोध्या राम मंदिर के मुख्य ट्रस्टी स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती महाराज ने उत्तराखंड में धामी सरकार के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए पूरे देश के राज्यों को ऐसी पहल करने की अपील की है और धामी सरकार की पीठ थपथपाई।
स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज ने कहा कि धामी के इस कानून से पूरे देश का संत समाज आनंदित और आह्लादित है। धर्मांतरण रोकने के लिए मुख्यमंत्री धामी एक कठोर कानून लेकर आए हैं। वासुदेवानंद महाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री धामी ने धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगा दिया है यह देश एवं समाज हेतु बेहद हितकारक है।
स्वामी परमात्मानंद ने कहा कि जो लोग बल से या कपट से धर्मांतरण करते हैं वह सबसे बड़ा पाप है। उत्तराखंड सरकार ने यह कानून पास करके नया उदाहरण दिया है। इसके लिए धामी को साधुवाद।
साध्वी प्राची ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड में धामी ने यह बहुत सुंदर निर्णय लिया है। यह उत्तराखंड सरकार की बहुत अच्छी पहल है। बालकानंद महाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री धामी को हम हृदय से धन्यवाद देते हैं और प्रभु से प्रार्थना करते हैं वे समाज हित में इसी प्रकार से कार्य करते रहें। योगाचार्य बिपिन जोशी ने कहा कि धर्मांतरण पर बना कानून जरूरी और ऐतिहासिक है।
स्वामी रविन्द्र पूरी ने कहा कि इस कार्य के लिए मोदी और धामी को साधुवाद। धामी ने यह कानून बनाकर ऐतिहासिक कदम उठाया है। अन्य राज्यों को भी ऐसा कानून बनाना चाहिए। राज राजेश्वरानंद महाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री धामी के दूरदर्शी कदम की सराहना करता हूं।

जांच कराने वाले को ही निशाने पर लेने के पीछे मंशा समझ से परे

उत्तराखंड विधानसभा में तदर्थ भर्ती को विचलन से मंजूरी कोई 2022 में पहली बार नहीं दी गई। राज्य के लगभग हर सीएम के कार्यकाल में ये मंजूरियां दी गईं। ऐसा कोई हम नहीं कह रहे, बल्कि स्पीकर ऋतु खंडूड़ी की बनाई डीके कोटिया समिति की रिपोर्ट और खुद विधानसभा के हाई कोर्ट में दाखिल किए गए काउंटर में इस हकीकत का विस्तार से जिक्र किया गया है।
सबसे पहली बार 2001 में तत्कालीन सीएम नित्यानंद स्वामी ने 53 पदों पर तदर्थ भर्ती को विचलन से ही मंजूरी दी। इसके बाद कांग्रेस सरकार में सीएम एनडी तिवारी ने तो विचलन से तदर्थ भर्ती को मंजूरी देने का रिकॉर्ड ही बना दिया। उन्होंने 2002 में 28, वर्ष 2003 में 05, वर्ष 2004 में 18, वर्ष 2005 में 08, वर्ष 2006 में भी जाते जाते 21 पदों को मंजूरी दी।
इसके बाद वर्ष 2007 में सीएम बने बीसी खंडूड़ी ने तो कुर्सी संभालने के महज कुछ महीने के भीतर ही 27 पदों पर तदर्थ भर्ती को मंजूरी दी। इन्हीं भर्तियों में उन्होंने अपने पर्यटन सलाहकार प्रकाश सुमन ध्यानी की बेटी, अपने खासमखास महेश्वर बहुगुणा के बेटे, अनिल नेगी की पत्नी, मेयर गामा की पत्नी, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट के साले समेत कई अपने करीबियों को विधानसभा में बेकडौर से भर्ती कराया। इसके बाद वर्ष 2014 में सात और 2016 में 149 पदों पर तदर्थ भर्ती की विचलन से मंजूरी तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने दी। यही परंपरा 2022 में भी जारी रही। विचलन से सीएम की ओर से दी मंजूरी का अर्थ ये नहीं की कुछ भी कर लिया जाए। भर्ती को लेकर जो भी प्रक्रिया अपनाई जाती है, वो स्पीकर के स्तर पर ही होती है। पहली बार सीएम पुष्कर सिंह धामी ने ही स्पीकर की मनमानी को नियंत्रित किया। सख्त व्यवस्था बनाई की पदों की मंजूरी सिर्फ एक साल के लिए दी गई। जिसे दिसंबर 2022 में ही समाप्त हो जाना था। इस तरह उत्तराखंड के इतिहास में अकेले पुष्कर धामी ऐसे सीएम हैं, जिन्होंने विधानसभा में स्पीकर को भी भर्ती के मामले में नियंत्रित कर एक मिसाल कायम की।

पीआरडी जवानों को 300 दिन रोजगार देगी सरकारः रेखा आर्य

प्रदेश की युवा कल्याण मंत्री रेखा आर्या ने आज विधान सभा स्थित कक्ष में विभागीय अधिकारियों के साथ युवा कल्याण एवं प्रान्तीय रक्षक दल विभाग की समीक्षा बैठक ली।

मंत्री ने कहा कि चार धाम यात्रा पर तैनात पीआरडी कार्मिकों के 04 माह से लंबित मानदेय को एक सप्ताह के भीतर भुगतान कर दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि एसडीआरएफ में कार्यरत पीआरडी कार्मिकों का भी मानदेय एक सप्ताह के भीतर भुगतान कर दिया जायेगा।

मंत्री ने पीआरडी जवानों को 300 दिनों के रोजगार देने पर विशेष बल देते हुए कहा कि पीआरडी जवानों को विभिन्न विभागों में विभिन्न पदों जैसे कम्प्यूटर आपरेटर, माली, ड्राइवर, कुुकिंग तथ फार्मासिस्ट को योग्यता के अनुसार रोजगार के अवसर प्रदान किये जायेंगे।

मंत्री ने पीआरडी कार्मिकों को सेवानिवृत्ति पर एकमुश्त आर्थिक सहायता देने हेतु अधिकारियों को प्रस्ताव बनाने के लिए निर्देश दिये। उन्होेंने कहा कि पीआरडी कार्मिकों का एक दिवसीय मानदेय के आधार पर सरकार के अशंदान के साथ जोड़कर एकमुश्त आर्थिक सहायता के रूप में सेवानिवृत्ति पर प्रदान किया जायेगा।

मंत्री ने सेवारत पीआरडी कार्मिक की मृत्यु पर उसके परिवार से उसके पुत्र या पत्नी को मृतक आश्रित के तौर पर नियुक्ति देने हेतु अधिकारियों को दिशा निर्देश देते हुए नियमावली में संशोधन करने को कहा।

मंत्री ने पीआरडी महिला कार्मिकों को मातृत्व अवकाश दिये जाने पर सहमति जताते हुए कहा कि इस संबंध में प्रस्ताव को जल्द से जल्द कैबिनेट में रखा जायेगा।

मंत्री ने पीआरडी कार्मिकों की सेवानिवृत्ति की आयु 50 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष करने हेतु नियमावली में जरूरी संशोधन करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि जिस विभाग में पीआरडी कार्मिक की नियुक्ति की जायेगी, उनके मानदेय के भुगतान का सम्पूर्ण दायित्व संबंधित विभाग का होगा, जिसका जल्द से जल्द शासनादेश लाया जायेगा।

इस अवसर पर बैठक में विशेष प्रमुख सचिव युवा कल्याण अभिनव कुमार, निदेशक युवा कल्याण एवं पीआरडी जितेन्द्र सोनकर तथा अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

शीतकालीन सत्र में 1353 करोड़ का अनुपूरक बजट पेश

उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 का दूसरा अनुपूरक बजट 1353 करोड़ रुपए का पेश किया। सत्र के दूसरे दिन रोजगार पर विपक्ष और सरकार के बीच जमकर बहस हुई। सरकार के आंकड़ों से संतुष्ट न होने पर प्रश्न काल में विपक्ष द्वारा रोजगार के मुद्दे पर वॉक आउट किया गया। नेता विपक्ष प्रीतम सिंह और विधायक काजी निजामुद्दीन ने सरकार पर बेरोजगारों को गुमराह करने का आरोप लगाया। प्रीतम सिंह ने कहा कि 2020 में सरकार का दावा था कि 10 लाख को रोजगार दिया गया। अब सदन में कहा गया कि सात लाख को रोजगार दिया गया है। उन्होंने सदन में गलत जानकारी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस देने की चेतावनी दी। इसके अलावा विपक्ष ने कानून व्यवस्था को लेकर भी जमकर हंगामा किया।

भाजपा का दावा, 10 लाख से ज्यादा रोजगार दिए
संसदीय कार्य मंत्री बंशीधर भगत ने मोर्चा संभालते हुए इन आंकड़ों में आउटसोर्स और अन्य रोजगार को न जोड़ने की बात कही। इधर कांग्रेस के आक्रामक रुख पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने मीडिया में बयान जारी कर कहा कि रोजगार के मुद्दे पर विपक्ष के सवाल औचित्यहीन है,क्योंकि आंकड़े गवाह है कि भाजपा ने अब तक 10 लाख से अधिक लोगों को रोजगार दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता तो 3200 लोगों को रोजगार की सूची देने पर राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा भी कर चुके थे। जबकि 16980 लोग लोक सेवा आयोग तथा अधीनस्थ चयन सेवा आयोग से नियुक्ति पा चुके हैं। 15789 पदों पर चयन प्रक्रिया चल रही है। वहीं आउट सोर्स और अनुबंध सहित अन्य तरह से 1,15159 लॉगो को रोजगार मिला है। इसके अलावा महात्मा गांधी ग्रामीण स्वरोजगार गारंटी योजना के अन्तर्गत लाखों लोगों को रोजगार दिया गया है। पीएमजीएसवाई, सहकारिता, उद्यान, क़ृषि और पर्यटन सहित कई विभागों में लाखों लोगों को रोजगार मिला है। यह आंकड़ा 10 लाख से कहीं अधिक है। हालांकि कोरोना काल में 2 वर्ष पूरे विश्व की स्थिति रोजगार को लेकर डगमगा गई थी ,लेकिन इससे प्रदेश में रोजगार की स्तिथि पर कोई फर्क नहीं पड़ा। सरकार ने सीमित संसाधनों के वावजूद लोगो को इलाज से लेकर भोजन,राशन मुहैया कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आज युवा उत्साहित है और स्वरोजगार की जो योजनाये सरकार ने सन्चालित की है उसके नतीजे आने शुरू हो गये है। वहीं आने वाला समय उत्तराखंड के बेहतरी का है,क्योंकि प्रधानमंत्री ने 10 साल का रोडमैप तैयार किया है और 2025 में उत्तराखंड देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य होगा।

आठ विधेयक पटल पर रखे गए
गुरुवार से शुरू हुए सत्र के दूसरे दिन शुक्रवार को सरकार ने अपना सदन में उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन निरसन विधेयक 2021 समेत आठ विधेयक पटल पर सरकार ने रखे। हाल ही में प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम को समाप्त करने का निर्णय लिया गया था। इसके अलावा सरकार नजूल भूमि पर फ्री होल्ड का अधिकार देने के लिए भी सदन में बिल पेश किया। इस बिल के तहत सरकार नजूल भूमि को फ्री होल्ड करने के लिए नीति को लागू करेगी।

सदन में पेश हुए ये विधेयक
1-उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन निरसन विधेयक, 2021
2-उत्तराखंड पंचायती राज द्वितीय संशोधन विधेयक, 2021
3-आम्रपाली विश्वविद्यालय के विधेयक, 2021
4-उत्तराखंड नजूल भूमि प्रबंधन व्यवस्थापन एवं निस्तारण विधेयक 2021
5-सोसाइटी रजिस्टरीकरण उत्तराखंड संशोधन विधेयक, 2021
6-उत्तराखंड (उत्तरप्रदेश) लोक सेवा (अधिकरण)(संशोधन) विधेयक 2021
7-उत्तराखंड सिविल विधि संशोधन विधेयक, 2021
8-उत्तराखंड कृषि उत्पाद मंडली, विकास एवं विनियमन पुनर्जीवित विधेयक 2021