पूर्व सीएम त्रिवेंद्र के बयान से तीर्थपुरोहितों में आक्रोश


उत्तराखंड में देवस्थानम बोर्ड को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान पर तीर्थपुरोहितों ने फिर मोर्चा खोल दिया है। चारधाम के तीर्थपुरोहितों की महापंचायत ने पूर्व सीएम के बयान की निंदा की और कहा कि लगता है कि सत्ता से दूर रहने और जनता के नकारने के चलते वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं। यही कारण है कि वह जोशीमठ आपदा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर ऊलजलूल बयान देकर सस्ती लोकप्रियता हासिल करना चाहते है। महापंचायत ने मीडिया को जारी बयान में कहा कि पूर्व सीएम अपने बयान पर माफी मांगें। अन्यथा वह चारधामों में उनके खिलाफ मोर्चा खोल देंगे।

जोशीमठ में आई आपदा के बाद प्रभावित हुए लोगों के दर्द पर मरहम लगाने के बहाने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गत दिवस एक बार फिर देवस्थानम बोर्ड को लेकर बयान दिया है। उन्होंने बयान में कहा कि यदि देवस्थानम बोर्ड अस्तित्व में होता तो उसकी आय से पूरा जोशीमठ का पुनर्निर्माण हो जाता। पूर्व मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद तीर्थपुरोहितों में आक्रोश है। तीर्थपुरोहितों की महापंचायत के प्रवक्ता रजनीकांत सेमवाल ने मीडिया को जारी बयान में कहा कि लगता है कि पूर्व सीएम रावत। का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है। राज्य में चार साल तक तुगलकी फरमान जारी करने के बाद जनता ने उन्हें नकार दिया था। जिसके बाद उनको सत्ता से बेदखल कर दिया था। तब से वह सत्ता में आने के लिए तरस रहे हैं। उनके बयान के पीछे भी यही मंशा दिख रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार चारधामों के विकास को लेकर महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ पुनर्निर्माण की कमान स्वयं संभाले हुए हैं। पीएम ने केदारनाथ की तर्ज पर बदरीनाथ संवारने की योजना को भी सहमति दी है। इसी कड़ी में गंगोत्री, यमुनोत्री धाम में सड़क समेत अन्य सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहले आपदा और बाद में कोरोना ने चारधाम यात्रा को प्रभावित किया था। लेकिन धामी सरकार ने चारधाम में बेहतर व्यवस्था देकर देश दुनिया में अच्छा संदेश दिया है।

चार साल में क्या काम हुआ नहीं पता

महापंचायत के प्रवक्ता रजनीकांत सेमवाल ने कहा कि पूर्व त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चारधाम के तीर्थपुरोहितों के विरोध के बीच देवस्थानम बोर्ड बनाया था और अफसरों की तैनाती की थी। ऐसे में वह बताएं कि देवस्थानम बोर्ड ने चार साल में क्या किया है। उन्होंने कहा कि देवस्थानम बोर्ड से डेढ़ से दो सौ करोड़ की कमाई की बात करने वाले पूर्व सीएम पहले अपने कार्यकाल के कामों का व्यौरा दें। उन्होंने कहा कि देवस्थानम जितने दिनों में भी अस्तित्व में रहा, उस दौरान चारधाम में क्या विकास हुआ है और कितनी आय हुई है, यह सब जगजाहिर है। ऐसे में बयानबाजी देकर पूर्व सीएम जोशीमठ के पुनर्वास और पुनर्निर्माण के कार्यों को प्रभावित करना चाहते हैं।

केदारनाथ स्थित ईशानेश्वर मंदिर के नव निर्माण में मुंबई के दानी मनोज सोलंकी ने जताई इच्छा

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में उत्तराखण्ड चारधाम देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड की बैठक हुई। बैठक में बोर्ड के संचालन से सम्बन्धित विषयों के साथ ही बोर्ड द्वारा तैयार किये विभिन्न ड्राफ्ट रूल को स्वीकृति प्रदान की गई, जिसे शासन को उपलब्ध कराया जायेगा। इसमें पुजारियों, न्यासी, तीर्थ पुरोहितो, पण्डो व हक हकूक धारियों के अधिकारों का विनिश्चय एवं संरक्षण से सम्बन्धित नियमावली भी शामिल है। इस अवसर पर देवस्थानम बोर्ड के लोगो (प्रतीक चिन्ह्) की डिजाइनों पर भी चर्चा हुई। जिनमें कतिपय संशोधन के पश्चात अन्तिम निर्णय लिया जायेगा।
बैठक में श्री बद्रीनाथ धाम में मन्दिर एवं समीपवर्ती स्थलों के विस्तारीकरण एवं सौन्दर्यीकरण के सम्बन्ध में निर्णय लिया गया कि बद्रीनाथ धाम में यात्रियों की संख्या में प्रतिवर्ष हो रही वृद्धि के कारण इस क्षेत्र का विस्तारीकरण एवं सौन्दर्यीकरण आवश्यक है ताकि भविष्य में यात्रियों को दर्शन, यातायात एवं ठहरने की समुचित व्यवस्था हो सके इसके लिए देवस्थानम बोर्ड को इसकी व्यवस्था सौंपे जाने पर विचार किया गया। बोर्ड के स्तर पर इससे सम्बन्धित कार्यवाही सुनिश्चित कर शीघ्र प्रस्ताव तैयार कर शासन को प्रेषित करने पर सहमति बनी। बोर्ड अपने स्तर पर इसके लिये तकनीकि एवं विषय विशेषज्ञों की व्यवस्था भी कर सकेगा। इसके साथ ही बैठक में तृतीय केदार श्री तुंगनाथ मन्दिर एवं सभा मण्डप आदि के जीर्णोद्धार पर भी सहमति बनी इसके लिये यू.एस.ए. के दानी पंकज कुमार द्वारा धनराशि व्यय करने की इच्छा जतायी है।
केदारनाथ स्थित ईशानेश्वर मन्दिर के नव निर्माण के लिये भी स्वीकृति प्रदान की गई इस मन्दिर के निर्माण के लिये मुम्बई के दानी मनोज सोलंकी ने इच्छा व्यक्त की है। श्री केदारनाथ मन्दिर के पूरब द्वार की मरम्मत पर भी सहमति बनी जिसके लिये धनराशि दानी हरियाणा के श्री यतिन घई ने दान की सहमति दी है।

बैठक में केदारनाथ मे रावल पुजारी आदि के कक्षों की मरम्मत भविष्य में ऊखीमठ मन्दिर के जीर्णोद्वार, बहुमूल्य पाण्डुलिपियों को डिजिटाइल किये जाने, कार्तिक स्वामी मन्दिर को देवस्थानम बोर्ड के अधीन लाये जाने तथा थैलीसैण्ड स्थित विन्देश्वर मन्दिर के जीर्णोद्वार किये जाने पर सहमति प्रदान की गई।
बैठक में मुख्यमंत्री एवं अध्यक्ष, उत्तराखण्ड देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड त्रिवेन्द्र ने यात्रा मार्गो सहित मन्दिर परिसरो में देवस्थानम बोर्ड के साइनेज होर्डिंग आदि लगाये जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि बद्रीनाथ, केदारनाथ मन्दिरों के पुजारियों, पण्डों, पुरोहितों, वाद्य यंत्र वादको आदि का विवरण तैयार किया जाय ताकि जरूरत पड़ने पर इन लोगों को भी आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी जा सके। उन्होंने कहा कि ये लोग हमारी संस्कृति के संवाहक हैं।
उत्तराखण्ड देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन ने बताया कि 25 अक्टूबर तक चारधाम में 1.72 लाख यात्री दर्शनार्थ आये हैं तथा 2 लाख द्वारा रजिस्ट्रेशन किया गया है, जबकि बद्रीनाथ मन्दिर को 7.55 करोड़ तथा केदारनाथ मन्दिर को 75 लाख की आय हुई है।
बैठक में कैबिनेट मंत्री एवं उपाध्यक्ष उत्तराखण्ड देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड सतपाल महाराज, विधायक महेन्द्र भट्ट, गोपाल रावत, सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर, सचिव वित्त श्रीमती सौजन्या, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह, देवस्थानम बोर्ड के अनिल ध्यानी, प्रमोद नोटियाल, डॉ0 हरीश गौड आदि उपस्थित थे।

उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड राज्य में धार्मिक पर्यटन की तस्वीर को बदल कर रख देगा

उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने राज्य में स्थापित मंदिरों की व्यवस्था को एकरूपता देने और राज्य में चार धाम यात्रा को और बेहतर बनाने के लिए उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड बनाकर एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार को उम्मीद है कि इस व्यवस्था के बाद राज्य में चार धाम यात्रा पहले के कहीं अधिक सुचारू रूप से चलेगी। राज्य में मंदिरों की देखभाल ठीक तरीके से हो सकेगी और देवसंस्कृति के वाहक पुरोहित समाज को भी पहले से अधिक सुविधाएं मिल दी जा सकेंगी। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत इस बोर्ड के गठन के बाद न सिर्फ उत्साहित हैं बल्कि उम्मीद जता रहें हैं कि ये बोर्ड राज्य में धार्मिक पर्यटन की तस्वीर को बदल कर रख देगा।

इंफ्रास्ट्रक्चर होगा बेहतर
देवस्थानम बोर्ड बनाने के पीछे उत्तराखंड सरकार का प्रमुख उद्देश्य राज्य के  मंदिरों में आधारभूत ढांचागत विकास करना है। इस बोर्ड के अधीन राज्य के चारों धाम और 51 मंदिर आएंगे। इन मंदिरों में देश ही नहीं विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। ऐसे में इन मंदिरों में विश्व स्तरीय सुविधाओं का विकास भी किया जाएगा। सरकार अब राज्य में धार्मिक पर्यटन पर आने वालों के लिए सिंगल प्वाइंट अरेंजमेंट की ओर कदम बढ़ा रही है।

पुरोहितों के हित सुरक्षित
देवस्थानम बोर्ड के गठन के ऐलान के साथ ही इसका विरोध भी पटल पर आ गया। बड़ी संख्या में पुरोहित समाज के लोगों ने इस बोर्ड के गठन के विरोध में मोर्चा खोल दिया। हालांकि इस बोर्ड गठन के बाद अब पुरोहित समाज का बड़ा तबका इसके समर्थन में आ गया है। वहीं सरकार शुरुआत से इस बात का दावा करती रही है कि इस बोर्ड के गठन से पुरोहित समाज के हितों की अनदेखी किसी स्तर पर नहीं होगी। रावत और पुरोहितों की सदियों पुरानी व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं आएगा। प्रबंधन के स्तर पर बोर्ड व्यवस्थाओं को बेहतर करेगा। इसी लिहाज से सरकार ने बोर्ड में चारों धामों के प्रतिनिधियों को भी स्थान दिया है। सरकार की माने तो इस बोर्ड के गठन के बाद चारों धामों की व्यवस्था में समन्वय बनेगा।

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भविष्य के लिए जरूरी
त्रिवेंद्र सरकार राज्य में धार्मिक तीर्थाटन को भविष्य के लिहाज से व्यवस्थित करना चाहती है। वैष्णो देवी और तिरुपति बालाजी जैसे मंदिरों में की गई व्यवस्थाओं के मुताबिक ही त्रिवेंद्र सरकार उत्तराखंड के मंदिरों में भी व्यवस्थाएं करना चाहती है। सरकार को उम्मीद है कि इससे राज्य के मंदिरों में धार्मिक पर्यटन बढ़ेगा। हालांकि सरकार के प्रयासों से चार धामों में आने वाले यात्रियों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। फिलहाल तकरीबन चालीस लाख पर्यटक पहुंच रहें हैं। राज्य में जारी ऑल वेदर रोड और ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन के निर्माण के बाद पर्यटकों की संख्या करोड़ों में पहुंच सकती है। ऐसे में राज्य के मंदिरों की व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने के लिए सरकार को इस तरह के बोर्ड के गठन की जरूरत महसूस हो रही थी।