49वीं पुलिस विज्ञान कांग्रेस की मेजबानी का अवसर उत्तराखंड को मिलना गर्व की बातः धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एफ.आर.आई देहरादून में केन्द्रीय सहकारिता गृह मंत्री अमित शाह का स्वागत करते हुए कहा कि 49वीं अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस की मेजबानी करने का अवसर उत्तराखण्ड को मिला, यह राज्य के लिए गर्व का विषय है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आगामी 25 वर्षों में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जिसके लिए हर क्षेत्र में प्रगति करना जरूरी है। इसलिए पुलिस बलों की क्षमता के विकास हेतु इस प्रकार के आयोजन और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं। वर्तमान परिदृश्य में अपराध और अपराधी पारम्परिक प्रणालियों से काफी आगे निकल गये हैं, संगठित अपराध अधिक हो रहे हैं साथ ही साइबर क्राइम के मामलों में आर्टिफिशियल इन्टेलीजेन्स जैसी आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग भी अपराधियों द्वारा किया जा रहा है। पुलिस बल को तकनीकी व मानसिक दक्षता के साथ उन्नत तकनीकी तथा सक्षम माध्यमों से सुसज्जित रहने की आवश्यकता है। इसके लिए गृहमंत्री जी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों को विशेष सहायता प्रदान की जा रही है।

मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि इस पुलिस कांग्रेस में व्यापक विचार-विमर्श और सार्थक चर्चाओं द्वारा पुलिसिंग तथा आंतरिक सुरक्षा के अतिरिक्त साइबर सिक्योरिटी व डाटा चोरी की रोकथाम हेतु महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड पुलिस ने साईबर अपराध की रिपोर्टिंग के लिए ई-सुविधा, मामलों के त्वरित निस्तारण पर बल देने के साथ ही जन जागरूकता अभियानों से जनता को सचेत भी किया है। उत्तराखण्ड पुलिस ने विभिन्न एप्लिकेशन्स लांच किए हैं, जिनके द्वारा प्रभावी पुलिसिंग की व्यवस्था सुनिश्चित हुई है। ऑपरेशन मुक्ति भीख मांगने कचरा इक्ट्ठा करने तथा अन्य छोटे काम करने को बाध्य बच्चों की पहचान कर उन्हें स्कूलों में दाखिला दिलाने के साथ ही इस अभियान के ध्येय वाक्य ’भिक्षा नहीं शिक्षा दें’ को सार्थकता प्रदान की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री ने पिछली बैठक में आतंकवाद पर प्रहार करने का आह्वान करते हुए राष्ट्रीय आंतरिक सुरक्षा नीति बनाए जाने की बात कही थी। उनके नेतृत्व में आज देश में आतंकवाद का सफाया हो रहा है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सुझाव दिया कि वनों की सुरक्षा में लगे वन कर्मियों को भी अत्याधुनिक शस्त्र चलाने तथा अर्द्धसैनिक बलों की भांति प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सीमांत क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए पुलिस को और अधिक आधुनिक संसाधनों से सुसज्जित करना होगा। मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि आवश्यक नई तकनीकों के संबंध में भी इस कांग्रेस में विचार विमर्श किया जाएगा। उन्होंने कहा कि समाज के प्रबुद्ध वर्ग को अपने साथ जोड़कर समय-समय पर राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा हेतु सुझावों का आदान-प्रदान करने की भी आवश्यकता है। इसके अंतर्गत कम्यूनिटी आउटरीच कार्यक्रम द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय सीमावर्ती क्षेत्रों में राष्ट्रीय हितों हेतु कार्य करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं को चिन्हित कर उनका सहयोग प्राप्त करने का प्रयास किया है, जिस प्रयास में हमें सफलता भी प्राप्त हो रही है।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, प्रेमचन्द अग्रवाल, सौरभ बहुगुणा, सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, माला राज्य लक्ष्मी शाह, राज्यसभा सांसद कल्पना सैनी, मेयर सुनील उनियाल गामा, विधायकगण, सचिव गृह, भारत सरकार अजय कुमार भल्ला, उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव डॉ. एस.एस.संधु, अपर मुख्य सचिव गृह राधा रतूड़ी, महानिदेशक पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो बालाजी श्रीवास्तव, उत्तराखण्ड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार एवं विभिन्न राज्यों के पुलिस अधिकारी उपस्थित थे।

महिला अधिवक्ता ने आईडीपीएल चौकी सस्पेंड करने की मांग की

महिला एडवोकेट भावना जोशी ने मीडिया के सामने नौ अगस्त की रात की आपबीती सुनाई। कहा कि एक फिल्म की शूटिंग कर रहे फिल्म निर्देशक पूरी टीम के साथ एक होटल में ठहरे हुए थे। होटल मालिक के साथ उनका विवाद हुआ। वकील होने के नाते उन्होंने उनसे संपर्क किया। उन्होंने फिल्म निर्देश को पुलिस से शिकायत करने की सलाह दी। उन्होंने ऐसा किया तो पुलिस होटल से उन्हें ही उठा ले आई और उनके साथ चौकी में दुर्व्यहार किया। इस पर देर रात वो चौकी पहुंची और पुलिस को परिचय देते हुए न्याय करने की मांग की।
उन्होंने आरोप लगाया कि रात में पुलिस कर्मी बगैर वर्दी के चौकी में थे और शराब पीए हुए थे। इन हरकतों पर सवाल उठाना पुलिस के चौकी प्रभारी और पुलिस कर्मियों को नागवार गुजरा। पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया। एडवोकेट भावना जोशी ने कहा कि पुलिस की हरकतों का वीडियो बनाने पर फिल्म निर्देशक और उनके पति के साथ दो पुलिस कर्मियों ने मारपीट की और मेडिकल कराने के नाम पर एक जीप में ले गए। उन्होंने इसका विरोध किया तो उनके साथ भी हैंडलिंग की गई। उन्होंने पुलिस कर्मियों को बताया कि वो गर्भवती हैं बावजूद पुलिस का रवैया नहीं बदला। बाद में उनका भी ये कहकर मेडिकल कराया गया कि वो नशे में हैं। मेडिकल में स्पष्ट हो गया कि पुलिस झूठ बोल रही थी। कहा पुलिस को कुछ नहीं मिला तो सरकारी कार्य में बाधा डालने में चालान किया गया।
एडवोकेट भावना ने बताया उन्हें उम्मीद नहीं थी कि देवभूमि उत्तराखंड में पुलिस का ऐसा रवैया हो सकता है। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रमुख से शिकायत के बाद चौकी प्रभारी लाइन हाजिर हुए हैं। ये कोई सजा नहीं है। उन्होंने कहा कि पूरी पुलिस चौकी को पहले सस्पेंड और जांच के बाद बर्खास्त किया जाना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर पुलिस एक महिला के साथ ऐसा दुर्व्यवहार कैसे कर सकती है। अपनी कमियों को छिपाने के लिए पुलिस इस मामले को दूसरा रंग देने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने बेहद भावुक होकर कहा कि उन्हें कतई उम्मीद नहीं थी कि उनके राज्य की पुलिस की कार्य प्रणाली ऐसी है। इस दौरान उन्होंने पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए। इस मौके पर अनिल रतूड़ी, सुशील रणाकोटी आदि मौजूद थे।

मुख्यमंत्री ने पुलिस परीक्षा के सफल अभ्यर्थियों को सौंपे नियुक्ति पत्र

1425 अभ्यर्थियों को आज उत्तराखण्ड पुलिस में नियुक्ति दी गई है। पुलिस लाईन, देहरादून में नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 55 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किये। आरक्षी जनपद पुलिस, आरक्षी पी.ए.सी/आई.आर.बी तथा फायरमैन में चयनित कुल सभी 1425 अभ्यर्थियों को आज नियुक्ति पत्र प्रदान किये गये। मुख्यमंत्री ने कहा पुलिस आरक्षी के जो 1550 शेष रिक्त पद हैं, उन पर नई भर्ती प्रक्रिया शीघ्र प्रारम्भ की जायेगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नियुक्ति पत्र प्राप्त करने वाले सभी अभ्यर्थियों एवं उनके माता-पिता को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि आज राज्य के जनपदों एवं पीएसी वाहिनियों में पुलिस विभाग के विभिन्न संवर्गों में पुलिस आरक्षी के रूप में हमारे ऊर्जा से भरे नवयुवक एवं नवयुवतियां पुलिस का अभिन्न अंग बनने जा रहे हैं। पुलिस आरक्षी पुलिस फोर्स की प्राथमिक इकाई है, जो विभाग में नींव की तरह कार्य करते हैं एवं विभिन्न थाने चौकियों एवं चौराहों पर पुलिस का मुख्य चेहरा बनकर तैनात रहते हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि हमारे ये पुलिस आरक्षी कड़ी मेहनत, लगन एवं ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस व्यवस्था किसी भी राज्य की सुरक्षा एवं समृद्धि का एक आवश्यक अंग है। उत्तराखंड पुलिस हमेशा से अपने कार्य के प्रति समर्पित रही है, कोरोनाकाल हो या फिर प्राकृतिक आपदा, हर विपरीत परिस्थितियों में हमारी पुलिस फोर्स ने बेहतरीन कार्य किया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप राज्य सरकार उत्तराखंड पुलिस को एक आधुनिक और स्मार्ट पुलिस बल बनाने के लिए संकल्पबद्ध है। उत्तराखण्ड पुलिस ने मित्रता, सेवा एवं सुरक्षा के रूप में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। उत्तराखण्ड की आबादी के अलावा राज्य में राज्य की आबादी से लगभग पांच गुना श्रद्धालुगण देवभूमि आते हैं। प्रदेश में चारधाम यात्रा में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आ रहे हैं। हमारी मित्र पुलिस के जवान पूरी तत्परता के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब हम दूसरों के दर्द को अपना दर्द समझकर सेवाभाव से अपनी ड्यूटी करते हैं तभी हम सही अर्थों में अपने कर्तव्यों का भली भांति निर्वहन करने में सफल रहते हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में पूर्ण पारदर्शिता के साथ परीक्षाएं कराने के लिए कठोर नकल विरोधी कानून लागू किया है। इस कानून के लागू होने के बाद अभी तक सभी परीक्षाएं पारदर्शी तरीके से सकुशल संपन्न कराई जा चुकी हैं। इस कानून के प्राविधान इतने कड़े किये गए हैं कि युवाओं के भविष्य के साथ कोई भी नकल माफिया खिलवाड़ नहीं कर सकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी को रोकने के लिए उन्होंने तय किया कि इसके लिए चाहे कितना भी संघर्ष करना पड़े, कितने भी लोगों की आलोचनाओं का शिकार होना पड़े, लेकिन एक गरीब माता-पिता के बेटे एवं बेटी के साथ अब वे अन्याय नहीं होने देंगे। एक सामान्य परिस्थिति में रहने वाले बेटे व बेटियों के माता-पिता के पास यदि कोई पूंजी होती है, तो उनकी शिक्षा होती है, उस पर भी लूट हो जायेगी, तो जो माता-पिता विपरीत परिस्थितियों में भी अपने बच्चों का लालन-पालन करते हैं और उनकी शिक्षा को आगे बढ़ाते हैं, उनके पास कुछ नहीं रह जायेगा। इस कानून के बनने के बाद प्रदेश सख्त नकल विरोधी कानून बनाने वाले राज्यों की श्रेणी में अग्रणी राज्य है।

अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने उत्तराखण्ड पुलिस में भर्ती होने वाले सभी अभ्यर्थियों को बधाई देते हुए कहा कि अब हमारे इन युवाओं को जन सेवा करने का सुनहरा अवसर मिल रहा है। समाज के लिए पुलिस का रोल बहुत महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने कहा कि समाज के साथ मधुर व्यवहार रखते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करना एवं समाज को सही दिशा में ले जाने में भी पुलिस की बड़ी भूमिका होती है।

पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा आज उत्तराखण्ड पुलिस को 1425 नये जवान मिल गये हैं। 2016 के बाद लगभग सात साल बाद उत्तराखण्ड पुलिस को नये आरक्षी मिले हैं। उन्होंने कहा कि इनकी प्रशिक्षण की शुरूआत भी आज से ही की जायेगी। इन सभी आरक्षी को सामान्य प्रशिक्षण के साथ ही तकनीक आधारित प्रशिक्षण भी दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग में वर्तमान में मुख्य आरक्षी दूरसंचार, उपनिरीक्षक तथा विधि विज्ञान प्रयोगशाला के अन्तर्गत कुल 538 पदों पर भर्ती प्रक्रिया गतिमान है।

इस अवसर पर मेयर सुनील उनियाल गामा, विधायक विनोद चमोली, अपर पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार एवं पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

सीएम ने एसडीआरएफ मुख्यालय का किया लोकार्पण

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जौलीग्रान्ट में नवनिर्मित एस.डी.आर.एफ मुख्यालय एवं फायर स्टेशन का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर एसडीआरएफ के जवानों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि एसडीआरएफ द्वारा 11 हजार फीट से अधिक ऊँचाई पर किये जाने वाले रेस्क्यू कार्यों के लिए अन्य अर्धसैनिक बलों की तर्ज पर एस.डी.आर.एफ में कार्य करने वाले राजपत्रित अधिकारियों को 1500 रुपए एवं अराजपत्रित अधिकारियों एवं कर्मचारियों को 1000 रुपए प्रतिदिन जोखिम भत्ता प्रदान किया जाएगा। आपदा प्रबन्धन में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाए जाने के उद्देश्य से एस.डी.आर.एफ की छठी कम्पनी गठित की जाएगी, जिसमें प्राथमिकता के आधार पर एक-तिहाई महिला कार्मिकों की नियुक्ति की जाएगी। एसडीआरएफ में प्रतिनियुक्ति की समयावधि 07 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष की जाएगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नवनिर्मित एस.डी.आर.एफ ट्रेनिंग सेंटर और वाहिनी मुख्यालय के लोकार्पण के अवसर पर एस.डी.आर.एफ की टीम को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए हर्ष का विषय है कि मुझे मुख्य सेवक के रूप में एसडीआरएफ के इस नवनिर्मित मुख्यालय को आज प्रदेश को समर्पित करने का मौका मिल रहा है। लगभग 144.43 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित एस.डी.आर.एफ के मुख्यालय में प्रशिक्षण एवं आपदा प्रबंधन की दृष्टि से अन्य गतिविधियां भी होंगी। उन्होंने कहा कि एस.डी.आर.एफ के जवानों और अधिकारियों द्वारा अपने कर्तव्यों का निर्वहन साहस, वीरता, सेवा और समर्पण भाव को से किया जा रहा है। इनका त्याग और कार्यकुशलता अनुकरणीय है। विषम परिस्थितियों में इनके द्वारा जिस साहस से कार्य किया जाता है, वह सराहनीय है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक आपदा की स्थिति में हमारे पुलिस के जवान मोर्चा संभालते हैं और लोगों की जान बचाने के लिए आगे आते हैं। राज्य में 2013 में एस.डी.आर.एफ के गठन से ही एस.डी.आर.एफ ने आपदा के समय देवभूमि में समय-समय पर अनुकरणीय एवं प्रभावी कार्य किए है। गठन से अब तक एसडीआरएफ द्वारा तीन हजार से अधिक रेस्क्यू ऑपरेशनों में बारह हजार से अधिक घायलों का सफल रेस्क्यू किया गया एवं विषम परिस्थितियों में करीब दो हजार शवों को रिकवर भी किया गया। एसडीआरएफ उत्तराखण्ड ने अपनी कार्यकुशलता एवं रेस्क्यू दक्षता के चलते राज्य के आम जनमानस के साथ-साथ प्रतिवर्ष धार्मिक, आध्यात्मिक एवं साहसिक पर्यटन हेतु राज्य में आने वाले लाखों लोगों के मन मस्तिष्क में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। विकट परिस्थितियों में राहत एवं बचाव कार्यों के साथ ही आम जनमानस को आपदा की विभीषिका का बोध कराने एवं सामुदायिक क्षमता विकसित करने हेतु एसडीआएफ द्वारा वृहद स्तर पर जन-जागरूकता कार्यक्रम भी संचालित किये जाते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ माह पूर्व जोशीमठ में आई प्राकृतिक भूधंसाव की घटना के पश्चात राहत एवं बचाव कार्य के साथ-साथ लोगों को जागरूक करने का कार्य भी एसडीआरएफ के हमारे जवानों और अधिकारियों ने बड़ी ही कुशलता के साथ किया। उत्तरकाशी एवलांच की घटना के बाद फंसे हुए ट्रैकर्स को निकालने में भी एसडीआरएफ की बड़ी भूमिका रही थी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इसी प्रकार एसडीआरएफ आगे भी कुशलतापूर्वक किसी भी आपदा के समय राहत एवं बचाव का महत्वपूर्ण कार्य करती रहेगी।

हरिद्वार सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि एस.डी.आर.एफ के मुख्यालय बनने से यहां पर जवानों को प्रशिक्षण एवं अन्य सुविधाएं मिलेंगी। उन्होंने कहा कि हमारा हिमालयी क्षेत्र आपदा प्रभावित क्षेत्र होने के कारण एस.डी.आर.एफ को सशक्त बनाना जरूरी है। एसडीआरएफ के गठन के बाद से ही इनके द्वारा आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया गया। उन्होंने कहा कि राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए एसडीआरएफ को जिला एवं मंडल स्तर तक भी लोगों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्थाओं की दिशा में भी आगे बढ़ना होगा।
अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि उत्तराखण्ड में एसडीआरएफ के गठन से ही उनके द्वारा सराहनीय कार्य किया जा रहा है। एसडीआरएफ एक मोटिवेशनल फोर्स के रूप में आगे बढ़ रही है। आपदा प्रबंधन की दृष्टि से एक सशक्त बल के रूप में कार्य कर रही है।
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि एस.डी.आर.एफ की 05 कंपनियां कार्य कर रहे हैं। प्रदेश में 39 स्थानों पर एस.डी.आर.एफ की टीमें व्यवस्थित की गई हैं। आपदाओं के दौरान एसडीआरएफ के जवानों ने सराहनीय कार्य कर अपनी कार्यक्षमता का परिचय दिया है।

इस अवसर पर विधायक बृज भूषण गैरोला, सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा, अपर पुलिस महानिदेशक डॉ. पी.वी.के. प्रसाद, आई.जी.एस.डी.आर.एफ रिद्धिम अग्रवाल, सेनानायक एस.डी.आर.एफ मणिकांत मिश्रा एवं पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

होली त्यौहार को लेकर विशेष सतर्कता बरतें पुलिस विभागः सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गृह विभाग तथा पुलिस विभाग को प्रदेश में होली पर्व के दृष्टिगत कानून व्यवस्था पर विशेष निगरानी के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि होली को लेकर पुलिस विभाग पुख्ता इंतजाम करें। प्रदेश की सीमा से लगे जनपदों में विशेष सतर्कता बरती जाए। उन्होने पुलिस महानिदेशक को सभी जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों से इस सम्बन्ध में तैयारियों की समीक्षा के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पुलिस अधिकारी सुनिश्चित करें कि प्रदेश में होली पर्व के दौरान किसी भी प्रकार की कोई अव्यवस्था या अप्रिय घटना न होने पाए। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की अव्यवस्था बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने गृह विभाग तथा पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ होली की तैयारियों के सम्बन्ध में समीक्षा की। पुलिस विभाग होली पर्व के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने तथा किसी भी प्रकार की अव्यवस्था से निपटने के लिए अपनी तैयारियां समय से पूरी कर लें। पुलिस अधिकारी व्यवस्था पर निरन्तर निगरानी बनाएं रखे। आसामाजिक तत्वों व संदिग्ध लोगों पर विशेष निगरानी रखी जाय। पुलिस तंत्र फील्ड पर सतर्क एवं सक्रिय रहें। मुख्यमंत्री ने कहा कि उल्लास और उमंग का यह पर्व देवभूमि उत्तराखण्ड में शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण वातावरण में मनाया जाए, यह परम्परा आगे भी बनाए रखनी है।
बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार उपस्थित थे।

सीएम ने राज्य में 06 नये पुलिस थानों एवं 20 पुलिस चैकियों का किया उद्घाटन

उत्तराखण्ड में 06 नये पुलिस थाने एवं 20 नई पुलिस चैकियां खेली गई हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय से इनका वर्चुअल उद्घाटन किया गया है। इन 06 थानों में 661 ग्राम एवं 20 चैकियों में 696 ग्राम शामिल हैं। ये क्षेत्र पहले राजस्व पुलिस के अधीन थे, अब इनमें नियमित पुलिस की व्यवस्था की गई है। जिन 06 नये पुलिस थानों का मुख्यमंत्री ने उद्घाटन किया, उनमें पौड़ी में थाना यमकेश्वर, टिहरी में थाना छाम, चमोली में थाना घाट, नैनीताल में थाना खनस्यूॅ एवं अल्मोड़ा में थाना देघाट एवं धौलछीना शामिल हैं। जिन 20 नई चैकियों का मुख्यमंत्री ने उद्घाटन किया उनमें देहरादून में लाखामण्डल, पौड़ी में बीरोखाल, टिहरी में गजा, काण्डीखाल एवं चमियाला, चमोली में नौटी, नारायणबगड़ एवं उर्गम, रूद्रप्रयाग में चैपता एवं दुर्गाधार, उत्तरकाशी में सांकरी एवं धौंतरी, नैनीताल में औखलकाण्डा, धानाचूली, हेड़ाखाल एवं धारी, अल्मोड़ा में मजखाली, जागेश्वर एवं भौनखाल तथा चम्पावत में बाराकोट शामिल हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि विकास एवं व्यवस्थाओं में परिवर्तन के साथ राज्य के जिन क्षेत्रों में राजस्व पुलिस की जगह पर नियमित पुलिस की आवश्यकता हो रही है, उनमें चरणबद्ध तरीके से नियमित पुलिस की व्यवस्था की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुशासन से समृद्धि के मार्ग को प्रशस्त करने के लिए राज्य सरकार वचनबद्ध है। पुलिस व्यवस्था राज्य की कानून व्यवस्था का दर्पण होती है। सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था को बनाने की पुलिस की बड़ी जिम्मेदारी होती है। उन्होंने कहा कि व्यवस्थाओं को सुधारने की हमेशा गुंजाइश होती, इस दिशा में उत्तराखण्ड पुलिस को निरन्तर कार्य करना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस की यह भी बड़ी जिम्मेदारी है कि समाज के अच्छे लोगों का उन पर विश्वास बढ़े और आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों को पुलिस का डर भी हो। कानून व्यवस्था को मजबूत बनाये रखने की पुलिस पर बड़ी जिम्मेदारी होती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस के अधिकारियों को अपने नियमित कार्यों के अलावा जनहित से जुड़े विषयों पर लगातार कार्य करना होगा। अपने कार्यों के साथ ही हम समाज सेवा के कार्य करते हैं, तो यह हमारे लिए उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि 2025 तक उत्तराखण्ड को ड्रग्स फ्री राज्य बनाने, स्वच्छता अभियान, एवं सामाजिक सरोकारों के अन्य कार्यों में भी उत्तराखण्ड पुलिस को लगातार कार्य करना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल से पुलिस के प्रति लोगों का दृष्टिकोण बदला है। विपरीत परिस्थितियों में उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा समाज सेवा के लिए जो कार्य किये गये वह सराहनीय है। हमें आगे भी हर क्षेत्र में इसी मनोयोग से कार्य करना होगा।

इस अवसर पर विधायक शैलारानी रावत, रेनू बिष्ट, सुरेश सिंह चैहान, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार, पुलिस के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, वर्चुअल माध्यम से विधायक राम सिंह कैड़ा, अनिल नौटियाल, भूपाल राम ट्म्टा, महेश जीना, आयुक्त गढ़वाल सुशील कुमार एवं संबंधित जनपदों के जिलाधिकारी एवं एसएसपी उपस्थित थे।

1800 राजस्व पुलिस ग्राम हुए नियमित पुलिस व्यवस्था के लिए अधिसूचित

प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के कतिपय भागों में विद्यमान राजस्व पुलिस व्यवस्था को नियमित पुलिस व्यवस्था को तहत लाये जाने के उद्देश्य से प्रथम चरण के अन्तर्गत 52 थाने एवं 19 रिपोर्टिंग पुलिस चौकियों का सीमा विस्तार करते हुए कुल 1800 राजस्व पुलिस ग्रामों को नियमित पुलिस व्यवस्था के अन्तर्गत अधिसूचित किया गया है। उक्त 1800 गांवों में पुलिस व्यवस्था स्थापित होने से अपराध एवं असामाजिक गतिविधियों में कमी आयेगी।

इस सम्बन्ध में द्वितीय चरण में 06 नये थानों एवं 20 रिपोर्टिंग पुलिस चौकियों का गठन प्रस्तावित है। नये थाने चौकियों के गठन के अन्तर्गत लगभग 1444 राजस्व ग्राम नियमित पुलिस व्यवस्था के अन्तर्गत अधिसूचित किये जाने की कार्यवाही शीघ्र ही पूर्ण कर ली जायेगी।

पुलिस के मंथन शिविर से आमजन और पुलिस के बीच बनेगा बेहतर समन्वय

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड पुलिस मुख्यालय देहरादून में ‘‘उत्तराखण्ड पुलिस मंथन- चुनौतियाँ एवं समाधान’’ की थीम पर आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड पुलिस को स्मार्ट एवं सशक्त बनाने के लिए फिटनेस और परसेप्शन मैनेजमेंट पर विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि उत्तराखण्ड पुलिस के इस तीन दिवसीय मंथन में राज्य में कानून और व्यवस्था को और मजबूत बनाने एवं जन सरोकारों से जुड़े मामलों पर भी मंथन होगा। इससे आमजन के साथ पुलिस को बेहतर समन्वय बनाने में भी मदद मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड को 2025 तक नशा मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है, इसमें पुलिस की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। उन्होंने कहा पुलिस द्वारा समय-समय पर स्वच्छता अभियान भी चलाया जाए और लोगों को इसके प्रति जागरूक भी किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2023 में पुलिस कांस्टेबल के एक हजार पदों पर भर्ती की जायेगी। जिन 1521 पुलिस कांस्टेबलों के भर्ती प्रक्रिया गतिमान है, उनकी भर्ती प्रक्रिया पूर्ण होने तक 1521 पीआरडी जवानों द्वारा अस्थाई सेवा भी प्रदान की जायेगी। अल्मोड़ा एवं श्रीनगर महिला थाना में साइबर थाने की व्यवस्था भी की जायेगी। उन्होंने कहा कि पुलिस के जवानों के लिए बनाये जाने वाले चरणबद्ध तरीके से प्रस्ताव बनाये जाएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस के आधुनिकीकरण के लिए आधुनिक तकनीक पर अधिक ध्यान दिया जाए। साइबर क्राइम को रोकने के लिए और प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कानून का पालन करने वालों के साथ मित्र पुलिस की तरह व्यवहार किया जाए। यदि कोई कानून व्यवस्थाओं को बिगाड़ने का प्रयास करते हैं, तो ऐसे लोगों पर सख्त कारवाई भी की जाए। उन्होंने कहा कि बाहरी लोगों के सत्यापन का अभियान लगातार चलाया जाए। भ्रष्टाचार करने वालों पर भी सख्त कारवाई की जाए। ट्रैफिक व्यवस्थाओं का बेहतर संचालन किया जाए। जन शिकायतों का त्वरित निस्तारण किया जाए। नो पेंडेंसी के आधार पर कार्य किये जाएं। महिला सुरक्षा एवं महिला सशक्तिकरण की दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि लोगों के फोन कॉल रिसीव करें, यदि किसी बैठक में व्यस्त हैं, तो बाद में कॉल कर जानकारी लें। कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर के लिए लोगों को जागरूक किया जाए।

मुख्यमंत्री ने पुलिस के अधिकारियों को निर्देश दिये कि पुलिस द्वारा जनहित में जो भी कार्य किये जा रहे हैं, उनका सही तरीके से प्रस्तुतीकरण भी किया जाए। उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारी अपने जवानों का मनोबल बढ़ाने के लिए उनके बेहतर कार्यों पर उन्हें प्रोत्साहन भी दें। जवानों के लिए हर संभव सुविधाएं उपलब्ध कराने के प्रयास किये जाएं। उन्होंने कहा कि पुलिस व्यवस्थाओं में सुधार के लिए सरकार द्वारा पूरा सहयोग दिया जायेगा।

अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि महिला सुरक्षा के लिए गौरा शक्ति एप पर अभी तक 45 हजार से अधिक पंजीकरण हो चुके हैं। इसकी नियमित मॉनेटरिंग भी की जा रही है। महिला एवं बाल अपराधों में कन्विक्शन रेट बढ़ाने की दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं। उत्तराखण्ड को नशा मुक्त राज्य बनाने, भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। राज्य में कानून और व्यवस्था के सुधारीकरण की दिशा में निरन्तर प्रयास किये जा रहे हैं।

पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर सम्पत्तियों की बरामदगी के एसडीजी इंडेक्स में उत्तराखण्ड सर्वाेत्तम है। कानून व्यवस्था की मजबूती पर पुलिस द्वारा लगातार कार्य किये जा रहे हैं। यूकेएसएसएससी भर्ती घोटाले में 54 लोगों को गिरफ्तार किया गया। अपराधियों पर शिकंजा कसा जा रहा है। ऑपरेशन क्राइम ड्राइव चलाया जा रहा है। 2022 में जघन्य अपराधों डकैती एवं बलात्कार का शत प्रतिशत अनावरण किया गया है। पुलिस के आधुनिकीकरण के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।

इस अवसर पर एडीजी पी.वी.के प्रसाद, अमित कुमार सिन्हा, वी. मुरूगेशन, आईजी ए.पी अंशुमन, विम्मी सचदेवा, केवल खुराना, बिमला गुंज्याल, रिद्धिम अग्रवाल, नीरू गर्ग एवं पुलिस के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

सीएम ने किया 11वीं अखिल भारतीय पुलिस तीरंदाजी प्रतियोगिता का शुभारंभ

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पुलिस लाइन, देहरादून में 11वीं अखिल भारतीय पुलिस तीरंदाजी प्रतियोगिता का शुभारंभ किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने प्रदेश में खेल कोटा पुनः प्रारंभ करने की घोषणा की।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विभिन्न राज्यों एवं सशस्त्र बलों से पहुंचे तीरंदाज खिलाड़ियों का स्वागत करते हुए कहा कि भारत की धरती तीरंदाजी की जननी रही है। तीरंदाजी जिसे भारतीय संस्कृति में धनुर्विद्या के नाम से जाना जाता रहा है, प्रमुख खेल होने के साथ ही युद्ध कला की एक प्राचीन विद्या भी रही है। त्रेतायुग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और भगवान परशुराम की धनुर्विद्या की बात करें या द्वापर युग में भीष्म, अर्जुन, कर्ण और वीर अभिमन्यु की धनुर्विद्या की बात करें, हमारा इतिहास महान योद्धाओं और वीर धनुर्धरों की वीरता और धनुर्विद्या का साक्षी रहा है। देहरादून की महान धरती तो स्वयं में महान धनुर्धर गुरु द्रोण की तपस्थली रही है। इस प्रतियोगिता का आयोजन देहरादून में होना अपने आप में गर्व का विषय है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में समृद्ध खेल संस्कृति का विकास हो रहा है जिसके परिणामस्वरूप हमारे खिलाड़ियों द्वारा विभिन्न खेलों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहनीय प्रदर्शन किया जा रहा है। राज्य में खेलों को बढ़ावा देने के लिए नई खेल नीति को लागू की गई है। खेल नीति में खिलाड़ियों के उन्नयन और उनके बुनियादी सुविधाओं के लिए व्यवस्था की गई है। खेल व्यक्ति के चहुंमुखी विकास के लिए लाभदायक हैं। खेल हमें समयबद्धता, धैर्य, अनुशासन और समूह में कार्य करने की प्रेरणा भी देते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि खेल के क्षेत्र में हमारे युवाओं द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया जा रहा है।

पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि उत्तराखण्ड में अखिल भारतीय पुलिस तीरंदाजी प्रतियोगिता का आयोजन पहली बार हो रहा है। इस आयोजन में 19 राज्यों की पुलिस टीम समेत सशस्त्र बलों को मिलाकर कुल 26 टीमों द्वारा प्रतिभाग किया जा रहा है। 14 से 19 दिसम्बर तक चलने वाली इस प्रतियोगिता में कुल 316 खिलाड़ी प्रतिभाग कर रहे हैं, जिनमें 196 पुरुष और 120 महिला खिलाड़ी शामिल हैं।

इस अवसर पर मेयर सुनील उनियाल गामा, विधायक कैंट सविता कपूर, उत्तराखण्ड आर्चरी एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र तोमर, आयोजन सचिव मुख्तार मोहसिन, पुलिस विभाग के उच्चाधिकारी, राष्ट्रीय और अंतरर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी मौजूद थे।

प्रदेश में ऐसा माहौल बने कि कोई भी अपराध करने की सोच भी न पाएं-सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि महिलाओं से संबंधित अपराधों में पुलिस जांच त्वरित और समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित की जाए। ऐसे मामलों की विवेचना में किसी प्रकार की कमी न रहने पाए। साथ ही न्यायालयों में भी प्रभावी पैरवी सुनिश्चित की जाए। ताकि अपराधी किसी दशा में बचने न पाएं। प्रदेश में ऐसा माहौल बने कि कोई भी अपराध करने की सोच भी न पाएं। मुख्यमंत्री ने शनिवार को सचिवालय में राज्य में महिला सुरक्षा एवं सशक्तिकरण के सबंध में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पुलिस कंट्रोल रूम में बात कर जन शिकायतों के निस्तारण के लिए की जा रही कार्यवाही की जानकारी भी ली।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर थाने में महिला सब इंस्पेक्टर की तैनाती हो। महिला मित्र प्रकोष्ठ की स्थापना की जाए। महिला के प्रति अपराधों को रोकने के लिए जन सहभागिता भी जरूरी है। महिलाओं से जुड़े संगठनों से नियमित सम्पर्क रखा जाए। सिस्टम इस प्रकार का हो कि महिलाओं का इसके प्रति विश्वास बढ़े और वे अपनी शिकायतें बिना संकोच के दर्ज करा सकें। महिला अपराधों से संबंधित शिकायतों पर तुरंत कार्यवाही हो। शिकायतकर्ता महिलाओं से भी समय-समय पर फीडबैक लिया जाए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि पुलिस की वेबसाइट पर अपराधियों के नामों की लिस्ट अपलोड की जाए। महिला अपराधों से संबंधित मामलों की जनपदों में जिलाधिकारी स्तर पर लगातार समीक्षा की जाए। विवेचना और पैरवी में कमी पाए जाने पर तत्काल दूर की जाएं। बैठक में जानकारी दी गई कि सीएम हेल्पलाईन में पिछले 10 माह में जो शिकायतें दर्ज हुई, उनमें से 92 प्रतिशत शिकायतों का निस्तारण किया जा चुका है।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, डीजीपी अशोक कुमार, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली, अरविन्द सिंह ह्यांकी, रविनाथ रमन, एडीजी वी. मुरूगेशन, आईजी ए.पी. अशुमान, अपर सचिव गृह रिद्धिम अग्रवाल, डीआईजी गढ़वाल के. एस. नगन्याल, डीआईजी सेंथिल अबुदई, पी रेनुका देवी, जिलाधिकारी देहरादून सोनिका, एस.एस.पी देहरादून दलीप सिंह कुंवर, वर्चुअल माध्यम से गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार एवं सभी जिलाधिकारी एवं एस.एस.पी उपस्थित रहे।