भारी वर्षा से लोगों को राहत दिलाने के लिए मंत्री का ग्राउंड सर्वे जारी

क्षेत्रीय विधायक व मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल लगातार आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत पहुंचाने और पीड़ितों का हाल जानकर प्रशासन को सख्त निर्देश दे रहे है। बीते रोज देर शाम डा. अग्रवाल ने ग्रामीण क्षेत्रों में भारी वर्षा के बाद घरों में घुसे पानी की स्थिति जानी। लोगों की समस्या जानने के बाद डीएफओ को आवश्यक निर्देश दिए। साथ ही जिलाधिकारी देहरादून को आपदा मद से यहां राहत पहुंचाने के भी निर्देश दिए।
देर शाम डा. अग्रवाल गुमानीवाला चीनी गोदाम रोड पहुंचे। यहां स्थानीय नागरिकों के घरों में पानी घुसने की समस्या देखने को मिली। यहां पानी से भरे दून घाटी शिक्षण संस्थान उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का भी निरीक्षण किया। स्थानीय पार्षद वीरेंद्र रमोला ने बताया कि जंगल से पानी लोगों के घरों में प्रवेश कर रहा है।
इस पर डा. अग्रवाल ने मौके से ही डीएफओ को दूरभाष पर निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जंगल से आने वाले पानी को तुरंत रोका जाए। साथ ही जिलाधिकारी को भी दूरभाष पर इस संदर्भ में आपदा मद से फंड देने के निर्देश दिए। इस दौरान एसडीएम सौरभ असवाल, पार्षद वीरेंद्र रमोला, मानवेंद्र कंडारी, मोर सिंह रावत, विनोद सेमवाल, शीशपाल नेगी, शिवानंद जोशी, पीएस गौड़, चमन प्रकाश जोशी, लक्ष्मी सजवाण, विशालमणी भट्ट, नागेंद्र पोखरियाल आदि उपस्थित रहे।
इसके बाद डा. अग्रवाल ने मंशा देवी गुज्जर प्लाट का भी निरीक्षण किया। यहां भारी बारिश से रास्ता क्षतिग्रस्त हो गया है। यहां स्थानीय पार्षद विजेंद्र मोंगा की देखरेख में जेसीबी की मदद से रास्ता खोला जा रहा है। डा. अग्रवाल ने यहां भी पानी की समस्या जंगल से आने पर डीएफओ को सख्त निर्देश दिए। इस मौके पर पार्षद विजेंद्र मोंगा, विजय जुगलान, विजया भट्ट आदि उपस्थित रहे।
इसके बाद गंगानगर में भी डा. अग्रवाल ने जलभराव की स्थिति जानी। यहां एमएनए ऋषिकेश को जलभराव को सोखने के लिए मशीन लगाने के निर्देश दिए। इस मौके पर मंडल अध्यक्ष सुमित पंवार, महिला मोर्चा मंडल अध्यक्ष माधवी गुप्ता, सुरेंद्र सिंह कैंतुरा, पार्षद शिव कुमार गौतम, पुष्पा मित्तल, गोपाल सती आदि स्थानीय लोग उपस्थित रहे।

प्रभावित क्षेत्रों में किये जा रहे बचाव कार्यों की सीएम ने लीं जानकारी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में उच्चाधिकारियों की बैठक लेते हुए निर्देश दिये कि उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों में हो रही अतिवृष्टि के दृष्टिगत सभी अलर्ट मोड पर रहें। उन्होंने अधिकारियों से अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों एवं वहां किए जा रहे राहत व बचाव कार्यों की जानकारी भी प्राप्त की। अतिवृष्टि के दृष्टिगत 2 दिनों के लिए चारधाम यात्रा भी स्थगित कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने सभी श्रद्धालुओं से अपील की है कि मौसम के पूर्वानुमान को देखकर ही यात्रा करें।
मुख्यमंत्री ने अतिवृष्टि के कारण जनपद पौड़ी में हताहत हुए लोगों की आत्मा की शांति एवं शोकाकुल परिवारजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की है। जिला प्रशासन और एसडीआरएफ की टीमें राहत एवं बचाव कार्य में लगी हुई हैं। मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को घायलों को शीघ्र उचित उपचार दिलवाने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि यह सुनिश्चित किया जाय कि अतिवृष्टि से प्रदेश में जहां भी नुकसान हो रहा है, प्रभावितों को मानकों के अनुसार मुआवजा राशि यथाशीघ्र मिल जाय। उन्होंने कहा कि अतिवृष्टि से प्रदेश में हुई क्षति का पूरा आंकलन किया जाए।
मुख्यमंत्री जिलाधिकारियों से भी अतिवृष्टि के कारण हुए नुकसान एवं राहत एवं बचाव कार्यों की तैयारी के संबंध में लगातार जानकारी ले रहे हैं। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि जिला प्रशासन एवं राहत-बचाव में लगे सभी दलों को 24 घंटे अलर्ट मोड पर रखा जाए।
बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, विशेष प्रमुख सचिव अभिनव कुमार, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली, डॉ रंजीत सिन्हा, एडीजी ए.पी.अंशुमान, महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी एवं अपर सचिव जगदीश चन्द्र काण्डपाल उपस्थित रहे।

बारिश की स्थिति जानने को प्रधानमंत्री ने किया सीएम धामी को फोन

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर उत्तराखंड में भारी बारिश के दृष्टिगत प्रदेश की स्थिति के बारे में जानकारी ली। प्रधानमंत्री ने जान-माल की क्षति, सड़कों की स्थिति सहित चार धाम यात्रा, कृषि, किसान और फसलों की स्थिति तथा कांवड़ यात्रा के संचालन के बारे में जानकारी प्राप्त की।
मुख्यमंत्री ने भारी बारिश से विभिन्न स्थानों पर हुए जन धन की हानि और बाधित सड़कों के साथ ही चार धाम यात्रा और कांवड़ यात्रा के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने किसानों और फसलों की स्थिति के बारे में भी बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि शासन, एसडीआरएफ, पुलिस और प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट मोड पर काम कर रहे है। जगह जगह जेसीबी मशीनें तैनात की गई है ताकि बाधित सड़कों को तुरंत खोला जा सके। उच्च स्तर से लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है।
प्रधानमंत्री ने केंद्र से पूरे सहयोग के प्रति मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया।

गंगा का जलस्तर बढ़ने से राफ्टिंग बंद

मौसम विभाग के अलर्ट के बाद रविवार की अलसुबह से ही सभी क्षेत्र में मूसलधार वर्षा हो रही है। पर्वतीय क्षेत्र में हो रही वर्षा के कारण गंगा के जल स्तर में वृद्धि हुई है। प्रशासन की ओर से गंगा में राफ्टिंग पर रोक लगा दी गई है। हालांकि यह रोक दो दिन के लिए है। 30 जून राफ्टिंग सत्र का आखिरी दिन होता है। दो दिन बाद समीक्षा के बाद प्रशासन अगला निर्णय लेगा।
गंगा के जल स्तर में वृद्धि के साथ बड़ी संख्या में सूखे पेड़ और लकड़ी गंगा में बहकर आ रही है। जिनसे राफ्ट के टकराने से दुर्घटना का अंदेशा भी बढ़ गया है। वर्तमान में उपजे हालात को देखते हुए पुलिस प्रशासन की ओर से उप जिलाधिकारी नरेंद्र नगर देवेंद्र सिंह नेगी से राफ्टिंग पर रोक लगाने का आग्रह किया गया था।
प्रभारी निरीक्षक रितेश शाह ने बताया कि उप जिलाधिकारी के निर्देश पर जिला सहायक पर्यटन अधिकारी केएस नेगी के साथ टीम ने ब्रम्हपुरी में गंगा के जलस्तर की जांच की। यहां पर राफ्टिंग के लिए निर्धारित जल स्तर का मानक ग्रीन लेबल लगा हुआ है। गंगा का जलस्तर ग्रीन लेवल को पार कर गया है। जिसके बाद उपजिलाधिकारी ने रविवार और सोमवार के लिए राफ्टिंग पर रोक लगा दी है।

साहसिक पर्यटन विभाग की ओर से प्रत्येक वर्ष 30 जून तक ही राफ्टिंग सत्र संचालित होता है। इसके बाद मानसून सत्र शुरू हो जाता है और राफ्टिंग पर रोक लग जाती है। प्रशासन की ओर से मंगलवार को हालात की समीक्षा की जाएगी। यदि गंगा का जलस्तर प्रतिकूल हुआ तो राफ्टिंग पर रोक अगले कुछ दिन के लिए बढ़ाई जा सकती है।

सीएम ने प्रदेश में भारी वर्षा की संभावना के दृष्टिगत जिलाधिकारियों को सतर्क रहने के दिये निर्देश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में मौसम विभाग द्वारा दी गई भारी वर्षा की चेतावनी के दृष्टिगत सभी मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को आपदा से संबंधित किसी भी चुनौती से निपटने के लिए हर समय तैयार रहने के निर्देश दिये हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा प्रबंधन की दृष्टि से हर स्तर पर सतर्कता बरती जाए, इस सम्बन्ध में सभी विभागों को आपसी समन्वय से कार्य करने के भी उन्होंने निर्देश दिये हैं।

जिओ टैगिंग के साथ संवेदनशील स्थलों पर जेसीबी तैनात

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा की दृष्टि से जिओ टैगिंग के साथ तैनात जेसीबी को हर समय तैयार रखा जाय। आपदा से सम्बन्धित संभावित स्थलों पर इनकी पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित होनी चाहिए। ताकि बंद रास्तों को तुरंत खोला जा सके।

एसडीआरएफ की टीमें तैनात

मुख्यमंत्री ने कहा कि एसडीआरएफ एवं एनडीआरएफ की टीमें तैनात की गई हैं। किसी भी आपदा की स्थिति में कम से कम रेस्पोंस टाईम में बचाव व राहत कार्य संचालित हों। बारिश या भूस्खलन से सड़क, बिजली, पानी की आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में कम से कम समय में आपूर्ति सुचारू की जाय।

मुख्यमंत्री की लोगों से अपील, नदियों के करीब न जाएं

मुख्यमंत्री ने पर्यटकों और जनसामान्य से भी अपील की है कि भारी बारिश की सम्भावना को देखते हुए नदियों एवं बरसाती नालों की तरफ न जाए।

अगस्त तक का खाद्यान्न गोदामों में भेजा जा चुका

वर्षाकाल में अत्यधिक वर्षा की सम्भावना के दृष्टिगत राज्य में पर्वतीय जनपदों में 69 खाद्यान्न गोदाम चिन्हित हैं। जिनमें सड़क मार्ग के बन्द होने की सम्भावना होती है। ऐसे समस्त 69 खाद्यान्न गोदामों में वर्षाकाल हेतु 03 माह (जून जुलाई, अगस्त, 2022) के अग्रिम खाद्यान्न का प्रेषण किया जा चुका है।

विभिन्न मार्गों पर 396 जेसीबी, पोकलैण्ड तैनात

लोक निर्माण विभाग द्वारा मानसून काल में संचालित मार्गों के बंद होने की स्थिति में खोलने हेतु विभिन्न मार्गों पर कुल 396 मशीनों (जे.सी.बी., पोकलेन, रोबोट आदि) की तैनाती की गई है।

सिंचाई विभाग द्वारा नदियों के जलस्तर की लगातार मॉनिटरिंग

सिंचाई विभाग द्वारा प्रत्येक जनपद में बाढ़ नियंत्रण कक्ष तथा देहरादून में केन्द्रीय बाढ़ नियंत्रण केन्द्र की स्थापना की गयी है। सिंचाई विभाग द्वारा 23 स्थानों पर नदियां तथा 14 स्थानों पर बैराज / डैम पर जलस्तर तथा डिस्चार्ज की निगरानी की जा रही है। सिंचाई विभाग द्वारा विभिन्न जिलों में 113 राजस्व बाढ़ चोकियों स्थापित की गयी है।

पेयजल व बिजली आपूर्ति के लिए पर्याप्त व्यवस्था

उत्तराखण्ड जल संस्थान के द्वारा कन्ट्रोल रूम की स्थापना की गयी है। दैवीय आपदा से सम्बन्धित क्षति को दृष्टिगत करते हुये पेयजल योजनाओं के तत्काल पुनर्स्थापना हेतु 86.31 कि.मी जी.आई पाईप एवं 110.62 कि.मी एच.डी.पी.ई. पाईप कुल 196.93 कि.मी पाईप शाखाओं में बफर के रूप में उपलब्ध करा दिये गये है। आपदा की स्थिति में विभिन्न शाखाओं में पेयजल उपलब्ध कराये जाने हेतु 71 विभागीय टैंकर उपलब्ध हैं एवं किराये के 219 पेयजल टैंकर चिन्हित हैं।

उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा राज्य के 13 जिलों में अबाधित विद्युत् आपूर्ति करने हेतु पूर्ण व्यवस्था की गयी है। हर जिले में स्थापित स्टोर सेंटर पर विद्युत सामग्री प्रचुर मात्रा में उपलबध है एवं ऋषिकेश में गढ़वाल क्षेत्र का मुख्य स्टोर है और हल्दवानी में कुमाऊँ क्षेत्र का मुख्य स्टोर है जहां पर समस्त सामग्री पहुंचाई जा चुकी है। दोनों गढ़वाल और कुमाऊँ मंडल को मिलाकर स्टोर्स की संख्या 17 है। जिसमे ट्रांसफार्मर की संख्या 796, पोल्स की संख्या 8650 अथवा 3769 किलोमीटर का कंडक्टर दोनों गढ़वाल और कुमाऊँ मंडल को मिलाकर उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त अन्य आवश्यक सामान भी उपलब्ध कराये गए है।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, उत्तराखण्ड विभाग द्वारा राज्य के 13 जिलों में 24Û7 चिकित्सा उपचार करने हेतु पूर्ण व्यवस्था की गई है। हर जिले में स्थापित सभी चिकित्सालयों में डॉ०, पैरामेडिकल स्टाफ, दवाईयां प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। 108 एम्बुलेंस हर जिले में तैनात हैं। इसके साथ ही हर जिले / मुख्यालय में नोडल एवं सह नोडल अधिकारी तैनात हैं।

एसडीआरएफ के अतिरिक्त एनडीआरएफ की टीमें भी तैनात

15वीं वाहिनी, एन०डी०आर०एफ० को आपदा से निपटने के लिए उत्तराखण्ड राज्य, जिला उधमसिंह नगर के गदरपुर में स्थापित किया गया है। 15वीं वाहिनी, एन०डी०आर०एफ० द्वारा मानसून 2022 के मध्यनजर उत्तराखण्ड के अति संवेदनशील एवं संवेदनशील क्षेत्रों को देखते हुए 06 टीमों को अलग-अलग जिलों (अल्मोड़ा, पिथौरागढ, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग (केदारनाथजी) एवं आर.आर.सी. झाझरा (देहरादून) में समस्त साजो सामान के साथ तैनात किया है।

आपदा के दृष्टिगत दुर्गम स्थलों में दूरसंचार व्यवस्था सुचारू बनाए रखने हेतु एस०डी०आर०एफ० द्वारा उपलब्ध कराए गए सैटेलाइट फोन्स को भी सुचारू रखने हेतु संबंधित प्रभागीय वनाधिकारियों को निर्देश निर्गत कर दिए गए हैं। वर्षाकाल में पेड उखड़ने / गिरने की घटनाओं में वृद्धि हो जाती है व कई बार मार्ग बाधित हो जाते हैं, ऐसी घटनाओं की सूचना प्राप्त होते ही संबंधित वन क्षेत्राधिकारियों को सूचित करते हुए तुरन्त कार्यवाही की जा रही है।

पर्यटन विभाग की पर्यटकों से अपील, पानी वाली जगहों से बचें

देेहरादून। उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश और मौसम विभाग के एक सप्ताह के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीबी) ने उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों से पानी वाली जगहों में जाने से बचने की अपील की है। साथ ही मानसून में उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों को सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराने के लिए पानी वाले पर्यटन स्थलों पर पुलिस बल को तैनात किया गया है।

मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्वानुमान के अनुसार, प्रदेश को 30 जुलाई तक बारिश से राहत नहीं मिलने वाली है। वहीं, 28 से 30 जुलाई तक प्रदेश में ऑरेंज अलर्ट जारी है। अगस्त माह के शुरूआत के दिनों में भी प्रदेश के कुछ पहाड़ी इलाकों में बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। ऐसे में तेज और लगातार हो रही बारिश से पानी वाले पर्यटन स्थलों का जलस्तर बढ़ रहा है।

देहरादून जिला पर्यटन अधिकारी (डीटीओ) जसपाल सिंह चैहान बताया कि लगातार हो रही बारिश से सहस्त्रधारा, गुच्चूपानी, मालदेवता समेत सभी पानी की जगह वाले पर्यटन स्थलों में जलस्तर बढ़ने से खतरा बना हुआ है। पर्यटकों से अपील है कि इन स्थानों पर जाने से पहले सुरक्षा के तमाम इंतजाम कर पूरी जानकारी प्राप्त कर लें। साथ ही नदी तट से उचित दूरी बनाने के साथ किसी भी स्थिति में पानी में न जाए। जिससे किसी भी परेशानी से बचा जा सकता है। पर्यटकों के साथ स्थानीय निवासियों से अपील है कि अगले एक सप्ताह तक इन स्थानों पर जाने से बचें।

लगातार हो रही बारिश से पानी वाली जगहों का जल स्तर बढ़ रहा है। मौसम विभाग के अनुसार अलगे एक सप्ताह तक पहाड़ी जिलों में भारी बारिश होने की आशंका है। ऐसे में पर्यटक किसी भी समस्या से बचने के लिए पहाड़ी इलाकों के पर्यटन स्थालों के साथ पानी वाली जगहों पर जाने से पहले पूरी जानकारी जुटा लें। पर्यटकों को सुरक्षित वातावरण देने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है। राज्य में आने वाले पर्यटक शासन द्वारा जारी कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए उचित दूरी, मास्क व सेनेटाइजर का इस्तेमाल करें।
दिलीप जावलकर, पर्यटन सचिव

नौ अक्टूबर के राज्य के बाद चार जिलों में छा सकते हैं आंशिक बादल

उत्तराखंड में मौसम फिलहाल साफ रहेगा। मौसम केंद्र देहरादून के अनुसार, नौ अक्टूबर के बाद चमोली, रूद्रप्रयाग, उत्तरकाशी व पिथौरागढ़ में आसमान में आंशिक बादल छाए रहेंगे। मगर, बारिश का अभी अनुमान नहीं है। मौसम केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह के अनुसार, दस दिनों के बाद राज्य के कुछ जिलों में मौसम में परिवर्तन हो सकते है।

राज्य का वर्तमान में अधिकतम तापमान 33-35 के बीच स्थिर चल रहा है, जबकि न्यूनतम तापमान भी 14 के आसपास है। अनलाॅक-5 के बाद पर्यटक काफी संख्या में उत्तराखंड पहुंच रहे हैं। पर्यटकों के आगमन पर मौसम रुकावट नहीं बनेगा। वहीं, पहाड़ी जिलों में बारिश न होने से चारधाम यात्रा भी बाधित नहीं होगी।

तेज आंधी के साथ हुई बारिश से तापमान में दर्ज हुई गिरावट

उत्तराखंड में एक बार फिर मौसम का मिजाज बदल गया। गुरुवार दोपहर बाद तेज हवाओं के साथ बारिश हुई तो कहीं ओले भी गिरे। इससे तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। मौसम विभाग की मानें तो अभी राहत मिलने के आसार नही है। एक तरफ ओलावृष्टि और बारिश से फसलें बर्बाद हो रही हैं जिससे किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। गुरुवार को मौसम विभाग की बारिश और ओलावृष्टि की चेतावनी सही साबित हुई है। वहीं, चारधाम में भी बर्फबारी के आसार बन रहे है।
उत्तराखंड में दिनभर बादलों और धूप की आंख-मिचैनी चलती रही। कुछ पर्वतीय क्षेत्रों में शाम के समय हल्की बूंदाबांदी भी हुई। जबकि, मौसम विज्ञान केंद्र ने गुरुवार को प्रदेश के अधिकांश इलाकों में बारिश और ओलावृष्टि की चेतावनी जारी की थी, जो कि सही साबित भी हुई। मैदानी क्षेत्रों में तेज हवाएं चलने के साथ बारिश हुई। राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक डॉ. बिक्रम सिंह के मुताबिक अभी अगले तीन से चार दिन मौसम का मिजाज में ऐसा ही रहेगा। बताया कि पहाड़ी जिलों में ओलावृष्टि और आकाशीय बिजली गिरने के आसार बन रहे हैं।
पिछले तीन दिनों से मौसम के बदले मिजाज के चलते पर्वतीय जिलों के लोगों को अभी भी सर्दी का सामना करना पड़ रहा है। दो दिन तक बारिश होने के बाद बुधवार को भी सुबह से असमान में बादल छाए रहे और दिनभर तेज हवाएं चलती रही जिस कारण लोग परेशान रहे।

बर्फबारी और बारिश ने बढ़ाई परेशानी, ठंड लौटी

होली के दिन प्रदेश के कई इलाकों में चटख धूप खिली रही, लेकिन आज मौसम ने ऐसी करवट ली कि ठंड का अहसास हो गया। राजधानी देहरादून सहित मैदानी इलाकों में सुबह से बादल छाए रहे। वहीं, मंगलवार को कहीं-कहीं बारिश भी हुई है।
चमोली जिले के ऊंचाई वाले इलाकों में आज तड़के बर्फबारी हुई और निचले क्षेत्रों में बारिश हुई। बदरीनाथ, हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी, रुद्रनाथ, घांघरिया के साथ ही अन्य ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी होने की सूचना है। फिर ठंड लौटी आई है। श्रीनगर क्षेत्र में बादल छाए हुए हैं। यहां तेज हवांए चल रही हैं।
नैनीताल हल्के बादल छाए हैं। पिथौरागढ़ में हल्के बादलों के साथ धूप खिली है। पंतनगर में बादलों के साथ सूरज की आंख मिचैली जारी हैं।

बारिश और ठंड से परेशान हो रहे लोग
अभी बारिश और ठंड लोगों को और सता सकती है। आईआईटी के वैज्ञानिकों के अनुसार हरिद्वार जिले में 12 से 14 मार्च के बीच ओलावृष्टि और गरज के साथ कुल 47 मिमी बरसात होने की संभावना है। अधिकतम तापमान 22 से 25 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान आठ से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। आईआईटी के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा केंद्र के अनुसार अधिकतम सापेक्षिक आर्द्रता 80-90 प्रतिशत और न्यूनतम सापेक्षिक आर्द्रता 40 से 50 प्रतिशत के बीच रहने की संभावना है।

ओलावृष्टि और गरज के साथ बारिश की संभावना
11 मार्च को उत्तर-पश्चिम तथा 12-14 मार्च को दक्षिण-पूर्व दिशा से छह से 10 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने की संभावना है। वहीं पौड़ी गढ़वाल जनपद में 12-14 मार्च के बीच कुल 38 मिमी बरसात होने की संभावना है। देहरादून जनपद में 12-14 मार्च के बीच ओलावृष्टि और गरज के साथ कुल 60 मिमी बरसात होने की संभावना है। उन्होंने सलाह दी है कि किसान 14 मार्च तक सिंचाई, कीटनाशकों के छिड़काव तथा उर्वरकों के उपयोग को रोक दें।
निचले, गहरे स्तर के खेतों से पानी की अत्यधिक मात्रा को निकालने के लिए जल निकास की उचित व्यवस्था करें। साथ ही दुधारू पशुओं को संतुलित आहार दें। ओलावृष्टि व बरसात के पूर्वानुमान को देखते हुए पशुधन को खुले में न छोड़ें।

ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी का अनुमान, ठंड बढ़ी

उत्तराखंड के सात जिलों में भारी बारिश और बर्फबारी का अनुमान है। मौसम विभाग ने ज्यादातर क्षेत्र में बारिश, ओलावृष्टि और बर्फ गिरने का अनुमान जताया है। वहीं, कई मैदानी क्षेत्रों में तेज झोकेदार हवा चल सकती है। वहीं आज राजधानी देहरादून सहित कई क्षेत्रों में बारिश हो रही है।
चारधाम समेत ऊंची चोटियों और पिथौरागढ़ के उच्च हिमालय पर बर्फबारी हो रही। जबकि लगभग सभी मैदानी इलाकों में रुक-रुककर बारिश हो रही है। इससे तापमान में गिरावट दर्ज की गई है।
मौसम केंद्र की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार राजधानी देहरादून, टिहरी, पौड़ी, अल्मोड़ा, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल में ज्यादातर स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। वहीं प्रदेश के तीन हजार मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फ गिरने का अनुमान है। कुछ हिस्सों में ओले गिरने की आशंका भी जताई गई है।

आज और कल मौसम खराब
मौसम विभाग के अनुसार हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, देहरादून और नैनीताल के कुछ क्षेत्रों में 30 से 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से झोकेदार हवा भी चल सकती है। मौसम केंद्र निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि राजधानी दून और आसपास के इलाकों में भी बादल छाये रहने का अनुमान है। तेज गरज और चमक के साथ बारिश भी हो सकती है। उन्होंने तेज हवाओं से बचने की सलाह दी है। उन्होंने बताया कि शुक्रवार और शनिवार को मौसम खराब रहेगा। रविवार को मौसम में सुधार हो सकता है।
पश्चिमी विक्षोभ के कारण मौसम ने फिर करवट बदल ली है। कुमाऊं के अधिकांश इलाकों में बृहस्पतिवार सुबह बारिश हुई और पिथौरागढ़ के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हिमपात हुआ। उसके बाद दिन भर सर्द हवाएं चलती रहीं।
राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि छह मार्च को तीन हजार मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी की संभावना है, जबकि उत्तराखंड में कहीं-कहीं ओलावृष्टि हो सकती है। मैदानी क्षेत्रों में 30 से 40 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से हवा चल सकती है। सात मार्च को ओलावृष्टि और तेज हवाएं चल सकती हैं।