तीर्थनगरी में मल्टी स्टोरी पार्किंग का सपना होगा साकारः मेयर

अब नगर निगम शहर में जाम की समस्या को देखते हुए इस प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द धरातल पर उतारने का मन बना चुका है। नगर निगम के सामने निगम की भूमि में ही इस मल्टी स्टोरी पार्किंग का निर्माण होगा।इसके लिए बकायदा नगर निगम मल्टी स्टोरी पार्किंग का डिजाइन तैयार कर रहा है, जिसे तकनीकी रूप देना ही शेष है। इसमें लिफ्ट के द्वारा वाहन ऊपरी मंजिल पर पार्क करने की सुविधा होगी। वाहन को लिफ्ट के माध्यम से ही उठाकर पार्किंग स्थल परिसर में स्वामी तक वापस पहुंचाने की सुविधा होगी।

नगर निगम प्रशासन जल्द ही बेहद हाईटेक विदेशी तकनीक के जरिए मल्टी-स्टोरी पार्किंग से शहर में पार्किंग की समस्या को समाप्‍त करने जा रहा है। प्रथम फेज में ट्रायल पर सौ वाहनों की पार्किंग बनाई जाएगी। इस मॉडल के सफल होने 500 वाहनों की पार्किंग बनाने की निगम की योजना है। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त धार्मिक एवं पर्यटन नगरी ऋषिकेश में पिछले कई वर्षों से ट्रेफिक जाम का लगना सबसे बड़ी समस्या रही है।वजह है,पार्किंग स्थल का न होना। नगर निगम प्रशासन ने शहर में विभिन्न विकास परियोजनाओं को अमली जामा पहनाए जाने के साथ अब मल्टीस्टोरी पार्किंग को लेकर भी कार्रवाई शुरू कर दीहै। सब कुछ ठीक रहा तोइस नूतन वर्ष के मध्य तक नगर निगम में ही मल्टी स्टोरी पार्किंग का सपना साकार हो जाएगा इसके लिए आज तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने महापौर अनिता ममगाई व निगम अधिकारियों के साथ इसका स्थलीय निरीक्षण किया।

महापौर ने जानकारी देते हुए बताया कि निगम के प्रोजेक्ट पर कार्य योजना बनाने का आदेश आज कर दिया है। जल्द ही योजना को मूर्त रूप दिया जाएगा ।उन्होंने बताया कि शहर की आबादी बढ़ने के कारण नगर क्षेत्र के तमाम मार्केट स्थलों पर जाम लगने की समस्या आम हो चुकी है और शहर में कोई भी पार्किंग स्थल नहीं है। पार्किंग की सुविधा न होने की वजह से यहां आने वाले पर्यटक सीधे बाईपास से राम झूला एवं लक्ष्मण झूला को कूच कर जाते हैं जिसकी वजह से यहां के व्यापारियों को लाभ नहीं मिल पाता ।शहर के बीचोंबीच स्थित नगर निगम के सामने मल्टी स्टोरी पार्किंग की योजना साकार होने के बाद व्यापारियों को इसका जबरदस्त लाभ पहुंचेगा।उन्होंने बताया निगम स्थित कर्मचारियों के आवासीय भवनों एवं प्राथमिक विधालय को शिफ्ट कराकर मल्टी स्टोरी पार्किंग बनाई जायेगी।इसका निर्माण शहरवासियों के लिए काफी सुविधाजनक होगा व शहर के विकास के लिए यह मील का पत्थर साबित होगी। मल्टी-स्टोरी पार्किंग बनने से शहर को जाम से भी मुक्ति मिलेगी। इस दौरान राहुल सेमवाल कंसलटेंट (मानवी टेक्नोलॉजी) सहायक नगर आयुक्त एलम दास, पार्षद विजय बडोनी टैक्स निरीक्षक निशात अंसारी, जेई उपेंद्र गोयल, जेई तरुण लखेड़ा, सफाई निरीक्षक धीरेंद्र सेमवाल, अभिषेक मल्होत्रा, सुजीत यादव आदि मौजूद रहे।

निगम से एनओसी लेने के बाद जनप्रतिनिधि करा सकते है सड़क का निर्माण

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने निर्देश दिये हैं कि शहर के आबादी वाले क्षेत्रों में मुख्य मार्गों के निर्माण में ब्लैक टाप इन्टर लाकिंग सीसी टाइल्स अथवा ब्रिक आन एज तथा पक्की नाली निर्माण का प्राविधान अवश्य रखा जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि इस सम्बन्ध में पूर्व में कैबिनेट द्वारा लिये गये निर्णय के क्रम में नये मोटर मार्गों के सामान्य अनुरक्षण कार्य हेतु तीन वर्ष तक के लिये निर्माण के अनुबंध में ही प्राविधान कर दिया जाए तथा तीन वर्षों हेतु निर्माण लागत तीन प्रतिशत की दर से प्राविधानित किया जाए। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिये कि इन मार्गों के लिये सामान्य अनुरक्षण मद से कोई धनराशि नहीं दी जायेगी। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि अब नगर निगम क्षेत्रान्तर्गत मार्गों के रख रखाव व नव निर्माण कार्यों को जन प्रतिनिधि भी अपने क्षेत्रों में क्षेत्र की आवश्यकता के अनुरूप जहां जरूरत महसूस हो सड़क निर्माण आदि का कार्य करा सकेंगे किन्तु इसके लिये उन्हें नगर निगम से एनओसी लेनी होगी।

मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिये हैं कि प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में नये आन्तरिक मार्गों का निर्माण, नवीनीकरण का कार्य सम्बन्धित विकास प्राधिकरणों के द्वारा किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विभिन्न नगर निगमों के क्षेत्रान्तर्गत मार्गों के निर्माण एवं रख रखाव का कार्य करने वाले लोक निर्माण विभाग, नगर निगम, विकास प्राधिकरण अथवा अन्य विभाग इस सम्बन्ध में आपसी समन्वय से कार्य करें ताकि पूर्व निर्मित मार्गों के स्वामित्व यूटिलिटी सम्बन्धी कार्यों एवं रख रखाव आदि में आने वाली व्यवहारिक कठिनाइयों का निराकरण हो सके।

पथरीली जमीन पर उगायी “मेहनत” की फसल

पौड़ी। हिम्मत ए मर्दा तो मदद ए खुदा। इसी सूत्र वाक्य पर चलते हुए मंजखोली गांव के युवक अशोक नौटियाल ने लगभग बंजर हो चुकी जमीन को हरा-भरा बनाने का निर्णय लिया और अपनी कड़ी मेहनत और लगन के दम पर मिसाल कायम की। मंजखोली गांव में पानी की कमी को देखते हुए यहां की पथरीली जमीन पर खेती करने का हौसला आज से पहले किसी ने नहीं दिखाया। आज इस पथरीले खेत में लहलहाती सब्जीयों की फसल देखकर कोई भी उनके परिश्रम को सलाम कर सकता है।

उत्तराखंड के बीरान और खाली होते गांवों को बचाने के लिए सरकार भले अब जाकर रिर्वस पलायन की बात कर रही हो, लेकिन आज से लगभग 20 बीस साल पहले यह युवक शहर में प्राइवेट नौकरी छोड़ अपने गांव वापस आ गया। पौड़ी गढ़वाल जनपद के पाबौं ब्लाक के मंजखोली गांव के इस युवक का नाम है अशोक नौटियाल। गांव से लगातार होते पलायन ने इस युवक को अंदर ही अंदर झकझोर दिया। जिसके बाद गांव पहुंचे इस युवक ने कुछ करने की ठानी। सबसे पहले गांव की मूलभूत समस्याओं को दूर करने के लिए अपने स्तर से तमाम प्रयास किए। गांव वालों का भी भरपूर समर्थन मिला, जिसके बाद अशोक नौटियाल ग्राम प्रधान चुन लिए गए। इनके नेतृत्व में मंजखोली र्ग्राम सभा को आर्दश ग्राम का भी पुरस्कार मिला। गांव में बिजली, पानी, सड़क की समस्या को दूर करने के लिए इन्हें ग्रामीणों का सहयोग मिला। गांव में सड़क, बिजली, पानी तो पहुंचा लेकिन गांव बड़ी संख्या में खाली हो गया। गांव में गिनती के लोग बचे।

खाली और वीरान होता गांव भी इस अशोक नौटियाल के इरादों को नहीं डिगा सका। अशोक नौटियाल ने गांव के बंजर खेतों को आबाद करने के बेड़ा उठाया। इसके लिए इन्होंने सीजनल सब्जियों का सहारा लिया। जिसमें आलू, टमाटर, सोयाबीन, मटर, ब्याज, मूली के साथ अन्य सब्जियों का उत्पादन किया। देखते ही देखते इनकी मेहनत रंग लाई। और बंजर खेत भी लहलाने लगे। आस-पास के गांव के साथ ही कुछ किलोमीटर दूर मासौं, पाबौं, सीकू खाल, पौड़ी बाजार तक सब्जियां पहुंचाई। जिसको लोगों ने हाथों हाथ लिया। वर्तमान में लहरा रही सब्जियां उनके पुरुषार्थ की मौन गवाही दे रहे हैं।

आम और केले का बाग किया तैयार

अशोक नौटियाल ने मंजखोली गांव के सीम इलाके में 20 साल की कठिन मेहनत से आम का बाग भी तैयार किया हुआ है। आज आम के पेड़ों पर फल लगे हुए हैं। वहीं केले का बाग भी केलों से लहलहा रहा है।

रासायनिक खाद का नहीं करते इस्तेमाल

अशोक नौटियाल का कहना है कि वह रासायनिक खाद व पेस्टीसाइड्स के विकल्प के रूप में गाय के गोबर व वर्मी कम्पोस्ट खाद का इस्तेमाल करते हैं। वह परंपरागत तरीकों के मुताबिक ही खेती करने के पक्षधर हैं।

स्थानीय लोगों को ही मिलेगा रोजगार

अशोक नौटियाल कहते हैं कि सरकार का सहयोग मिले तो इस कार्य को बड़े स्तर पर किया जा सकता है। जिससे अकुशल बेरोजगार युवाओं के पलायन पर रोक लग सकती है। यदि समूचे मंजखोली क्षेत्र में बंजर पड़े खेतों को सरसब्ज किया जाए तो हजारों की संख्या में स्थाई व सीजनल रोजगार सृजित होना तय है।

जंगली जानवरों से बचाव है सबसे बड़ी चुनौती

अशोक कहते हैं कि उनके समक्ष सबसे बड़ी चुनौती फसलों को हिरण, नीलगाय, जंगली सूअर व बारहसिंगा जैसे जानवरों से बचाने की है। फिलहाल रात दिन खेतों की सुरक्षा के लिए अपने स्तर से प्रयास करते हैं।

मुर्गी, मछली व बकरी पालन से बनाई पहचान

अशोक नौटियाल ने मुर्गी, मछली व बकरी पालन से क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है। उच्च शिक्षा पाकर रोजगार के लिये भटक रहे युवाओं के लिये अशोक नौटियाल प्रेरणा स्रोत हैं। अशोक ने कठिन परिश्रम और जज्बे से यह साबित कर दिया कि रोजगार सिर्फ शहर जाकर ही नहीं प्राप्त किया जा सकता, बल्कि अपने गाँव में भी मत्स्य-पालन कर अच्छी आय प्राप्त की जा सकती है। बेकार पड़ी बंजर भूमि को पोखरे के रूप में आबाद कर इस नौजवान ने मत्स्य-पालन को अपना कैरियर का हिस्सा बनाया। वे पिछले करीब दस साल से मछलीपालन कर रहे हैं। उनके तलाब में एक से लेकर दो किलो तक की मछलियां हैं। जिन्हें व स्थानीय बाजार से लेकर आसपास के गांव के लोगों में बेचते हैं। इसके साथ ही अशोक ने देशी मुर्गीयां भी पाली हुई हैं। जिनके अंडे की स्थानीय बाजार में बहुत डिंमाड है। स्थानीय नश्ल के बकरों के अलावा अशोक ने देशी नश्ल के बकरे भी पाले हुए हैं। आज अशोक नौटियाल अपने संघर्ष के बदौलत अन्य युवाओं के लिये वे प्रेरणास्नेत बन गए हैं।

रिस्पना नदी की अध्ययन रिपोर्ट की शीघ्र डीपीआर तैयार किया जाएः त्रिवेन्द्र

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रिस्पना को ऋषिपर्णा नदी के स्वरूप में लाने के लिये किये जा रहे प्रयासों की समीक्षा की। उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी (एनआईएच), रूड़की की ओर से रिस्पना नदी के सम्पूर्ण क्षेत्र की भूमि व जल संवर्धन से सम्बन्धित विस्तृत प्रस्तुतिकरण का भी अवलोकन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि एनआईएच रुड़की द्वारा तैयार की गई इस विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर शीघ्र डीपीआर तैयार की जाए। ताकि अगले माह तक इसकी निविदा प्रकाशित कर कार्य प्रारम्भ किया जा सके। मुख्यमंत्री ने इस सम्बन्ध में सभी सम्बन्धित विभागों की संयुक्त बैठक भी आयोजित किये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि रिस्पना का पुनर्जीवीकरण देहरादून शहरवासियों के व्यापक हित से जुडा विषय भी है। इसमें देहरादून के पर्यावरण को संरक्षित करने में मदद मिलेगी तथा भविष्य में जल संकट के समाधान की भी राह प्रशस्त हो सकेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रारम्भिक चरण में रिस्पना एवं कोसी नदी को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके बाद अन्य नदियों को भी पुनर्जीवित किया जायेगा। आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित रखने के लिए जल संरक्षण की दिशा में विशेष प्रयासों की उन्होंने जरूरत बतायी। जल संरक्षण के लिए वृक्षारोपण करना जरूरी है। सूखे जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करना हम सबका दायित्व है।

रिस्पना नदी का देहरादून से अनूठा रिश्ता
मुख्यमंत्री ने कहा कि देहरादून शहर के मध्य से गुजरती हुयी रिस्पना नदी का देहरादून के साथ एक अनूठा रिश्ता भी है। मिशन ऋषिपर्णा देहरादून वासियों के पास एक मौका है इस नदी को उसके पुराने अविरल स्वरूप में वापस लाने का। शहर के संतुलित विकास हेतु समय की मांग है कि रिस्पना को पुनर्जीवित किया जाए। हमारे वर्तमान और भविष्य को सुरक्षित करने के लिए यह आवश्यक पहल भी है। उन्होंने कहा कि रिस्पना के उद्गम क्षेत्र में किये गये व्यापक वृक्षारोपण से हरियाली होगी और भूजल स्तर में भी वृद्धि होगी। यह हमारे लिए प्रकृति की सुंदरता की सौगात भी होगी।

बनेंगे 19 छोटे चैक डेम
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी, रूड़की की अध्ययन रिपोर्ट में बताया गया है रिस्पना नदी क्षेत्र के 53.45 कि0मी0 केचमेंट एरिया के इस क्षेत्र में 19, छोटे चैक डेम तैयार किये जायेंगे। जल की गुणवत्ता के लिये बेहतर उपचार की व्यवस्था के साथ ही तालाबों के निर्माण एवं सतही जल के प्रबन्धन पर ध्यान दिया जाना होगा। इस क्षेत्र में वाटर हारवेस्टिंग पर ध्यान देने, नदी क्षेत्र के आस पास एसटीपी के निर्माण के साथ ही सौंग बांध से भी इसमे जल उपलब्धता की बात कही गई है।