जल संरक्षण के लिए पौधे लगाना जरुरीः मुख्यमंत्री

(एनएन सर्विस)
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने चन्द्रबनी खालसा, क्लेमेंटाउन में वृक्षारोपण किया। वन विभाग द्वारा वन महोत्सव के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न प्रजातियों के पौधे रोपे गये। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सीजन में प्रदेश में 2 करोड़ पौधे लगाये जायेंगे। वृक्षारोपण अभियान की शुरूआत आज से हो चुकी है। हरेला पर्व पर भी प्रदेश में व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण किया जायेगा। कोविड-19 के कारण अलग-अलग चरणों में पौधे रोपे जायेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में वनों एवं पर्यावरण के प्रति लोगों में सजगता है। जल संरक्षण की दिशा में राज्य सरकार द्वारा अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। पर्यावरण संतुलन के लिए व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण जरूरी है। वृक्षारोपण के साथ ही उनके संरक्षण पर भी विशेष ध्यान देना होगा। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि चन्द्रबनी में वन विभाग द्वारा एक पार्क विकसित किया जायेगा।
वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि प्रकृति ने हमें बहुत कुछ दिया है। प्रकृति के साथ हमें सामंजस्य बनाकर चलना होगा। एक अदृश्य वायरस ने हमें जीवन जीना सिखा दिया है। इस समय का हमें सदुपयोग करना होगा। प्रकृति का दोहन करने पर उसके दुष्परिणाम भी हमें झेलने पड़ते हैं। यह इस वायरस ने दुनिया को सिखा दिया है। राज्य सरकार द्वारा जल एवं वन संवर्द्धन की दिशा में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ कार्य दीर्घकालिक सोच पर आधारित होते हैं, जिसके बाद में सुखद परिणाम देखने को मिलते हैं।
विधायक विनोद चमोली ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण पर इस समय दुनिया का जोर है। कोरोना वायरस ने सबको सोचने पर विवश कर दिया है। यह समय चुनौतियों को अवसर में बदलने का है। मेडिसनल और ऐरोमैटिक प्लांट की दिशा में उत्तराखण्ड में अच्छा कार्य हो रहा है।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रमुख वन संरक्षक जयराज एवं वन विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

रिवर्स माइग्रेशन की दिशा में पहल होनी चाहिएः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से विज्ञान भारती के अध्यक्ष डॉ. महेश भट्ट, निदेशक यूसर्क प्रो0 दुर्गेश पंत आदि ने भेंट कर उन्हें माह सितम्बर मे देहरादून में प्रस्तावित ‘‘हिमालय महोत्सव‘‘ आयोजित किये जाने की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने हिमालय महोत्सव जैसे आयोजनो को राज्य हित में बताते हुए ऐसे कार्यक्रमों में विश्व विश्वविद्यालयों का भी सहयोग लेने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि रिवर्स माइग्रेशन की दिशा में भी पहल होनी चाहिए। शिक्षण संस्थानों को पर्यावरण संरक्षण जल संवर्धन तथा प्राकृतिक जल श्रोतो को पुनर्जीवित करने की भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे संस्थानों को नर्सरी स्थापित करने के साथ ही छात्रों को पर्यावरण बचाने तथा वृक्षारोपण के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए। समाज हित से जुड़े ऐसे कार्यो में बच्चों का जागरूक होना जरूरी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान परिवेष में परम्परागत स्वदेशी विज्ञान के विकास तथा आधुनिक विज्ञान में आपसी समन्वय जरूरी है। उन्होंने प्राकृतिक तथा आध्यात्मिक विज्ञान को आम आदमी से जोड़ने की पहल पर भी बल दिया।
इस अवसर पर वैज्ञानिक डॉ. ओम प्रकाश नोटियाल, कल्याण सिंह रावत ‘‘मैती‘‘ तथा विज्ञान भारती के सी.डी.असवाल आदि उपस्थित थे।