25 लाख के करीब पहुंचने वाला है श्रद्धालुओं का पंजीकरण

चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण का आंकड़ा 25 लाख पार पहुंचने वाला है। इसमें केदारनाथ धाम के लिए सबसे अधिक 8.65 लाख यात्रियों ने पंजीकरण कराया है। मौसम खराब होने से फिलहाल आठ मई तक केदारनाथ के लिए पंजीकरण पर रोक लगाई गई है। पूर्व में जिन यात्रियों ने पंजीकरण किया है, उन्हें ही यात्रा की अनुमति होगी।
सरकार ने चारधाम यात्रा के लिए यात्रियों का पंजीकरण अनिवार्य किया है। चारों धामों में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की कोई संख्या तय नहीं है। लेकिन लगातार मौसम खराब होने के कारण यात्रा प्रभावित हो रही है। पर्यटन विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार 22 फरवरी से अब तक चारधाम यात्रा के लिए 24.53 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने पंजीकरण कराया है। इसमें 22 अप्रैल से 5 मई तक चार लाख श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं।
पर्यटन विभाग के अनुसार चारधाम यात्रा को लेकर तीर्थयात्रियों में काफी उत्साह है। खराब मौसम को देखते हुए केदारनाथ धाम का पंजीकरण रोका गया है। बदरीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के लिए नियमित रूप से पंजीकरण हो रहे हैं।

चारधाम के लिए पंजीकरण की स्थिति
धाम पंजीकरण की संख्या
केदारनाथ 864597
बदरीनाथ 725370
गंगोत्री 442372
यमुनोत्री 394896
हेमकुंड साहिब 25674

मौसम विभाग की चेतावनी पर मुख्य सचिव ने अलर्ट रहने को कहा

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने उत्तराखण्ड के विभिन्न हिस्सों में भारी से बहुत भारी वर्षा के दृष्टिगत कमिश्नर गढ़वाल एवं कुमाऊं सहित सभी जिलाधिकारियों को सभी आवश्यक कदम उठाते हुए आने वाली चुनौती के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने भारी बारिश की सम्भावना को देखते हुए प्रत्येक स्तर पर सतर्कता बरते जाने एवं सभी विभागों को आपसी समन्वय से कार्य करने के भी निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव ने राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र एवं सभी जिला आपातकालीन परिचालन केंद्रों में सभी विभागों द्वारा सक्षम स्तर के नोडल अधिकारियों को तैनात किए जाने के निर्देश दिए ताकि आपदा जैसी परिस्थितियों में नोडल अधिकारी निर्णय लेने एवं निर्देश देने हेतु अधिकृत हों।

मिनिमम रिस्पांस टाइम किया जाए सुनिश्चित-मुख्य सचिव
मुख्य सचिव ने पूरे मानसून काल में आपदा की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों को चिन्हित कर सडकें टूटने अथवा धंसने की स्थिति में सड़कों पर यातायात सुचारू करने हेतु जेसीबी एवं पोकलैंड मशीनें तैनात किए जाने के निर्देश दिए हैं ताकि आम जनता को आवागमन में कोई परेशानी का सामना ना करना पडे़। उन्होंने पेयजल व विद्युत विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि वे मानसून के दौरान विद्युत एवं पेयजल सुचारू रखने हेतु दूरस्थ एवं ग्रामीण क्षेत्रों में अभी से उपकरण अथवा सामग्री स्टोर करें ताकि मानसून के दौरान विद्युत एवं पेयजल बाधित होने पर तत्काल सुचारू किया जा सके।

नदियों एवं बैराजों के जलस्तर पर रखी जाए पैनी नजर
मुख्य सचिव ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों के निर्देश दिये कि वे वर्षाकाल में नदियों व बैराजों के जलस्तर पर पैनी नजर रखने के साथ ही बाढ़ चौकियों को सक्रिय करते हुये नदियों का जलस्तर बढ़ने पर चेतावनियां एवं मुनादी आदि जारी करने हेतु व्यवस्थाएं सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए ताकि जानमाल की हानि को रोका जा सके। उन्होंने सभी राजस्व उपनिरीक्षक, ग्राम विकास अधिकारियों एवं ग्राम पंचायत अधिकारियों को भी अपने-अपने कार्यस्थलों में बने रहने हेतु निर्देशित किया है। साथ ही, सभी चौकियों एवं थानों में भी आपदा सम्बन्धी उपकरणों एवं वायरलैस सहित हाई अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए गए हैं।

खाद्यान्न एवं संचार की समुचित व्यवस्था की जाए सुनिश्चित
मुख्य सचिव ने वर्षा काल के दौरान अथवा आपदा जैसी परिस्थितियों हेतु चिन्हित खाद्यान्न गोदामों में खाद्यान्न की समुचित मात्रा की उपलब्धता सुनिश्चित किए जाने हेतु निर्देश दिए। उन्होंने आपदा के दृष्टिगत दुर्गम स्थलों में दूरसंचार व्यवस्था सुचारू बनाए रखने हेतु एस०डी०आर०एफ० द्वारा उपलब्ध कराए गए सैटेलाइट फोन्स को भी एक्टिव रखने हेतु निर्देश दिए। साथ ही, पैरामेडिकल स्टाफ, दवाईयों एवं आवश्यक उपकरणों की समुचित मात्रा सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने जनसामान्य से भी अपील की है कि भारी बारिश की सम्भावना को देखते हुए अत्यधिक आवश्यक होने पर ही बाहर निकलें। उन्होंने श्रद्धालुओं से भी चारधाम यात्रा एवं कांवड़ यात्रा पर मौसम के अनुसार ही निकलने की सलाह दी है।
मुख्य सचिव के निर्देश पर सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा द्वारा सभी जिलाधिकारियों एवं आपदा से सम्बन्धित विभागाध्यक्षों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उनके स्तर पर की गई तैयारियों के संबंध में विचार विमर्श कर की गई व्यवस्थाओं की समीक्षा की। सचिव आपदा प्रबंधन ने मैदानी जिलों के जिलाधिकारियों से बाढ़ चौकियों के साथ बाढ़ नियंत्रण टीमों के गठन के साथ ही आवश्यकता के दृष्टिगत बोट आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा।
उन्होंने आपदा प्रभावितों को खाद्यान्न एवं पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था के साथ ही पशुओं के चारे आदि को भी समय से प्रबंधन करने को कहा। सचिव आपदा प्रबंधन द्वारा पर्वतीय जनपदों के जिलाधिकारियों से भी आपदा प्रबंधन से संबंधित तैयारियों की समीक्षा की तथा उनके स्तर पर की गई व्यवस्थाओं की जानकारी प्राप्त की।
उन्होंने सभी डेमों के निरीक्षण करने, नदियों में पानी बढ़ने की स्थिति की त्वरित सूचना प्रेषण, साइरन सिस्टम, वायरलेस सिस्टम को भी प्रभावी बनाने को कहा। आपदा की स्थिति में बल्क एसएमएस की भी व्यवस्था बनाये जाने के उन्होंने निर्देश दिये, उन्होंने जरूरत पड़ने पर हेलीकॉप्टर की व्यवस्था बनाये जाने की बात कही।
सचिव आपदा द्वारा आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के साथ ही सिंचाई, लोक निर्माण, पेयजल, विद्युत, खाद्यान्न, स्वास्थ्य आदि विभागों के प्रमुखों से भी वार्ता कर व्यवस्थाओं की जानकारी प्राप्त की तथा सभी से समन्वय के साथ कार्य करने की अपेक्षा की। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को धनराशि उपलब्ध करायी जा चुकी है। सभी जिलाधिकारियों ने सचिव आपदा को अवगत कराया कि उनके स्तर पर एहतियातन आवश्यक व्यवस्थायें कर दी गई है।

मुख्य सचिव ने जारी किये आदेश, अलर्ट रहने की दी हिदायत

मानसूनी आपदा को देखते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एक्शन प्लान बनाया है। उतराखंड सरकार ने 30 सितम्बर 2022 तक राज्य में सरकारी कर्मचारियों की छ़ुट्टियों पर रोक लगा दी है। मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू की ओर से इस संदर्भ में आदेश किए गए हैं। पर्वतीय जिलों में अधिकारियों को अलर्ट रहने की हिदायत दी गई है।
मुख्य सचिव ने सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव और विभागाध्यक्षों को दिए निर्देश में कहा है कि मानसून के समय राज्य में बड़े स्तर पर आपदा की घटनाएं होती है। इन घटनाओं से प्रभावित लोगों के राहत बचाव के साथ ही पेयजल, बिजली, सड़क आदि व्यवस्थाओं को ठीक करने में भी कर्मचारियों की जरूरत होती है। ऐसे में सभी कर्मचारियों के अवकाश पर 30 सितम्बर तक रोक लगाई जाती है। उन्होंने कहा कि राज्य में यह देखने को मिल रहा है कि कई कर्मचारी उच्च अधिकारियों से लम्बी अवधि का अवकाश मंजूर करा लेते हैं जिससे राहत बचाव के काम प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा कि अब अपरिहार्य परिस्थितियों के अलावा कर्मचारियों के अवकाश मंजूर नहीं किए जा सकेंगे।
यदि किसी कर्मचारी को अपरिहार्य परिस्थिति में अवकाश मंजूर किया जाता है तो उसके आदेश में ही प्रतिस्थानी की व्यवस्था भी करनी होगी। उन्होंने इन आदेशों को कड़ाई से लागू करने के निर्देश भी दिए हैं। विदित है कि पूर्व में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अफसरों के अवकाश पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे। उसके बाद लोनिवि मंत्री सतपाल महाराज ने लोनिवि और सिंचाई विभाग में अवकाश पर रोक लगाई थी। इसके बाद अब मुख्य सचिव ने सभी कर्मचारियों के अवकाश पर रोक लगा दी है।

एसडीआरएफ टीम ने रेस्क्यू अभियान चलाकर लोगों को राहत पहुंचाई

जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, पोलिंग पार्टियां विषम मौसम में भी पोलिंग बूथ तक पहुंचने लगी हैं। लेकिन उत्तराखंड के ठंड के मौसम औऱ दुर्गम रास्तों से होकर पोलिंग बूथ तक पहुंचना और चुनावी तैयारियों को अंतिम रूप देना पोलिंग पार्टियों के लिए कड़ी परीक्षा जैसा है। पोलिंग पार्टियां बीते दो दिनों से हो रही भारी बर्फबारी में फंस रही हैं। ऐसी ही तस्वीर चमोली जनपद से आई है। जहां दिनभर बर्फबारी में फंसी पोलिंग पार्टी को एसडीआरएफ ने सकुशल रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।
दरअसल गुरुवार को चमोली जनपद के बछुआखाल से एक पोलिंग पार्टी वापस कर्णप्रयाग लौट रही थी। इसी दौरान जबरदस्त बर्फबारी से रास्ते जाम हो गए। पोलिंग पार्टी का वाहन भारी बर्फ के बीच कई घंटों तक फंसा रहा। इस घटना की जानकारी जैसे ही एसडीआरएफ टीम को मिलती है, एसडीआरएफ रेस्क्यू टीम एचसी भगत सिंह कंडारी के नेतृत्व में रेस्क्यू हेतु रवाना हुई।
भारी बर्फबारी व रात्रि के घनघोर अंधेरे जैसी विषम परिस्थितियों में 7-8 किमी पैदल चलने के बाद रेस्क्यू टीम मौके पर पहुँची। एसडीआरएफ जवानों द्वारा पोलिंग टीम के 6 सदस्यों को सुरक्षित कर्णप्रयाग पहुंचाया गया। इसके अलावा एसडीआऱफ ने प्रदेश के कई हिस्सों में बर्फ में फंसे लोगों औऱ पर्यटकों को सुरक्षित स्थानो पर पहुंचाया। उत्तरकाशी के राड़ी टॉप में एक वाहन के बर्फ में फंसे होने की सूचना पर एसडीआरफ ने तत्काल 2 लोगों को सुरक्षित बड़कोट पहुँचाया गया। रुद्रप्रयाग के त्रिजुगी नारायण मंदिर से 3 किलोमीटर नीचे कुछ लोग बर्फ में फंसे थे, जिन्हें एसडीआरएफ टीम निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया।
अल्मोड़ा जनपद के मजखाली में कुछ लोगो के फंसे होने की सूचना एसडीआरएफ को प्राप्त हुई जिस पर एसडीआरएफ रेस्क्यू टीम द्वारा मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू किया जा रहा है। चमोली के सेलंग क्षेत्र में कुछ वाहन बर्फ में फंसे होने की सूचना पर एसडीआरएफ टीम द्वारा मौके पर पहुंचकर वहां फंसे हुए वाहनों को धक्का मारकर पार कराया। नैनीताल में बर्फबारी के कारण वाहनों के फंसे होने की सूचना पर एसडीआरएफ टीम द्वारा धक्का मारकर वाहनों को पार कराया गया।

अगले कुछ दिन का मौसम अपडेट लेकर ही करें सफर

उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों में विशेषकर हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में उथला से मध्यम कोहरा छाए रहने की संभावना है, जबकि पर्वतीय जिलों में पाला परेशानी का कारण बन सकता है। मौसम विभाग ने अगले 3 दिन प्रदेश में मौसम शुष्क रहने का अनुमान लगाया है। लेकिन 18 के बाद एक ताजा पश्चिमी विक्षोभ के चलते गढ़वाल मंडल के पर्वतीय हिस्सों व कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ बागेश्वर जनपद में कहीं-कहीं हल्की से हल्की बारिश व बर्फबारी की संभावना जताई है।
मौसम विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान के मुताबिक घने कोहरे को लेकर प्रदेश के मैदानी जिलों में अलर्ट जारी किया गया है। वही पर्वतीय क्षेत्रों के लिए भी पाला पड़ने को लेकर येलो अलर्ट जारी है। जिसके चलते मौसम विभाग ने प्रदेश के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। जिसमें मैदानी क्षेत्रों में घना कोहरा छाने से यातायात में टकराव की स्थिति, ड्राइविंग की मुश्किल परिस्थिति, हवाई अड्डे पर लैंडिंग, टेक ऑफ को प्रभावित कर सकती है।
मौसम विभाग ने रेलवे, एयरलाइंस, परिवहन सेवाओं के संपर्क में रहने के सुझाव दिए हैं। कोहरे में वाहन चला रहे लोगों से फोग लाइट के इस्तेमाल करने को कहा है। साथ ही पर्वतीय जिलों में पौधों को ठंड के कारण नुकसान से बचाने के लिए लगातार हल्की सिंचाई करने खेतों के चारों ओर हवा के अवरोध, शेल्टरबेल्ट लगाने, हवा की गति कम करने व पाले मे सड़क पर सावधानी से वाहन चलाने का सुझाव दिया है। राज्य के कई शहरों में आज तापमान काफी कम रहा।
शुष्क मौसम के बावजूद मसूरी में न्यूनतम तापमान 2.1, रनीचौरी में माइनस 1.8, जॉली ग्रांट में 6.6, नैनीताल में 4.8, पिथौरागढ़ में 1.5, टिहरी में तीन, मुक्तेश्वर में 1.1, पंतनगर में 9.9, डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। पहाड़ों में दिन में धूप के बावजूद सुबह शाम जबरदस्त ठंड पड़ रही है। मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह के मुताबिक पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में 16 जनवरी व नॉर्थवेस्ट भारत में 18 जनवरी के बाद दो ताजा पश्चिमी विक्षोभ प्रभावी होंगे जिससे एक बार फिर मौसम बदलेगा।

सीएम पीड़ितों से मिलकर उनकी परेशानियों को पूछकर समस्या दूर करने के दे रहे निर्देश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार पांचवें दिन आपदा प्रभावित क्षेत्रों के दौरे पर रहे। इस दौरान उन्होंने पीड़ितों का हाल जाना। उनका दुःखदृदर्द साझा किया। हर इलाके में हुए नुकसान की जानकारी ली। प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया। अपने हाथों से सहायता राशि के चेक वितरित किए। हर जनपद में अधिकारियों के साथ बैठक कर उन्हें उचित दिशा निर्देश जारी किए। मुख्यमंत्री को अपने बीच पाकर प्रभावित लोगों में भी आस जगी है।
17 व 18 अक्टूबर को अतिवृष्टि से आई आपदा के बाद मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी संकट झेल रही जनता के बीच लगातार मौजूद हैं। 19 अक्टूबर को मुख्यमंत्री ने आपदा प्रबंधन मंत्री डा. धन सिंह रावत के साथ रुद्रप्रयाग और फिर नैनीताल जिले से अपने दौरे की शुरुआत की। बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित गांवों का भ्रमण करते हुए उन्होंने आपदा से प्रभावित लोगों से मिलकर उनका हाल जाना और ढाढस बंधाया। पीड़ितों की आम जरूरतों को पूरा करने के निर्देश उन्होंने जिलाधिकारी व अधिकारियों को दिए। 20 अक्टूबर को मुख्यमंत्री ने हल्द्वानी, रुद्रपुर, किच्छा, खटीमा, काशीपुर आदि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया। तीसरे दिन 21 अक्टूबर को मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के साथ आपदाग्रस्त क्षेत्रों का हवाई दौरा किया और अधिकारियों को दिशानिर्देश दिए। 22 अक्टूबर को मुख्यमंत्री ने सीमांत जनपद चमोली के आपदा प्रभावित गांव डूंगरी पहुंचकर आपदा पीड़ितों का हाल जाना। शनिवार को मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी आपदा प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करने के लिए चम्पावत, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और नैनीताल के दो दिवसीय दौरे पर रवाना हुए। दौरे के पहले दिन मुख्यमंत्री ने चंपावत और पिथौरागढ़ के आपदाग्रस्त गांवों में पहुंचकर सभी पीड़ितों से मुलाकात की। उनकी परेशानियां पूछीं और अधिकारियों को उनके समाधान के लिए कहा। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आपदाग्रस्त क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं को तत्काल बहाल करने के निर्देश दिए।

पीएम ने सीएम को आपदा में हर संभव मदद का आश्वासन दिया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज दूरभाष पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से उत्तराखण्ड में अतिवृष्टि से हुए नुकसान और संचालित बचाव व राहत कार्यों के बारे में जानकारी ली। प्रधानमंत्री ने प्रदेश को हर आवश्यक सहयोग दिये जाने के प्रति आश्वस्त किया। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को वस्तुस्थिति की जानकारी देते हुए कहा कि प्रदेश में कुछ स्थानों पर नुकसान हुआ है। शासन प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है।

संवेदनशील गांवों को विस्थापित करने के मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में जिलाधिकारियों से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से आपदा कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि आपदा की दृष्टि से सभी जनपद अलर्ट रहे। जब बारिस के बाद धूप आती है, तो ऐसे समय में लैण्ड स्लाइडिंग की समस्याये बहुत अधिक होती है। आपदा से जो सड़कें बाधित हो रही हैं, उन्हें सुचारू करने के लिए कम से कम समय लिया जाय। आपदा की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों पर जेसीबी एवं अन्य आवश्यक उपकरणों की 24 घण्टे व्यवस्था रखी जाय।
मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि आपदा से होने वाली जनहानि में उनके परिवारजनों को 3 दिन के अन्दर अनुमन्य सहायता राशि उपलब्ध कराई जाय। आपदा के दौरान जिन लोगों को अन्य स्थानों पर भेजा जा रहा है, उनके रहने, खाने की उचित व्यवस्था हो। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी को निर्देश दिये कि जनपदों में लैण्ड बैंक के लिए दीर्घकालिक योजना बनाई जाय, ताकि आवश्यकता पड़ने पर आपदा प्रभावितों को विस्थापित किया जा सके। उन्होंने कहा कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील गांवों को भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर विस्थापित करने के लिए भूमि का उपलब्ध होना जरूरी है। ऐसे गांवों की सूची बनाई जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील गांवों के लोगों के लिए विस्थापित करने के लिए फारेस्ट की भूमि की मंजूरी के लिए प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा जायेगा। उन्होंने जिलाधिकारियों को प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा।
इस अवसर पर सचिव आपदा प्रबंधन एस. ए मुरूगेशन ने जानकारी दी कि जनवरी 2020 से प्राकृतिक आपदा के कारण राज्य में 62 लोगों की मृत्यु हुई है, 33 घायल हुए जबकि 4 लोग लापता हैं। 357 छोटे एवं बड़े पशुओं की हानि हुई। 237 भवन तीक्ष्ण रूप से क्षतिग्रस्त हुए। मानसून के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग भी क्षतिग्रस्त हुए, राष्ट्रीय राजमार्गों को अधिकतम 24 घण्टों के अन्दर सुचारू कर दिया गया। पिथौरागढ़ जनपद के तहसील बंगापानी के गैला, पत्थरकोट, बाता, टांगा एवं सिरतोल में अतिवृष्टि के कारण मलबा आने से सबसे अधिक नुकसान हुआ। आपदा मोचन निधि में भारत सरकार से वित्तीय वर्ष 2020-21 प्रथम किश्त के रूप में राज्य सरकार को 468.50 करोड़ रूपये का मानकीकरण किया गया है। जिलाधिकारियों को 103 करोड़ रूपये का एसडीआरएफ का बजट आवंटन किया गया एवं आपदा से संबंधित कार्यों के लिए अन्य विभागों को 189.88 करोड़ रूपये के एसडीआरएफ बजट का आवंटन किया गया।
इस अवसर पर मुख्य सचिव ओम प्रकाश, सचिव अमित नेगी, डॉ. पंकज पाण्डेय, आईजी संजय गुंज्याल एवं वीसी के माध्यम से सभी जिलाधिकारी उपस्थित थे।

चारधाम सहित हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी से एक बार फिर ठंड बढ़ी

उत्तराखंड में मौसम के मिजाज में कोई बदलाव नहीं देखने को मिला है। प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में एक बार फिर से हिमपात होने से ठंड में एकाएक बढ़ोत्तरी हुई है। चार धाम के साथ ही उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हिमपात से कड़ाके की ठंड जारी है। प्रदेश के आठ शहरों में न्यूनतम तापमान पांच डिग्री सेल्सियस से भी कम है। इतना ही नहीं अधिकतम तापमान भी सामान्य से पांच से सात डिग्री सेल्सियस कम बना हुआ है। देहरादून स्थित राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार शनिवार को प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में बारिश और बर्फबारी के आसार हैं, वहीं निचले इलाकों में बादल छाए रहेंगे और हल्की बूंदाबांदी भी संभव है।
उत्तराखंड में शीतलहर का असर बना हुआ हैं। मसूरी, चमोली के जोशीमठ और कुमाऊं के चम्पावत में पारा तीन डिग्री सेल्सियस से भी कम है। शीतलहर के असर को देखते हुए हरिद्वार और नैनीताल में शुक्रवार को एक से बारहवीं तक के स्कूलों में अवकाश रहा। वहीं देहरादून में स्कूलों के समय में बदलाव किया गया है। राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि रविवार तक प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टरबेंस) का प्रभाव बना रहेगा। बताया कि इस दौरान उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग व पिथौरागढ़ जिले के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बारिश व बर्फबारी हो सकती है।
गंगा घाटी में भारी हिमपात से ठंड का कहर अपने चरम पर है। हाल ये है कि भीषण ठंड के कारण झाला से लेकर गंगोत्री तक कई झरने और नाले जम चुके हैं। गंगोत्री में भागीरथी (गंगा) के जिस हिस्से में बहाव कम है वहां भी पानी बर्फ बन चुका है। शीतलहर के कारण हर्षिल घाटी और गंगोत्री में पेयजल संकट गहरा गया है। लोग पानी का इंतजाम बर्फ गलाकर कर रहे हैं। गंगोत्री में इन दिनों 55 और भैरवघाटी में 40 लोग रह रहे हैं। ठंड के कहर का सबसे अधिक असर 2500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में है। जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 65 किमी दूर गंगोत्री की ओर सुक्की टॉप गांव से लेकर गंगोत्री तक अपनी सुंदरता बिखेरने वाले 40 से अधिक झरने व नाले जम चुके हैं। हर्षिल घाटी के आठ गांवों के अलावा गंगोत्री को पेयजल आपूर्ति करने वाले पेयजल स्रोत जम गए हैं।
हर्षिल के लोगों का कहना है कि हर्षिल घाटी में पाइपों के अंदर पानी जम चुका है। ऐसे में लोगों को पीने के पानी के लिए बर्फ पिघलानी पड़ रही है। झाला और धराली के बीच जो छोटी नदियां गंगा में मिलती हैं, उनका पानी भी मुहाने पर जम चुका है। शीतलहर के कहर से बर्फ बने नाले और झरने पर्यटकों को रोमांचित कर रहे हैं। लेकिन, स्थानीय लोगों के लिए के लिए यह किसी सजा से भी कम नहीं है।