सही एंटीबायोटिक नहीं ले पाने की स्थिति में प्रतिरोधन क्षमता हो सकती है कम

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में वल्र्ड एंटीमाइक्रोबेल एवरनैस वीक के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के विशेषज्ञों ने व्याख्यानमाला प्रस्तुत किए।

निदेशक प्रो. रविकांत की देखरेख में आयोजित कार्यक्रम के तहत आज संस्थान के स्वांस रोग विभागाध्यक्ष प्रो. गिरीश सिंधवानी ने बताया कि आम जुकाम की स्थिति में 20 से 25 प्रतिशत तक वायरल होता है, मगर देखा गया है कि सामान्य वायरल की स्थिति में भी एंटीबायोटिक का प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हमारे विभाग में भी एंटीबायोटिक का उपयोग होना स्वाभाविक है मगर उसे सही समय व सही मानक में देना जरुरी है।

ईएनटी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डा. मनु मल्होत्रा ने बताया कि आंख, नाक, गला विभाग में एंटीबायोटिक का सबसे अधिक इस्तेमाल होता है। बताया कि अस्पताल में खांसी, जुकाम, गले में दर्द की शिकायत वाले मरीज अपने मर्जी से ही एंटीबायोटिक का उपयोग कर लेते हैं, लिहाजा प्रतिरोधक स्थिति में उन्हें एंटीबायोटिक दवा का असर कम होने लगता है।
प्रिोफेसर श्रीपर्णा बासु ने नवजात शिशुओं की बढ़ती मृत्युदर के बाबत जानकारी दी। उन्होंने इसकी मुख्य वजह संक्रमण को बताया। साथ ही जनरल पब्लिक को संदेश दिया कि मां को अपने नवजात शिशुओं को अपना ही दूध देना चाहिए और अन्य तरह के किसी भी तरीके का उपयोग नहीं करें। उन्होंने बताया कि इन्फेक्शन के बाद बच्चों को कई तरह के एंटीबायोटिक देने पड़ते हैं जिसका उनके स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है लिहाजा कोशिश की जानी चाहिए कि संक्रमण को पैदा ही नहीं होने दिया जाए।

न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डा. नीरज कुमार ने बताया कि हमारे विभाग में प्राइमरी व सेकेंड्री संक्रमण के पेशेंट आते हैं। लिहाजा हमें प्राइमरी संक्रमण के समय में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। उन्होंने स्ट्रोक के पेशेंट व कुछ अन्य सेकेंड्री इन्फेक्शन के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
कॉर्डियो थोरसिक वस्कुलर सर्जरी विभाग (सीटीवीएस) के डा. अंशुमन दरबारी ने कहा कि हम एंटीबायोटिक के कम उपयोग पर अधिक ध्यान देते हैं, क्योंकि हम ऑपरेशन के दौरान इस्टीराइल वातावरण का ध्यान रखते हैं, लिहाजा इन्फेक्शन की चांस कम रहते हैं, लिहाजा एंटीबायोटिक के इस्तेमाल की जरुरत ही नहीं पड़ती है। उन्होंने कहा कि एंटीबायोटिक का इस्तेमाल ठीक तरह से नहीं होगा तो यह दवाइयां बेकार हो जाएंगी।

खांसी, जुकाम होने पर एंटीबायोटिक लेना गलत, इससे बाॅडी में पैदा हो सकते हैं रजिस्टेंस

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में वल्र्ड एंटीमाइक्रोबेल एवरनैस वीक के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने व्याख्यान प्रस्तुत किए। वक्ताओं ने बिना विशेषज्ञ चिकित्सकों के परामर्श के एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग से होने वाले नुकसान को लेकर लोगों को जागरुक किया।

निदेशक एम्स प्रो. रविकांत की देखरेख में आयोजित कार्यक्रम में बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग की प्रमुख प्रो. बी. सत्याश्री ने बताया कि बच्चों में किसी भी दवाई या एंटीबायोटिक को देने में सतर्कता बरतना कितना जरूरी है। उनका कहना है कि वह अपने विभाग में हर वह कोशिश करती हैं जिससे बच्चों की देखभाल में कोई कमी नहीं रहे और कोई भी दवाई या एंटीबायोटिक देने से पहले कल्चर या सेंसटिविटी टेस्ट कराते हैं
उन्होंने बताया कि आजकल यह भी देखा जा रहा है कि घर पर यदि कोई बच्चा बीमार हो जाता है, तो उसके परिवार वाले बाहर से ही किसी केमिस्ट से उसे दवाई दे देते हैं या एंटीबायोटिक के इंजेक्शन भी लेते हैं, जो कि बहुत गलत है।

प्रसूति एवं स्त्री रोग विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने मल्टीड्रग प्रतिरोधी बैक्टीरिया के विषय में जानकारी दी, उन्होंने कहा कि अगर हम हर छोटी बीमारी जुकाम, खांसी होने पर भी एंटीबायोटिक लेंगे, तो यह हमारे शरीर में रजिस्टेंस पैदा कर सकते हैं और यह बैक्टीरिया आगे चलकर बीमारी फैलाने का कारण बन सकता है, लिहाजा इसके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि हम दवाई का सही समय, सही अवधि तक उसका इस्तेमाल करें।

सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. डा. सोम प्रकाश बासु ने बताया कि ऑपरेशन के बाद मरीज के लिए एंटीबायोटिक का इस्तेमाल कितना जरूरी है, उनका कहना है कि जरूरत से ज्यादा और आवश्यकता से कम एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल मरीज के लिए कितना हानिकारक हो सकता है, जिसे समय पर समझना बहुत जरूरी है। डा. बासु के अनुसार बिना चिकित्सक की सलाह के इन एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किया जाना बंद होना चाहिए और इसके लिए कड़ी नीतियों का बनना उतना ही आवश्यक है।

नेत्र विभागाध्यक्ष प्रो. संजीव कुमार मित्तल ने बताया कि अमूमन देखा गया है कि आंखों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एंटीबायोटिक का उपयोग सही तरीके से नहीं किया जाता है और लोग स्वयं ही केमिस्ट के पास जाकर कोई भी एंटीबायोटिक आंखों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कुछ एंटीबायोटिक जो आंखों के ऑपरेशन के बाद इस्तेमाल किए जाते हैं, उनमें कुछ मात्रा में स्टेरॉयड भी मौजूद होते हैं, लेकिन इनका एक साथ इस्तेमाल होना हानिकारक हो सकता है, ऐसे में यदि इसे सही अवधि तक नहीं लिया जाए लिहाजा इनका इस्तेमाल अलग-अलग होना चाहिए और कोई भी एंटीबायोटिक को धीरे-धीरे नहीं बल्कि डॉक्टर द्वारा निर्धारित अवधि खत्म होने पर बंद कर देना चाहिए।