नीति आयोग की बैठक में सीएम त्रिवेन्द्र ने दिये ये अहम सुझाव

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की चतुर्थ बैठक आयोजित की गयी। बैठक में उत्तराखंड सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सुझाव देते हुये कहा कि राज्य के विकास में जलविद्युत की अहम भूमिका हो सकती है। जलविद्युत ऊर्जा को क्लीन ऊर्जा बताते हुये कहा कि स्वीकृत जलविद्युत परियोजनाओं को बंद किया जना राज्य के विकास के लिये उचित कदम नहीं है।

मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि पर्वतीय व पूर्वोत्तर राज्यों के लिए अलग से मंत्रालय का गठन किया जाना चाहिए। यदि ऐसा करना सम्भव न हो तो नीति आयेग में ‘पर्वतीय प्रकोष्ठ’ अवश्य स्थापित किया जाना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने वाले राज्यों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इसके लिए देश में ग्रीन एकाउंटिंग प्रणाली अपनाई जाए। मुख्यमंत्री ने आपदा की दृष्टि से अति संवदेनशील गांवों के विस्थापन में भारत सरकार से तकनीकी व वित्तीय सहयोग का भी अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री ने विभिन्न बिंदुओं पर विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि उत्तराखण्ड में प्रत्येक स्तर पर मॉनिटरिंग की जा रही है। मुख्यमंत्री मॉनीटरिंग डैशबोर्ड ‘‘उत्कर्ष‘‘ की स्थापना की गयी है। इस डैशबोर्ड के माध्यम से महत्वपूर्ण योजनाओं तथा कार्यक्रमों के परिणामों का अनुश्रवण सीधे मुख्यमंत्री के स्तर पर किया जा रहा है। योजनाओं तथा कार्यक्रमों के भौतिक व वित्तीय प्रगति की मॉनिटरिंग के लिए ई-आंकलन पोर्टल बनाया गया है। कोषागार व सभी आहरण-वितरण अधिकारियों को इससे जोड़ा गया है। विकास कार्यक्रमों में उपलब्धियों के अनुसार ही विभागीय उच्चाधिकारियों की सेवा पुस्तिका में वार्षिक मूल्यांकन अंकित किया जायेगा। विकास में जनसहभागिता हेतु हर वर्ग के साथ जन-संवाद की व्यवस्था प्रारम्भ की गयी है। सेवा के अधिकार कानून के अन्तर्गत 162 नई सेवायें और जोड़ी गई हैं। अब इसमें कुल 312 सेवाएं हो गई हैं। जन-शिकायतों के समाधान के लिए हेल्पलाइन 1905 प्रारम्भ हुई है।

मुख्यमंत्री ने कहा नीति आयेग की कार्यकारिणी परिषद की पिछली बैठक में प्रधानमंत्री जी द्वारा ऐजेण्डा-2022, जी0एस0टी0, ळमड , डिजिटल इण्डिया व सुशासन के क्षेत्र में विशेष कदम उठाने की अपेक्षा राज्य सरकारों से की गयी थी। राज्य सरकार ने पिछले एक वर्ष में विशेष ध्यान दिया है जिसके परिणाम भी दिख रहे हैं। संकल्प से सिद्धि के अन्तर्गत राज्य में 2020 के लिए महत्वपूर्ण लक्ष्य निर्धारित किये है जिनकी मॉनिटरिंग मुख्य सचिव द्वारा सचिव समिति में साप्ताहिक तौर से की जाती है। ळमड के अन्तर्गत इस वर्ष उत्तराखण्ड ने डवेज ब्वउचसपंदज ठनलमत का पुरस्कार प्राप्त किया है। जी0एस0टी0 के क्षेत्र में हमने ई-रिफण्डिंग, जी0एस0टी0 मित्र, 24×7 हैल्प डैस्क एवं जनपद स्तर पर कार्यशालाओं आदि की व्यवस्थायें की है ताकि कारोबार में सुगमता बनी रहे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम कर रही है। राज्य में एक लैंड होल्डिंग से वर्तमान में औसतन पचहत्तर हजार रूपये की कृषि आय अनुमानित है उसे वर्ष 2022 तक डेढ़ लाख रूपये किया जाना है। इसके लिए विश्वविद्यालयों एवं शोध संस्थानों की तकनीकी दक्षता का उपयोग किया जा रहा है। क्लस्टर आधारित कार्य योजनायें तैयार की जा रही हैं। प्रदेश की कुल 16 मैदानी मण्डियों को अभी तक ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार से जोड़ा जा चुका है। पर्वतीय मण्डियों को भी इससे जोड़ा जा रहा है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के अन्तर्गत वर्ष 2015-16 से 2016-17 तक के प्रथम चरण में 7.5 लाख के लक्ष्य के सापेक्ष 7.65 मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये गये थे। अगले चरण अर्थात् 2017-18 से 2018-19 तक कुल 9.12 लाख स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये जाने हैं। मृदा नमूना लेते समय जी0पी0एस0 रीडिंग भी ली जा रही है। समस्त सूचनाओं को राष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल पर अपलोड भी किया जा रहा है। ग्रामीण हाटों को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक न्याय पंचायत में ग्रोथ सेन्टर विकसित किया जायेगा। प्रथम चरण में 50 न्याय पंचायतें चयनित की गई हैं।

मुख्यमंत्री ने बताया कि नदियों को पुनर्जीवित व सदानीरा बनाने के लिए ‘‘जल संचय अभियान’’ के अन्तर्गत जलाशय,जल कुण्ड ट्रेंच, चौक डैम बनाये जा रहे है। कोसी नदी (कुमाऊँ) एवं रिस्पना नदी (देहरादून) के जल संग्रहण क्षेत्र में जन सहभागिता के साथ वृहद् वृक्षारोपण अभियान जुलाई में प्रस्तावित है। मनरेगा में पिछले वित्तीय वर्ष में रू0 786 करोड़ का शत-प्रतिशत उपयोग किया तथा 182 लाख मानव दिवस के सृजन के लक्ष्य से भी अधिक 223 लाख मानव दिवसों का सृजन किया। मनरेगा के अन्तर्गत हमने पिछले वर्ष 2500 फार्म पोण्ड तथा 1000 पारम्परिक जल सं्रोतों का संवर्धन किया किया गया।

‘‘आयुष्मान भारत’’ के अन्तर्गत समस्त उपकेन्द्रों को हैल्थ एण्ड वैलनेस सेन्टर मे उच्चीकृत किया जा रहा है। प्रत्येक सेन्टर में हैल्थ प्रोवाइडर नियुक्त करने हेतु ‘‘ब्रिज प्रोग्राम इन कम्यूनिटी हैल्थ’’ कोर्स प्रारम्भ किया गया है। सुदूर पर्वतीय एवं दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले निवासियों को टेली मेडिसिन एवं टेली-रैडियोलॉजी सेवायें यथा, एक्स-रे, सी0टी0 स्कैन, एम0आर0आइ0 एवं मेमोग्राफी की सुविधायें उपलब्ध करायी जा रही है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन के अन्तर्गत पांच लाख अड़तीस हजार परिवार चयनित किये गये हैं।

राष्ट्रीय पोषण मिशन के प्रथम चरण में 4 चिन्ह्ति जनपदों के 36 परियोजनाओं के अन्तर्गत 7396 आगनवाड़ी केन्द्रों में लगभग एक हजार अतिकुपोषित, 15 हजार कुपोषित तथा एक लाख गर्भवती धात्री महिलाओं को लाभान्वित किया गया। स्थानीय खाद्यानों से ही निर्मित पोष्टिक आहार ‘‘ऊर्जा’’ वितरित किया जा रहा है। मिशन इन्द्रधनुष के अन्तर्गत वर्ष 2017-18 में हमने 1 लाख 70 हजार बच्चों को प्रतिरक्षित किया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से राज्य में माइक्रो प्लानिंग की जा रही है।