चार धाम तीर्थ पुरोहितों ने मुख्यमंत्री से भेंट कर देवस्थानम बोर्ड को भंग करते हुए पूर्व की स्थिति को बहाल करने की मांग की है।
चारधाम तीर्थ पुरोहित हकहकूकधारी महापंचायत के अध्यक्ष कृष्ण कांन्त कोठियाल के नेतृत्व मंे उत्तराखंण्ड के चारों धामों के तीर्थ पुरोहितांे व हकहकूकधारी समाज के प्रतिनिधियों ने नव नियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से मुलाकात कर उन्हें 27 नवबंर 20219 को पारित किए गए चारधाम देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड की विस्तार से जानकारी दी। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से कहा कि इस अधिनियम के माध्यम से सरकार की मंशा चारों धामों व तीर्थांे की संपूर्ण व्यवस्था अपने हाथों पर लेने की है, जो कदापि उचित नहीं है। तीर्थपरोहितांे ने स्पष्ट किया कि इस अधिनियम के आने के बाद जो भ्रम व विवाद की स्थिति पैदा हुई उसके लिए केवल और केवल सरकार जिम्मेदार है, क्यांेकि सरकार द्वारा विधेयक लाने से पूर्व धामों से जुडे रावल, पुजारी, तीर्थपुरोहित, पंडा समाज व हकहकूकधारी समाज के साथ ही स्थानीय जनमानस से किसी प्रकार का संवाद नही किया गया और कैबनेट से पास कर विधानसभा से पारित करा लिया गया।
मुख्यमंत्री से वार्ता के दौरान यह भी कहा गया है कि सरकार इन तीर्थो एंव मंन्दिरों के लिए बाला जी एंव वैष्णों देवी माॅडल लेकर आई है जो शास्त्र सम्मत नही है, यह विधेयक न केवल उत्तराखंण्ड के चारोधामों के तीर्थपुरोहितों, हकहकूकधारी समाज व स्थानीय जनमानस की भावनाओं के विरूद्ध है ब्लकि कोरोडो हिन्दुओं की आस्थाओं व विश्वास पर भी आघात करता है, और भारतीय संविधान मे प्रदत धर्म संबधित मौलिक अधिकारों को भी बाधित करता हेै। इसलिए अविलम्ब देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड को भंग करते हुए 27नवबंर 2019 से पूर्व की स्थिति को वहाल किया जाय। तीर्थपुरोहितों ने इस आशय का ज्ञापन भी मुख्यमंत्री को सौपा।
मुख्यमंत्री से भेंट करने वाले शिष्टमंडल मे अध्यक्ष कृष्ण कांन्त कोठियाल के अलावा महापंचायत के महामंत्री हरीश डिमरी, केदारसभा केदारनाथ के महामंत्री कुबेर नाथ पोस्ती, पंडा पंचायत यमनोत्री के अध्यक्ष पुरूषोत्तम उनियाल, गंगोत्री पंचायत के पूर्व अध्यक्ष संजीव सेमवाल, पुजारी मुकेश सेमवाल, महापचंायत के कोषाध्यक्ष लक्ष्मी प्रसाद जुगडाणं व ब्रहमकपाल तीर्थपुरोहित आचार्य नरेशानन्द नौटियाल आदि शामिल थे। महापंचायत के महामंत्री हरीश डिमरी के अनुसार इस मामले मे मुख्यमंत्री का रूख बेहद सकारात्म था और उन्है उम्मीद है कि मुख्यमंत्री देवस्थानम बोर्ड पर चारोधामों की तीर्थपुरोहितो व हकहकूक समाज व स्थानीय जनमानस की भावनाओं के अनुरूप निर्णय लेगे।