टाइफाइड मरीजों की बढ़ रही संख्या

एक माह में हजार से अधिक मरीजों में टाइफाइड की हो चुकी पुष्टि

ऋषिकेश।
गुरुवार को सरकारी अस्पताल की ओपीडी में 510 मरीजों ने पंजीकरण कराया। 29 मरीजों में डेंगू की आशंका के चलते ब्लड जांच की गई, जिसमें से एक मरीज पॉजीटिव मिला। 49 मरीजों में टाइफाइड की जांच की गई, जिसमें से 12 पीड़ित मिले। गौरतलब है कि टाइफाइड के मामले लगातार बढ़ रहे है। सरकारी व प्राइवेट अस्पताल में इन दिनों डेंगू व चिकनगुनिया के साथ ही टाइफाइड के मरीज भी अधिक संख्या में आ रहे है। फिजिशियन डॉ. महेश सैनी ने बताया कि इन दिनों टाइफाइड के मरीज बढ़ रहे है।

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टाइफाइड दूषित खाने पीने से लीवर संक्रमण के चलते होता है। डॉ. सैनी ने बताया कि इसे आंतों का बुखार भी कहा जाता है। इसमें सुबह शाम बुखार आता है और शरीर में कमजोरी रहती है। बताया कि लापरवाही होने पर पीलिया होने का खतरा भी बना रहता है। उन्होंने मरीज को टाइफाइड में दवा सेवन के साथ ही आराम करने की सलाह दी। नगर संक्रामक रोग नियंत्रक एसएस यादव ने बताया कि गुरुवार को 29 मरीजों की जांच की गई, जिसमें से एक मरीज डेंगू से पीड़ित मिला।

ऋषिकेश पालिका के 55 कर्मचारी बीमार, सफाई पर संकट

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ऋषिकेश की चंद्रेश्वरनगर, सर्वहारा नगर, वाल्मीकि बस्ती, बनखंडी, शांति नगर में क्षेत्र में वायरल फीवर तेजी से फैल रहा है। कुछ इलाकों में टाइफाइड पीड़ित मरीज भी बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं। वाल्मीकि बस्ती सबसे ज्यादा प्रभावित है। यहां आधी आबादी बुखार की चपेट में है। कई परिवार ऐसे हैं, जिनके घर के लगभग सभी सदस्य वायरल की चपेट में आ गए हैं। यही वजह है कि इन इलाकों में रहने वाले नगर पालिका ऋषिकेश के 55 सफाई कर्मचारी भी बीमार पड़ गए हैं। सभी कर्मचारी बीमार होने पर चिकित्सा अवकाश पर चल रहे हैं।

तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर कुछ कर्मचारी जहां सरकारी अस्पताल में भर्ती हैं। वहीं कुछ प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं। पालिका के तीन सफाई नायक (हवलदार) भी टाइफाइड से पीड़ित हैं। सफाई कर्मचारियों के बीमार होने से नगर की सफाई व्यवस्था के लिए पालिका प्रशासन को मशक्कत करनी पड़ रही है। चिंता इस बात की है कि अगर और कर्मचारी बीमार पड़े तो नगर की पूरी सफाई व्यवस्था चरमरा जाएगी। इसका असर शहरवासियों की सेहत पर पड़ सकता है।

क्लोरिन मिलाने में कंजूसी भी बड़ा कारण
ऋषिकेश। नगर के कई इलाकों में पानी की पुरानी लाइन होने के कारण लीकेज की समस्या बढ़ जाती है। घरों में आने वाला पानी पूरी तरह पीने योग्य नहीं होता है। बारिश के दिनों में दूषित पानी से बचने के लिए पानी में नियमित क्लोरिन डालना जरूरी है। लेकिन जल संस्थान अपनी जिम्मेदारी से बच रहा है।