स्विटजरलैंड के सहयोग से भारत में टिल्टिंग ट्रेन चलाने की योजना बन रही है। ये ट्रेन घुमावदार रास्तों में अपने आप ही मोटर बाइक की तरह झुक जाएगी। ट्रेन के अपने आप झुकने से यात्रियों को सहूलियत होगी। इस संबंध में भारत सरकार ने स्विट्जरलैंड सरकार के साथ समझौता किया।
टिल्टिंग ट्रेन अभी सिर्फ दुनिया के 11 देशों में चल रही है। टिल्टिंग ट्रेन अभी इटली, पुर्तगाल, स्लोवेनिया, फिनलैंड, रूस, चेक गणराज्य, ब्रिटेन, स्विटजरलैंड, चीन जर्मनी और रूमानिया में है।
एक अधिकारी ने मीडिया को जानकारी दी कि ट्रेन जब तेज घुमाव या ढाल से गुजरती है कि तो ट्रेन घुमाव के विपरीत दिशा में झुक जाती है। इससे यात्रियों को का बैलेंस बना रहता है, उन्हें झुकना नहीं पड़ता। जैसे कि ट्रेन बाईं ओर मुड़ेगी तो अपने आप ही बाईं ओर कुछ उठ जाएगी।
रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ऐसी ट्रेनें चलाने के बारे में दोनों देशों में समझौता हो चुका है। इस समझौते का लक्ष्य ट्रैक्शन रोलिंग स्टॉक, ईएमयू एवं ट्रेन सेट, ट्रैक्शन प्रणोदन उपकरण, माल और यात्री कारें, टिलटिंग ट्रेन, रेलवे विद्युतीकरण उपकरण आदि क्षेत्रों में सहयोग करना है।
गोवा में विकसित होगी तकनीक
दूसरे समझौते में कोंकण रेलवे कार्पोरेशन लिमिटेड और स्विट्जरलैंड की कंपनी स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के बीच हुआ तो गोवा में स्घ्थापित सुरंग बनाने वाली तकनीकी संस्थान के विकास में मदद मिलेगी।
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