शहीद मनीष थापा की मूर्ति पर माल्यार्पण कर दी श्रद्धांजलि

कारगिल विजय दिवस के अवसर पर कैबिनेट मंत्री व क्षेत्रीय विधायक डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने अमर शहीद मनीष थापा का स्मरण किया। इस मौके पर शहीद मनीष थापा की मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित की। साथ ही अंबेडकर पार्क में शहीद मनीष थापा की याद में पौधा रोपित किया।
मंगलवार को रेलवे रोड स्थित कारगिल शहीद मनीष थापा की मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित कर डा. अग्रवाल ने कहा कि भारत के शूरवीरों ने दुश्मन के पांव पीछे खींचने पर मजबूर कर दिया था। कहा कि 26 जुलाई को 1999 को तीर्थनगरी के मनीष थापा ने अपने अन्य साथियों के साथ ऑपरेशन विजय को सफलतापूर्वक अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई। कहा कि देश की जनता के लिए कारगिल दिवस सिर्फ दिवस नहीं, बल्कि भारत के शूरवीरों की स्मृति में शौर्य दिवस के रूप में है। कहा कि यह दिवस उन शहीदों को याद कर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करने का है, जिन्होंने हंसते-हंसते भारत मां की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
डा. अग्रवाल ने कहा कि कारगिल विजय दिवस उनके लिए समर्पित हैं, जिन्होंने हमारे भविष्य के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया। इस मौके पर अंबेडकर पार्क में अमर शहीद मनीष थापा की स्मृति पर पौधारोपण किया गया।
इस मौके पर कारगिल शहीद मनीष थापा के बड़े भाई मनोज थापा ने बताया कि मनीष ब्रावो कंपनी, गोरखा राइफल्स की थर्ड बटालियन में बतौर राइफलमैन के पद पर तैनात था। 9 नवंबर 1999 को जम्मू कश्मीर के तंगधार में मात्र 22 वर्ष की अल्प आयु में वह शहीद हो गए।
शहीद मनीष थापा को श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल, शहीद मनीष थापा की भतीजी मानवी, हर्षिता, मंडल अध्यक्ष भाजपा दिनेश सती, महामंत्री सुमित पंवार, मुख्य नगर आयुक्त राहुल गोयल, सफाई निरीक्षक धीरेंद्र सेमवाल, संजय शास्त्री, पार्षद शिव कुमार गौतम, प्रदीप कोहली, गोपाल सती, अनिता तिवारी, कविता शाह, राजू नरसिम्हा, दीपक बिष्ट, राजेश दिवाकर, सरदार सतीश सिंह आदि उपस्थित रहे।

भारतीय सेना ने कारगिल में अदम्य साहस और वीरता का प्रदर्शन किया-धामी

कारगिल विजय दिवस (शौर्य दिवस) पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गांधी पार्क में आयोजित कार्यक्रम में शहीद स्मारक पर कारगिल शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने कारगिल शहीदों के परिवारजनों को भी सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कारगिल लड़ाई में माँ भारती की रक्षा के लिये हमारे वीर जवानों ने पराक्रम की नई परिभाषा लिखी। मुख्यमंत्री ने कहा कि कारगिल में भारत के रणबांकुरों का दुश्मन के खिलाफ किया गया सिंहनाद… 1999 से लेकर आज तक उसी वेग से गूंज रहा है भारतीय सेना के अदम्य साहस और वीरता ने दुश्मन को एक बार फिर ये बतला दिया था कि उसके रहते हुए, तिरंगे की आन-बान और शान में रत्ती भर की भी कमी नहीं आ सकती।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय सैनिकों ने कारगिल युद्ध में जिस प्रकार की विपरीत परिस्थितियों में वीरता का परिचय देते हुए घुसपैठियों को सीमा पार खदेड़ा, उससे पूरे विश्व ने भारतीय सेना का लोहा माना। कारगिल युद्ध में देश की सीमाओं की रक्षा के लिए वीर सैनिकों के बलिदान को राष्ट्र हमेशा याद रखेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कारगिल की यह विजय गाथा भी उत्तराखंड के वीरों के बिना अधूरी है और अपने 75 सपूतों का बलिदान… ये वीर भूमि कभी नहीं भुलाएगी। जिस सांस्कृतिक परिवेश और विचारों ने हम सभी को पोषित किया है, उस संस्कृति में मान्यता है कि देशभक्ति सभी प्रकार की भक्तियों में सर्वश्रेष्ठ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं तो स्वयं एक सैनिक परिवार से आता हूं और सेना के साथ मेरा रिश्ता आत्मीयता का रिश्ता है। अपने पिता जी से सुनी सैन्य वीरों की गाथाओं ने मुझे बचपन से ही बहुत प्रभावित किया और मेरे अंदर राष्ट्र के प्रति संपूर्ण समर्पण की भावना को जागृत किया। मैंने बचपन से ही एक सैनिक और उसके परिवार के संघर्ष को देखा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कारगिल युद्ध के समय अटल बिहारी वाजपेयी जी प्रधानमंत्री थे। हमने युद्ध भी जीता और वैश्विक स्तर पर कूटनीति में भी जीते। अटल जी ने शहीदों का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गाँव में राजकीय सम्मान के साथ करने की व्यवस्था की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से सेना ना केवल पहले से और अधिक सक्षम और सशक्त हो रही है बल्कि उसकी यश और कीर्ति भी बढ़ रही है। हमारी सरकार जहां एक तरफ सेना के आधुनिकीकरण पर बल दे रही है तो वहीं सैनिकों और उनके परिवारों को मिलने वाली सुविधाओं को भी बढ़ा रही है।प्रधानमंत्री जी निरंतर सैनिकों के साहस और मनोबल को बढ़ा रहे हैं और यही कारण है कि सेना आज गोली का जवाब गोले से दे रही है।
भारत सरकार हर स्तर पर सेना को सदृढ़ करने का कार्य का रही है और इसी कड़ी में अग्निपथ जैसी बहुमुखी योजना को भी लागू किया गया है। इस योजना को युवाओं ने अपना अभूतपूर्व समर्थन दिया है और सेना को रिकॉर्ड संख्या में आवेदन प्राप्त हुए हैं। ये उत्साह दिखाता है कि हमारी युवा पीढ़ी ना केवल राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित है बल्कि राष्ट्र निर्माण के लिए भी पूरी तरह से सजग है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समय देश अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और इस अमृतकाल में हमारे सामने नए लक्ष्य, नए संकल्प और कई चुनौतियां हैं। इस समय हमें अपने लक्ष्यों को तय कर इनकी सिद्धि का संकल्प लेना है और इस सिद्धि के मार्ग में आने वाली चुनौतियों को दूर करना है।
हमारा देश जिस विकास यात्रा पर आगे बढ़ रहा है इस यात्रा में उत्तराखंड एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाना है। विकास की यात्रा हम सभी की सामूहिक यात्रा है। सभी को मिलकर विकास का संकल्प लेना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पूर्व सैनिकों, शहीद सैनिकों के आश्रितों के कल्याण के प्रति वचनबद्ध है। शहीद सैनिकों के परिवार के एक सदस्य को उसकी योग्यता अनुसार सरकार द्वारा सेवायोजित किया जा रहा है।
उत्तराखण्ड सरकार द्वारा राज्य के वीरता पदक से अलंकृत सैनिकों को दी जाने वाली एकमुश्त तथा वार्षिकी में अभूतपूर्व वृद्धि की गई है। परमवीर चक्र विजेता को 30 लाख से 50 लाख, अशोक चक्र 30 लाख से 50 लाख, महावीर चक्र 20 लाख से 35 लाख, कीर्ति चक्र 20 लाख से 35 लाख, वीर चक्र और शौर्य चक्र 15 से 25 लाख और सेना गेलेन्ट्री मेडल 7 लाख से 15 लाख करने को मंजूरी दी गई है।
देहरादून के गुनियाल गांव में 04 हेक्टेयर भूमि पर प्रदेश के शहीदों की स्मृति में अत्याधुनिक एवं समस्त सुविधाओं युक्त ’शौर्य स्थल (सैन्य धाम) का निर्माण किया जा रहा है जिसमे प्रदेश के समस्त शहीदों के नाम अंकित किये जायेंगें। निर्माण कार्य दिसंबर 2023 में पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। विभिन्न युद्धों, सीमान्त झड़पों तथा आंतरिक सुरक्षा में शहीद हुये सैनिकों की विधवाओं/आश्रितों को एकमुश्त 10,000,00/- (रूपये दस लाख) का अनुग्रह अनुदान अनुमन्य किया गया है।
उत्तराखण्ड सरकार द्वारा युद्ध विधवा/युद्ध अपंग सैनिकों को ₹ (रूपये दो लाख) की आवासीय सहायता प्रदान की जाती है। उत्तराखण्ड इस प्रकार की सुविधा प्रदान करने वाले चुनिन्दा राज्यों में एक है जहाँ सेवारत/पूर्व सैनिकों को 25 लाख मूल्य के स्थावर सम्पत्ति के खरीद पर स्टाम्प ड्यूटी में 25 प्रतिशत की छूट अनुमन्य की गयी है।
उत्तराखण्ड इस प्रकार की नियुक्ति करने वाला एकमात्र राज्य है जहाँ भूतपूर्व सैनिकों में से ब्लाक प्रतिनिधियों की नियुक्ति कर उन्हें मानदेय दिया जा रहा है। इनका मानदेय रू0 8000/- प्रतिमाह किया गया है। इनका मुख्य कार्य अपने क्षेत्र के सेवानिवृत सैनिकों तथा सैनिक विधवाओं से सम्पर्क कर उनकी समस्याओं को सुलझाना है और उनको सभी मिलने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी देना भी है।
उत्तराखण्ड के दूर-दराज के जिलों में निवास कर रहे पूर्व सैनिकों, विधवाओं के आश्रितों को सेना/अर्द्ध सैनिक बल एवं पुलिस भर्ती हेतु प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध करवा रहे हैं। प्रदेश में इस प्रकार के दो प्रशिक्षण केन्द्र देहरादून तथा टनकपुर (चम्पावत) में खोले गये हैं उत्तराखण्ड देश में इस प्रकार की सुविधा प्रदान करने वाला पहला प्रदेश है।
उत्तराखण्ड सैनिक विधवाओं की पुत्री एवं पूर्व सैनिकों की अनाथ पुत्रियों के विवाह हेतु एक लाख रूपये का अनुदान दिया जाता है। सैनिक विधवाओं के पुनर्विवाह हेतु एक लाख रूपये का अनुदान दिया जाता है। पूर्व सैनिकों तथा सैनिक विधवाओं के बच्चों को कक्षा 1 से स्नातकोत्तर/व्यावसायिक शिक्षा हेतु छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।
राज्य सरकार द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध की युद्ध विधवाओं एवं आश्रितों को राज्य सरकार की ओर से दी जाने वाली पेंशन की धनराशि को 8000 रू. प्रतिमाह से बढ़ाकर 10,000 प्रतिमाह किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संघ लोक सेवा आयोग, एनडीए, सीडीएस और उनके समकक्ष लिखित परीक्षा पास करने वाले राज्य के अभ्यर्थी को साक्षात्कार की तैयारी के लिए 50 हजार रूपये की सहायता दी जा रही है। सरकार द्वारा आगे आने वाले समय में भी सेवारत सैनिकों/पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों के हितों के लिए निरन्तर प्रयास जारी रहेंगे।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने भी अपने सम्बोधन में कारगिल शहीदों को नमन करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड देवभूमि के साथ वीर भूमि भी है।
कार्यक्रम में देहरादून के मेयर सुनील उनियाल गामा, सचिव सैनिक कल्याण दीपेंद्र चौधरी, ब्रिगेडियर दिनेश बडोला, मेजर जनरल संजय शर्मा, मेजर जनरल अमरदीप भारद्वाज, मेजर जनरल जी एस रावत, बड़ी संख्या में पूर्व सैन्य अधिकारी, पूर्व सैनिक और शहीदों के परिवार जन उपस्थित रहे।

देश के लिये अपने प्राण न्यौछावर करने वाले वीर सैनिकों को अर्पित की श्रद्धांजलि

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कारगिल विजय दिवस के अवसर पर भारतीय सेना के अदम्य साहस व शौर्य को नमन करते हुए देश के लिये अपने प्राण न्यौछावर करने वाले वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की है।
कारगिल विजय दिवस की पूर्व संध्या पर जारी अपने संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में भी देश के लिये बलिदान की परम्परा रही है। कारगिल युद्ध में बड़ी संख्या में उत्तराखण्ड के सपूतों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुती दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सैनिकों, पूर्व सैनिकों एवं उनके परिजनों के कल्याण के लिये वचनबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की सेना ने अपने शौर्य और पराक्रम से हमेशा देश का मान बढ़ाया है। हमें अपने जवानों की वीरता पर गर्व है। भारतीय सेना के अदम्य साहस व शौर्य का लोहा पूरी दुनिया मानती है।
भारतीय सेना के वीर जवानों ने कारगिल में विपरीत परिस्थितियों में भी दुश्मन को भागने पर मजबूर किया था। कारगिल युद्ध में देश की सीमाओं की रक्षा के लिए वीर सैनिकों के बलिदान को राष्ट्र हमेशा याद रखेगा।

देश को आगे बढ़ाने में युवाओं की अहम भूमिका होती हैः सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम को सुना। उन्होंने कहा कि मन की बात कार्यक्रम लोगों को नए कार्य करने एवं समाज के लिए अनेक कार्य करने की प्रेरणा देता है। इस कार्यक्रम के माध्यम से देश में अनेक क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वालों से लोगों को भी प्रेरणा मिलती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मन की बात के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वोकल फॉर लोकल को आगे बढ़ाने, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए हैंडलूम एवं अन्य स्थानीय उत्पादों की खरीद पर बल दिया। 15 अगस्त 2022 को देश आजादी के 75 वर्ष पूर्ण कर रहा है। आजादी के 75 वर्ष के उपलक्ष्य में 12 मार्च से देश में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। अमृत महोत्सव सम्पूर्ण देशवासियों का कार्यक्रम है। यह समय देश की आजादी के लिए बलिदान देने वाले वीर सपूतों को श्रद्धांजलि देने का है। प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में कारगिल विजय दिवस का भी जिक्र किया। कारगिल विजय हमारे सैनिकों के शौर्य एवं पराक्रम का जीता जागता उदाहरण है। कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के अनेक वीर जवानों ने देश की रक्षा के लिए अपनी शहादत दी। 26 जुलाई 1999 का दिन भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि देश को आगे बढ़ाने में युवाओं की अहम भूमिका होती है। प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में इस बात का भी जिक्र किया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से अधिकांश सुझाव युवाओं के प्राप्त हो रहे हैं। युवाओं की सक्रियता एवं सुझावों की वजह से यह कार्यक्रम काफी सफल रहा है। टोक्यो ओलंपिक में प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ियों का हौंसला बढ़ाने के लिए भी मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया। प्रधानमंत्री की अपील पर मुख्यमंत्री ने सभी को कोरोना की गाइडलाइन का पालन करने की अपील की है।