मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने जनपद पौड़ी में ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के कार्यालय भवन का उद्घाटन किया। इसके बाद मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की पहली बैठक आयोजित हुई। मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पलायन आयोग के गठन का मुख्य उद्देष्य ग्रामीण क्षेत्रों का विकास कर पलायन को रोकना है और आयोग के गठन के बाद हम इसमें सफल होंगे। उन्होंने कहा कि जो गांव पलायन के कारण खाली हुए हैं और जिन गांव में रिवर्स माइग्रेषन हुआ है, इसका भी अध्ययन किया जाए। राज्य सरकार ने स्कूलों में एनसीईआरटी की पुस्तकों को लागू किया है इसका माइग्रेषन पर क्या असर हुआ, अध्ययन में इस बात को भी जोड़ा जाए।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि हम अपनी न्याय पंचायतों को ग्रोथ सेंटर के रूप में विकसित कर रहे हैं, इससे राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में रिवर्स माइग्रेषन शुरू होगा। उन्होंने कहा कि हमें अपने-अपने क्षेत्र की विषेषताओं पर भी ध्यान देना होगा। जैसे कीर्तिनगर, टिहरी गढ़वाल के पास के क्षेत्र में मैंगो जिंजर बहुत अच्छी मात्रा में उत्पादित होता है, टौंस वैली में टमाटर की अच्छी पैदावार होती है, इसको प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। ऐसी फसलों का उत्पादन किया जाना चाहिए। जिन्हें जंगली पषु नुकसान ना पहुंचा पाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें माइग्रेषन के प्रकार और उसके कारणों की जांच पर ध्यान देना होगा। स्थानीय माइग्रेषन किन कारणों से हो रहा है, इस पर भी ध्यान देने की आवष्यकता है। वहां पर ऐसी कौन-कौन सी अवस्थापना सुविधाओं की कमी है इसका भी अध्ययन होना चाहिए।