रुद्रप्रयाग।
तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट पौराणिक परम्पराओ, रीति-रिवाजों व पंचाग गणना के अनुसार शीतकालीन के लिए बन्द कर दिये गये। इस मौके पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने तुंगनाथपुरी पहुंचकर भगवान तुंगनाथ का जलाभिषेक किया।
रविवार को दोपहर 11 बजे मठापति रामप्रसाद मैठाणी, वेदपाठी व हक-हकूकधारियों ने वैदिक मंत्रोच्चारणों, स्थानीय वाद्य यंत्रो की मधुर धुनों के साथ भगवान तुंगनाथ का रुद्राभिषेक व दान किया तथा भृगराज, ब्रह्मकमल, चन्दन, भष्म, अक्षत्र, फल, फलों से भगवान तुंगनाथ के स्ंवयभू लिंग को समाधि दी। समाधि देते ही भगवान तुंगनाथ छः माह शीतकाल के लिए तपस्यारत हो गए। ठीक 12 बजकर बीस मिनट पर तुंगनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बन्द किये गये। हक-हकूकधारियों व पुजारियों ने भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव मूतियांं को डोली में विराजमान कर वस्त्रों व फूलों से सजाया। डोली के साथ चलने वाले देवी-देवताओं के निशानों ने भगवान तुंगनाथ के मुख्य मन्दिर, भूतनाथ, भैरवनाथ, पंच केदार,, पार्वती, रुद्रनाथ मन्दिरों की तीन परिक्रमा की और भोगमण्डी, कार्यकाल कर्मचारियों के आवास व अपने भंण्डारों मे लगे शील व तालों तथा अपने तांबे के बर्तनों की गहनता से जांच की। इसके बाद चल विग्रह उत्सव डोली धाम से प्रस्थान कर सुरम्य मखमली बुग्यालों का भ्रमण कर प्रथम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंची। आज भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली ने चोपता से प्रस्थान कर विभिन्न यात्रों पडावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुये अन्तिम रात्रि प्रवास भनकुण्ड में करेगी और नौ नवम्बर को भनकुण्ड से प्रस्थान कर विभिन्न यात्रा पडावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुये शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ पहुंचकर छः माह शीतकाल के लिए विराजमान होगी। इस मौके पर केदारनाथ के प्रधान पुजार शिवशंकर लिंग, पूर्व विधायक आशा नौटियाल, उद्योगपति केएस पंवार, प्रबन्धक प्रकाश पुरोहित सहित कई श्रद्धालु मौजूद थे।