सीएम त्रिवेंद्र के समक्ष उन्नत प्रजाति की आस्ट्रेलियन टीक एवं काली मिर्च के पौधों की खेती की हुई प्रस्तुति

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के समक्ष सचिवालय में राज्य में उन्नत प्रजाति के आस्ट्रेलियन टीक एवं काली मिर्च के पौधों की खेती के प्रोत्साहन हेतु प्रस्तुतीकरण दिया गया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि किसानों की आर्थिकी को बढ़ाने में आस्ट्रेलियन टीक एवं काली मिर्च की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। राज्य में इसको बढ़ावा देने के लिए और क्या प्रयास हो सकते हैं, इस ओर ध्यान दिया जाय। इसका बहुआयामी उपयोग किस तरह किया जा सकता है, इसकी भी जानकारी दी जाय।

आस्ट्रेलियन टीक एवं काली मिर्च खेती को बढ़ावा देने के लिये इस क्षेत्र में कार्य कर रहे छत्तीसगढ़ के विशेषज्ञ कृषक डॉ. राजाराम त्रिपाठी एवं ग्राम्य विकास एवं पंचायतीराज संस्थान रूद्रपुर के अधिशासी निदेशक हरीश चन्द्र काण्डपाल ने प्रस्तुतीकरण दिया। राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि आस्ट्रेलियन टीक एवं काली मिर्च खेती उत्तराखण्ड में गेम चेंजर हो सकती है। इस खेती में मेहनत भी कम है और अधिक आमदनी अर्जित की जा सकती है। राज्य में इस क्षेत्र में कार्य करने की पर्याप्त संभावनाएं हैं। रूद्रपुर में ग्राम्य विकास एवं पंचायतीराज संस्थान द्वारा आस्ट्रेलियन टीक एवं काली मिर्च की खेती की शुरूआत की गई है, इसके अच्छे परिणाम दिखाई दे रहे हैं।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार, सचिव हरबंस सिंह चुघ, अपर सचिव वन्दना, निदेशक सगंध पौध केन्द्र डॉ. नृपेन्द्र चैहान एवं सबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

सीएम स्वरोजगार योजना के तहत रोजगार सृजन को प्रतिमाह होगी समीक्षा


मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पशुपालन एवं मत्स्य विभाग की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि सीएम स्वरोजगार योजना के तहत पशुपालन विभाग द्वारा रोजगार सृजन के लिए किये जा रहे कार्यों की प्रतिमाह स्टेट लेबल पर समीक्षा की जाय। कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य के क्षेत्र में रोजगार की अनेक संभावनाएं हैं। इसके लिए विभाग द्वारा किये जा रहे विभिन्न कार्यों एवं सरकार की योजनाओं के बारे में लोगों को जागरूक किया जाय। ऊन उत्पादन से पशुपालकों की आय में कैसे वृद्धि की जा सकती है और इसके अच्छे इस्तेमाल के लिए वैल्यू एडिशन की दिशा में विशेष ध्यान दिया जाय। पोल्ट्री, दुग्ध उत्पादन, ऊन उत्पादन आदि क्षेत्रों में किन जनपदों में अच्छा कार्य किया जा रहा है और किन जनपदों को और कार्य करने की जरूरत है, इसकी नियमित निगरानी की जाय। कृषकों एवं पशुपालकों को वार्षिक आय वृद्धि के लिए विभाग द्वारा प्रयास किये जाय। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पशुपालन विभाग के टोल फ्री नम्बर 1800-120-8862 का शुभारम्भ किया।

पशुपालकों की आय में वृद्धि के लिए कॉपरेटिव बनाया जाए
मुख्यमंत्री ने कहा कि पशुपालकों की आय में वृद्धि के लिए कॉपरेटिव बनाये जाय। जिससे पशुपालक दुग्ध उत्पादन और उसकी मार्केटिंग का कार्य करेंगे तो उनके शुद्ध लाभ में वृद्धि होगी। दुग्ध और उससे बनने वाले उत्पादों के लिए ग्रोथ सेंटर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, इसके लिए विशेष प्रयासों की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि महिलाओं के सिर से घास का बोझ हटे, इस दिशा में पशुपालन विभाग को ध्यान देने की जरूरत है। सालभर में कई दुर्घटनाएं घास लाते समय गिरने एवं जंगली जानवरों की वजह से हो जाती हैं। दुधारू पशुओं के लिए पर्याप्त आहार की व्यवस्था घरों तक कैसे हो सकती है, इसकी व्यवस्था की जाय। उत्तराखण्ड में महिलाएं हर दिशा में अच्छा कार्य कर रही हैं, उनको कौशल विकास की अन्य गतिविधियों से जोड़ा जाय, तो और अच्छा परिणाम मिलेगा।

राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत 17.34 लाख पशुओं का टीकाकरण किया गया
बैठक में जानकारी दी गई कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत पशुपालन विभाग द्वारा 523 लाभार्थियों को ऋण उपलब्ध कराया गया है। पर्वतीय राज्यों में दुग्ध उत्पादन में उत्तराखण्ड का दूसरा स्थान है। राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत 17.34 लाख पशुओं का टीकाकरण किया गया है। राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत वर्ष 2020-21 हेतु केन्द्र सरकार द्वारा 16 करोड़ 80 लाख की धनराशि अवमुक्त की गई है। पशुधन बीमा योजना के तहत 77 हजार से अधिक पशुओं को बीमा किया गया है। खुरपका एवं मुंहपका रोग को 2025 तक समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।

फिशरीज के लिए फण्डिंग बढ़ाई जाय
मत्स्य विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने निर्देश दिये कि मत्स्य पालन के क्षेत्र में कार्य करने के लिए लोग रूचि दिखा रहे हैं। इसमें कम खर्चे पर अधिक लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि फिशरीज के लिए फण्डिंग बढ़ाई जाय। ट्राउट फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाय। मत्स्य पालन में कम लागत में अच्छी इनकम अर्जित की जा सकती है। इसके लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाय।

बैठक में जानकारी दी गई कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत 43.10 करोड़ के प्रोजेक्ट के संचालन की स्वीकृति प्राप्त हुई है। 03 करोड़ रूपये की धनराशि अवमुक्त हो चुकी है। राज्य समेकित सहकारिता विकास परियोजना के अन्तर्गत मात्स्यिकी विकास हेतु कुल 164 करोड़ रूपये स्वीकृत हुए हैं। ट्राउट फार्मिंग हेतु चमोली, रूद्रप्रयाग, टिहरी, उत्तरकाशी, बागेश्वर एवं पिथौरागढ़ जनपदों का चयन किया गया है। राज्य समेकित सहकारिता विकास परियोजना के अन्तर्गत मत्स्य के क्षेत्र में 3200 से अधिक लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है।

इस अवसर पर पशुपालन मंत्री रेखा आर्या, मुख्य सचिव ओम प्रकाश, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, एचसी सेमवाल, अपर सचिव डॉ वी. षणमुगम, विशेष सचिव मुख्यमंत्री डॉ. पराग मधुकर धकाते, पशुपालन एवं मत्स्य विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।