राज्य में बालिका शिक्षा और स्मार्ट स्कूलों पर विशेष ध्यान दिया जाएः धामी

शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार के लिए समेकित प्रयास किए जाएं। पहली, छठी तथा नवीं कक्षा में विद्यार्थियों के अधिकाधिक प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए प्रवेशोत्सव पर विशेष ध्यान दिया जाए। विद्यालयों से बालिकाओं के ड्रॉपआउट को कम करने के लिए प्रभावी प्रयास किए जाएं। जो बालिकाएं ड्रॉपआउट हो रही हैं, उनको शिक्षा की धारा से पुनः जोड़ने के प्रयास किए जाएं। इसके लिए व्यापक स्तर पर लोगों को जागरूक भी किया जाए। ये निर्देश मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शिक्षा विभाग की गेम चेंजर योजनाओं की वर्चुअल समीक्षा के दौरान अधिकारियों को दिए।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि विद्यार्थियों के कौशल विकास के साथ ही व्यावसायिक शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया जाए। नवाचार की दिशा में नियमित कार्य किए जाएं। यह सुनिश्चित किया जाए कि छात्र-छात्राओं को किताबें, नोटबुक और स्कूल ड्रेस समय पर मिले। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि शिक्षा विभाग की जो परिसंपत्तियां उपयोग में नहीं हैं, उनका सदुपयोग किया जाए। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में बालिकाओं के लिए अलग शौचालयों और सेनेटरी पैड की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। स्कूल भवनों के सुरक्षा मानकों का विशेष ध्यान रखा जाए।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि विद्यालयों में किताबी ज्ञान के साथ ही कला, रंगमंच, खेलकूद की गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाए। फिट इंडिया के बारे में बच्चों को जागरूक किया जाए। परीक्षा प्रणाली के सुधार की दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए। विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को जल्द भरा जाए।

बैठक में जानकारी दी गई कि भारत दर्शन योजना के तहत 156 टॉपर्स को दिल्ली, हिमाचल, पंजाब और हरियाणा भेजा गया। छात्रों ने आईआईटी, आईआईएम और अन्य संस्थानों का भ्रमण किया। इस साल 1082 टॉपर्स को भारत दर्शन भ्रमण पर भेजा जाएगा। राज्य के 559 क्लस्टर विद्यालयों को स्मार्ट स्कूल बनाया जाएगा, जिसके तहत 4019 स्मार्ट क्लास संचालित की जाएंगी।

बैठक में शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शिक्षा रविनाथ रमन, शिक्षा महानिदेशक दीप्ति सिंह, स्थानिक आयुक्त अजय मिश्रा एवं शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

पीएम से सीएम ने किया 596 मेगावाट क्षमता की पांच जल विद्युत परियोजनाओं के विकास की अनुमति देने का आग्रह

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिष्टाचार भेंट कर उत्तराखण्ड के विकास से संबंधित विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन प्राप्त किया। मुख्यमंत्री ने राज्य के विकास में सहयोग के लिए केंद्र सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में उत्तराखण्ड विकसित भारत 2047 के विजन में अपनी प्रभावी भूमिका निभाने को तत्पर है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व के 27 देशों द्वारा प्रधानमंत्री को अपने देश का सर्वाेच्च नागरिक सम्मान प्रदान किए जाने से सभी भारतवासी गौरवान्वित हैं। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को कार्तिक स्वामी मंदिर के प्रतिरूप और आदि कैलाश यात्रा पर कॉफ़ीटेबिल बुक के साथ ही उत्तराखण्ड के उत्पाद कनार (धारचूला) का घी, लाल (पुरोला) चावल, बासमती चावल, काला जीरा, गंध रैण, जम्बू और स्थानीय शहद भेंट किये।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से केदारनाथ धाम और बद्रीनाथ धाम की भांति ही हरिद्वार गंगा कॉरिडोर, ऋषिकेश गंगा कॉरिडोर और चम्पावत में शारदा कॉरिडोर के मास्टर प्लान के अनुरूप अवस्थापना विकास के लिए सीएसआर के माध्यम से वित्त पोषण के लिए संबंधित को निर्देशित करने का अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड के उधमसिंह नगर स्थित नेपा फार्म को सेमी कन्डक्टर हब के रूप में विकसित करने लिए सेमी कन्डक्टर उद्योग लगाए जाने, दिल्ली व मेरठ के मध्य रीजनल रैपिड ट्रान्जिट सिस्टम को हरिद्वार तक विस्तारित करने और टनकपुर-बागेश्वर व ऋषिकेश-उत्तरकाशी रेल परियोजनाओं में मार्ग निर्माण का प्रावधान भी शामिल किये जाने के लिए संबंधित मंत्रालयों को निर्देशित किये जाने का प्रधानमंत्री से आग्रह किया।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को उत्तराखण्ड में वर्ष 2026 में होने जा रही नंदा राजजात यात्रा की जानकारी देते हुए कहा कि इसके संचालन के लिए व्यापक रूप से पर्यावरण अनुकूल अवस्थापना सुविधाएं विकसित की जानी हैं। मुख्यमंत्री ने अगस्त 2026 में आयोजित इस पर्वतीय महाकुंभ नंदा राजजात यात्रा के लिए प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया और साथ ही यात्रा में अवस्थापना सुविधाएं सुनिश्चित किए जाने के लिए 400 करोड़ की धनराशि केंद्र से उपलब्ध कराए जाने का अनुरोध भी किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2027 में हरिद्वार में दिव्य और भव्य महाकुंभ का आयोजन किया जाना है। राज्य सरकार द्वारा इसकी तैयारियां प्रारंभ कर दी गई हैं। इसके सफल आयोजन के लिए हरिद्वार में पुलों की मरम्मत, पार्किंग, विद्युत, पेयजल, शौचालय, परिवहन, श्रद्धालुओं के लिए पैदल मार्ग सहित अन्य कार्य कराए जाने हैं। मुख्यमंत्री ने इसके लिए 3500 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता दिये जाने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने ऋषिकेश और हरिद्वार शहरों में एचटी व एलटी विद्युत लाईनों को भूमिगत करने के साथ ही विद्युत प्रणाली को स्वचालित करने के लिए उत्तराखण्ड सरकार द्वारा भेजी गई 1015 करोड़ की डीपीआर को आरडीएसएस योजना के अंतर्गत स्वीकृत किये जाने के लिए संबंधित को निर्देशित करने का भी अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऋषिकेश के निकट स्थित अनोखी धरोहर चौरासी कुटिया को अपने पुराने रूप में लाने के लिए राज्य सरकार प्रयासरत है। इसके लिए अपेक्षित धनराशि की व्यवस्था भी कर ली गई है। मुख्यमंत्री ने चौरासी कुटिया के प्रस्ताव का अनुमोदन राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से कराए जाने का आग्रह किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिम आधारित नदियों को वर्षा आधारित नदियों से जोड़ने के लिए प्रथम चरण में पिण्डर-कोसी लिंक परियोजना का प्रारम्भिक प्रस्ताव तैयार किया गया है। ग्लेशियर आधारित पिंडर नदी के पानी को वर्षा आधारित कोसी, गगास, गोमती व गरूङ नदियों में मिलाया जाये तो बागेश्वर, अल्मोड़ा व नैनीताल जिलों के 625 गांवों की लगभग 2 लाख जनसंख्या पेयजल व सिंचाई से लाभान्वित होगी। साथ ही गरुड़, कौसानी, द्वाराहाट, रानीखेत और अल्मोड़ा नगरों की लगभग सवा लाख आबादी के लिए पेयजल आपूर्ति बेहतर हो सकेगी। मुख्यमंत्री ने इस परियोजना को भारत सरकार की विशेष योजना के अंतर्गत लिये जाने का अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से कैबिनेट सचिव, भारत सरकार की अध्यक्षता में गठित समिति की संस्तुतियों के क्रम में कुल 596 मेगावाट क्षमता की पांच जल विद्युत परियोजनाओं के विकास की अनुमति प्रदान किये जाने का भी आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री से चारधाम यात्रा, आदि कैलाश यात्रा, नंदा राजजात यात्रा, हरिद्वार में होने जा रहे कुम्भ के साथ ही प्रदेश में जल जीवन मिशन के बारे में विस्तार से जानकारी ली।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखण्ड के विकास के लिए केंद्र सरकार से हर सम्भव सहयोग के प्रति आश्वस्त किया।

सभी विभाग अपने विभागीय कार्यों का आउटपुट इंडिकेटर तैयार करेंः सीएस

मुख्य सचिव आनंद बर्धन ने सभी सचिवों के साथ सचिव स्तर की समीक्षा बैठक आयोजित करते हुए संबंधित विभागों को विभिन्न मुद्दों के संबंध में जरूरी दिशा-निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने सभी सचिवों को निर्देशित किया कि शहरी क्षेत्रों की ऐसी सभी बड़ी परियोजनाओं का विवरण तैयार करें जिनका अतिशीघ्र लोकार्पण अथवा शिलान्यास किया जाना हो।

उन्होंने भारत सरकार से साझा किए जाने वाले विभिन्न विभागीय प्रकरणों का स्टेटस तैयार करने तथा उसको भारत सरकार को प्रेषित करने को कहा।

मुख्य सचिव ने विभागों के आउटपुट इंडिकेटर की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि सभी विभाग अपने विभागीय कार्यों का आउटपुट इंडिकेटर तैयार करें।

विभागीय कार्यों में नई तकनीक का समावेश अथवा किसी अभिनव प्रयोग से कितना सुधार हुआ है, इसका तुलनात्मक विवरण तैयार करने को कहा।

उन्होंने सभी सचिवों को अपने विभागीय कार्यों का वर्क प्लान बनाते हुए उसका अनुमोदन करवाने के भी निर्देश दिए।

इसके अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि जो विभाग कार्बन क्रेडिट का लाभ लेने की स्थिति में हैं वे अपने क्रियान्वयन में कार्बन क्रेडिट का लाभ लेने का प्रयास करें तथा इससे संबंधित विवरण भी तैयार करें।

बैठक में प्रमुख सचिव आर के सुधांशु व एल एल फैनई, शैलेश बगोली, रविनाथ रमन, डॉ. पंकज कुमार पांडेय, दिलीप जावलकर, डॉ रंजीत कुमार सिन्हा, डॉ. श्रीधर बाबू अद्यंकी, चंद्रेश यादव, डॉ आर राजेश कुमार, एस एन पांडेय, दीपेंद्र कुमार चौधरी, दीपक कुमार, वी षणमुगम, विनोद कुमार सुमन, सी रविशंकर, रणवीर सिंह चौहान, नीरज खैरवाल, युगल किशोर पंत, धीराज सिंह गबर्याल, अपर सचिव विजय कुमार जोगदंडे सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

उत्तराखंडः परियोजना के तहत 5.60 लाख चिन्हित परिवारों की आजीविका संवर्द्धन का लक्ष्य

ग्रामोत्थान परियोजना (ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना) प्रदेश के 10 हजार निर्धनतम परिवारों की आजीविका को सहारा देने में कारगर साबित हुई है। परियोजना के तहत प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत कुल 5.60 लाख जरूरतमंद परिवारों की आजीविका में वृद्धि करने का लक्ष्य रखा गया है।

ग्राम्य विकास विभाग, अंतराष्ट्रीय कृषि विकास निधि की वित्तीय सहायता से इस परियोजना का संचालन कर रहा है। वर्ष 2023 से लागू यह योजना अब प्रदेश के सभी 13 जनपदो के 95 विकासखडों में लागू की जा चुकी है। परियोजना का लक्ष्य कृषि आधारित गतिविधियों में सक्रिय किसानों, उत्पादक समूहों, आजीविका संघों को बैंको के माध्यम से वित्तीय सहयोग प्रदान करते हुए ग्रामीण उद्यमशीलता को बढ़ावा देते हुए, जरूरतमंद परिवारों की आय को दोगुना करना है। इस परियोजना की कुल लागत 2789.27 करोड़ है। जिसमें अल्पआय वाले, 5.60 लाख परिवारों को शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से अब तक 3.24 लाख से अधिक परिवारों को योजना से जोड़ दिया गया है। परियोजना के तहत अति गरीब 10 हजार परिवारों को विशेष पैकेज के जरिए आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है, अच्छी बात यह है कि शुरुआती दो साल में योजना के तहत लक्ष्य से अधिक 10732 परिवारों को इसका लाभ मिल चुका है।

परियोजना के तहत दुग्ध उत्पदान, बकरी पालन, मुर्गीपालन, रिटेल रिपेयर शॉप आदि गतिविधियों के जरिए, कुल 7341 परिवारों की वार्षिक आय, में डेढ़ लाख रुपए से अधिक तक की वृद्धि हुई है। साथ ही इस परियोजना की विभिन्न गतिविधियों में शामिल 3751 महिलाओं की सालाना आय एक लाख से अधिक पहुंचा जा चुकी है।

सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त रोजगार के अवसर उपलब्ध हों, इसके लिए ग्रामोत्थान परियोजना संचालित की जा रही है। इसका लक्ष्य सीमित आय वाले परिवारों को उनके कौशल और आस पास मौजूद संसाधनों से जोड़ते हुए, आजीविका के अवसर प्रदान करना है। योजना निर्धनतम परिवारों के लिए वरदान साबित हो रही है।
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री उत्तराखंड

अब राज्य में सरकारी सेवाओं में चयन का आधार केवल और केवल मेरिट, प्रतिभा व योग्यताः सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शनिवार को आई आर डी टी ऑडिटोरियम देहरादून में हिमालयन हेरिटेज सोसाइटी द्वारा आयोजित भगवती सुरकंडा मां दिव्य जागर विमोचन समारोह में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने जागर गायक प्रीतम भरतवाण के सुरकंडा देवी पर जागर का विमोचन किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जागरो के माध्यम से हमारे पूर्वजों ने प्रकृति, पर्वत, नदियों और देवशक्तियों के साथ संवाद स्थापित किया। हमारी ये जागर परंपरा वेद मंत्रों जितनी ही गूढ़ है, जिसे केवल गाया ही नहीं जाता बल्कि अनुभव भी किया जाता है। जागर में शब्द नहीं बल्कि शक्ति होती है, प्रत्येक बोल, प्रत्येक ताल और ढोल की थाप में एक आध्यात्मिक शक्ति होती है, जो देवत्व को आमंत्रित करती है। इसलिए इस प्रकार के प्रयासों को प्रोत्साहन देना हम सभी का कर्तव्य है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण हेतु निरंतर प्रयास कर रही है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि मां सुरकंडा देवी, हमारी लोक आस्था, संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा का प्रतीक हैं, उनके इतिहास, महिमा और गौरवशाली कथा को चलचित्रों के माध्यम से जीवंत रूप देने का जो अद्भुत कार्य हमारे प्रदेश के महान लोक गायक पद्म प्रीतम भरतवाण जी ने किया है, वह अनुकरणीय है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रीतम भरतवाण का यह प्रयास न केवल मां सुरकंडा की महिमा को जन-जन तक पहुंचाएगा, बल्कि हमारी नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने में भी अहम भूमिका निभाएगा। 52 शक्तिपीठों में से एक मां सुरकंडा देवी का मंदिर लोगों की श्रद्धा और शक्ति का केंद्र है। सदियों से यहां पर लोकगाथाएं गाई जाती रही हैं, जागर गाए जाते रहे हैं। आज, जब इस अमूल्य धरोहर को संगीत, चलचित्र, और सांस्कृतिक शिल्प के माध्यम से संजोया गया है, तो यह प्रयास अत्यंत ही सराहनीय है।

मुख्यमंत्री ने आह्वान किया कि राज्य के लोग हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहें और उत्तराखंड की लोक पंरपराओं को जन-जन तक पहुंचाने में अपना योगदान सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति, परंपराएं और विरासत हमारी आत्मा का हिस्सा हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज पूरे भारत में ’’विकास भी और विरासत भी’’ के उद्घोष के साथ जहां एक ओर अभूतपूर्व विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। उनके मार्गदर्शन एवं सहयोग से हमारी राज्य सरकार भी प्रदेश के विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के लिए भी निरंतर प्रयासरत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री केदारनाथ धाम एवं श्री बद्रीनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्यों के साथ ही मानसखंड के पौराणिक मंदिरों’ के पुनरुत्थान एवं सौंदर्यीकरण हेतु करोड़ों की लागत से परियोजनाएँ संचालित की जा रही हैं। इसके साथ ही हम हरिद्वार-ऋषिकेश गंगा कॉरिडोर और शारदा कॉरिडोर के निर्माण पर भी तेजी से कार्य कर रहे हैं। पहले मां सुरकंडा देवी मंदिर जाने के लिए पैदल चलना पड़ता था, लेकिन हमारी सरकार ने ही मंदिर तक रोपवे का संचालन प्रारंभ करवाया।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, जागर गायक प्रीतम भारतवाण सहित बड़ी संख्या में दर्शक मौजूद रहे।

उत्तराखंड ग्रीन परिवहन की अवधारणा को साकार करने को बेहतर इंसेंटिव प्रावधानों को पॉलिसी में शामिल करेंः सीएस

मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में सचिवालय सभागार में परिवहन विभाग और संबंधित अधिकारियों द्वारा उत्तराखंड की इलेक्ट्रिक वाहन (मैन्युफैक्चरिंग एंड परचेजिंग) पॉलिसी- 2025 का ड्राफ्ट प्रस्तुत किया गया।

उत्तराखंड में इलेक्ट्रिक वाहन के अनुकूल इकोसिस्टम तैयार करने के उद्देश्य से तैयार की जा रही ईवी पॉलिसी के विभिन्न आयामों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई।

उत्तराखंड ग्रीन परिवहन की अवधारणा को साकार करने के लिए बेहतर इंसेंटिव प्रावधानों को पॉलिसी में शामिल करेंः मुख्य सचिव

मुख्य सचिव ने परिवहन विभाग और संबंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि उत्तराखंड में ग्रीन परिवहन की अवधारणा को साकार करने तथा मा. प्रधानमंत्री के इलेक्ट्रिक वाहन के संबंध में 2030 तक के लक्ष्य के अनुरूप पॉलिसी में मैन्युफैक्चरर, उपभोक्ता और संचालक सभी के लिए बेहतर इंसेंटिव का प्रावधान शामिल करें जिससे इलेक्ट्रिक वाहन का एक बेहतर इकोसिस्टम डेवलप हो सके।

उन्होंने बेहतर इंसेंटिव के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहन के अनुकूल में आने वाले अवरोधों के त्वरित समाधान के लिए पॉलिसी में प्रभावी और त्वरित निगरानी तंत्र का प्रावधान करने के भी निर्देश दिए।

सचिव विनय शंकर पांडेय और परिवहन विभाग द्वारा प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि उत्तराखंड में इलेक्ट्रिक वाहन के अनुकूल वातावरण तैयार करने के लिए इस पॉलिसी में मैन्युफैक्चरर से लेकर उपभोक्ता, संचालक और चार्जिंग स्टेशन स्थापन इत्यादि के लिए बेहतर इंसेंटिव का प्रावधान किया जा रहा है। कहा कि इस पॉलिसी में कार्बन क्रेडिट बेनिफिट के लिए प्रेरक इंसेंटिव, इंडस्ट्री साइड और उपभोक्ता साइड के लिए इंसेंटिव, कैपिटल सब्सिडी, स्टाम्प ड्यूटी, ब्याज सब्सिडी, भूमि रिबेट, रिसर्च एंड डेवलपमेंट फैसिलिटी इत्यादि सभी के लिए इंसेंटिव का प्रावधान की बात है।

इसमें वाहन की अलग-अलग श्रेणी टू व्हीलर, थ्री व्हीलर, फोर व्हीलर, ई बस इत्यादि के क्रम में इंसेंटिव का प्रावधान शामिल होगा।

उन्होंने अवगत कराया कि भारत में कुल वाहन की संख्या 34 करोड़ है। जिसमें 61.65 लाख इलेक्ट्रिक वाहन शामिल है।

उत्तराखंड में कुल वाहन 4215496 हैं जिसमें कुल इलेक्ट्रिक वाहन 84614 हैं।

बैठक में प्रमुख सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव विनय शंकर पांडेय, डॉ. आर. राजेश कुमार व एस. एन. पांडेय सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

डीएफओ और विभागों के साथ वन भूमि स्थानांतरण से संबंधित मामलों के निराकरण की प्रत्येक माह समीक्षा करेंः सीएस

मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में विभिन्न विभागों के जनपदों से संबंधित प्रकरणों के निस्तारण के संबंध में जिलाधिकारियों और जनपद के संबंधित अधिकारियों के साथ वर्चुअल समीक्षा बैठक आयोजित की गई।

मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि सभी विभाग संबंधित जिलाधिकारियों के समन्वय से अपनी सभी विभागीय परिसंपत्तियों और एसेट्स का सितंबर माह के अंत तक जियो टैगिंग और जिओ फेंसिंग कराना सुनिश्चित करें।

उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को संबंधित डीएफओ और विभागों के साथ वन भूमि स्थानांतरण से संबंधित मामलों के निराकरण के लिए प्रत्येक माह समीक्षा बैठक करने के निर्देश दिए।

साथ ही विभिन्न विकास योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए भूमि की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु प्रत्येक जनपद को पूर्व में लैंड बैंक बनाने के दिए गए निर्देशों का गंभीरता से अनुपालन करने के निर्देश दिए।

वन क्षेत्रों में डिग्रेडेड फॉरेस्ट लैंड का विवरण भी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने वन विभाग को भूमि स्थानांतरण से संबंधित सभी प्रकरणों की एसओपी बनाने के निर्देश दिए।

उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि पब्लिक ग्रीवांस पोर्टल पर सेवा के अधिकार से संबंधित ऐसी दूसरी सेवाओं को भी शामिल करें जिनकी समय सापेक्ष अधिक प्रासंगिकता है।

मुख्य सचिव ने सभी जनपदों को दो बेस्ट प्रैक्टिसेज (सफलता की कहानियों) का विवरण देने के निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि सरकारी आयोजन, बैठक, कार्यक्रमों में स्थानीय उत्पादों के उपयोग से संबंधित पूर्व में जो निर्देश दिए गए हैं उनका सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करें।

उन्होंने निर्देशित किया कि आगामी हरेला पर्व पर व्यापक वृक्षारोपण के लिए सभी जिलाधिकारी संबंधित विभागों के समन्वय से तत्काल प्लांटेशन प्लान प्रस्तुत तैयार करें।

मुख्य सचिव ने क्लस्टर विद्यालयों के संबंध में शिक्षा विभाग को निर्देशित किया कि संबंधित जिला अधिकारी के समन्वय से ट्रांसपोर्टेशन प्लान बनाना सुनिश्चित करें। प्रथम चरण में जिन माध्यमिक विद्यालयों को क्लस्टर विद्यालयों से जोड़ने का काम हो चुका है उनका उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रेषित करें जिससे अग्रिम चरण की वित्तीय धनराशि जारी की जा सके।

शिक्षा सचिव ने अवगत कराया कि पहले चरण में माध्यमिक विद्यालयों को क्लस्टर विद्यालय से जोड़ने का कार्य चल रहा है और शीघ्र ही प्राथमिक विद्यालयों को भी जोड़ने का कार्य प्रारंभ किया जाएगा।
उन्होंने अवगत कराया कि 559 माध्यमिक विद्यालयों में से 68 क्लस्टर विद्यालय इस वित वर्ष संचालित हो जाएंगे।

मुख्यमंत्री की घोषणा के अंतर्गत विभिन्न जनपदों से संबंधित पार्किंग के प्रकरणों की समीक्षा के दौरान मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि पार्किंग के लिए साइट का चयन पार्किंग की आवश्यकता के आधार पर करें ना की भूमि उपलब्धता की सुविधा के आधार पर। उन्होंने कहा कि जहां पार्किंग की डिमांड होती है वहां पर ही पार्किंग बनाई जानी चाहिए। उन्होंने निर्देशित किया कि जिन जनपदों से पार्किंग निर्माण से संबंधित प्रस्ताव अभी तक अप्राप्त हैं वे तत्काल प्रस्ताव तैयार करके प्रेषित करें।

महिला एवं बाल विकास से संबंधित योजनाओं की समीक्षा के दौरान मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारी और संबंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि महिला और बच्चों से संबंधित योजनाओं और कार्यक्रमों का बेहतर तरीके से क्रियान्वयन करें तथा इसके लिए नियमित बैठक करें तथा निगरानी तंत्र को भी मजबूत करें।

इस दौरान सचिव आईसीडीएस ने अवगत कराया कि आंगनबाड़ी केंद्रों में बाल विकास एवं महिला कल्याण से संबंधित संचालित की जा रही विभिन्न योजना और कार्यक्रमों का थ्त्ै (फेसियल रिकॉग्निशन सिस्टम) से रियल टाइम मॉनिटरिंग की जा रही है जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।

इस दौरान बैठक में प्रमुख सचिव आर के सुधांशु व मीनाक्षी सुंदरम, सचिव नितेश झा, रविनाथ रमन, सी रविशंकर, चंद्रेश कुमार यादव, विनोद कुमार सुमन वन विभाग से रंजन कुमार मिश्रा सहित संबंधित अधिकारी सभागार में उपस्थित थे तथा आयुक्त गढ़वाल व कुमायूं और संबंधित जिलाधिकारी वर्चुअल माध्यम से बैठक में उपस्थित थे।

रिमोट एरिया में एक भी विलेज और एक भी कस्बा इंटरनेट कनेक्टिविटी से वंचित नहीं रहेः सीएस

मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में टेलीकम्युनिकेशन विभाग के तत्वाधान में आठवीं राज्य स्तरीय ब्रॉडबैंड समिति की बैठक आयोजित की गई।

बैठक में टेलीकम्युनिकेशन विभाग, मोबाइल कम्युनिकेशन प्रदाता फर्म और संबंधित अधिकारियों द्वारा भारत सरकार की संचार और इंटरनेट कनेक्टिविटी से संबंधित परियोजनाओं और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में विभिन्न विभागों से संबंधित विभिन्न मुद्दों और उसके समाधान पर व्यापक विचार- विमर्श किया गया।

बैठक में विभिन्न मोबाइल कम्युनिकेशन प्रदाता फर्म द्वारा रिमोट एरिया में उच्च तीव्रता की इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रोवाइड करने में कुछ क्षेत्रों में सड़क संपर्क का ना होना बताया। जिस पर मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि रिमोट एरिया में एक भी विलेज अथवा एक भी कस्बा इंटरनेट कनेक्टिविटी से वंचित नहीं होना चाहिए। यदि कुछ जगह सड़क संपर्क मार्ग ना हो तो वहां पर हवाई ट्रांसपोर्ट द्वारा उपकरणों को पहुंचाया जाए और इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान की जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि पिटकुल के पास 617 किलोमीटर की फाइबर ऑप्टिकल लाइन बिछी हुई है उसको विभिन्न टेलीकॉम कंपनियां रेंट पर लेकर उसका उपयोग सकती हैं।

मुख्य सचिव ने कहा कि चूंकि राज्य में आरओडब्ल्यू (राइट ऑफ वे) रूल्स 2014 पहले से ही लागू हैं। इसलिए उसके अनुसार ही इंटरनेट कनेक्टिविटी से संबंधित सेवाएं देना सुनिश्चित करें।

मुख्य सचिव ने पुराने टेलीकॉम टॉवर्स को नियमित करने तथा कॉमन डक्ट और एरियल केबल पॉलिसी बनाने के लिए सचिव आईटी को आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने लोक निर्माण विभाग, यूपीसीएल, पिटकुल, फॉरेस्ट, बीएसएनल तथा संबंधित विभागों को निर्देशित किया कि इंटरनेट कनेक्टिविटी और संचार कनेक्टिविटी योजनाओं के क्रियान्वयन से संबंधित जो भी इश्यू उनसे संबंधित हैं उनका त्वरित निराकरण करें। इसके लिए संबंधित जिला प्रशासन, टेलीकॉम डिपार्टमेंट और संबंधित टेलीकॉम सेवा प्रदाता कंपनी के साथ आपसी समन्वय स्थापित करते हुए उनका समाधान निकालें।

उन्होंने सभी मोबाइल कम्युनिकेशन प्रदाता कंपनियों को निर्देशित किया कि शहरों और कस्बों में भी जहां पर कनेक्टिविटी का पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद हैं फिर भी अनेक बार कॉल ड्रॉप की समस्याएं झेलनी पड़ती हैं। इसके लिए सभी कम्युनिकेशन प्रदाता कंपनियां अपने-अपने रिसोर्सेस का पुनः सर्वे कर लें तथा कॉल ड्रॉप या कनेक्टिविटी में अवरोध जैसी समस्याओं का स्थाई समाधान करना सुनिश्चित करें।

टेलिकॉम विभाग ने अवगत कराया कि भारतनेट स्कीम के अंतर्गत राज्य में 6590 कनेक्शन दिए जा चुके हैं।

राज्य के 30 विकासखंडों की 1819 ग्राम पंचायतों में जिसमें ग्राम पंचायत कार्यालय, पीएससी (प्राथमिक सर्विस सेंटर) इत्यादि में कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई गई है। इनमें 13576 कनेक्शन दिए जा चुके हैं।

अवगत कराया कि केंद्र के गति शक्ति जीआईएस पोर्टल पर वर्तमान समय तक राज्य के तीन लाख से अधिक स्ट्रीट फर्नीचर (कनेक्टिविटी से संबंधित विद्युत खंबे, टावर इत्यादि इक्विपमेंट्स) मैप कर दिए गए हैं।

बैठक में प्रमुख सचिव एल एल फैनई, राज्य में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी के नोडल (सचिव आईटी नितेश कुमार झा तथा निदेशक आईटीडीए गौरव कुमार), सचिव सी रविशंकर, डिपार्टमेंट ऑफ़ टेलीकम्युनिकेशन से एडीजी वेस्ट यूपी आर एस परमार व डीजीपी रूरल देहरादून राजीव बंसल के अतिरिक्त बीएसएनल, एयरटेल, जिओ, इंडस टावर तथा संबंधित विभागों व फर्म के अधिकारी व प्रतिनिधि बैठक में उपस्थित थे।

हरिद्वार के मुख्य धार्मिक केंद्रों का पैदल मार्ग का सर्किट प्लान बनाएंः बर्द्धन

मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में उत्तराखंड औद्योगिक निवेश एवं विकास बोर्ड (यूआईआईडीबी) की कार्यकारी समिति (Ex C) की समीक्षा बैठक आयोजित की गई।

बैठक में उत्तराखंड नियोजन विभाग के अंतर्गत गठित यूआईआईडीबी द्वारा हरिद्वार गंगा कॉरिडोर परियोजना के अंतर्गत हरिद्वार शहर के संपूर्ण डेवलपमेंट और 2027 में हरिद्वार कुंभ मेला की आवश्यकता से संबंधित विभिन्न प्रोजेक्ट का प्रस्तुतीकरण दिया गया।

प्रस्तुतीकरण में हरिद्वार शहर का सुगम मोबिलिटी प्लान, सौंदर्यीकरण, सैनिटेशन, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, तीर्थ यात्री फ्रेंडली एक्सेस डेवलपमेंट, ट्रांसपोर्ट, सुरक्षा, पब्लिक सुविधाओं का विकास, भीड़ प्रबंधन, कल्चरल हब डेवलपमेंट, पार्किंग, सती कुण्ड डेवलपमेंट, 10 जंक्शंस का ज्यामितीय इंप्रूवमेंट, मल्टी मॉडल टूरिज्म एक्टिविटी, सीसीटीवी कैमरा व पब्लिक ऐड्रेसिंग सिस्टम, तीर्थ यात्री फ्रेंडली सुविधाओं, चंडी देवी, मनसा, देवी, माया देवी व विलकेश्वर मंदिर से जुड़े डेवलपमेंट कार्यों पर आगामी 2027 के कुंभ मेला के दृष्टिगत व्यापक विचार- विमर्श किया गया।

हरिद्वार के मुख्य लैंडमार्क (धार्मिक केंद्रों) का पेडेस्ट्रियन वे (पैदल मार्ग) सर्किट प्लान बनाएं

मुख्य सचिव ने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि मनसा देवी, चंडी देवी, माया देवी, दक्ष मंदिर, हर की पैड़ी, भारत माता मंदिर, दक्षिणेश्वर काली इत्यादि हरिद्वार के मुख्य धार्मिक केंद्रों का पेडेस्ट्रियन वे सर्किट प्लान बनाएं।

उन्होंने कहा कि तीर्थ यात्रियों का पैदल मार्ग ऐसा हो जिसमें उनको कहीं पर भी थोड़े समय के लिए भी रुकना ना पड़े (कोई भी अवरोध ना हो) तथा ऐसा पेडेस्ट्रियन मार्ग वन वे हो जिसमें सुरक्षा के भी सभी वैकल्पिक इंतजाम हो।
उन्होंने मेलाधिकारी, स्थानीय प्रशासन, नगर निगम, संबंधित कंसल्टेंट एजेंसी और संबंधित स्टेकहोल्डर को आपसी समन्वय से 15 दिवस के भीतर इसका प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए।

हर की पैड़ी में आरती पॉइंट पर व्यवस्थित एंट्री – एग्जिट प्लान बनाने के निर्देश

मुख्य सचिव ने मेला अधिकारी, पुलिस विभाग, स्थानीय प्रशासन, और संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि हरकी पैड़ी का आरती पॉइंट सबसे अधिक भीड़ – भाड़ वाला स्थान रहता है तथा यहां पर क्राउड मैनेजमेंट करना सबसे बड़ी चुनौती भी रहती है। इसको दृष्टिगत रखते हुए व्यवस्थित प्रवेश और निकासी का दुरुस्त प्लान बनाएं ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े।

हरिद्वार में फॉरेस्ट से सटे क्षेत्रों में डेवलपमेंट हेतु राजाजी पार्क प्रशासन होगी कार्यदाई एजेंसी

मुख्य सचिव ने निर्देशित किया कि विभिन्न धार्मिक केंद्रों, पब्लिक सुविधाओं के विकास और अन्य डेवलपमेंट से संबंधित ऐसे कार्य जो राजाजी पार्क प्रशासन के क्षेत्र के निकट हैं अथवा आंशिक रूप से उनके क्षेत्र से संबंधित हों उन कार्यों के क्रियान्वयन के लिए राजाजी पार्क प्रशासन को कार्यदाई एजेंसी बनाया जाए ताकि डेवलपमेंट से जुड़े कार्य तेजी से पूरे हो सके।

सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, सैनिटेशन, पार्किंग, भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा प्रबंधन को रखें उच्च प्राथमिकता में

मुख्य सचिव ने निर्देशित किया कि जो कार्य अधिक महत्वपूर्ण प्रकृति के हैं और शीघ्रता से पूरे किए जाने हैं उनको उच्च प्राथमिकता में रखें।

उन्होंने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, सैनिटेशन, पार्किंग, भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा के आपातकालीन उपाय इत्यादि कार्यों को उच्च प्राथमिकता में रखने के निर्देश दिए।

जहां जरूरी हो तो संबंधित स्थानीय निकाय, ट्रस्ट, गंगा सभा, स्थानीय प्रतिनिधि आदि हितधारकों को विश्वास में लेकर कार्य संपादित करें

मुख्य सचिव ने निर्देशित किया कि विभिन्न कार्यों को संपादित करते समय इस बात का ध्यान रखें कि जहां पर स्थानीय लोकल बॉडी, प्रतिनिधि अथवा स्थानीय ट्रस्ट आदि का इन्वॉल्वमेंट जरूरी हो वहां पर उनके समन्वय से कार्य करना सुनिश्चित करें।

उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों और स्टेकहोल्डर को हरिद्वार के डेवलपमेंट के संबंध में संयुक्त रूप से संपूर्ण शहर का विजिट करने के निर्देश दिए और डेवलपमेंट प्लान में जहां पर कुछ और प्रावधान किए जाने की आवश्यकता हो तो उनको भी प्लान में शामिल करने हेतु प्रस्ताव बनाने को कहा।

इस दौरान बैठक में प्रमुख सचिव एल एल फैनई व आर मीनाक्षी सुंदरम, सचिव नितेश कुमार झा, दिलीप जावलकर व डॉ पंकज कुमार पांडेय, विशेष सचिव अजय मिश्रा, कुंभ मेला अधिकारी हरिद्वार श्रीमती सोनिका सहित संबंधित अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।

नजरियाः श्री कैंचीधाम मंदिर ट्रस्ट ने सीएम आपदा राहत कोष को दिए 2.5 करोड़

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कैंची धाम मन्दिर ट्रस्ट द्वारा प्रदेश में आपदा पीड़ित परिवारों को मदद के लिये मुख्यमंत्री राहत कोष में 2.50 करोड़ की आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए ट्रस्ट के प्रयासों की सराहना की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कैंची धाम मन्दिर ट्रस्ट द्वारा आपदा पीड़ितों की मदद के साथ ही शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में किया जाने वाला सहयोग मानवता की बड़ी सेवा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कैंची धाम में प्रतिवर्ष श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के दृष्टिगत यातायात की सुगमता के लिये कैंची धाम बाईपास के लिए वन भूमि प्रस्ताव को केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से सैद्धांतिक स्वीकृति मिलने के बाद उक्त सड़क का तेजी से निर्माण किया जा सकेगा, जिससे क्षेत्रीय लोगों एवं पर्यटकों को आवाजाही में सुविधा मिलेगी साथ ही कैंची धाम और भवाली के पास लगने वाले जाम से भी मुक्ति मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि कैंची धाम में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये अन्य कई योजनायें भी क्रियान्वित की जा रही हैं।

ज्ञातव्य है कि गुरुपूर्णिमा के अवसर पर विश्व प्रसिद्ध कैंचीधाम मंदिर में आयोजित एक सूक्ष्म कार्यक्रम में मंदिर ट्रस्ट द्वारा प्रदेश में प्राकृतिक आपदा के दौरान प्रभावित परिवारों को मदद प्रदान करने हेतु मुख्यमंत्री राहत कोष में आर्थिक मदद हेतु 2.5 करोड़ (ढाई करोड़ ) की धनराशि का चौक जिले की मुख्य विकास अधिकारी अनामिका को प्रदान किया गया।

कैंचीधाम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष ओमप्रकाश बिंद्रा ने कहा कि कैंची धाम मंदिर ट्रस्ट सामाजिक क्षेत्र में लंबे समय से कार्य व योगदान करते आ रहा है। उन्होंने कहा कि मंदिर ट्रस्ट द्वारा शिक्षा स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन इन क्षेत्रों में हर संभव सहयोग किया जा रहा है। ट्रस्ट द्वारा प्रत्येक वर्ष 3000 बच्चों को दी जा रही छात्रवृत्ति को बढ़ाकर 5000 किया गया है।

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन के सहयोग से कैंची धाम मंदिर ट्रस्ट द्वारा मुख्य रूप से शिक्षा, चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग हेतु हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने विगत 15 जून को आयोजित कैंची धाम मंदिर स्थापना दिवस को सफलतापूर्वक संपन्न कराए जाने हेतु मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तथा जिला प्रशासन का सहयोग हेतु आभार व्यक्त किया है।